Wednesday, December 22, 2010

भांजी के साथ करीब एक महीने तक गैंगरेप

25 साल का एक युवक अपनी बहन को झांसे में लेकर भांजी के साथ करीब एक महीने तक गैंगरेप करता रहा। बहन को उसने खाजने का लालच दे रखा था और 17 साल की भांजी को यह कह कर डरा दिया था कि अगर उसने मुंह खोला तो उसके पिता और भाई मर जाएंगे। मिली जानकारी के मुताबिक मुकेश कुमार नाम का यह 25 साल का शख्स जादू-टोना का दावा करता है। एक महीना पहले वह अपनी बहन के पास आया और बोला कि उसे अपनी जादूई शक्तियों से उसके (बहन के) घर में छिपे खजाने का पता चला है। इसके लिए पूजा-पाठ कराना होगा। पूजा-पाठ के नाम पर उसने बहन को चार लाख रुपए का खर्च बताया। बहन के पति टेलर का काम करते हैं। उन्होंने जैसे-तैसे पैसे का इंतजाम कर दिया। इसके बाद वह अपने एक दोस्त अब्दुल मजीद (45)को ले आया, यह कहते हुए कि यह पूजा में साथ देगा। इसके बाद घर में छिपे खजाने की खोज के नाम पर हवन आदि कर्मकांड चलाते हुए दोनों ने एक महीने तक सबको उलझाए रखा। मुकेश ने अपनी 17 साल की भांजी को पूजा में सहयोग के नाम पर अपने साथ किया और दोनों उसके साथ करीब महीने भर रेप करते रहे। उसे दोनों ने कहा कि पूजा-हवन के लिए उसका शारीरिक संबंध बनाना जरूरी है। अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके पिता और भाई की मौत हो जाएगी। उसे किसी को यह बात बताने से भी दोनों ने मना कर दिया था। शुरू में लड़की ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन बाद में उसने अपनी मां को सब कुछ बता दिया। इसके बाद परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया और दोनों गिरफ्तार कर लिए गए। दोनों से पूछताछ चल रही है।

सरकार ने गुर्जरों के साथ छलावा किया

राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा रिजर्वेशन के लिए दायर अर्जी को खारिज करने से नाखुश होकर गुर्जर समाज से दिल्ली में दूध की सप्लाई तुरंत रोकने का आह्वान किया है। साथ ही राजस्थान में नैशनल हाईवे और रेल मार्ग को जाम करने का ऐलान किया है। कर्नल बैंसला ने राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद भरतपुर जिले के छोकरा रेल फाटक के पास धरना स्थल से फोन पर बातचीत करते हुए कहा, सरकार ने कोर्ट में गुर्जर समाज की पैरवी ठीक से नहीं की। सरकार ने बिना तैयारी के कोर्ट में पक्ष रखा, जिससे गुर्जर समाज के साथ न्याय नहीं हुआ। उन्होंने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमने गुर्जर आंदोलन को तेज करने के लिए गुर्जर समाज को दिल्ली में दूध की सप्लाई रोक देने और राजस्थान में नैशनल हाईवे को जाम करने के आदेश दिए हैं। राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता डॉ. रूप सिंह ने सरकार पर कोर्ट में गुर्जर समाज का पक्ष ठीक से नहीं रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने गुर्जरों के साथ छलावा किया है।

Tuesday, December 21, 2010

कोई भी व्यक्ति बिना पैसे दिए पुलिस में सिपाही या दरोगा नहीं बन सकता।

केंद्रीय गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लै ने पुलिस भर्ती में भ्रष्टाचार की बात को स्वीकार करते हुए कहा है कि देश के लगभग हर राज्य में ऐसा हो रहा है। कोई भी व्यक्ति बिना पैसे दिए पुलिस में सिपाही या दरोगा नहीं बन सकता। गृह सचिव सोमवार को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। गृह राज्यमंत्री अजय माकन भी मौजूद थे। पिल्लै ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 39 हजार सिपाही भर्ती किए गए हैं। उनकी भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और योग्यता पर आधारित थी। उन्होंने
देशभर में पुलिस की दुर्दशा पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई संदेश नहीं है कि देश में इस समय जो भी पुलिस बल है, उसका बहुत ही दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण भी स्तरीय नहीं है। गृह सचिव ने कहा कि कानून-व्यवस्था का दायित्व संभालने वाले सभी संगठनों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। आने वाले वर्षों में देश में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी बदलेगी। हालात काफी उग्र होंगे। जिस तरह देश में बड़े पैमाने पर विकास हो रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ दशकों में भी कानून-व्यवस्था की संतोषजनक स्थिति नहीं होगी। अगर हमें स्थिति को व्यवस्थित रखना है, तो फिर हमें नई रणनीतियां तैयार करनी होंगी। गृह राज्यमंत्री अजय माकन का कहना था कि अब समय आ गया है कि पुलिस फोर्स को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर विचार करना होगा क्योंकि रोज नई तरह की चुनौतियां सामने आ रही हैं।

सीबीआई से डरते नहीं

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई की ओर से पूछताछ के लिए समन मिलने के बाद पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर ए. राजा ने कहा है कि वह सीबीआई से डरते नहीं हैं और जांच में पूरा सहयोग करेंगे। इससे पहले हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ ने खबर दी थी कि समन मिलते ही अचानक राजा की तबीयत खराब हो गई और वह अस्पताल में भर्ती हो गए हैं। हालांकि, बाद में कहा गया कि राजे रेग्युलर चेकअप के लिए गए थे। राजा ने कहा, 'मैं सीबीआई से नहीं डरता हूं। मैं वकील हूं। वकील के तौर पर मैं कानून का पालन करूंगा। मैं कानून से नहीं भागूंगा।' राजा ने अग्रिम जमानत याचिका दायर करने संबंधी खबरों को झूठ करार देते हुए कहा, ' मैं आरोपी नहीं हूं और इसलिए अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने का सवाल ही नहीं है।'
सीबीआई ने घोटाले के बारे में पूछताछ के लिए राजा के साथ-साथ कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया सहित अन्य को भी नोटिस भेजकर हाजिर होने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई राजा से उनके निवेश, रकम के स्रोत और पिछले कुछ वर्षों के बैंक ट्रांजैक्शंस के बारे में पूछताछ करना चाहती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आज कांग्रेस महाधिवेशन में दिए गए बयान कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा पर राजा ने कहा कि वह इस बारे में टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं। डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि के साथ शनिवार को हुई बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ' यह एक नेता और एक कार्यकर्ता के बीच बैठक थी। कार्यकर्ता का अपने नेता से मिलना सामान्य है।' इसी बीच सीबीआई का समन मिलते ही अचानक राजा की तबीयत खराब हो गई। सूत्रों के मुताबिक राजा सेहत के ही आधार पर अंतरिम जमानत पाने की भी कोशिश कर रहे हैं।

Monday, December 13, 2010

हवलदार ने कार के अंदर दो लोगों को लड़की से दुराचार करते देखा था।

सुल्तानपुरी गैंग रेप केस में एक ओर पुलिस की भागदौड़ काबिले-तारीफ रही, वहीं दूसरी ओर वारदात कर रहे मुलजिमों को 10 मिनट का वक्त भी पुलिस की ओर से दिया गया। कार में रेप होते देखने के बावजूद हवलदार ने लड़की को बचाने के बजाय अपने एसएचओ को बुलाने में ही खैरियत समझी। काले रंग की कार की तलाश के दौरान रात करीब 11:30 बजे मंगोलपुरी थाने के एक हवलदार को इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 में काले रंग की कार खड़ी देखी। खुद पुलिस अफसरों के मुताबिक, हवलदार ने कार के अंदर दो लोगों को लड़की से दुराचार करते देखा था।
हवलदार को सर्विस पिस्टल मिलती है। इसके बावजूद उस पुलिस कर्मी ने हथियार निकलकर उन दोनों को चैलेंज करने और असहाय लड़की को उनके कब्जे से तुरंत छुड़ाने की कोशिश न कर अपने एसएचओ को फोन कॉल करने में अपनी खैरियत समझी। इस वारदात के मुजरिमों की तलाश कर रहे एसएचओ गजेंद्र कुमार ने दल-बल के साथ फेज-1 में उस जगह पहुंचने के बाद कार में मौजूद रामा और चंदपाल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लड़की को आजाद कराया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हवलदार की कॉल मिलने के बाद मौके पर एसएचओ के पहुंचने में करीब 10-15 मिनट लगे थे। इस दौरान मुलजिम वहशत दिखाते रहे और हवलदार कार से कुछ दूरी पर खड़ा होकर एसएचओ के आने का इंतजार करता रहा था। डीसीपी छाया शर्मा ने बताया कि रामा और चंद्रपाल की गिरफ्तारी के बाद उनके इकबाले-जुर्म पर 15 साल के नाबालिग लड़के और मणि उर्फ डब्बू को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने रेप नहीं किया था, लेकिन अपहरण के वक्त ये दोनों भी कार में थे। लड़की के अपहरण के बाद रास्ते में ये दोनों कार से उतर गए थे। कार में लड़की के पास सेलफोन था। अपहरण के बाद पुलिस उसके सेलफोन पर कॉल कर रही थी, जिसे वह पिक नहीं कर पा रही थी। इस वारदात की पहली कॉल लड़की के पड़ोसी रवि ने रात 10:24 बजे की थी। कॉल के दौरान उसने हड़बड़ी में सेक्टर 20 बोल दिया, जिसे पुलिस ने अमन विहार का इलाका समझा। बाद में साफ हुआ कि वारदात सुल्तानपुरी में हुई थी। डीसीपी छाया शर्मा के मुताबिक कॉल मिलते ही पुलिस वालों को निर्देश दिए गए कि गली-गली में जाकर कार की खोज करें। आउटर डिस्ट्रिक्ट की सभी बीट के सब पुलिस वालों और हर थाने के एसएचओ को सड़क पर उतारा गया। बाइक पर पैट्रोलिंग करने वाले सभी पुलिसकर्मी भी कार को खोज रहे थे। ऑपरेशन ब्लैक रोज की तरह बैरिकेडिंग लगाई गई। दूसरे जिलों की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया। पहली कॉल में रवि कार का मेक या नंबर नहीं बता सका था। इसी दौरान इस अपहरण के चश्मदीद एक टेंट वाले ने रवि को बताया कि कार का नंबर अंत में 4097 है। रात 11:05 बजे रवि ने फिर पुलिस को कॉल कर काली कार का यह नंबर बताया। हालांकि उसने गलती से कार का मेक गलत बता दिया। उसने एसेंट की जगह एस्टीम बताया था। गिरफ्तार मुख्य अभियुक्त रामा (28) सुल्तानपुरी के 'ई' ब्लॉक और चंद्रपाल (23) 'पी' ब्लॉक का रहने वाला है। दोनों ड्राइवर हैं। डब्बू 'सी' ब्लॉक में रहता है। इन तीनों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इनकी टीआईपी (शिनाख्ती परेड) कराने के लिए पुलिस कोर्ट में प्रार्थनापत्र दायर करेगी। नाबालिग लड़के को ऑब्जर्वेशन होम भेजा गया है। रेप केस में सात साल सजा होने के कारण जुवेनाइल ऐक्ट के प्रावधान के तहत उसे भी गिरफ्तार किया गया है। रामा ने कार कुछ दिन पहले डेढ़ लाख रुपये में एक कार डीलर से खरीदी थी। आरटीओ ऑफिस में इस कार के मालिक के तौर पर वजीरपुर में रहने वाले एक शख्स का नाम दर्ज है। उनका कहना है कि चार महीने पहले उन्होंने यह कार बेच दी थी। सुल्तानपुरी के लोगों के मुताबिक, रामा पहले भी महिलाओं से छेड़छाड़ करता रहता था। सोमवार आधी रात उसने एक लड़की से छेड़छाड़ की थी।

Tuesday, November 30, 2010

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच सु्प्रीम कोर्ट की देख-रेख में करने के लिए सीबीआई तैयार


2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच सु्प्रीम कोर्ट की देख-रेख में करने के लिए सीबीआई तैयार हो गई है। केंद्र सरकार भी इसके लिए तैयार है। गौरतलब है कि इसके पहले सीबीआई यह कह रही थी कि सीबीआई की देख-रेख में इस घोटाले की जांच करना उसके लिए संभव नहीं है। 2जी स्पेक्ट्रम की जांच को लेकर सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रहा विरोध खत्म हो गया है। अब सीबीआई इस घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में करने को तैयार हो गई है। इसके साथ ही अब इस जांच पर लोगों का भरोसा बढ़ गया है।

वाल्मीकि रामायण की नकल

अगर तुलसीदास ने रामचरित मानस आज लिखी होती तो वह साहित्यिक चोरी के मामले में जेल चले गए होते। उनकी रचना और कुछ नहीं बल्कि वाल्मीकि रामायण की नकल है। यह बात जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के प्रफेसर तुलसीराम ने दलित साहित्य पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में कही। सेमिनार का आयोजन साहित्य अकादमी और पटना यूनिवर्सिटी हिन्दी विभाग ने संयुक्त रूप से किया है। तुलसीराम ने कहा कि नकल होने के बावजूद तुलसीदास की रामचरित मानस काफी लोकप्रिय हुई। कट्टर हिंदू समाज ने इसे इसलिए लोकप्रिय बनाया क्योंकि इसे लिखने वाले तुलसीदास ब्राह्मण थे जबकि वाल्मीकि के दलित होने की वजह से उनकी रचना को अनदेखा कर दिया गया।

Monday, November 22, 2010

आखिर एक आपराधिक मामले में नाम रहते हुए कोई शख्स सीवीसी के तौर पर काम कैसे कर सकता है।

केंद्र की यूपीए सरकार को एक और झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की नियुक्ति पर सवाल उठा दिया। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर एक आपराधिक मामले में नाम रहते हुए कोई शख्स सीवीसी के तौर पर काम कैसे कर सकता है। सोमवार को सरकार की ओर से अटॉनी जनरल जीई वाह्नवती ने अदालत में सीवीसी पीजे थॉमस की नियुक्ति से संबंधित सीलबंद फाइल रखी। इसके बाद अदालत ने पूछा कि जब पीजे थॉमस का नाम एक आपराधिक मामले में शामिल है तो फिर वह सीवीसी के रूप में काम कैसे कर सकते हैं? चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, हम इन फाइलों को देखे बगैर, इस बात पर चिंतित हैं कि अगर कोई शख्स किसी आपराधिक मामले में आरोपी है तो वह सीवीसी के रूप में काम कर कैसे सकता है? गौरतलब है कि सीवीसी के रूप में पीजे थॉमस की नियुक्ति को लेकर पहले से विवाद है। विपक्षी दल इस फैसले का विरोध करते रहे हैं।

Friday, November 19, 2010

धार्मिक नेता ही इस मसले को हल करने में सक्षम है।

गोवर्धन पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर सर्वसम्मति से मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की स्थिति पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। इस मामले का समाधान धार्मिक नेताओं की आपसी बातचीत से ही होना चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या ममले का समाधान धार्मिक नेताओं की आपसी बातचीत से निकल सकता है। अगर सर्व सम्मति से मंदिर-मस्जिद दोनों बने तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोई ऐतराज नहीं होगा। उन्होंने कुछ हिंदू संस्थाओं पर अयोध्या मुद्दे का इस्तेमाल राजनैतिक लाभ के लिए करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजनैतिक नेता अयोध्या मामले में कोई समाधान नहीं निकाल सकते। केवल धार्मिक नेता ही इस मसले को हल करने में सक्षम है।

Thursday, November 18, 2010

पहले चरण में 30 से 40 पर्सेंट भी देश में आ गया तो हमें कर्ज के लिए आईएमएफ या विश्व बैंक के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे।

कहा जाता है कि 'भारत गरीबों का देश है, मगर यहां दुनिया के बड़े अमीर बसते हैं।' यह बात स्विस बैंक की एक चिट्ठी ने साबित कर दी है। काफी गुजारिश के बाद स्विस बैंक असोसिएशन ने इस बात का खुलासा किया है कि उसके बैंकों में किस देश के लोगों का कितना धन जमा है। इसमें भारतीयों ने बाजी मारी है। इस मामले में भारतीय अव्वल हैं। भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है। दूसरे नंबर पर रूस है जिनके लोगों के करीब 21,235 अरब रुपये जमा है। हमारा पड़ोसी चीन पांचवें स्थान हैं, उसके मात्र 2154 अरब रुपये जमा है। भारतीयों का जितना धन स्विस बैंक में जमा है, तकनीकी रूप से वह हमारे जीडीपी का 6 गुना है। सरकार पर दबाव है और कोशिशें भी जारी है कि इस धन को वापस देश में लाया जाए। तकनीकी रूप से यह ब्लैक मनी है। अगर यह धन देश में वापस आ गया तो देश की इकोनॉमी और आम आदमी की बल्ले-बल्ले हो सकती है।
कर्ज नहीं लेना पड़ेगा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक भारत को अपने देश के लोगों का पेट भरने और देश को चलाने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ता है। यही कारण है कि जहां एक तरफ प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वही दूसरी तरफ प्रति भारतीय पर कर्ज भी बढ़ता है। अगर स्विस बैंकों में जमा ब्लैक मनी का पहले चरण में 30 से 40 पर्सेंट भी देश में आ गया तो हमें कर्ज के लिए आईएमएफ या विश्व बैंक के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। धन की कमी स्विस बैंक में जमा धन पूरा करेगा। 30 साल का बजट बिना टैक्स के स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना ब्लैक मनी जमा है, अगर वह सारी राशि भारत को मिल जाती है तो भारत देश को चलाने के लिए बनाया जाने वाला बजट बिना टैक्स के 30 साल के लिए बना सकता है। यानी बजट ऐसा होगा कि जिसमें कोई टैक्स नहीं होगा। आम आदमी को इनकम टैक्स नहीं देना होगा और किसी भी वस्तु पर कस्टम या सेल टैक्स नहीं देना होगा। सभी गांव जुड़ेंगे सड़कों से सरकार सभी गांवों को सड़कों से जोड़ना चाहती है। इसके लिए 40 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। मगर सरकार के पास इतना धन कहां हैं। अगर स्विस बैंक से ब्लैक मनी वापस आ गया तो हर गांव के पास एक ही चार लेन की सड़क बन सकती है। कोई बेरोजगार नहीं देश में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा। जितना धन स्विस बैंक में भारतीयों का जमा है, उससे उसका 30 पर्सेंट भी देश को मिल जाए तो करीब 20 करोड़ नई नौकरियां पैदा की जा सकती है। 50 पर्सेंट धन मिलेगा तो 30 करोड़ नौकरियां मार्केट में आ सकती हैं। देश से गरीबी गायब अमेरिकी एक्सपर्ट का अनुमान है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का जितना धन जमा है, अगर वह उसका 50 पर्सेंट भी भारत को मिल गया तो हर साल प्रत्येक भारतीय को 2000 रुपये मुफ्त में दिए जा सकते हैं। यह सिलसिला 30 साल तक जारी रहा सकता है। यानी देश में गरीबी दूर हो जाएगी।

Thursday, November 11, 2010

हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की बैठक को सोमवार तक के लिए स्थगित


देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की बैठक को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में संचार मंत्री ए. राजा को हटाए जाने की मांग करते हुए बीजेपी, एआईडीएमके समेत विपक्षी सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी के नजदीक आ गए और नारेबाजी करने लगे। इसके तुरंत बाद कांग्रेस के भी कुछ सदस्य सोनिया के खिलाफ संघ के पूर्व सरसंघचालक के. एस. सुदर्शन की विवादास्पद टिप्पणी पर नारेबाजी करने लगे। सुदर्शन के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सीआईए की एजेंट बताया था और सोनिया को राजीव और इंदिरा गांधी के हत्या के पीछे जिम्मेवार बताया था। बीजेपी, जेडीयू, सपा, शिवसेना, लेफ्ट, एआईडीएमके ने सरकार से कॉमनवेल्थ गेम्स और आदर्श हाउसिंग घोटाले का मुद्दा भी उठाया। शोर शराबा थमता नहीं देख लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद बैठक दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की बैठक दोबारा शुरू होने पर भी सदन में भारी हंगामे की स्थिति रही और उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने कुछ ही मिनट बाद बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा में हंगामे के कारण आज दूसरे दिन भी प्रश्नकाल नहीं चल सका। सदन में भारी शोरगुल के कारण कुछ भी साफ सुनाई नहीं दे सका। इसके चलते सभापति हामिद अंसारी ने बैठक शुरू होने के महज दो मिनट के भीतर ही दोपहर 12 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सत्यव्रत चतुर्वेदी और मैबेल रिबेलो समेत कांग्रेस सदस्य उस अखबार को दिखाते हुए सभापति की कुर्सी के करीब पहुंच गए जिसमें संघ के पूर्व सरसंघचालक सुदर्शन की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के बारे में की गई टिप्पणियों का जिक्र था। दोपहर बाद भी राज्यसभा की बैठक हंगामे के कारण सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

Saturday, October 30, 2010

अंग्रेजी देवी की मूर्ति लगवाई

रोजी-रोटी के बाजार में तमाम भारतीय भाषाओं को पछाड़कर पहले ही देवी का दर्जा हासिल कर चुकी अंग्रेजी भाषा की अब बाकायदा पूजा होगी। प्रदेश के लखीमपुर खीरी में अंग्रेजी देवी की मूर्ति लगवाई जा रही है। यह मूर्ति जिले के एक दलित प्रधान स्कूल में लगवाई जा रही है। इस अनोखी परम्परा के सूत्रधार और अंग्रेजी के प्रतिष्ठित स्तम्भकार डॉ. चंद्रभान प्रसाद ने फोन पर बताया, देवी की प्रतिमा लखीमपुर खीरी जिले में दलितों द्वारा संचालित नालंदा पब्लिक शिक्षा निकेतन में स्थापित की जा रही है। सामूहिक चंदे से जुटाए गए धन से 800 वर्गफुट जमीन पर मंदिर बनकर तैयार है। प्रसाद ने बताया कि मंदिर में अंग्रेजी देवी की तीन फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जा रही है। देवी का एक मंजिला मंदिर काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि मंदिर के स्थापत्य को आधुनिक रूप देने के लिए उसकी दीवारों पर भौतिकी, रसायन और गणित के चिह्न तथा फार्मूले एवं अंग्रेजी भाषा में सूत्र वाक्य के साथ नीति वचन आदि उकेरे जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि इस अनूठे मंदिर के निर्माण की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली, प्रसाद ने बताया कि देश में आजादी के बाद जब राष्ट्रीय भाषा के चयन को लेकर बहस चल रही थी, तब संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने अंग्रेजी को यह दर्जा दिए जाने की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने कहा कि हालांकि तब देश के अन्य अग्रणी नेता आम्बेडकर से सहमत नहीं हुए थे। मगर अब रोजी-रोटी के बाजार में जिस तरह अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य कायम हो गया है, उससे उनके तर्क सही सिद्ध हुए हैं। प्रसाद ने कहा, हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं से कोई विरोध नहीं है। मगर अब इस बात में तर्क-वितर्क की कोई गुंजाइश बची नहीं है कि जीवन में सफलता की सीढि़यां चढ़ने के लिए अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान आवश्यक है। संयोग से दलित समाज इसमें काफी पिछड़ा हुआ है और जीवन के तमाम क्षेत्रों में उनके पिछड़े रहने का यह भी एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद मंदिर के जरिए दलित समुदाय के छात्रों को अंग्रेजी सीखने के लिए प्रेरित करना है।

Thursday, October 21, 2010

शादी दिसंबर में नहीं बल्कि मार्च में होगी।

पीलीभीत से बीजेपी सासंद और गांधी परिवार के एक और चिराग वरुण गांधी और यामिनी रॉय की शादी दिसंबर में नहीं बल्कि मार्च में होगी। पिछले महीने सितंबर में यह खबर आई थी कि वरुण को अपनी जीवन साथी मिल गई है और कहा जा रहा था कि वरुण और यामिनी की शादी दिसंबर में होगी, लेकिन हमारे सहयोगी अखबार दिल्ली टाइम्स की खबरों के मुताबिक उनकी शादी में मार्च में होगी। वरुण के कज़िन ने बताया कि यह पूरी तरह से पारंपरिक तरीके से होगी। शादी मार्च के पहले हफ्ते में होगी और शादी से पहले सगाई नहीं की जाएगी। शादी का मुहुर्त और दूसरी रस्में पंडित के बताए अनुसार ही की जाएंगी।
वरुण ने कज़िन आर्यमन शुक्ला ने बताया कि परिवार के साथ-साथ भैया और भाभी दोनों ही इन परंपराओं में यकीन रखते हैं और इन्हें मानते हैं। हालांकि यामिनी के पिता बंगाली ब्राह्मण हैं, लेकिन शादी विशुद्ध उत्तर भारतीय तौर-तरीके से होगी। आर्यमन ने बताया- यामिनी और भैया की मुलाकात 2004 में न्यू यॉर्क में हुई थी और धीरे-धीरे जान पहचान बढ़ी। दिल्ली आकर दोनों एक दूसरे के संपर्क में रहे। दोनों ही परिवार पिछले तीन सालों से एक-दूसरे को जानते हैं। भैया और यामिनी में बहुत सी बातें मिलती हैं। दोनों को भारतीय परंपरा के अलावा मॉर्डन आर्ट पसंद हैं। दोनों को ही हिंदी फिल्में देखना और किताबें पढ़ने का शौक है। दोनों के शादी करने के फैसले पर परिवारवालों को कोई हैरानी नहीं हुई। दोनों का पार्टी वगैरह में जाने की बजाए घर पर रहकर परिवार के साथ समय बिताना पसंद है। आर्यमन ने कहा- यामिनी भाभी बहुत ही केयरिंग हैं और अच्छी कुक हैं। वैसे उनका पूरा नाम यामिनी है पर घर में उन्हें सब इंका बुलाते हैं।

दिल्ली के गवर्नर तेजेंदर खन्ना भी आरोपों के घेरे में

एमार एमजीएफ को 760 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज दिए जाने का मामला एक बार फिर गूंज रहा है। इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली के गवर्नर तेजेंदर खन्ना भी आरोपों के घेरे में आ गए हैं। बुधवार को ही इस कंपनी की 183 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश जारी किया गया है। गौरतलब है कि खेल गांव के निर्माण में हुई गड़बड़ी की शिकायतों के बावजूद इस कंपनी को कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के दौरान 760 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज दिया गया था। डीडीए द्वारा किए गए इस भुगतान की मंजूरी हालांकि केंद्र ने दी थी, लेकिन इस मामले में दिल्ली के एलजी तेंजेंदर खन्ना की खास भूमिका बताई जा रही है। हमारे सहयोगी टीवी चैनल टाइम्स नाउ ने यह खबर दी है। शहरी विकास मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र ने चैनल से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी गई थी, हालांकि उसके मुताबिक कॉमनवेल्थ गेम्स के हक में यह फैसला किया गया था।

Friday, October 15, 2010

गेम्स से जुड़े घोटालों की जांच

कॉमनवेल्थ गेम्स समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गेम्स से जुड़े घोटालों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी। पूर्व सीएजी की अगुवाई में बनी यह समिति तीन महीने के अंदर प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के प्रवक्ता ने शुक्रवार शाम को यह जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) वी.के. शुंगलू इस समिति के अध्यक्ष होंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के इस एलान से पहले ही सीएजी ने गेम्स से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं का मूल्यांकन करने की घोषणा कर चुकी थी। गौरतलब है कि घोटालों के लिए चौतरफा आलोचनाएं झेल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गनाइजिंग कमिटी के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को प्रधानमंत्री के खास समारोह में नहीं बुलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक जानबूझकर उनकी अनदेखी की गई थी। शाम होते-होते प्रधानमंत्री द्वारा जांच समिति बनाए जाने से यह साफ हो गया कि उन्ही के निर्देश पर कलमाड़ी को उनके खास समारोह से दूर रखा गया था। इससे पहले बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा था कि पार्टी इन खेलों में हुए भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और तैयारियों में हुई देरी के मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगी। कांग्रेस ने कहा कि किसी भी गड़बड़ी की जांच होनी चाहिए। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, अगर सरकारी पैसे का कोई गलत इस्तेमाल हुआ है तो निश्चित तौर पर इसकी जांच किए जाने की जरूरत है, और जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस बीच सीएजी ने अपनी तरफ से भी गेम्स के प्रोजेक्टों का आकलन शुरू कर दिया। इसके अधिकारी सभी स्टेडियम जाएंगे और रेकॉर्ड्स खंगालेंगे। उसने सीपीडब्ल्यूडी ऑफिस में जांच अधिकारी भेजे हैं। सीएजी जनवरी के अंत तक रिपोर्ट पेश कर सकता है।

Monday, October 11, 2010

नई ट्रेनों की 101वीं खेप मुंबई पहुंच गई।

मुंबई की लाइफलाइन बनकर करीब 33 महीने पहले जब दुल्हन की तरह से सजी-संवरी नई ट्रेनों ने पटरियों पर दौड़ना शुरू किया तो पहली बार रेल यात्रियों ने कसमसाते माहौल से जुदा थोड़ा खुलकर सांस लिया। एक-एक मिनट बचाने वाले लोकल के यात्रियों को 10-15 मिनट तक नई ट्रेनों का इंतजार करते देखा गया। नई ट्रेनों के आने का कारवां आगे बढ़ा और आज यह इस मुकाम पर पहुंच गया कि इसे सेलीब्रेट करने के लिए रेलवे के साथ राज्य सरकार भी आगे आ गई और विशेष डाक कवर भी रिलीज किया गया। जी हां, बीते हफ्ते नई ट्रेनों की 101वीं खेप मुंबई पहुंच गई। जून 2011 तक कुल 28 और नई ट्रेनें मुंबई में आने वाली हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इन ट्रेनों के आने से वास्तव में रेल यात्रियों को सुविधा और सुकून मिला है? या फिर यात्रियों की बढ़ती रेलमपेल ने रेलवे के इस प्रयास को फुस्स कर दिया है। बढ़ी हुई ट्रेनों और इनकी बढ़ी हुई फ्रीक्वेंसी का असर बढ़े हए यात्रियों पर कितना पड़ा है मध्य और पश्चिम रेलवे से प्राप्त आंकड़े थोड़ा सुकून दे सकते हैं कि दुनिया के सबसे कॉम्प्लिकेटेड सबर्बन नेटवर्क में शुमार होने वाले मुंबई की लाइफलाइन (लोकल ट्रेनों) में थोड़ी बहुत भीड़ कम होने लगी है। एक रेल यात्री की हैसियत से शायद आपने भी महसूस किया होगा। रेल अधिकारियों की मानें तो साल 2013 में जब कई इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम पूरे हों जाएंगे तो रेल यात्रियों को और भी कई सुविधाएं मिलेंगी। मगर पहले बात वर्तमान की करें। साल 2005-06 में जहां मध्य रेल के प्रति कोच में 269 यात्री ठुंसे होते थे, जुलाई 2010 तक मध्य रेल के मेन-हार्बर और ट्रांसहार्बर रूट को मिलाकर यह संख्या 228 तक आ गई। जबकि पश्चिम रेल में 2005-06 में इसकी लोकल की प्रति बोगियों में 295 यात्री सफर किया करते थे और 2010 में यह तादाद घटकर 247 तक आ गई। इसे थोड़ा सा जनरल टर्म में कहा जाए तो पहले एक बैठे हुए यात्री के पीछे 4 यात्री खड़े रहते थे। अब यह संख्या घटकर तीन तक आ गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो सेंट्रल रेल में 20 प्रतिशत और वेस्टर्न रेल में 17 प्रतिशत भीड़ में कमी हुई। बावजूद इसके कि इस दरमियान यात्रियों की संख्या में भी 7-8 प्रतिशत का इजाफा हुआ। यह देर से हुआ या समय पर हुआ, इसे बहस का मुद्दा बनाया जा सकता है। मगर यह भी सच है कि जिस रफ्तार से मुंबई की आबादी आने वाले दिनों में बढ़ने वाली है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है लोकल ट्रेनों की भीड़ कम करना हमेशा से रेल अधिकारियों का सरदर्द बना ही रहेगा। रेल यात्रियों के लिए एक भरोसा देने वाली खबर यह भी है कि साल 2014 तक ऐसी 72 और ट्रेनों को मुंबईकरों की सेवा में लाकर पुरानी ट्रेनों को हटाने की प्लानिंग है। मगर यह भी काबिल-ए-गौर है कि जून 2011 से जून 2012 तक मुंबई में नई ट्रेनें नहीं आएंगी। अब बात करते हैं लोकल की बढ़ाई गई लोकल सेवाओं की। जुलाई 2010 तक के प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि मध्य रेल में साल 2005-06 में लोकल ट्रेनों की 1,203 सेवाएं हुआ करती थीं, जो जुलाई 2010 तक बढ़कर 1,556 हो गईं। इसमें 12 डिब्बों वाली लोकल की संख्या 218 से बढ़कर 577 हो गईं। पश्चिम रेल जो साल 2005-06 में जहां 1,017 सेवाएं चलाती थी, वो 2010 में बढ़कर 1,210 हो गईं। 12 डिब्बों वाली लोकल की संख्या बढ़कर 435 से 788 हो गई। जहां तक इस दरमियान बढ़ेे हुए यात्रियों की बात है तो मध्य रेल पर साल 2005-06 में रोजाना औसतन 30.84 लाख यात्री सफर करते थे वो साल 2010 जुलाई में बढ़कर 36.7 लाख हो गई। पश्चिम रेल में साल 2005-06 में 30.88 लाख यात्री थे और साल 2010 में इनकी संख्या बढ़कर 33.1 लाख हो गई। करती है जिसका एक और सिर्फ एक ही मकसद होता है पैसा कमाना। आज र्वल्ड क्लास स्टेशनों की बात होती है मगर कई स्टेशनों की हालत इतना बदतर है कि कुछ पूछिए मत। रेलवे को चाहिए कि वो किसी जनांदोलन का इंतजार न करे।

Saturday, October 2, 2010

यादव की सीधी आलोचना मुसलमानों को रास नहीं आई

अयोध्या मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की सीधी आलोचना मुसलमानों को रास नहीं आई है। अधिकतर मुस्लिम नेताओं की राय है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी को संयम बरतना चाहिए और किसी को भी ऐसी माहौल बिगाड़ने वाला बयान नहीं देना चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और ईदगाह के नायब इमाम मौलाना रशीद फिरंगीमहली ने कहा, ' देश में दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं, राजनेताओं और मीडिया ने इस संवेदनशील मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी और संयम का परिचय दिया है। यह रुख आगे भी बना रहना चाहिए और किसी को भी ऐसी कोई टिप्पणी नही करनी चाहिए, जो राजनीति से प्रेरित लगती हो और जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका हो। '
फिरंगी महली ने कहा, अब तक सभी लोगों ने, यहां तक कि संघ परिवार ने भी परिपक्वता का परिचय दिया है और यह संयमपूर्ण व्यवहार आगे भी बना रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बयानबाजी नही होनी चाहिए, जिससे फिरकापरस्त ताकतों को हरकत में आने का मौका मिले। हालांकि उन्होंने माना कि हाई कोर्ट के फैसले से मुस्लिम समुदाय में मायूसी का भाव है, लेकिन जोर देते हुए कहा कि ' देश के व्यापक हित को देखते हुए हर एक को संयम बरतना चाहिए और ऐसी प्रतिक्रिया से बचना चाहिए, जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द और अमन में खलल पड़ने की आशंका हो। ' फिरंगी महली की ही तरह इस्लामी शोध संस्थान दारुल मुसिन्नफीन के मौलाना मोहम्मद उमर ने कहा, टउन्होंने (मुलायम) मुस्लिम समुदाय की भावनाओं की ही बात कही है। मगर ऐसी टिप्पणी करने के लिए यह समय उचित नहीं है। ' गौरतलब है कि कल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने एक बयान जारी करके कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आस्था को कानून तथा सुबूतों से ऊपर रखा है और देश का मुसलमान इस निर्णय से खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। मुलायम सिंह के इस बयान पर शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मिर्जा अतहर ने कहा कि ऐसे समय जब हर आदमी समाज में अमन और शांति बनाए रखने की कोशिश में है, मुलायम सिंह यादव जैसे बड़े नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी अदालती मामले में एक पक्ष जीतता है, दूसरा हारता है और जब हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का रास्ता खुला है और विवाद को आपसी सहमति से सुलझा लेने का विकल्प भी सामने है तो इस तरह की टिप्पणी गैर जरूरी लगती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के एक अन्य सदस्य एवं प्रतिष्ठित शिया उलेमा मौलाना हमीदुल हसन ने यादव के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने भी कहा कि सभी को संयम का परिचय देना चाहिए और ऐसी किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए, जिससे साम्प्रदायिक एकता खंडित होने की आशंका हो। ऑल इंडिया सुन्नी बोर्ड के मौलाना मोहम्मद मुश्ताक ने कहा है कि अपने वादों और अपीलों का मान रखते हुए किसी भी मुस्लिम नेता ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे माहौल बिगड़े और जुमे की नमाज के बाद भी यह अपील फिर दोहरायी गई है कि आपसी शांति और सौहार्द बनाए रखने में सबको सहयोग देना है।

Thursday, September 30, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कई विदेशी यहां आएंगे, उन्हें हमें अपनी एकता का नजारा दिखाना चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि बाबरी मस्जिद ध्वंस के टाइम पीरियड में पैदा हुए अयोध्या (और बाकी जगहों के भी) अधिकतर युवाओं को अयोध्या विवाद के बारे में आज से पहले तक कुछ पता नहीं था! जो इस विवाद से थोड़ा बहुत परीचित हैं, उनका कहना है- इसे भूल जाओ और आगे बढ़ो। इन युवाओं के पास इतना वक्त नहीं है कि वे तब हुए सांप्रदायिक दंगों की ओर मुड़ कर देखें। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने बुधवार को ऐसे कई युवाओं से बातचीत की जो 1992 या इसके आसपास के टाइम में पैदा हुए हों। हैरानी की बात यह है कि इन युवाओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अयोध्या विवाद का क्या हल निकलता है। ट्विंकल उप्पल, उम्र 18 साल, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स: सच तो यह है कि इस पूरे मामले पर मुझे कुछ पता नहीं था तब तक जब तक कोर्ट के फैसले को लेकर हंगामा मचना शुरू नहीं हो गया। मेरे ख्याल में एक मस्जिद थी जिसे बीजेपी ने गिरा दिया था। लेकिन, यह बहुत पहले की बात है। मेरी चिंता कोर्ट के फैसले के बाद हम सबकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा है।...मैं चाहे मंदिर जाऊं, मस्जिद जाऊं या फिर गुरुद्वारा, मैं एक सा ही स्पिरिचुअल फील करती हूं। तो फिर दिक्कत कहां हैं? अज़रा खातून, बाबरी मस्जिद ढहाने के दौरान आयु दो वर्ष: मुझे इस मामले का पता तब चला जब मैं स्कूल में थी और मैंने कोर्स के एक चैप्टर में जाति और धर्म पर पढ़ा। जमीन के एक टुकड़े को ले कर लड़ने भिड़ने में मुझे कोई पॉइंट नजर नहीं आता है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। मंदिर मस्जिद, मेरी नजर में सभी सही हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कई विदेशी यहां आएंगे, उन्हें हमें अपनी एकता का नजारा दिखाना चाहिए।

Saturday, September 18, 2010

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला 24 सितंबर को ही आएगा।

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला 24 सितंबर को ही आएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें मध्यस्थता के जरिये सुलह कराने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह मामले के अंतिम निपटारे में बाधा खड़ी करने की कोशिश है। रमेश चंद्र त्रिपाठी ने विवाद को बातचीत से सुलझाने और फैसला टालने के लिए अर्जी दाखिल की थी। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस पर आपत्ति दाखिल की थी। अर्जी को खारिज करते हुए तीन जजों की बेंच ने कोर्ट से बाहर सुलह की इस कोशिश को गलत मंशा से की गई कोशिश माना और 50 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया। बेंच में जस्टिस एस.यू. खान, सुधीर अग्रवाल और डी.वी. शर्मा हैं। बेंच ने कहा, विभिन्न पक्षों से जो वकील पेश हुए, चाहे वे वादी के हों या प्रतिवादी पक्ष के, गंभीरता से इस याचिका का विरोध किया है। हमें इस अर्जी को खारिज करने में कोई हिचक नहीं है। जजों ने कहा कि आवेदक ने बिना किसी विधिसम्मत तर्क या कारण के अर्जी दाखिल की है। हम इस कोशिश को गलत मंशा से की गई मानते हैं और इस पर हर्जाना देगा होगा। अर्जी खारिज करने के पहले जजों ने इस मामले से जुड़े पक्षों से पूछा कि क्या वे समझौते के लिए बात करना चाहते हैं, इस पर किसी ने रुचि नहीं दिखाई। साठ साल पुराने इस मामले का फैसला आने पर हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि सुरक्षा उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है। बेंच ने कहा, हमने अखबारों में पढ़ा है कि प्रधानमंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया है कि वह किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। हम इस पर कमेंट नहीं कर सकते, लेकिन सरकार पर भरोसा है। कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए क्या जरूरी है, किसी शख्स या संगठन की सुरक्षा के लिए क्या जरूरी है, इसका सबसे बढ़िया फैसला सरकार ही कर सकती है। सुरक्षा इंतजाम करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसके लिए अधिकारी हैं, जो उपायों का आकलन कर सकते हैं।
इससे पहले ही इस मामले में पक्षकार कह चुके हैं कि इस विवाद का हल सुलह-समझौते के जरिये सम्भव नहीं दिखाई पड़ता। ऐसे में कोर्ट का फैसला जरूरी है। दोनों पक्षों को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और निर्णय आने के बाद हिंसा की बात पूरी तरह से निर्मूल है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और पक्षकार हाजी महमूद की ओर से दर्ज कराई गई आपत्ति में कहा गया कि फैसले के पहले समझौते की अर्जी देना निहित स्वार्थों से प्रेरित है। बोर्ड की ओर से यह भी कहा गया कि पिछले साठ सालों से मामले में समझौते की ओर कोशिश नहीं की गई थी फैसले के पहले इस प्रकार की अर्जी देना गलत है। 13 सितंबर को सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के मुकदमे के विपक्षी संख्या 17 रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने विशेष पूर्ण पीठ के ओएसडी को अर्जी देकर कहा था कि वर्तमान समय में देश आतंकवाद, माओवाद सहित अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है ऐसे में इस विवाद को आपसी सुलह समझौते से हल किया जाए। इसपर विचार के लिए विशेष पूर्ण पीठ ने 17 सितंबर की तारीख नियत करते हुए पीठ ने दोनों पक्षों से आपत्तियां प्रस्तुत करने को कहा था। हिन्दू महासभा की ओर से दायर आपत्ति में कहा गया कि फैसला आने के पहले किसी प्रकार की कोई अर्जी दायर नहीं की जा सकती। यह भी कहा कि दोनों पक्षों को न्यायापालिका पर पूर्ण विश्र्वास है तथा फैसले से पहले किसी प्रकार का सुलह समझौता संभव नहीं है।

Tuesday, September 14, 2010

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस मनाते हुए भाषा के प्रश्न पर आधुनिक भारत के स्वप्नदष्टा जवाहरलाल नेहरू के विचारों को याद करना समीचीन होगा। आजादी के प्रारंभिक वर्षों में राजभाषा के मुद्दे पर उत्तर और दक्षिण के बीच एक स्पष्ट विभाजन रेखा दिखाई देने लगी थी। नेहरू ने इंग्लिश को देश की राजभाषा घोषित करने की दक्षिण के कुछ नेताओं की मांग दृढ़तापूर्वक खारिज कर दी, लेकिन इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर दक्षिण की जनता की भावनाओं को कोई ठेस न पहुंचे। उन्होंने प्रमुख राजनीतिज्ञों, मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों को लिखे अपने पत्रों में भाषा के सवाल पर अपना रुख साफ करते हुए जन-जन की भाषा के रूप में हिंदी की अहमियत समझाई और बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षित करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के विकास पर जोर दिया था। पंडित नेहरू ने अपने बेबाक अंदाज में सरकारी भाषा की सरलता और अनुवाद की जटिलता पर भी चर्चा की और समय के साथ चलने के लिए विदेशी भाषाएं सीखने की जरूरत बताई। इस संबंध में नेहरू जी के पत्र ऐतिहासिक दस्तावेज हैं।
6 जनवरी 1958 को मदास में तमिल इनसाइक्लोपीडिया के पांचवें खंड के विमोचन के मौके पर अपने भाषण में नेहरू ने भाषा के सवाल का खासतौर से उल्लेख किया था। उन्होंने कहा, ''आज भारत में भाषा को लेकर बड़ी बहस चल रही है, लेकिन इस मुद्दे के सबसे खास हिस्से का समाधान हो चुका है। भले ही बारीकियां कुछ भी हों, लेकिन जहां तक मैं समझता हूं, भारत में यह बात स्थापित और स्वीकार हो चुकी है कि पढ़ाई का माध्यम मातृभाषा ही होनी चाहिए। यह तमिल, बांग्ला या गुजराती जैसी महान भाषाओं या अन्य भाषाओं पर ही नहीं, बल्कि पूवोर्त्तर भारत की आदिवासी बोलियों पर भी लागू होना चाहिए, जिनकी कोई लिखित भाषा नहीं है। व्यावहारिक तौर पर यह कठिन हो सकता है, लेकिन थ्योरी यह है कि बच्चे को मातृभाषा में शिक्षित करने की व्यवस्था राज्य को करनी चाहिए, भले ही बच्चा कहीं का भी हो। मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने के निर्णय के साथ ही भारत में एक बड़ा परिवर्तन आ गया है। इंग्लिश अभी तक शिक्षा का माध्यम थी, जबकि इस निर्णय से वह तत्काल दूसरी श्रेणी में आ जाती है।'' नेहरू जी ने 26 मार्च 1958 को सी. राजगोपालाचारी को भेजे अपने पत्र में लिखा कि ''भारत में वास्तविक और बुनियादी परिवर्तन इस बात से नहीं आ रहा है कि हिंदी धीरे-धीरे इंग्लिश का स्थान ले रही है, बल्कि इससे आ रहा है कि हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हो रहा है और उनका इस्तेमाल बढ़ रहा है। ये क्षेत्रीय भाषाएं शिक्षा का माध्यम बनेंगी और सरकारी कार्यों में इनका इस्तेमाल होगा। ये ही बुनियादी तौर पर इंग्लिश का स्थान लेंगी। यह अच्छा परिवर्तन है या नहीं, इसपर बहस हो सकती है लेकिन यह परिवर्तन अनिवार्य रूप से होगा और इससे भारत में इंग्लिश के दर्जे पर जबर्दस्त असर पडे़गा। भारत में इंग्लिश इसलिए फली-फूली क्योंकि वह शिक्षा के माध्यम के साथ-साथ हमारे सरकारी और सार्वजनिक कामकाज की भी भाषा थी। इंग्लिश और हिंदी के बीच कथित टकराव इस बडे़ सवाल का एक छोटा सा पहलू है। इन दोनों में से कोई भी भाषा गैर-हिंदीभाषी राज्यों में शिक्षा का माध्यम नहीं होंगी। शिक्षा और कामकाज का आधार क्षेत्रीय भाषा होगी और ये दोनों द्वितीय भाषाएं होंगी। मेरे मन में यह जरा भी संदेह नहीं है कि हमारी जनता के विकास के लिए क्षेत्रीय भाषा आवश्यक है और गैर-हिंदीभाषी राज्यों में अंग्रेजी या हिंदी के माध्यम से लोगों का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता।'' इसी पत्र में उन्होंने लिखा- ''हमें आधुनिक समय में हो रहे परिवर्तनों को समझने के लिए विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी अर्जित करना चाहिए। यह स्पष्ट है कि सभी बड़ी विदेशी भाषाओं में इंग्लिश हमें ज्यादा माफिक पड़ती है। अत: हमें इंग्लिश को एक महत्वपूर्ण भाषा के रूप में जारी रखना होगा। लेकिन मेरा मानना है कि भारत में व्यापक रूप से दूसरी विदेशी भाषाओं का ज्ञान होना भी आवश्यक है। कांग्रेस के गौहाटी अधिवेशन में भाषा के प्रश्न पर पारित प्रस्ताव में इस पहलू पर विशेष जोर दिया गया था और कहा गया था कि हमारी वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली अंतरराष्ट्रीय टमिर्नोलॉजी से मेल खानी चाहिए। साथ ही हमारी भाषा में अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रचलित वैज्ञानिक शब्दों को ज्यादा से ज्यादा शामिल किया जाना चाहिए। स्वाभाविक है कि ये शब्द ज्यादातर इंग्लिश के होंगे। इनके अलावा ये शब्द भारतीय भाषाओं में साझा होंगे या होने चाहिए ताकि मानव ज्ञान के इस विस्तृत क्षेत्र में वे एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आ सकें।'' राजगोपालाचारी को भेजे उपरोक्त पत्र में नेहरू ने हिंदी के बारे में लिखा कि ''यह अभी विकासशील अवस्था में है। लेकिन यह भी तथ्य है कि अपने विविध रूपों में इसकी पहुंच भारत के बहुत बड़े हिस्से तक है। उर्दू के तौर पर इसका दायरा पाकिस्तान तक फैला हुआ है। पाकिस्तान से आगे मध्य एशिया में काफिलों के गुजरने वाले रास्तों में भी उर्दू का ज्ञान काफी उपयोगी होता है। अत: हिंदी और उर्दू के जरिए, जिनमें लिपियां शामिल हैं, हम भारत से भी आगे दूर-दूर तक पहुंच जाते हैं। राजगोपालाचारी के ही नाम एक अन्य पत्र में नेहरू ने लिखा कि मुझे यह तर्कसंगत नहीं लगता कि इंग्लिश को भारत की राष्ट्रीय या केंद्रीय भाषा घोषित किया जाए। इससे मुझे ठेस लगती है। यदि मेरे मामले में ऐसा है तो लाखों लोगों को कैसा लगता होगा। अनेक देशों की यात्राएं करने के बाद मैं जानता हूं कि इंग्लिश को औपचारिक रूप से अपनाने पर कुछ देश आश्चर्य करेंगे और कुछ हमें नफरत से देखेंगे। सच यह है कि वे हमसे अपनी ही भाषा या अंग्रेजी को छोड़कर किसी अन्य भारतीय भाषा में बात करना ज्यादा पसंद करेंगे। ''

Friday, September 10, 2010

बेंच 24 सितंबर को फैसला सुनाएगी।

राम जन्मभूमि बाबरी ढांचा विवाद में जमीन के मालिकाना हक पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच 24 सितंबर को फैसला सुनाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने रिजर्व फैसले को सुनाने की तारीख की सूचना वादियों के वकीलों को दे दी है। इस साल 26 जुलाई सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस एस.यू. खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस डी. वी. शर्मा की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट तीन मामलों में फैसले देगा। पहला, क्या विवादित स्थल पर 1538 से पहले एक मंदिर था? दूसरा, क्या बाबरी कमिटी की तरफ से 1961 में दायर केस अब नहीं ठहरता है? और तीसरा, क्या मुसलमानों ने उलट अधिग्रहण के जरिये अपनी मिल्कियत को पुख्ता किया है? टाइटल का पहला केस 1950 में गोपाल दास विशारद ने यह कहते हुए फाइल किया कि रामलला की पूजा की इजाजत दी जाए। उसी साल परमहंस रामचंद दास ने भी केस फाइल किया, लेकिन फिर उसे वापस ले लिया। तीसरा केस 1959 में निर्मोही अखाड़े ने फाइल किया और उस जगह का कब्जा रिसीवर से मांगा। चौथा केस 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दर्ज किया और कब्जा मांगा। छठा केस 1989 में रामलला की तरफ से दाखिल हुआ। फिलहाल उनमें से चार केस चल रहे हैं। किसी धार्मिक स्थल के स्वामित्व को लेकर लड़ा जा रहा यह देश के इतिहास का सबसे लंबा मुकदमा है। वैसे तो बाबरी ढांचा पर मालिकाना हक का मामला तो सौ बरस से भी अधिक पुराना है, लेकिन यह अदालत पहुंचा 1949 में। यह विवाद 23 दिसंबर 1949 को शुरू हुआ जब सुबह बाबरी मस्जिद का दरवाजा खोलने पर पाया गया कि उसके भीतर रामलला की मूर्ति रखी थी। अगले दिन वहां हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई और पांच जनवरी 1950 को डीएम ने सांप्रदायिक तनाव की आशंका से बाबरी ढांचा को विवादित इमारत घोषित कर उस पर ताला लगाकर इसे सरकारी कब्ज़े में ले लिया।
16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद की जिला अदालत में अर्जी दी कि हिंदुओं को उनके भगवान के दर्शन और पूजा का अधिकार दिया जाए। दिगंबर अखाड़ा के महंत और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष परमहंस रामचंद्र दास ने भी ऐसी ही एक अर्जी दी। 19 जनवरी 1950 को फैजाबाद के सिविल जज ने इन दोनों अर्जियों पर एक साथ सुनवाई की और मूर्तियां हटाने की कोशिशों पर रोक लगाने के साथ साथ इन मूर्तियों के रखरखाव और हिंदुओं को बंद दरवाज़े के बाहर से ही मूर्तियों के दर्शन करने की इजाजत दे दी। साथ ही, अदालत ने मुसलमानों पर पाबंदी लगा दी कि वे इस 'विवादित मस्जिद' के तीन सौ मीटर के दायरे में न आएं। उमेश चंद्र पांडे की एक याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के एम पांडे ने एक फरवरी 1986 को विवादित मस्जिद के ताले खोलने का आदेश दिया और हिंदुओं को उसके भीतर जाकर पूजा करने की इजाजत दे दी। 1987 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर कर विवादित ढांचे के मालिकाना हक के लिए जिला अदालत में चल रहे चार अलग अलग मुकदमों को एक साथ जोड़कर हाई कोर्ट में एक साथ सुनवाई की अपील की। इसके बाद 1989 में अयोध्या की जिला अदालत में एक याचिका दायर कर मांग की गई कि विवादित ढांचे को मंदिर घोषित किया जाए। हाई कोर्ट ने पांचों मुक़दमों को साथ जोड़कर तीन जजों की एक बेंच को सौंप दिया। 1993 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विवादित स्थल के आसपास की 67 एकड़ जमीन को सरकारी कब्जे में लेकर वीएचपी को सौंप दिया। 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को निरस्त कर सरकार को आदेश दिया था कि विवादित ढांचे के आसपास की यह जमीन दोबारा अधिगृहीत की जाए और उस पर तब तक यथास्थिति बनाकर रखी जाए जब तक हाई कोर्ट मालिकाना हक का फैसला न कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मालिकाना हक का फैसला होने से पहले अविवादित जमीन को भी किसी एक समुदाय को सौंपना धर्मनिरपेक्षता की भावना के अनुकूल नहीं होगा। अपने दावे के पक्ष में हिंदुओं ने 54 और मुस्लिम पक्ष ने 34 गवाह पेश किए। फैसला आने से पहले और उसके बाद यूपी सहित देश के किसी भी राज्य में अप्रिय वारदातों से निपटने के लिए अब लखनऊ और केंद्र की सरकारों के सामने परीक्षा की घड़ी आ गई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि मायावती सरकार पंचायत चुनावों को आगे बढ़ा सकती हैं। फैजाबाद-मथुरा और वाराणसी सहित अतिसंवेदनशील और दूसरे प्रदेशों के बॉर्डर से लगे यूपी के जिलों में सुरक्षा बढ़ाने की कसरत पुलिस-प्रशासन ने शुरू कर दी है। यूपी के एडीजी (कानून और प्रसारण) बृजलाल ने बताया कि 24 सितंबर को शुक्रवार के दिन आने वाले फैसले को ध्यान में रखकर फैजाबाद, अयोध्या और अन्य स्थानों में धारा 144 लगाने का निर्देश पहले ही दिया जा चुका है।

Friday, September 3, 2010

'जय कन्हैया लाल' के जयकारे

जन्माष्टमी पर यूपी के अधिकांश मंदिरों में 'जय कन्हैया लाल' के जयकारे और 'गिरधर नागर नंदा , भजो रे मन गोविंदा' के भजन गूंजे। श्रीकृष्ण के स्वागत के लिए राजधानी लखनऊ सहित पूरा राज्य धार्मिक उल्लास में डूबा हुआ नजर आया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए अधिकांश मंदिर सजधज कर तैयार नजर आए। कुछ स्थानों पर बुधवार को ही जन्माष्टमी मनाई गई थी। कृष्ण जन्मोत्सव के लिए राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित राधाकृष्ण मंदिर, चौक स्थित कोनेश्वर मंदिर और चिनहट स्थित राधाकृष्ण मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया। यहां गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों के मंदिरों में कृष्ण भक्त सुबह से ही जयकारे लगाते नजर आए। लखनऊ में पुलिस लाइन सहित सैकड़ों स्थानों पर मनमोहक झांकियां सजाई गईं। कई स्थानों पर गुरुवार शाम को भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कान्हा की भक्ति में डूबी ब्रजभूमि मथुरा और उसके आसपास फैले ब्रज मंडल में उत्साह और खुशी का माहौल रहा। विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में यहां जन्माष्टमी पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। इस बार जन्माष्टमी की तिथि को लेकर थोड़ा भ्रम रहा लेकिन इसके बाद भी लोगों के उल्लास में कोई कमी नहीं है। वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में एक लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे। वृंदावन स्थित इस्कॉन मंदिर में बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु पहुंचे और कीर्तन में हिस्सा लिया। प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में बुधवार को ही जन्माष्टमी मना ली गई थी। आगरा में यमुना किनारे का मथुराधीश मंदिर विशेष आकर्षण रहा। शहजादी मंडी, लॉयर्स कॉलोनी, विजय नगर और शहर के अन्य हिस्सों के राधा कृष्ण मंदिर दमकते नजर आए।

Monday, August 30, 2010

मोंटेक सिंह अहलूवालिया पर महंगाई का विरोध करते हुए छात्रों ने अंडे और टमाटर फेंके।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया पर महंगाई का विरोध करते हुए छात्रों ने अंडे और टमाटर फेंके। हालांकि, मोंटेक सिंह को अंडे और टमाटर नहीं लगे। मोंटेक सिंह प्रेज़िडेंसी कॉलेज में इकनॉमिक्स पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने आए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जब वह कॉलेज में प्रवेश कर रहे थे, तभी सीपीएम समर्थित छात्र संगठन एसएफआई के छात्रों ने वापस जाओ के नारे लगाते हुए उन्हें काले झंडे दिखाए। उसके बाद छात्रों ने उन पर अंडे और टमाटर फेंकने शुरू कर दिए। हालांकि, ये अंडे और टमाटर उन तक नहीं पहुंच पाए। एसएफआई के सूत्रों ने इस बात का खंडन किया है कि अहलूवालिया पर अंडे और टमाटर फेंके गए। उन्होंने कहा कि महंगाई और हायर एजुकेशन पर तापस मजूमदार रिपोर्ट को लागू करने में केन्द्र सरकार की असफलता को लेकर प्रदर्शन जरूर किया गया था।

Wednesday, August 25, 2010

भारी बारिश से मध्य दिल्ली के कई इलाकों में जल जमाव


दिल्ली में बुधवार सुबह हुई तेज वर्षा से कई स्थानों पर पानी भरने के साथ ही सड़क जाम की समस्या फिर सामने आ गई। इससे अपने दफ्तर जाने के लिए निकले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भारी बारिश से मध्य दिल्ली के कई इलाकों में जल जमाव हो गया है। कुछ स्थानों पर तो दो फीट तक पानी जमा हो गया। इसके कारण आश्रम, बाहरी रिंग रोड, धौलाकुआं, प्रगति मैदान, राजघाट, डीएनडी, अजमेरी गेट जैसे स्थानों पर भारी जाम लग गया है। उधर यमुना नदी खतरे के निशान से करीब एक फीट ऊपर बह रही है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए यमुना में गिरने वाले शहर के सभी नालों को बंद कर दिया गया है।

Monday, August 16, 2010

तिरंगा फहराने के नियम-कायदे

रखरखाव के नियम - आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके साइज और रंग आदि तय हैं। - फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा। - उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है। - कानूनी जानकार डी. बी. गोस्वामी ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक, फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करनेवालों के खिलाफ सख्त कानून हैं। - अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। - तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी गलत है। - अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। - तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। फहराने के नियम - सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है। - फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है, लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा। - 2001 में इंडस्ट्रियलिस्ट नवीन जिंदल ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नागरिकों को आम दिनों में भी झंडा फहराने का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने नवीन के पक्ष में ऑर्डर दिया और सरकार से कहा कि वह इस मामले को देखे। केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2002 को झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया और इस तरह हर नागरिक को किसी भी दिन झंडा फहराने की इजाजत मिल गई। राष्ट्रगान के भी हैं नियम - राष्ट्रगान को तोड़-मरोड़कर नहीं गाया जा सकता। - अगर कोई शख्स राष्ट्रगान गाने से रोके या किसी ग्रुप को राष्ट्रगान गाने के दौरान डिस्टर्ब करे तो उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। - ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की कैद का प्रावधान है। - प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 का दोबारा उल्लंघन करने का अगर कोई दोषी पाया जाए तो उसे कम-से-कम एक साल कैद की सजा का प्रावधान है।

Saturday, August 14, 2010

स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर जूता फेंका।

श्रीनगर में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर जूता फेंका। इस घटना के तुरंत बाद उसको गिरफ्तार कर लिया गया। जम्मू-कश्मीर में सीएम उमर अब्दुल्ला जब स्वतंत्रता दिवस समारोह में राज्य की जनता को संबोधित कर रहे थे तभी एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने उन जूता फेंका। बाद में सुरक्षाबलों ने उस सब इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ कर रहे हैं। इस घटना के बाबत सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि विरोध जताने का यह सही तरीका नहीं है।

Thursday, August 12, 2010

पंडित नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन के बीच कथित प्रेम प्रसंग ही देश के विभाजन की वजह बना था।

शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में आजादी के समय देश के विभाजन के पीछे एक नई ही थिअरी पेश की है। इस वयोवृद्ध नेता का कहना है कि पंडित नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन के बीच कथित प्रेम प्रसंग ही देश के विभाजन की वजह बना था। ठाकरे के मुताबिक, लॉर्ड माउंटबेटन ने इसी दीवानगी का फायदा उठाया और देश के साथ धोखा हो गया। पाकिस्तान से भारत को खतरे की बाबत पूछे एक सवाल में ठाकरे ने कहा कि मेरे पास एक फिल्म है जिसमें नेहरू-एडविना प्रसंग और पाकिस्तान के निर्माण को फिल्माया गया है। इस फिल्म को इंग्लैंड में बैन कर दिया गया था, क्योंकि इससे देश की बदनामी का डर था। देशभक्ति इसे कहा जाता है। ठाकरे ने अपने भतीजे राज ठाकरे का नाम लिए बिना सामना में लिखा है कि अब कुछ लोग मेरे स्टाइल की नकल कर रहे हैं। उनका दावा है कि वे मराठियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ध्यान हो कि राज की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी मराठियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। शिवसेना प्रमुख ने अपराधियों को टिकिट देने, मतदाताओं को धन या शराब बांटने पर भी ऐतराज जताया। उन्होंने दावा किया कि मैंने पूर्व में शिवसेना सांसद और अब कांग्रेस में शामिल हो चुके संजय निरुपम को मतदाताओं को शराब देकर लुभाने पर फटकार लगाई थी।

Friday, August 6, 2010

अगले जन्म में शांति एवं सुकून की जिंदगी पाने की उम्मीद में हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया

हॉलिवुड सुपरस्टार जूलिया रॉबर्ट्स ने अगले जन्म में शांति एवं सुकून की जिंदगी पाने की उम्मीद में हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है। बैप्टिस्ट और कैथोलिक माता-पिता से जन्मीं जूलिया (42) अपनी फिल्म 'ईट प्रे लव' की शूटिंग के लिए भारत आई थीं और तब से वह हिन्दू बन गई हैं। एले मैगजीन में अकादमी पुरस्कार विजेता जूलिया ने कहा कि अब वह अपने कैमरामैन पति डेनियल मोडर और तीन बच्चों हैजल फिनायस और हेनरी के साथ भजन-कीर्तन तथा प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाती हैं।
जूलिया ने कहा, ' मैं निश्चित तौर पर हिन्दू बन गई हूं। इस जीवन में मेरे दोस्तों और परिवार ने मुझे जरूरत से ज्यादा बिगाड़ दिया। अगले जन्म में मैं शांति से रहना चाहती हूं।' भारत में शूटिंग के दौरान जूलिया को हिंदू धर्म को करीब से जानने का मौका मिला था। एलिजाबेथ गिलबर्ट की बेस्ट सेलर किताब पर आधारित इस फिल्म में जूलिया ने एक ऐसी तलाकशुदा महिला की भूमिका निभाई है, जो खुद की खोज में दुनियाभर में घूमती है। यह महिला भोजन के लिए इटली और आध्यात्मिकता के लिए भारत तथा बाली जाती है जहां उसे प्यार मिलता है।

30 करोड़ के गमले...135 करोड़ के पौधे... कुछ की कीमत 2700 रुपये

30 करोड़ के गमले...135 करोड़ के पौधे... कुछ की कीमत 2700 रुपये तक... । बात कॉमनवेल्थ गेम् की ही हो रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स में फिजूलखर्जी का एक और उदाहरण सामने आया है। स्टेडियम की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर दिल्ली सरकार ने जिन महंगे गमलों और पौधों पर करोड़ों रुपये फूंक डाले, उन्हें दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों से स्टेडियम के पास रखने तक से मना कर दिया है। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए दिल्ली सरकार ने 30 करोड़ रुपये में 43 लाख गमले खरीदे। इसके अलावा 135 करोड़ रुपये के पौधे भी खरीदे गए हैं। इनमें से कुछ की कीमत 2700 रुपये तक है। इन गमलों को स्टेडियम के गेट और उनके पास रखा जाना था। लेकिन पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली सरकार को गेम्स वेन्यू के गेट के पास सुरक्षा कारणों से कोई भी गमला न रखने की हिदायत दी है। बता दें कि स्टेडियम के अंदर गमलों को न रखने के बारे में आर्गनाइजिंग कमिटी और दिल्ली पुलिस पहले ही इनकार कर चुकी थी। अब इतनी भारी तादाद में अलग-अलग एजेंसियों से तैयार करवाए गए इन गमलों को गेम्स वेन्यूज़ के नजदीक के फ्लोईओवर्स के नीचे खपाया जा रहा है। गेम्स के लिए ये पौधे विशाखापत्तनम की अर्बन डेवलेपमेंट अथॉरिटी और देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से खासतौर पर तैयार करवाए गए हैं। दिल्ली पार्क ऐंड गार्डन्स सोसाइटी के सीईओ डीडी सिंह ने कहा कि कुछ पौधे विजाग से आ रहे हैं। ट्रांसपोर्ट के खर्चे के साथ उनकी कीमत 1700 रुपये बैठ रही है। दिल्ली की अलग-अलग एजेंसियां 50 लाख पौधे तैयार कर रही है। इसमें से दिल्ली पार्क सोसाइटी अकेले 8 लाख पौधे विशाखापत्तनम और देहरादून से खरीद रही है। इन सबकी लागत 135 करोड़ रुपये के करीब है ।

Monday, August 2, 2010

रोजमर्रा के कठिन जीवन संघर्ष में जुटे आम लोगों की इस तरह के नाटक या प्रतिनाटक में कोई दिलचस्पी नहीं


महंगाई को लेकर संसद में चल रही बहस एक अंधी गली में फंस गई जान पड़ती है। सरकार इस मुद्दे पर पहले की तरह इस बार भी एक कागजी सफाई देकर अपनी जान छुड़ा लेना चाहती है, जबकि विपक्ष को 10 प्रतिशत से ऊंची महंगाई में फिलहाल सरकार को पानी पिला देने का सुनहरा मौका नजर आ रहा है। उसे लग रहा है कि अगर महंगाई पर वोटिंग हो गई तो तृणमूल कांग्रेस और डीएमके ट्रेजरी बेंच में दिखने के बजाय वोटिंग का बॉयकॉट करना ज्यादा पसंद करेंगी। ऐसे में सरकार या तो गिर जाएगी या घिघियाती हुई नजर आएगी। लेकिन संसद के बाहर रोजमर्रा के कठिन जीवन संघर्ष में जुटे आम लोगों की इस तरह के नाटक या प्रतिनाटक में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे अब सरकार से कोई सफाई नहीं कोई दिलासा नहीं, एक साफ ब्लूप्रिंट चाहते हैं कि आने वाले दिनों में वह महंगाई से कैसे निपटने जा रही है। प्रणव मुखर्जी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और शरद पवार के पास इस बारे में कहने के लिए बहुत सारी बातें हैं, जिन्हें वे पिछले कई महीनों से तोते की तरह रटते आ रहे हैं। मॉनसून आने के साथ ही महंगाई कम हो जाएगी, साल के अंत तक यह आठ प्रतिशत और अगले मार्च तक छह प्रतिशत तक आ जाएगी, वगैरह-वगैरह। लेकिन ऐसे मनोवैज्ञानिक उपायों से न लोगों का आटा-दाल सस्ता होता है, न ही उनके बाकी खर्चे कम होते हैं। सचाई यह है कि असेर् बाद भारत को एक साथ डिमांड-साइड और सप्लाई-साइड, दोनों तरह की मुद्रास्फीतियों का सामना करना पड़ रहा है। रोजमर्रा की जरूरत की चीजें- अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियां वगैरह- इसलिए महंगी हैं क्योंकि उनकी आपूर्ति कम है, जबकि कारखानों में बनने वाली चीजें, मैन्युफैक्चर्ड सामान इसलिए महंगे हैं क्योंकि देश का खाता-पीता मध्यवर्ग उन्हें महंगे दामों पर भी खरीदने को तैयार है। भारत की अस्सी प्रतिशत या उससे भी ज्यादा आबादी के लिए यह स्थिति भयंकर है, क्योंकि बाजार में हर चीज उसे पिछले साल से पंदह-बीस प्रतिशत महंगी मिल रही है, जबकि उसकी आमदनी बढ़ने की कहीं कोई गुंजाइश ही नहीं बनी है। विपक्ष इस मुद्दे पर अगर सरकार को घेर लेता है, या यहां तक कि उसे गिरा भी देता है तो इससे किसी को कोई भावनात्मक कष्ट नहीं होगा। लेकिन दुर्भाग्यवश, महंगाई जैसे बुनियादी महत्व के मामलों में इससे किसी को कोई राहत भी नहीं मिलेगी। पिछले कुछ दिनों से लगातार यह देखा जा रहा है कि सरकार जब भी संकट में पड़ती है, उसके तीनों बड़े गैर-कांग्रेस घटकों के मजे हो जाते हैं। आपातकालीन स्थिति में उसे बाहर से समर्थन देने को राजी हुआ कोई दल भी मौके का भरपूर फायदा उठाता है। इससे सरकार तो बची रह जाती है लेकिन सत्तारूढ़ धड़ों के बीच हुई सौदेबाजी की मार अंतत: आम लोगों के ही सिर पड़ती है। ऐसे में अच्छा यही होगा कि विपक्ष कुछ सियासी मोहरे मार लेने के बजाय सरकार को महंगाई पर कोई ठोस बात बोलने के लिए मजबूर करे। इससे लोगों का भला होगा और उनकी नजर में विपक्ष की हैसियत भी ऊंची उठेगी।

Thursday, July 29, 2010

कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ संसद भवन के मुख्य द्वार पर गुरुवार को धरना

वामपंथी पार्टियों के सांसद कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ संसद भवन के मुख्य द्वार पर गुरुवार को धरना देंगे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने बुधवार को कहा, 'हम संसद के अंदर और संसद के बाहर, दोनों जगह अपना विरोध जारी रखेंगे। हम गुरुवार को संसद के मुख्य द्वार पर धरना देंगे।' वामपंथी नेताओं ने लोकसभा में इस मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव की अनुमति न देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की भी आलोचना की। दासगुप्ता के अनुसार देश में पैदा हालात के गलत आंकलन के कारण काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि सरकार लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव का सामना करने से डर रही है।

आसमान छूती महंगाई

आसमान छूती महंगाई पर विपक्ष हल्ला मचा रहा है और सरकार नई-नई सफाइयां पेश करते हुए इसे जल्द ही काबू पाने के दावे कर रही है। पर यह सिलसिला नया नहीं है। महंगाई जैसे-जैसे बढ़ती रही है सरकार की तरफ से इस पर जल्द काबू पा लेने के वादे भी उसी तरह सामने आते रहे। मगर, उन वायदों का कोई असर अब तक नहीं दिखा है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि एक काबिल माने जाने वाले अर्थशास्त्री की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार महंगाई पर काबू पाना जानती भी है या नहीं?

Monday, July 26, 2010

रेल मंत्री ममता बनजीर् ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया

रेल हादसों के बाद विपक्ष के हमले झेल रही रेल मंत्री ममता बनजीर् ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया है। इसमें सबसे पहले उन्होंने अपने घर को संभालने की कवायद शुरू की। ममता ने खुद मुरादाबाद के कंट्रोल रूम में फोन करके गुरुवार को एक ही झटके में लेट चल रही तमाम ट्रेनों को राइट टाइम ट्रैक पर लाकर खड़ा कर दिया। ममता ने ट्रायल के तौर पर यूपी के मुरादाबाद डिविजन को चुना, जहां से ट्रेन उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, हरियाणा-पंजाब, जम्मू और दक्षिणी राज्यों को जाती हैं। उन्होंने रेल अफसरों को भी ट्रेनों को समय पर चलाने और यात्रियों की दिक्कतों को दूर करने के मौखिक निर्देश दिए हैं। दरअसल मुगलसराय-इलाहाबाद, झांसी और मुरादाबाद जंक्शन पर रेल ट्रैफिक का सबसे ज्यादा लोड होता है और इसी वजह से ट्रेन लेट होती है। लेकिन गुरुवार को दिल्ली से यूपी होकर हावड़ा जाने वाली सभी ट्रेनें राइट टाइम रही। इलाहाबाद-लखनऊ होकर दिल्ली और पंजाब जाने वाली ट्रेनें भी गुरुवार को सही समय पर चलीं। रेलवे के सीनियर अफसर ने बताया कि ममता ने केवल इतना ही पूछा था कि हावड़ा जाने वाली पंजाब मेल मुरादाबाद में इतनी देर से क्यों खड़ी है! उन्होंने इस मामले में एक्टिविटी रिपोर्ट भी तलब की। इसी के बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक रेल अफसरों ने पता लगाया कि क्या यह फोन ममता का ही था। इसी के बाद रेल महकमा सतर्क हो गया।

Thursday, July 22, 2010

31 की उम्र में महिलाएं सुंदर


इसमें कोई शक नहीं है कि महिलाएं सुंदर होती हैं लेकिन सबसे सुंदर वे 31 की उम्र में लगती हैं। यह दावा हाल ही में हुई एक स्टडी में किया गया है। शोधकर्ताओं ने देखा कि 18-19 साल की लड़कियों की तुलना में जीवन के 20वें दशक के आखिर और 30वें दशक के शुरू में पहुंच चुकी महिलाएं ज्यादा आकर्षक लगती हैं। 31 साल की उम्र में तो वे अपनी खूबसूरती के चरम पर होती हैं। इस सर्वे में 2000 महिला और पुरुषों से सवाल जवाब किए गए और नतीजा निकला कि सुंदरता बाहरी चमक-दमक के अलावा पर्सनैलिटी से भी जुड़ी होती है। अखबार द डेली टेलीग्राफ के मुताबिक 70 पर्सेंट लोगों का कहना था कि खूबसूरती का मतलब आत्मविश्वास से भरा होना है, 67 फीसदी ने अच्छे नैन-नक्श को अहमियत दी, जबकि 47 पर्सेंट ने कहा खूबसूरती मतलब स्टाइलिश होना।

Friday, July 16, 2010

गया था बाल उगाने, रहे-सहे भी चले गए

कई प्रॉडक्ट्स के लिए मॉडलिंग कर चुके लिओनेल वेलोज की जिंदगी बर्बाद हो गई, जब उन्होंने मुंबई के बांद्रा के एक हेयर वीविंग स्टूडियो की मदद ली। कहां वह स्टूडियो में अपने बाल उगाने के लिए गए थे, कहां उल्टा उनके बचे हुए बाल भी चले गए। इसका सीधा असर उनके एसाइनमेंट पर पड़ा। उन्हें शिखर मूवीज के एक एक सीरियल में मेन कैरेक्टर करना था, लेकिन बालों की वजह से वह शूटिंग पर नहीं जा सके। अब सीरियल के प्रोड्यूसर शशिकांत सिंह ने उन पर 2 करोड़ रुपए जुर्माने का नोटिस ठोक दिया है। वेलोज ने कहा, मुझे किसी ने बालों का ट्रीटमेंट कराने की सलाह दी थी ताकि मुझे बेहतर काम मिल सके। इसके लिए मैंने बांद्रा के अडवांस्ड हेयर स्टूडियो से संपर्क किया। मैंने स्ट्रैंड बाय स्ट्रैंड थेरेपी के लिए स्टूडियो को 1.25 लाख रुपए भी दिए। उसने कहा, मैंने दो साल तक यहां नियमित उपचार कराया पर बालों को उगाने के लिए मेरे सर पर लगाए गए केमिकल का उल्टा ही असर हुआ। मेरा सर दर्द करने लगा और उलझन रहने लगी। मेरे बाल भी झड़ गए। इस कारण कई मॉडलिंग एसानइनमेंट तो कैंसल हुए ही एक टीवी सीरियल में मेन रोल भी हाथ से गया। उसी सीरियल वाले ने वेलोज को दो करोड़ का नोटिस भेजा है।इसके बाद ही मैंने स्टूडियो को नोटिस भेजने का मन बनाया। उधर अडवांस्ड स्टूडियो के मालिक सचिन शाह ने कहा कि वेलोज झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कभी हमारे यहां लिखित शिकायत नहीं की। कोर्ट से नोटिस मिलने पर हम मामले पर विचार करेंगे। वह ऑपरेशन से बाल उगाना चाहते थे पर हमारे स्टाफ ने ऐसा होने से इंकार कर दिया था।

Tuesday, July 13, 2010

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हुई एक झड़प के बाद दोनों दल आमने-सामने

पश्चम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हुई एक झड़प के बाद दोनों दल आमने-सामने नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने तृणमूल कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दी है। हमारे सहयोगी समाचार चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक मामला पश्चिम बंगाल के खेजुरी इलाके की है जहां ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस सेवा दल के एक समूह को 10 से भी ज्यादा तृणमूल कार्यकर्ताओं ने रोका और कुछ कार्यकर्ताओं के साथ धक्का मुक्की की। सेवा दल समूह एक बैठक में शामिल होने नंदीग्राम जा रहा था। तृणमूल कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर यह धमकी भी दी कि अगर इस समूह को नंदीग्राम जाने की इजाजत दी गई तो गाड़ियां जला दी जाएंगी। कांग्रेस की शिकायत के बाद गलत ढंग से रोके जाने का मामला तृणमूल कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज कर लिया गया है।

न्यू जर्सी के बालाजी मंदिर में हिंदू रीति से शादी की

तलाक मुकदमों से जूझती महिलाओं को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि भारतीय फैमिली कोर्ट को उन मामलों में भी सुनवाई करने और फैसले देने का अधिकार है जिनमें पति विदेशी नागरिक हो और भारत का सामान्य निवासी न हो। जस्टिस ई धर्मा राव और जस्टिस के.के. शशिधरन की सदस्यता वाली खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की संशोधित धारा 19 भारत के बाहर भी लागू होती है। पीठ ने कहा,'पति का देश की सीमा के बाहर रहना पत्नी को स्थानीय अदालत में अपनी शिकायत रखने से नहीं रोकता।' खंडपीठ फिल्म ऐक्टर आर सुकन्या और उनके पति आर श्रीधरन के मामले पर सुनवाई कर रही थी। गौरतलब है कि श्रीधरन अमेरिकी नागरिक हैं। दोनों ने 2002 में न्यू जर्सी के बालाजी मंदिर में हिंदू रीति से शादी की थी। एक साल बाद वह भारत लौट आईं और फिल्मों में काम करने लगीं। 2004 में उन्होंने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। चूंकि उनके पति अदालत में हाजिर नहीं हुए, इसलिए अदालत ने उन्हें तलाक की इजाजत दे दी।
बाद में श्रीधरन के अनुरोध पर पारिवारिक अदालत ने अपना फैसला पलट दिया। श्रीधरन ने हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल कर कहा, कि फैमिली कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने से रोका जाए क्योंकि अमेरिकी नागरिक के मामले की सुनवाई करना भारत की अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

बंटवारे में राजन को दाऊद की तरफ से 10 लाख दिरहम मिले

सगे भाइयों में जब बंटवारा होता है, तो किसी को घर मिलता है, तो किसी को दुकान। किसी को आभूषण मिलते हैं, तो किसी को नकदी। बंटवारे की यह प्रक्रिया तमाम परिवारों में दशकों से चल रही है, पर यह प्रक्रिया अंडरवर्ल्ड में भी कभी लागू हुई हो, यह कहानी आज तक शायद ही कभी किसी ने सुनी हो, लेकिन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच हुए बंटवारे का सच ऐसा ही था। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस बंटवारे में राजन को दाऊद की तरफ से 10 लाख दिरहम मिले थे। इसके बाद राजन ने अरबों का अपना कारोबार हफ्तावसूली, तस्करी, सट्टेबाजी और ड्रग्स के धंधे से खड़ा किया। दाऊद की भी काली कमाई इन्हीं सब जरियों से हुई। हां, दाऊद की डी कंपनी ने नकली नोटों के जरिए भी करोड़ों, अरबों रुपए कमाए। दाऊद और राजन के बीच करीब डेढ़ दशक तक जिगरी दोस्ती रही। लोग कहते हैं कि राजन और दाऊद के बीच बंटवारा 1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद शुरू हुआ था, पर सच यह नहीं है। बंटवारे का असली सच 16 नवंबर, 1991 के माया डोलस के उस चर्चित एनकाउंटर से जुड़ा हुआ है, जिसे पूरा देश लोखंडवाला एनकाउंटर के नाम से जानता है।

Saturday, July 10, 2010

भगवान जगन्नाथ की नौ दिवसीय वार्षिक रथ यात्रा त्योहार 13-21 जुलाई तक मनाया जाएगा।

उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की नौ दिवसीय वार्षिक रथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए कम से कम 63 विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। यह जानकारी एक अधिकारी ने शनिवार को दी। ईसीआर के मैनेजर संजीव गर्ग ने बताया, 'उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। ये पुरी के लिए रोजाना आने-जाने वाली रेलगाड़ियों के अलावा होंगी।' उन्होंने बताया कि पुरी में देवताओं के संध्या दर्शन, बहुदा यात्रा और सुनाबेसा के समय यात्रियों की अतिरिक्त भीड़-भाड़ को कम करने के लिए भी विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। इसके अलावा 14 रेलगाड़ियों का रास्ता पुरी के लिए बदल या बढ़ा दिया गया है। यह पर्व भारतीय कैलेंडर के अनुसार अषाढ़ महीने में मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 13-21 जुलाई तक मनाया जाएगा।

लौकी और करेले के रस का सेवन एक साथ नहीं करें।

जाने माने योगाचार्य स्वामी रामदेव ने लोगों को लौकी के रस का अधिक से अधिक सेवन करने की सलाह देते हुए आज कहा कि लौकी का रस सदियों से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है। लापरवाही से अगर कोई कड़वी लौकी का प्रयोग कर ले तो उसके प्रथम उपचार में तुरंत उल्टी करें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सामान्य लौकी का जूस लें। लौकी और करेले के रस को मिलाकर पीने से सीएसआईआर के एक वैज्ञानिक की मौत होने संबंधी खबर पर उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति पिछले चार साल से लौकी के जूस का सेवन कर रहा है एक जरा सी असावधानी से उसके जीवन की हानि हो गई।
स्वामी रामदेव ने लंदन से टेलिफोन पर बताया कि लौकी के रस का सेवन करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे लौकी और करेले के रस का सेवन एक साथ नहीं करें। इससे कड़वी लौकी के सेवन की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि लौकी का सेवन सदियों से लाभकारी रहा है। उन्होंने लोगों को कड़वी लौकी का जूस नहीं पीने की सलाह दी। रामदेव ने कहा कि लौकी में कड़वापन 'टेट्रोसाइक्लिक ट्राइटरपेनोइड कुकुरबिटासीन' नामक टॉक्सिन के कारण होता है। हमने अपने अनुभव और शोध में पाया कि शरीर में अधिक मात्रा में कड़वापन जाने पर इससे उल्टी, दस्त और रक्तसाव होने लगता है। उन्होंने कहा कि लौकी के जूस का सही रूप में सेवन किया जाए तो शरीर के लिए हर तरह से लाभकारी है। इसमें विषनाशक गुण हैं। इसका जूस मोटापा, उच्च रक्तचाप, अम्लपित्त पित्तज रोगों, एवं कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है।

Monday, July 5, 2010

भारत बंद के असर से दिल्ली का हाल बेहाल

भारत बंद के असर से दिल्ली का हाल बेहाल हो रहा है। रात भर की बारिश के बाद सुबह से लेफ्ट पार्टियों और बीजेपी कार्यकर्ताओं के जगह जगह प्रदर्शन से जाम लग गए हैं। कई जगहें मेट्रो तक रोक दी गई है और बीजेपी-लेफ्ट पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं समेत 1000 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। राजनाथ सिंह, शरद यादव और गडकरी को पुलिस ने चांदनी चौक इलाके से हिरासत में लिया। अक्षरधाम पर बीजेपी के 200 कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिए गए हैं। आईटीओ पर तगड़े जाम के कारण रूट बदल दिए गए हैं। शाहदरा में दो लोकल ट्रेंनें कार्यकर्ताओं ने रोक दी हैं। कई वरिष्ठ नेताओं जैसे अरुण जेटली, चंद्रबाबू नायडू और मुख्तार अब्बास नकवी को पुलिस ने देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार कर लिया है। लेफ्ट पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने आईटीओ पर प्रदर्शन कर जाम लगा दिया है जिसके चलते पुलिस से उनकी अनबन भी हो गई है। पटेल नगर मेट्रो स्टेशन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ताला लगा दिया है। राजीव चौक और करोल बाग पर कुछ देर के लिए मेट्रो रोकी गई।

Saturday, July 3, 2010

बेटे ने कथित रूप से चार रुपये के लिए अपनी 75 वर्षीय वृद्ध मां की लोहे की रॉड मारकर हत्या कर दी।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में शहर कोतवाली के कासिमपुर गांव में शुक्रवार को एक 50 वर्षीय बेटे ने कथित रूप से चार रुपये के लिए अपनी 75 वर्षीय वृद्ध मां की लोहे की रॉड मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने बताया कि कालीचरण ने अपनी मां सुखरानी से चार रुपये की मांग की, उसके मना करने पर पुत्र ने उत्तेजित्त होकर पास पड़ी लोहे की रॉड मां के सिर पर मार दी, जिससे वह गंभीर रुप से घायल हो गईं। अस्पताल ले जाते मां की मृत्यु हो गई। मृतका सुखरानी के दूसरे बेटे गुरुचरण ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है और पुलिस ने कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया है। परिवारीजनों का कहना है कि कालीचरण पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहा था।

Monday, June 28, 2010

संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए यह मांग की जा रही है।

जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को वापस लेने या उसे हल्का बनाने के किसी भी प्रयास का जोरदार विरोध करते हुए सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा है कि दरअसल संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए यह मांग की जा रही है। सिंह ने कहा है कि विषम परिस्थिति में काम रह रहे सैनिकों के अपना काम कुशलता से करने के लिए इस प्रकार की कानूनी सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा, इस कानून को हल्का बनाने या वापस लेने से हमारा संचालन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। सेना प्रमुख ने रक्षा पत्रिका 'फोर्सेज' के साथ साक्षात्कार में कहा, 'एएफएसपीए के बारे में गलतफहमी है और जो लोग उसे हल्का बनाने या वापस लेने की मांग कर रहे हैं, संभवत: वे संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं।' सेना प्रमुख से पूछा गया था कि क्या एएफएसपीए को वापस लेने से जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल की सुरक्षा और विश्वसनीयता गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगी? गौरतलब है कि एएफएसपीए में संशोधन की मांग जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला द्वारा नियमित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम समेत केंद्रीय नेताओं के सामने उठाई जाती रही है। पूर्वोत्तर राज्य भी सशस्त्र बलों द्वारा एएफएसपीए का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए इस कानून को हटाने की मांग करते रहे हैं। बताया जाता है कि केंद्र इस कानून को ज्यादा मानवीय बनाने पर विचार कर रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि हालांकि जम्मू कश्मीर में हिंसा के स्तर में कमी आई है,, लेकिन खतरा अभी भी एक सचाई है और सीमापार आतंकी ढांचे अब भी सक्रिय हैं।

Thursday, June 24, 2010

देसी मट्ठा, लस्सी, पेड़ा और गुलाबजामुन नाश्ते में दिया जाएगा

कानपुर में अब आप किसी सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस या मीटिंग में जाएंगे तो आपको वहां कोल्ड ड्रिंक्स, चाय कॉफी और चिप्स खाने को नही मिलेंगे बल्कि आपको देसी मट्ठा, लस्सी, पेड़ा और गुलाबजामुन नाश्ते में दिया जाएगा और वह भी सरकारी दुग्ध कंपनी का। जिला प्रशासन के इस आदेश पर अमल भी शुरू हो गया है और दूध निर्माता सरकारी कंपनी पराग द्वारा बनाए जा रहे यह सारे खाद्य पदार्थ प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीटिंग में अधिकारियों और पत्रकारों को दिए जाने लगे हैं। पत्रकार और अधिकारी भौचक्के और चकित है कि आखिर यह बदलाव क्यों और कैसे हुआ। इस बारे में कानपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड पराग के जनरल मैनेजर एस. पी. गुप्ता ने बातचीत में कहा कि जिले में विभिन्न सरकारी विभागों की रोजाना कम से कम 50 मीटिंग होती है जिसमें सैकड़ों की संख्या में अधिकारी और कर्मचारी शामिल होते हैं। इसी तरह शहर में रोजाना आधा दर्जन प्रेस कॉन्फ्रेंस होती हैं। अभी तक इन सभी मीटिंगों और प्रेस कॉन्फ्रेंसों में नाश्ते के नाम पर कोल्ड ड्रिंक, चाय, काफी, चिप्स, सैंडविच और कोई मिठाई दी जाती थी लेकिन अब सभी सरकारी मीटिंगों में नाश्ते और पेय पदार्थों का मेन्यू बदल दिया गया है। अब नाश्ते में पराग का पेड़ा, गुलाबजामुन तथा पेय पदार्थों में लस्सी, मट्ठा, मीठे फ्लेवर का दूध और दही दिया जा रहा है जो शुध्द, साफ सुथरा और सेहत के लिए फायदेमंद भी है। कानपुर के पूर्व जिलाधिकारी अमृत अभिजात ने सभी सरकारी कार्यालयों कों एक पत्र लिख कर निर्देशित किया है कि कानपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड कानपुर की स्थापना 1962 में यूनिसेफ और भारत सरकार के सहयोग से की गयी थी ताकि किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध का कारोबार करने वालों को उचित मूल्य मिल सकें और शहरी लोगों को ताजा और शुध्द दूध, दूध से बने अन्य सामान मिल सकें। जिलाधिकारी ने अपने पत्र में सभी सरकारी कार्यालयों को निर्देश दिए कि आप अपने विभाग की सभी मीटिंग में पराग के दूध से बने पदार्थ जैसे दही, छाछ, मठठा, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, पेड़ा और बेसन के लडडू आदि का इस्तेमाल करें। इससे एक तो सरकारी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ पराग को तो आर्थिक लाभ मिलेगा, साथ ही लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ खाने को मिलेंगे। शहर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अशोक मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी कार्यालय से सभी सरकारी कार्यालयों को ऐसा आदेश आया है।पराग के जीएम एस. पी. गुप्ता बताते हैं कि जिला प्रशासन के इस आदेश के बाद पराग की मट्ठे, लस्सी और नाश्ते की बिक्री में करीब दस गुना बढ़ोतरी हुई है। वह कहते हैं कि सुबह सुबह ही सरकारी कार्यालयों से फोन आने लगते हैं कि आज हमारी इतने बजे मीटिंग है, हमें इतने पैकेट मट्ठा और नाश्ता भिजवा दिया जाए और हम उसे सही समय पर ताजा ताजा भिजवा देते हैं।

Tuesday, June 22, 2010

अफजल गुरु की ओर से भेजी गई दया यचिका को खारिज कर दिया जाए।

गृह मंत्रालय ने संसद हमला मामले के अपराधी अफजल गुरु को फांसी देने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि अफजल गुरु की ओर से भेजी गई दया यचिका को खारिज कर दिया जाए। गौरतलब है कि अफजल गुरु को संसद हमला मामले में दोषी ठहराते हुए 18 दिसंबर 2002 को एक स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अक्तूबर 2003 को दिए फैसले में इस सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो 4 अगस्त 2005 को नामंजूर हो गई। सेशन जज ने तिहाड़ जेल में उसकी फांसी की तारीख (20 अक्तूबर 2006)भी तय कर दी थी। मगर, उसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी जहां से इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था।

Thursday, June 17, 2010

केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने एंडरसन की देश से निकल जाने में मदद की

भोपाल गैस कांड मामले में विपक्ष के प्रचार के जवाब के तौर पर तैयार किए गए कांग्रेस के एक आंतरिक दस्तावेज में कहा गया है कि 1984 में भोपाल में जहरीली गैस के रिसाव के बाद गुस्साई भीड़ यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वॉरेन एंडरसन की हत्या भी कर सकती थी। विपक्ष के इस प्रचार के जवाब में यह आंतरिक दस्तावेज तैयार किया गया है कि मध्य प्रदेश और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने एंडरसन की देश से निकल जाने में मदद की थी। कांग्रेस के एक पदाधिकारी की ओर से तैयार इस दस्तावेज में कहा गया कि दिसंबर 1984 में भोपाल में हुई त्रासदी में कई लोगों की जान जाने के बाद माहौल गरमाया हुआ और हिंसक था। इस तरह के माहौल में अगर एंडरसन भोपाल में ही रहता तो नाराज भीड़ उसकी हत्या कर सकती थी। कानून व्यवस्था से जुड़ी गंभीर समस्या भी खड़ी हो सकती थी। दस्तावेज के मुताबिक, इस तरह के गंभीर हालात में यह जरूरी था कि एंडरसन भोपाल से चले जाते। यह स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए बेहद जरूरी था। पार्टी का कहना है कि एंडरसन के खिलाफ प्राथमिकी धारा 304 ए के तहत दर्ज की गई। यह जमानती धारा थी और एंडरसन को सही तरीके से जमानत मिली थी।

Tuesday, June 15, 2010

विमान की लैंडिंग के दौरान उसके दो टायर फट गए।

मंगलवार सुबह दिल्ली में एक और भीषण विमान हादसा होते होते बच गया। इंडियन एयरलाइंस के एक विमान की लैंडिंग के दौरान उसके दो टायर फट गए। विमान में उस वक्त 102 यात्री सवार थे। सभी यात्री सुरक्षित बताए जाते हैं। उन्हें बाहर निकाला जा रहा है। हमारे सहयोगी समाचार चैनल टाइम्स नाउ ने खबर दी है कि मंगलवार को 11 बजे के आसपास इंडियन एयरलाइंस विमान आईसी - 133 की लैंडिग हो रही थी। उसी दौरान विमान के दो टायर फट गए। जैसे-तैसे विमान को सुरक्षित लैंड करा लिया गया। सभी यात्री सुरक्षित बताए जाते हैं। उन्हें विमान से बाहर निकाला जा रहा है। विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।

Wednesday, June 9, 2010

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट के जज आर. सी. सिन्हा और आलोक अराधे की डिविजन बेंच ने सागर की विनिता साहू की एक याचिका पर सोमवार को यह नोटिस जारी किया। इस याचिका में कहा गया था कि 2009-10 की यूपीएससी एग्जाम में याचिकाकर्ता की 134वीं रैंक आई थी और एग्जाम का कट ऑफ 131 पर गया था। विनिता का दावा था कि वह ओबीसी में आती है, पर उसे कास्ट सर्टिफिकेट का लाभ यह कहकर नहीं दिया गया कि वह ओबीसी में होने के बावजूद क्रीमी लेयर के दायरे में हैं। इस मामले में विनीता को जनरल कैंडिडेट की कैटिगरी में मानते हुए आईएएस की जगह आईपीएस अलॉट कर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि साल 2004 में सरकार द्वारा क्रीमी लेयर के बारे में जारी की गई नोटिफिकेशन में साफ था कि क्रीमी लेयर में वही परिवार माने जाएंगे, जिनकी सालाना इनकम लगातार 3 साल तक 4.50 लाख रुपये से ज्यादा रही हो, पर विनीता के पिता की इनकम सिर्फ एक साल ही साढे़ चार लाख रुपये हुई थी। याचिका में यह भी कहा गया कि इस मामले में विनिता ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट से कास्ट सर्टिफिकेट लेकर जब यूपीएससी के सामने पेश किया, तो उन्हें बताया गया कि अब इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उन्हें कास्ट सर्टिफिकेट का फायदा नहीं दिया जा सकता। अदालत ने इस याचिका के आधार पर यूपीएससी और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आईएएस की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए हैं।

Sunday, June 6, 2010

राजीव गांधी से उनकी शादी और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद के कठिन दौर का वर्णन

सोनिया गांधी पर लिखी गई लेखक जेवियर मोरो की किताब 'रेड साड़ी' का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। मोरो ने कांग्रेस नेता व वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। सिंघवी ने मोरो के आरोप को हास्यास्पद करार दिया है। वर्ष 2008 में मोरो की किताब स्पेनिश भाषा में छपी थी और अब यह भारत में छपने को तैयार है। लेकिन भारत में छपने से पहले ही किताब ने बवंडर ला दिया है। कांग्रेस के प्रमुख वकीलों ने मोरो की किताब को झूठ का पुलिंदा, बकवास और अपमानजनक टिप्पणियों से भरा हुआ बताया है और मोरो को कानूनी नोटिस थमाया है। मोरो ने आरोप लगाया है कि सिंघवी पब्लिशरों को धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी किताब तो बाजार में आई ही नहीं है, तो मुझे समझ में नहीं आता कि सिंघवी और अन्य लोगों के हाथ यह किस तरह लग गई। उन्होंने किताब का संस्करण अवैध तरीके से हासिल किया है। मैं उन पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी में हूं।
मोरो ने मैड्रिड से फोन पर बातचीत में कहा, 'मेरी किताब में गांधी परिवार की गौरवगाथा है। इसमें गांधी परिवार के आदर्शों का पक्ष लिया गया है। इन आदर्शों का मैं खुद भी पक्षधर हूं। सिंघवी पब्लिशर्स को डरा-धमका कर रहे हैं, पर इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस पार्टी ने मुझ पर पाबंदी लगा दी है। कांग्रेस पार्टी का भी इससे कुछ लेना-देना नहीं है।' मोरो ने कहा, 'लगता है कि कांग्रेस में भी किसी ने किताब नहीं पढ़ी है। वे बिना बिना संदर्भ के किताब के अंशों को उद्धृत कर रहे हैं और पाठों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं- पहले से ही इसे तोड़ मरोड़ करने का काम हो रहा है। सिंघवी भी ऐसा ही कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सोनिया गांधी इस प्रकार के लोगों से घिरी हैं जो दिखाना चाहते हैं कि वह दमदार वकील हो सकते हैं। इन सब कारणों से बिना मतलब विवाद पैदा हुआ है।' इधर सिंघवी ने कहा कि मोरो को उनकी अपमानजनक किताब के कारण छह महीने पहले ही कानूनी नोटिस थमाया जा चुका है। उन्होंने कहा, 'मोरो की टिप्पणी दुखद नहीं, तो हास्यास्पद जरूर है। लगता है कि वह कानून या वकालत का ककहरा तक नहीं समझते हैं।' सिंघवी ने कहा, 'मैं केवल कानूनी सलाहकार हूं। मैंने खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कानूनी नोटिस दिया है। या तो मोरो भोले-भाले हैं या अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं कि किताब कांग्रेस अध्यक्ष पर नहीं लिखी गई है और कानूनी नोटिस मैंने सोनिया गांधी की ओर से भेजा गया है। किताब न तो अंग्रेजी में आई है और न ही इसका कोई भारतीय संस्करण है। हमने तो केवल किताब की पांडुलिपि देखी है और हमारा सोर्स क्या है, मोरो को हम नहीं बताना चाहते।' सोनिया के काल्पनिक जीवनवृतांत का हवाला देकर मोरो ने किताब में कथित तौर पर सोनिया गांधी का मूल देश इटली बताया है। इसमें राजीव गांधी से उनकी शादी और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद के कठिन दौर का वर्णन है।

Thursday, June 3, 2010

अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था।

एयर इंडिया की दुबई-पुणे फ्लाइट पर सवार लोगों की जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ 2 मिनट का फासला रह गया। अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था। पर पायलट ने ऐन वक्त पर आकर फ्लाइट की कमान संभाल ली और विमान अरब सागर में गोता लगाने से बच गया। इस घटना की शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि अगर ऐन वक्त पर पायलट ने प्लेन को संभाला न होता तो यह अरब सागर में गिर जाता। जांच में यह चौंकानेवाली बात सामने आई है कि अगर पायलट ने 2 मिनट की देरी की होती, तो प्लेन को क्रैश होने से कोई नहीं बचा सकता था। गौरतलब है कि 26 मई को एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-212 दुबई से पुणे आ रही थी। उड़ान के दौरान पायलट विमान को 37 हजार फीट की ऊंचाई पर ऑटो पायलट करके वॉशरूम चला गया।
उसने को-पायलट को जहाज की निगरानी करने का आदेश दिया था। वॉशरूम से लौट कर आने के बाद पायलट ने कॉकपिट खोलने के लिए बटन दबाया, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। यह देखकर पायलट को लग गया कि जरूर कुछ गड़बड़ है। बाद में इमर्जेंसी कोड के जरिए उसने कॉकपिट का दरवाजा खोला लेकिन करीब 35 सेकंड का वक्त लगा। कॉकपिट के अंदर घुसते ही प्राइमरी फ्लाइट डिस्प्ले पर आ रहे इन्फर्मेशन को देखकर पायलट सन्न रह गया। उसने देखा कि एयरक्राफ्ट अपने नियत स्थिति से -23 डिग्री नीचे की दिशा में उड़ रहा है। इसके चलते इसकी स्पीड 0.88 माक हो गई। (1 माक यानी ध्वनि की गति जो करीब 1225 किमी प्रति घंटा है) यह ऐसी स्पीड है जिस पर आमतौर पर प्लेन नहीं उड़ते। साउंड की स्पीड लगभग 1 माक होती और यह विमान लगभग साउंड की स्पीड से चल रहा था। प्लेन की स्पीड इतनी तेज हो गई थी कि इसे संभालना काफी मुश्किल था। इतनी तेज स्पीड के चलते विमान में कई तरह की गड़बड़ियां आ जाती हैं और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पायलट को असाधारण स्किल दिखाना पड़ता है। मगर पायलट ने प्लेन को क्रैश होने से बचा लिया। इस घटना से एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों की ट्रेनिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस फ्लाइट के को-पायलट को लगभग 1000 घंटों का उड़ान का अनुभव था जो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त है। उधर, घटना के बाद डीजीसीए ने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि उड़ान के दौरान कॉकपिट में कोई पायलट अकले न रहे। यदि एक पायलट को कॉकपिट छोड़ना भी है तो फ्लाइट अटेंडेंट को उसकी सीट के पीछे स्थित ऑब्सर्वर सीट पर बैठना चाहिए।

संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में करीब 44 डीम्ड यूनिवर्सिटीज की मान्यता रद्द करने का आदेश

-डीम्ड यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा गड़बड़ी दूसरी जगहों पर अपने कैंपस या स्टडी सेंटर खोलने में करती हैं। इसके अलावा बिना इजाजत या मान्यता के नए डिपार्टमेंट भी खोले जाते हैं। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में करीब 44 डीम्ड यूनिवर्सिटीज की मान्यता रद्द करने का आदेश जनवरी में जारी किया था। बाद में इन यूनिवर्सिटीज के मैनेजमेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन संस्थानों को आगामी एकेडेमिक सेशन में दाखिले की इजाजत दे दी गई। गौरतलब है कि इन डीम्ड यूनिवर्सिटियों में दो लाख से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं। - संसद और विधानसभाओं के एक्ट द्वारा बनाई गई यूनिवर्सिटी ही दूसरे कॉलेज और इंस्टिट्यूट को कोर्स चलाने के लिए खुद से संबद्ध कर मान्यता दे सकती हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी को मेन कैंपस के अलावा दूसरे किसी कैंपस या संस्थान में कोर्स चलाने की इजाजत नहीं है। - यूजीसी ने अपनी जांच में पाया है कि कई डीम्ड यूनिवर्सिटी नए डिपार्टमेंट या इंस्टिट्यूट खोलने के लिए यूजीसी को ऐप्लिकेशन फाइल करते ही इस बारे में ऐड देना और एडमिशन लेना शुरू कर देती हैं। भले ही उनकी ऐप्लिकेशन यूजीसी या एचआरडी मिनिस्ट्री से अप्रूव हुई हो या नहीं। - इसी तरह यूजीसी का नियम है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी किसी कॉलेज को मान्यता नहीं दे सकती हैं। लेकिन कई कॉलेज किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त होने का दावा करते हैं। यूजीसी ने अपनी वेबसाइट पर राज्यवार हर प्रदेश में स्थित डीम्ड यूनिवर्सिटी का विस्तृत ब्यौरा दिया है। उसमें यूनिवर्सिटी का नाम चेक किया जा सकता है। - डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तमाम जगह स्टूडेंट सेंटर बनाए जा सकते हैं, लेकिन इन सेंटर्स का इस्तेमाल पढ़ाई करने या कोर्स चलाने के लिए नहीं बल्कि स्टूडेंट्स को कोर्स के सिलसिले में सलाह देने और उनकी मदद करने के लिए ही किया जा सकता है। - डीम्ड यूनिवर्सिटी की पहचान यह है कि इसके नाम के साथ 'डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी' जरूर लिखा होगा। ऐसी यूनिवर्सिटी अपने नाम के साथ नैशनल या इंडियन शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकतीं। यह हक सिर्फ सेंट्रल यूनिवर्सिटी को है।

धूम्रपान न करने वाला जीवनसाथी चाहते हैं।


धूम्रपान से होने वाले नुकसान को लेकर लोग न केवल काफी जागरूक हो रहे हैं बल्कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो धूम्रपान न करने वाला जीवनसाथी चाहते हैं। इस मामले में मुंबई के युवाओं ने दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस के मौके पर एक प्रतिष्ठित संस्था द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि मुंबई में 90.26 फीसदी और दिल्ली में 89 .76 फीसदी युवाओं ने कहा कि वे ऐसे जीवनसाथी का हाथ थामना पसंद करेंगे जो धूम्रपान न करता हो। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए 31 मई को हर साल नो टोबैको डे मनाने की घोषणा कई साल पहले से ही कर रखी है। दुनिया भर में प्रत्येक दस वयस्क लोगों की मौत में से एक मौत का कारण तंबाकू होता है। संभवत: यही कारण है कि शादी के बंधन में बंधने की योजना बना रहा युवा तबका अपने जीवनसाथी में तंबाकू का सेवन नहीं करने को भी एक अतिरिक्त योग्यता मानकर चल रहा है।
सर्वेक्षण संस्था ने यह सर्वे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे तथा कोलकाता में कराया जिसमें रोचक बात यह रही कि स्मोकिंग लाइफ पार्टनर को तरजीह देने के मामले में मुंबई के युवाओं ने 90.26 फीसदी के साथ दिल्ली के युवाओं को पीछे छोड़ दिया। बेंगलुरु में यह आंकड़ा 87.28 फीसदी, हैदराबाद में 87.41 फीसदी, चेन्नई में 88.75 फीसदी, पुणे में 89.68 फीसदी, कोलकाता में 70.58 फीसदी तथा अहमदाबाद में 91.29 फीसदी था।

Tuesday, June 1, 2010

दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके

देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। दिल्ली में एक उद्योग पर औसतन 2.7 लोगों को रोजगार मिलता है जबकि नैशनल लेवल पर यह औसत महज दो का है। यह जानकारी दिल्ली में असंगठित सर्विस क्षेत्र के बारे में तैयार की गई तीन साल पुरानी रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया ने सोमवार को जारी किया। यह रिपोर्ट जुलाई 2006 से जुलाई 2007 के बीच किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली के असंगठित क्षेत्र में 2.39 लाख उद्योग हैं। इनमें से 1.47 लाख घरों में और बाकी प्रतिष्ठान हैं। उन्होंने बताया कि इन उद्योगों में 6.44 लाख लोग काम करते हैं। दिल्ली में जहां हर उद्योग में औसतन रोजगार 2.7 है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत दो का है। यूपी में तो यह औसत 1.8 का है। इससे साफ है कि दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि असंगठित क्षेत्र के जो 2.39 लाख उद्योग हैं, उनमें से 30 हजार 255 होटल और रेस्तरां, 41 हजार से ज्यादा रीयल एस्टेट, 47 हजार से ज्यादा ट्रांसपोर्ट, लगभग 44 हजार कम्यूनिकेशन क्षेत्र में हैं। इसी तरह कर्मचारियों के मामले में सबसे ज्यादा कर्मचारी यानी लगभग 17.62 फीसदी होटल और रेस्तरां के कामकाज से जुड़े हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली में असंगठित सेवा क्षेत्र में कार्यरत उद्यमों से सकल मूल्य वृद्धि लगभग 6879 करोड़ रुपये होती है। दिल्ली में औसतन हर उद्योग की हर साल सकल मूल्य वृद्धि 2.87 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह बढ़ोतरी 1.48 लाख रुपये बनती है। इसी तरह उद्योगों में प्रति कर्मचारी सकल मूल्य वृद्धि दर दिल्ली में 1.07 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह महज 73 हजार 38 रुपये है। इस लिहाज से दिल्ली का देश भर में चौथा स्थान है। दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में से महज 10 फीसदी पर मालिकाना हक महिलाओं का है।

Thursday, May 27, 2010

नाबालिग लड़कों को चार-चार हजार रुपये में खरीदकर एजेंट दिल्ली लाए

क्या आप यकीन करेंगे कि राजधानी में गरीब लड़कों को दूसरे राज्यों से खरीदकर लाया जाता है और उनसे फिर यहां घरेलू काम कराया जाता है। अभी तक सिर्फ लड़कियों को खरीदकर दिल्ली लाए जाने की खबरें मिलती रही हैं लेकिन यह ऐसा पहला मामला है जब नाबालिग लड़कों को चार-चार हजार रुपये में खरीदकर एजेंट दिल्ली लाए हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने मंगलवार को प्रीत विहार पुलिस की मदद से ऐसे ही दो बच्चों को बरामद किया। पश्चिम बंगाल पुलिस टीम के इंचार्ज सबइंस्पेक्टर निलोय झा ने बताया कि पश्चिम बंगाल के हंसीमारा इलाके से कई लड़के-लड़कियां गायब हैं। सूचना मिली थी कि वहां सक्रिय एजेंट गरीब मां-बाप से उनके नाबालिग बच्चों को खरीदकर दिल्ली और एनसीआर के शहरों में घरेलू काम के लिए आगे बेच देते हैं। इसके अलावा इन्हें देह व्यापार के धंधे में भी धकेला जाता है। उन्होंने बताया कि एक हफ्ते पहले उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक रेलवे स्टेशन से बंधन लाकड़ा उर्फ साधू बाबा (50) नामक एजेंट को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसके पास से दो बच्चे भी बरामद किए। वह दोनों बच्चों को दिल्ली लेकर आ रहा था। पूछताछ के दौरान एजेंट ने बताया कि पश्चिम बंगाल के दो बच्चे प्रीत विहार स्थित निर्माण विहार की कोठियों में काम कर रहे हैं। दोनों बच्चों की बरामदगी के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस प्रीत विहार थाने पहुंची। एजेंट की निशानदेही पर दोनों लड़कों को बरामद कर लिया गया। पश्चिम बंगाल पुलिस की एक टीम ने एजेंट से मिली जानकारी के आधार पर सरस्वती विहार इलाके मंे भी छापा मारा था, लेकिन पुलिस टीम के वहां पहुंचने से पहले ही बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। पुलिस ने निर्माण विहार से बरामद दोनों लड़कों को कोर्ट में पेश किया। इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस एजेंट और दोनों लड़कों को अपने साथ ले गई।

लोगों के चप्पल-जूते ठीक करने वाले के इस बेटे ने देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित एग्जाम आईआईटी एंट्रेंस में सफलता हासिल की

सफलता का कोई शॉर्टकर्ट नहीं है। कड़ी मेहनत और लगन से काम करने वाला आदमी सफल होता ही है। कानपुर के एक मोची के बेटे ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है। लोगों के चप्पल-जूते ठीक करने वाले के इस बेटे ने देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित एग्जाम आईआईटी एंट्रेंस में सफलता हासिल की है। एससी कटैगरी में उसकी 154वीं रैंकिंग है। कानपुर के किदवईनगर इलाके के रहने वाले एक मोची का बेटा अभिषेक कुमार भारती का आईआईटी में पढ़ने का सपना पूरा हो गया है। अभिषेक ने यूपी बोर्ड से पढ़ाई की है। 12वीं में उसने 78 फीसदी मार्क्स आए थे। अभावग्रस्त परिवार में पैदा होने के बावजूद अभिषेक का आईआईटी से ग्रेजुएट होने का लक्ष्य था। वह तमाम अभावों को दरकिनार करके अपने गोल के करीब पहुंच गया है। एंट्रेंस क्लियर करने के बाद आईआईटी से ग्रेजुएट होने का उसका सपना अब ज्यादा दूर नहीं है। शहर के गंगापुर कॉलोनी में रहने वाले अभिषेक ने
कहा कि मैं अपनी सफलता के लिए ईश्वर को बधाई देना चाहता हूं। कम सुविधाओं के बीच मुझे अपनी योग्यता साबित करने का साहस ईश्वर ने दी। मैंने लालटेन में पढ़ाई की, क्योंकि मेरे यहां बिजली नहीं है, लेकिन आखिरकार सब कुछ अच्छा रहा। उन लाखों युवाओं के लिए अभिषेक प्रेरणास्रोत्र हो सकता है, जो अभावों को बीच अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अभिषेक के घर में ना सिर्फ बिजली नहीं है, बल्कि 10 *10 एक कमरे में पूरा परिवार रहता है। घर में अभिषेक के पिता ही एक कमाने वाले हैं। कड़ी मेहनत करके वह अपने परिवार को पालन पोषण में लगे हुए हैं। कभी-कभी अभिषेक भी 6-7 घंटे के लिए मजदूरी करने जाता था। अपने बेटे की सफलता पर अभिषेक की मां संगीता ने देवी का कहना है कि यह सब भगवान के आशीर्वाद का फल है। बुनियादी सुविधाओं की कमी के बीच मेरे बेटे ने लालटेन की रोशनी में पढ़कर सफलता हासिल की है । संगीता देवी का कहना है कि अभिषेक की सफलता परिवार के अन्य बच्चों के लिए सफलता की राह तय करेगा। वे सभी पढ़ाई करने के प्रति जागरूक होंगे। अभिषेक की सफलता से उसके टीचर महेश सिंह चौहान भी बेहद खुश हैं। महेश सिंह ने अभिषेक को मुफ्त में ट्यूशन दी थी।

Wednesday, May 26, 2010

बुधवार से आपके मोबाइल पर 3जी सेवा ऐक्टिव हो चुकी है।

अगर आप एमटीएनएल मोबाइल सेवा के कस्टमर हैं तो बुधवार से आपके मोबाइल पर 3जी सेवा ऐक्टिव हो चुकी है। बस आपका हैंडसेट 3जी वाला होना चाहिए। खास बात यह है कि इसके लिए अलग से कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा और न ही सिम बदलनी पड़ेगी। फिलहाल यह सेवा दिल्ली में ही लागू की गई है। एमटीएनएल के सीएमडी कुलदीप सिंह ने बताया कि रविवार तक उनके करीब तीन लाख 3जी कस्टमर थे। इसके अलावा 19.5 लाख ऐसे गरुड़, डॉल्फिन और ट्रंप मोबाइल यूजर्स हैं जिनके पास 3जी सेवा नहीं थी। लेकिन बुधवार से इनके मोबाइल नेटवर्क में भी 3जी सेवा मुहैया करा दी जाएगी। इसमें चाहे प्री-पेड हों या फिर पोस्टपेड कस्टमर्स। यह सेवा सभी को मुफ्त मिलेगी। निगम के चीफ जनरल मैनेजर (वायरलेस सर्विस) ए. के. भार्गव के मुताबिक निगम के सभी मोबाइल कस्टमर्स को 3जी करने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है बुधवार से सभी के पास 3जी सेवा होगी। इसके तहत पुराने कस्टमर्स को अपनी सिम भी नहीं बदलनी होगी। सीजीएफ भार्गव ने बताया कि 3जी सेवा होने के बाद पुराने कस्टमर्स का टैरिफ प्लान भी वही लागू रहेगा जिसके तहत अभी तक वह सेवाएं ले रहे हैं। बस विडियो कॉल करने के लिए एमटीएनएल टू एमटीएनएल नेटवर्क पर 60 पैसे प्रति मिनट और अन्य नेटवर्क के लिए यह 90 पैसे प्रति मिनट होगा। इसके लिए फोन करने वाले दूसरे कस्टमर्स के पास भी 3जी फोन होना जरूरी है। 3जी सर्विस के तहत कस्टमर अपने मोबाइल फोन में इंटरनेट, लाइव मोबाइल टीवी, गेम्स, विडियो, गाने, सोशल नेटवर्किंग (फेसबुक, ट्विटर) और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। पे पर सेकंड वाले प्लान के तहत कस्टमर आधे पैसा में एमटीएनएल नेटवर्क पर विडियो कॉल कर सकेंगे जबकि डेटा यूसेज के लिए भी वही पुराना 1 पैसा प्रति 10 केबी के लिए रखा गया है। इसमें जब कस्टमर रोमिंग में भी होगा तो भी उससे कुछ अतिरिक्त चार्ज वसूल नहीं किया जाएगा। 3जी सेवा में भी सभी प्रमोशनल टैरिफ प्लान लागू होंगे।

Friday, May 21, 2010

नाराज पति ने अधिकारी की नाक काट ली, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

राजधानी लखनऊ के राजाजीपुर इलाके में अपनी पत्नी को बिजली विभाग के एक एसडीओ के साथ देख नाराज पति ने अधिकारी की नाक काट ली, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि कानपुर रोड के उपखंड अधिकारी जेपीएन सिंह की एक महिला से दोस्ती थी और वह अकसर उससे मिलने जाया करते थे। कल जब सिंह उक्त महिला के घर पहुंचे तो महिला के पति को यह बात नागवार गुजरी और वह सिंह के साथ हाथापाई करने लगा। इसी बीच उसने अपने दांतों से सिंह की नाक काट ली। महिला ने पुलिस में अपनी ही पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जिसके आधार पर पति को गिरफ्तार कर लिया गया। सिंह का ट्रॉमा सेंटर मे इलाज चल रहा है।

Tuesday, May 18, 2010

एक गोत्र में शादियों पर बैन लगाने की मांग का समर्थन

योग गुरु बाबा रामदेव ने एक गोत्र में शादियों पर बैन लगाने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग कर रही खाप पंचायतों को यह मुद्दा संविधान के दायरे में रहकर अहिंसक तरीके से उठाना चाहिए। रामदेव ने दावा किया कि यह बात वैज्ञानिक दृष्टि से साबित हो चुकी है कि खून के रिश्ते में या एक ही गोत्र में शादी करने से संतान में स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ जाते हैं। उन्होंने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा,'शादियां उन लोगों के बीच नहीं होनी चाहिए जिनमें आपस में खून का संबंध है या फिर जिनका एक गोत्र है। समाज ऐसी शादियों की रजामंदी नहीं देता है और इस तरह की शादियां वैज्ञानिक नजरिये से भी सही नहीं हैं।' उन्होंने कहा कि इस तरह की शादियों का अहिंसक तरीके से विरोध होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'खाप पंचायतें अपनी मांगों को संवैधानिक और अहिंसक तरीके से रखती हैं तो फिर हमारे कानून के जानकारों को हिन्दू विवाह अधिनियम में जरूरी संशोधनों सहित उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए।'

मुस्लिम लड़कियों को तालीम (शिक्षा)हासिल करना जरूरी

दारुल उलूम फरंगी महल ने एक फतवा जारी करते हुए कहा है कि मुस्लिम लड़कियों को तालीम (शिक्षा)हासिल करना जरूरी है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली एवं दारुल इफ्ता के अन्य मुफ्तियों ने डॉ. हुमा ख्वाजा नाम की एक महिला के सवाल पर जारी फतवे में हदीस के हवाले से कहा है कि तालीम (शिक्षा)हासिल करना हर मुसलमान के लिए अनिवार्य है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। फतवे में कहा गया है कि 'इंसान दुनिया में इसलिए आया है कि वह मानवता को अज्ञानता से निकाल कर इल्म (ज्ञान) की रोशनी में दाखिल करे और इसमें शिक्षा ग्रहण करने पर बहुत बल दिया गया है।' फतवे के मुताबिक लड़कों की ही नहीं लड़कियों की तालीम पर भी इस्लाम में बहुत बल दिया गया है क्योंकि एक पढ़ी-लिखी औरत पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम ने फरमाया है कि जो व्यक्ति बेटियों या बहनों का पालन और उनको अच्छी तालीम देकर उनकी शादी बेहतर ढंग से करता है, उसको अल्लाह जन्नत देता है। उन्होंने आगे कहा है कि इस्लाम ऐसा धर्म है जिसने कि औलाद तो औलाद बांदियों (नौकरानियों) की शिक्षा-दीक्षा को भी बढ़ावा दिया है, इसलिए कि औलाद की बेहतर तालीम के लिए मां का शिक्षित होना बहुत जjtरी है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण उनका शिक्षा में पिछड़ा होना है।

Monday, May 17, 2010

इस वर्ष सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी राहत देने वाली

दक्षिण पश्चिम मॉनसून का चार महीने चलने वाला मॉनसून मेला बस शुरू होने ही वाला है। अंडमान के समुद्र में अनुकूल परिस्थितियां बनने लगी हैं, जो देश में बूंदों की बारात लाने वाले मॉनसून की मौसम प्रणाली को सक्रिय करेंगी। मौसम विभाग द्वारा के अनुसार, 'दक्षिणी अंडमान सागर और निकटवर्ती बंगाल की दक्षिणपूर्वी खाड़ी में अगले 24 घंटे के भीतर दक्षिण पश्चिम मॉनसून की शुरूआत के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।' पिछले सप्ताह मौसम विभाग ने कहा था कि बहुप्रतीक्षित मौसमी फुहारें 20 मई तक अंडमान सागर को भिगो सकती हैं। देश की खरबों डालर की अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी है और खेती की तमाम गतिविधियों का आधार चार माह का यह मॉनसून सत्र होता है। अंडमान में पहुंचने के बाद वर्षा लाने वाले बादलों को कारवां अगले दस दिन के भीतर आगे की तरफ बढ़ जाएगा और 30 मई के आसपास केरल पर इनकी रहमत बरसेगी। इस तटीय राज्य में मॉनसून की आमद सामान्य तिथि से दो दिन पहले होने का अनुमान है। पिछले महीने मौसम विभाग ने एक जून से मॉनसून सीजन की शुरूआत बताई थी और कहा था कि इस वर्ष मॉनसून सामान्य रहेगा। बीते बरस सूखे की मार झेल चुके देश के 23.5 करोड़ किसानों के लिए इस वर्ष सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी राहत देने वाली है। मॉनसून की अच्छी बारिश से धान, गन्ना, सोयाबीन और मक्का की बुआई समय पर हो सकेगी और फसल भी अच्छी होने का अनुमान है।

Wednesday, May 12, 2010

आईपीएल की थकान और शॉर्ट पिच गेंदों से तालमेल नहीं बिठा पाने के कारण टीम की यह हालत हुई।

पूर्व क्रिकेटरों ने ट्वेंटी 20 वर्ल्ड कप से भारतीय टीम की शर्मनाक विदाई के बाद कहा कि खराब रणनीति, आईपीएल की थकान और शॉर्ट पिच गेंदों से तालमेल नहीं बिठा पाने के कारण महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम की यह हालत हुई। पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री का मानना है कि भारत की यह निराशाजनक हार भारतीय कप्तान के तौर पर धोनी का सबसे बुरा प्रदर्शन है और उन्होंने धोनी को अपने दृष्टिकोण में और लचीलापन लाने की सलाह दी है। शास्त्री ने कहा, 'हार का केवल एक कारण बताना काफी मुश्किल है लेकिन धोनी ने जितने भी टूर्नामेंटों में भारत की कप्तानी की है, उनमें से यह सबसे निराशाजनक है।' उन्होंने कहा, 'कुछ मौकों पर आप अपने विचार को लेकर जिद्दी हो सकते हैं लेकिन उन्हें भविष्य में कुछ ज्यादा लचीला रुख अपनाने की जरूरत है।' शास्त्री ने साथ ही कहा कि टीम को ऐसे ट्वेंटी20 खिलाड़ियों को तलाशना चाहिए जो हर परिस्थिति में खेल सकते हों।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी शास्त्री की बात से पूरा इत्तेफाक रखते हैं और उन्होंने कहा कि अगर आप रात भर जागते हो तो इसका आप पर असर पड़ता है। खिलाड़ी भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। पार्टी से ज्यादा खेल जरूरी है। हार के बाद इस तरह के बहाने नहीं बनाए जा सकते। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी के लिए क्रिकेट सर्वोपरि है, जबकि बाकी चीजें बाद में आती हैं। वहीं 1983 वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे मदन लाल ने धोनी के बहानों पर नाखुशी जताई। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह कारण है। इन पार्टियों में शामिल होने के लिए उन पर किसका दबाव था। वह मना कर सकते थे। मुझे नहीं लगता कि उन्हें यह सब कहना चाहिए। यह बचकाने बहाने हैं।' पूर्व मुख्य चयनकर्ता सैयद किरमानी ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों में एकाग्रता की कमी दिखी और वे हार के लिए थकान को दोषी नहीं ठहरा सकते। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी थके हुए थे तो उन्हें बोर्ड से आराम के लिए कहना चाहिए था। मैं उनकी आलोचना नहीं करना चाहता क्योंकि वे फिलहाल बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

Monday, May 10, 2010

परिवार से अपनापन नहीं मिलने की वजह से बच्चे भटक रहे हैं।

बच्चों और किशोरों की सोच में आ रहे ऐसे बदलावों की वजह क्या है, पूछने पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि परिवार से अपनापन नहीं मिलने की वजह से बच्चे भटक रहे हैं। सीनियर चाइल्ड सायकायट्रिस्ट डॉ. दीपक गुप्ता कहते हैं कि आजकल माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं। वे बच्चों को टीवी, कंप्यूटर, विडियोगेम जैसी चीजें उपलब्ध कराकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि अच्छे व्यक्तित्व के लिए बच्चों को परिवार के प्यार, देखभाल और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत होती है। हिंसा से भरे टीवी प्रोग्राम, विडियो गेम्स, कार्टून जैसी चीजें देखकर बच्चे प्रोग्राम के कैरेक्टर को कॉपी करने की कोशिश कर रहे हैं। सीनियर साइकॉलजिस्ट डॉ. अरुणा ब्रूटा कहती हैं कि गुस्सा और डर एक प्राइमरी इमोशन है, जो शुरू से ही बच्चों में होता है और हिंसा देखकर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। डीयू के साइकॉलजी डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉ. अशुम गुप्ता कहती हैं, गंभीर बात यह है कि इस तरह की दिक्कतें हर वर्ग में देखने मिल रही हैं। सीनियर सायकायट्रिस्ट डॉ. समीर पारिख कहते हैं कि इन दिक्कतों पर नियंत्रण के लिए पैरंट्स और टीचर्स को यह ट्रेनिंग मिलनी चाहिए कि वे बच्चों के बिहेवियर को कैसे नियंत्रित करें। साथ ही स्कूली करिकुलम में जिंदगी की प्रैक्टिकल नॉलेज भी शामिल होना चाहिए।

Friday, May 7, 2010

कश्मीर के इस डॉक्टर ने आतंकवाद में अपने पिता को गंवा दिया

सिविल सेवा परीक्षा में अव्वल आना आसान नहीं लेकिन फैजल शाह के लिए यह राह तो और भी कठिन थी। कश्मीर के इस डॉक्टर ने आतंकवाद में अपने पिता को गंवा दिया लेकिन नहीं गंवाया तो अपना हौंसला और इस बार की सिविल सेवा परीक्षा में वह अपनी दुख और पीड़ा से निकलकर टॉपर बन बैठा। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने फैजल को बधाई दी और कहा कि कश्मीरी देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को टक्कर दे सकते हैं। 2009 की सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए 875 प्रतिभागियों में फैजल ने पहला स्थान पाया है और वह भी अपने पहले ही प्रयास में। फैजल के लिए यह उपलब्धि और भी मायने रखती है क्योंकि कुपवाड़ा जिले में उनके पिता आतंकवादियों की गोलियों के शिकार बने थे।इस युवा डॉक्टर को बधाई देते हुए उमर ने कहा कि फैजल ने युवा कश्मीरियों को राह दिखाई है। मुश्किल हालात से जूझकर उन्होंने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में पहले प्रयास में ही सफलता पाई और दिखा दिया कि कश्मीरी भी देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को टक्कर दे सकते हैं। केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी फैजल को मुबारकबाद दी और कहा कि यह राज्य के लिए सम्मान की बात है।



Monday, May 3, 2010

मुंबई की मनस्वी ममगाई मिस इंडिया

पैंटालूंस फेमिना मिस इंडिया 2010 कॉन्टेस्ट में मुंबई की मनस्वी ममगाई शुक्रवार रात मिस इंडिया वर्ल्ड चुनी गईं, जिनका जन्मस्थान दिल्ली है। देवास की नेहा हिंगे को मिस इंडिया इंटरनैशनल चुना गया। मिस इंडिया अर्थ बनीं निकोल फारिया, जो बेंगलुरु की हैं। कॉन्टेस्ट के फाइनल के मौके पर शानदार समारोह हुआ, जिसमें शाहिद कपूर, सलमान खान, विवेक ओबरॉय, नेहा धूपिया और लारा दत्ता जैसे नामी-गिरामी स्टार्स ने परफॉर्म किया। फाइनल के लिए जो पांच लड़कियां चुनी गईं, उनके नाम हैं : डिंपल पटेल (मुंबई), कृतिका बाबू (बेंगलुरु), मनस्वी ममगाई, नेहा हिंगे और निकोल फारिया।
डिंपल से सवाल पूछा गया था कि आप धार्मिक हैं या आध्यात्मिक। उन्होंने जवाब दिया कि मेरी प्रकृति आध्यात्मिक है लेकिन भगवान को सदा साथ पाती हूं। कृतिका बाबू से पूछा गया कि आप बॉलिवुड ऐक्ट्रेस, बिजनेस वूमन और हाउसवाइफ में किसे चुनेंगी। कृतिका ने कहा कि इस देश ने शिल्पा शेट्टी को भी सामने रखा है। मनस्वी से पूछा गया कि पिछले 40 दिनों में आपने क्या सीखा। मनस्वी का जवाब था- अपने ऊपर विश्वास रखना। नेहा से उनके ड्रीम रोल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने फिल्म ब्लैक में रानी के रोल का जिक्र किया। निकोल फारिया से पूछा गया कि बतौर भारतीय आपके लिए सबसे गर्व भरा क्षण कौन सा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय होना ही गौरव की बात है, फिलहाल इस स्टेज पर होना गौरव की बात है, क्योंकि यह स्टेज इंटरनैशनल लेवल पर भारत को रिप्रेजेंट करता है।

Thursday, April 29, 2010

देश में मध्य वर्ग की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं

सचमुच देश में मध्य वर्ग की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। देश की कुल आबादी में मध्य वर्ग की संख्या करीब 40 प्रतिशत है। इसके अलावा जैसे-जैसे विकास दर बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसमें बड़ी संख्या में लोग जुड़ते जा रहे हैं। लेकिन देश में मध्य वर्ग का विशेष महत्व नहीं है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि मध्य वर्ग का एक बड़ा भाग मतदान नहीं करता है। हर साल बजट के पहले वित्तमंत्री उद्योगों, किसानों, श्रम संगठनों तथा विभिन्न लॉबियों के प्रतिनिधियों से मिलते हैं। बजट में इन सबकी मांगों और आवश्यकताओं के अनुरूप राहत पैकेज दिए जाते हैं। लेकिन मध्य वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन होने के बाद भी बजट का चमकीला हिस्सा नहीं बन पाता। मध्य वर्ग अपने विकास के लिए सकारात्मक वातावरण और उपयुक्त सुविधाएं चाहता है। वह मेरिट में विश्वास करता है और विकास के लिए समान अवसर चाहता है, समाज में शिक्षा और रोजगार के असमान अवसरों को ईर्ष्या का विषय मानता है, बढ़ती महंगाई से मुकाबले के लिए सरकार से कर राहत चाहता है। वह आवास, वाहन और उपभोक्ता कर्जों पर ब्याज रियायत चाहता है और पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, बेहतर प्रशासन और भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था की अपेक्षा रखता है। देश में उच्च शिक्षा के लिए 18000 कॉलेज और 500 यूनिवर्सिटी हैं लेकिन उच्च व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के लिए बजट आवंटन में लगातार कमी हुई है। 1990 के दशक में शिक्षा पर जीडीपी का चार फीसदी खर्च होता था जो हाल के सालों में गिरकर 3.5 फीसदी हो गया है। उच्च शिक्षा में सरकारी निवेश की कमी से देश की 90 फीसदी यूनिवर्सिटी दोयम दर्जे की शिक्षा दे रही हैं। आईआईटी, आईआईएम, रीजनल इंजिनियरिंग कॉलेज जैसे कुछ ही चमकीले शिक्षण संस्थान देश और विदेश में अपना परचम फहराते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन सरकारी क्षेत्र के ज्यादातर उच्च शिक्षा संस्थान संसाधन और गुणवत्ता की कमी के कारण निराशा के पर्याय बन गए हैं। इससे निजी क्षेत्र की महंगी शिक्षा को बढ़ावा मिला है और मध्य वर्ग की स्तरीय शैक्षणिक सुविधाओं संबंधी कठिनाइयां बढ़ गई हैं। 2010-11 के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से आयकर राहत की उम्मीद थी लेकिन छोटे आयकर दाताओं को इसमें कोई फायदा नहीं मिला। जिन आयकरदाताओं की आय तीन लाख रुपए से कम है उन्हें पिछले बजट में जितना आयकर देना होता था उतना ही नए बजट के बाद भी देना होगा। निवेश के लिए धन जमा करके आयकर छूट लेना उनके बूते के बाहर है, फिर भी ज्यादातर लोग टैक्स सेविंग के लिए आयकर की धारा 80सी के तहत दिए गए निवेश विकल्पों की ओर देखते हैं। लेकिन 80 सी की भी एक सीमा है। इसके तहत फिलहाल एक लाख रुपए तक का निवेश करके अधिकतम 30,000 रुपए की बचत ही कर सकते हैं। नए बजट में वित्त मंत्री ने धारा 80 सी के तहत निवेश की सीमा को इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के लिए 20 हजार रुपए बढ़ाकर 1.20 लाख रुपए कर दिया है। न केवल महंगाई से मध्य वर्ग की जेब खाली हो रही है, वरन अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और जीवन स्तर के लिए मध्य वर्ग द्वारा लिए जाने वाले सबसे जरूरी हाउसिंग लोन, ऑटो लोन, कन्जयूमर लोन आदि पर भी ब्याज दर बढ़ने के परिदृश्य ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अर्थव्यवस्था के मंदी से बाहर आने पर कठोर मौद्रिक नीति की ओर बढ़ चला है। पिछले तीन सालों से नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी विशेष ग्राहक आकर्षण योजनाओं के तहत होम लोन, ऑटो लोन और उपभोग लोन पर आरंभिक वर्षों में रियायती ब्याज दर वसूलने वाले बैंकों ने आगे ऐसी स्कीमों जारी न रखने का फैसला किया है। देश के सबसे बड़े निजी बैंक आईसीआईसीआई ने 1 मार्च, 2010 से 8.25 फीसदी की फिक्स्ड ब्याज दर पर मिलने वाली स्पेशल होम लोन योजना को समाप्त कर दिया है और अब यह 8.75 फीसदी से 9.50 फीसदी के फ्लोटिंग रेट पर होम लोन देगा। भारतीय मध्य वर्ग विकासपरक उद्देश्यों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और संसाधनों से संतुष्ट नहीं है। सरकार को उसकी आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को समझना चाहिए। केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों को अपना-अपना हित साधने वाली उद्योग, कृषि और श्रम संबंधी लॉबियों के साथ-साथ बिना लॉबी वाले उस विशाल मध्य वर्ग पर भी ध्यान देना चाहिए जो देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उसकी नई पीढ़ी को शैक्षणिक राहत देने के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली में बड़े सुधार और वित्तीय सहयोग की जरूरत है। शिक्षा की उपलब्धता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राजनीतिक दखल, जातिवाद और कई दूसरी खामियों को दूर करना होगा। यह समझना जरूरी है कि मध्य वर्ग की मौजूदा शैक्षणिक परेशानियों को कोई विदेशी निवेशक या विदेशी संस्थान सरलता से बदल नहीं सकता। अत: केंद्र सरकार को ही उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार के अजेंडे को आगे बढ़ाना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री को मध्य वर्ग के आयकरदाताओं की बढ़ती निराशा पर भी ध्यान देना चाहिए और उसके लिए आयकर संबंधी राहत की मुठ्ठी खोलनी चाहिए। रेलों में यात्री किराए घटाए जाने चाहिए ताकि यातायात पर मध्य वर्ग के बढ़ते हुए व्यय में कमी आ सके। गरीबी की रेखा के ऊपर (एपीएल) आने वाले परिवारों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत रियायती मूल्यों पर खाद्यान्न उपलब्ध होना चाहिए। हम आशा करें कि सरकार जिस तरह से गरीबों और अमीरों को विभिन्न सब्सिडियां और प्रोत्साहन पैकेज दे रही हैं, वैसे ही मध्य वर्ग को भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए उपयुक्त सरकारी राहत और सहयोग प्रदान करेगी। ऐसा होने पर मध्य वर्ग हताशा और बेचैनी को दूर कर देश के आथिर्क विकास का और अधिक सहयोगी व सहभागी बनता हुआ दिखाई देगा।

अगर हम कहें कि आईआईएम का स्टूडेंट अपनी करोड़ों की नौकरी छोड़कर सब्जी बेच रहा है तो

आईआईएम में दाखिला लेकर मोटी सैलरी वाली नौकरी पाने की हसरत हर किसी की होती है। लेकिन अगर हम कहें कि आईआईएम का स्टूडेंट अपनी करोड़ों की नौकरी छोड़कर सब्जी बेच रहा है तो ! यकीन नहीं होता, तो आइए आपको मिलाते हैं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमैंट, अहमदाबाद के छात्र कौशलेंद्र से। शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच बढ़ रही विकास की खाई को पाटने के लिए कौशलेंद्र ने मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर एक अनोखी पहल की है। वह बिहार के सब्जी उत्पादक किसानों को राजधानी पटना से सीधे जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कौशलेंद्र की इस पहल से जहां एक ओर सब्जी उगाने वाले किसान बिचौलियों से मुक्त होकर सीधे राजधानी के बाजारों से जुड़ेंगे। वहीं उन्हें अपनी सब्जियों की वाजिब कीमत भी मिल सकेगी। कौशलेंद्र ने कंकडबाग में ठेला लगाकर सब्जी बेचने का काम शुरू भी कर दिया है। पहली नजर में उनक यह ठेला आम लगता है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से एयर कंडीशन है। जिससे गर्मी के इस मौसम में भी अधिक समय तक सब्जियों में ताजगी बनी रहती है। कौशलेंद्र का कहना है कि किसानों की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। पूरे साल मेहनत करने के बावजूद उन्हें बड़ी मुश्किल से तीनों वक्त अनाज मिल पाता है। वह कहते हैं किसानों को उनकी पैदावार की उचित कीमत दिलाना समय की मांग है। किसानों को सीधे बाजार से जोड़े जाने की जरूरत है।

Sunday, April 25, 2010

सितारों ने अपनी चमक से आईपीएल ग्रेंड फिनाले को एक यादगार शाम में बदल दिया।

तमाम विवादों के बीच आईपीएल-3 के रोमांच की अंतिम निशा यानी फाइनल मैच का मुम्बईकरों को बेसब्री से इंतजार था और हो भी क्यों नहीं, इस बार का फाइनल आमची मुम्बई जो खेल रही थी। यूं तो, रविवार का दिन वैसे भी छुट्टी का होता है, पर सामान्यतया इस दिन मुम्बईकर या तो आराम करते हैं या फिर मौज-मस्ती। लेकिन, यह संडे कुछ खास रहा, जब लोगों ने अपने तय कार्यक्रम छोड़ आईपीएल-3 के फाइनल पर नजरें गड़ाए रखीं। क्रिकेट के इस महापर्व की तैयारियां दिन से ही नजर आने लगीं, जब जगह-जगह उत्साही युवा मुम्बई इंडियंस की ड्रेस पहने नवी मुम्बई का रुख करते दिखे। जो लोग घरों में थे, वो अपने दैनिक काम जल्दी निपटाकर सात बजे से ही टीवी सेट से चिपक गए और जो रास्ते में थे, वो मोबाइल से अपडेट होते नजर आए। लोकल ट्रेनों में आम संडे से कम भीड़ रही, तो सड़कों पर ट्रैफिक क्लियर था। जिसे देखो, बस आईपीएल की चर्चा करते दिखा, मैच शुरू होने तक मुम्बईकरों में असमंजस रहा कि उनका प्रिय सितारा सचिन फाइनल खेल रहा है या नहीं! फिर, सचिन के मैच खेलने की घोषणा के साथ ऐसे खुश हुए मानो, सबकुछ मिल गया। समापन समारोह में बॉलीवुड सितारों ने अपनी चमक से आईपीएल ग्रेंड फिनाले को एक यादगार शाम में बदल दिया। इन सभी घटनाओं का गवाह बना नवी मुंबई के डी. वाई. पाटील स्टेडियम।