Friday, February 27, 2015

दिल्ली-मुंबई रूट्स पर यात्रा एक रात में

ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और ट्रैवल में लगने वाला समय घटाने के मकसद से सुरेश प्रभु की अगुवाई वाला रेल मंत्रालय जल्द ही बुलेट ट्रेनों की तर्ज पर बिना इंजन के खुद चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत करेगा। इससे मेट्रो शहरों के बीच ट्रैवल का समय 20 पर्सेंट कम किया जा सकेगा और हवाई जहाज से सफर करने वाले बहुत से लोग भी ट्रेनों की सवारी करना पसंद करेंगे।
इस प्रोजेक्ट की लागत 100 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। इसके लिए अगले दो वर्षों में देश में इम्पोर्टेड ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। प्रभु ने गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करने के दौरान बताया, 'यात्रा का बेहतर अनुभव देने और ट्रैवल टाइम में लगभग 20 पर्सेंट की कटौती करने के मकसद से ट्रेन सेट्स के नाम से एक मॉडर्न ट्रेन सिस्टम शुरू करने का प्रपोजल है। ये डिजाइन में बुलेट ट्रेनों जैसी होंगी और बिना इंजन के मौजूदा ट्रैक्स पर चल सकेंगी।'
उन्होंने कहा कि इससे रेलवे की कपैसिटी बढ़ेगी, एनर्जी की बचत होगी और आउटपुट में इजाफा किया जा सकेगा। प्रभु के मुताबिक, 'हमें इन ट्रेनों के पहले सेट के हमारे सिस्टम पर अगले दो वर्षों के अंदर चलने की उम्मीद है। अनुभव के आधार पर इन ट्रेन सेट्स की भारत में मैन्युफैक्चरिंग पर विचार किया जाएगा।'
रेलवे मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने इकॉनमिक टाइम्स को बताया कि एक ट्रेन सेट में आठ कोच होंगे, जिन्हें 100 करोड़ रुपये की कीमत पर आयात किया जाएगा। ये मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चलेंगे। फीडबैक वेंचर्स के विनायक चटर्जी ने कहा, 'ट्रेन सेट्स ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स) का बेहतर वर्जन हैं।'
उनका कहना था कि ये ट्रेनें राजधानी और शताब्दी की जगह ले सकती हैं। भारतीय रेलवे ने नौ रेलवे कॉरिडोर की स्पीड मौजूदा 110 और 130 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 160 और 200 किलोमीटर प्रति घंटा करने का प्रपोजल दिया है जिससे दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई रूट्स पर यात्रा एक रात में पूरी की जा सकेगी। इसके लिए ट्रैक को अपग्रेड करना होगा, जिसमें रोलिंग स्टॉक में सुधार करना और ट्रैक रिकॉर्डिंग, मॉनिटरिंग और मेंटेनेंस के लिए बेहतर तरीके अपनाना शामिल होगा। इसके साथ ही ट्रेन सेट्स की भी शुरुआत की जाएगी।
सीआईआई की रेल कमिटी के को-चेयरमैन तिलक राज सेठ ने कहा, 'मेट्रो शहरों के बीच यात्रा का समय कम करने की योजना केवल बिना लोकोमोटिव के खुद चलने वाले कोचों से ही संभव है। इसके शुरू होने पर एयर ट्रैवलर्स को भी खींचने में मदद मिलेगी।' मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल या बुलेट ट्रेन के बारे में प्रभु ने कहा, 'इसके लिए फिजिबिलिटी स्टडी अंतिम दौर में है और इसके इस वर्ष के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट आने के बाद इस पर तुरंत काम किया जाएगा।'
बुलेट ट्रेनें भले ही भारत के लिए अभी दूर की कौड़ी हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ट्रेन सेट्स के तौर पर इनका एक छोटा वर्जन शुरू करने की तैयारी कर रही है। बुलेट ट्रेन की तर्ज पर चलने वाले ट्रेन सेट्स में कोचों को खींचने के लिए लोकमोटिव या इंजन नहीं होता। इसके नतीजे में पावर पूरे सिस्टम में समान तौर पर डिस्ट्रीब्यूट होती है और ट्रैवल का समय काफी कम हो जाता है। हालांकि, बुलेट ट्रेन की तरह इनके लिए अलग से ट्रैक बिछाने की जरूरत नहीं होती। शुरुआत में इन ट्रेन सेट्स का इम्पोर्ट किया जाएगा। बाद में इनकी मैन्युफैक्चरिंग देश में ही की जा सकती है।

Thursday, February 26, 2015

रेल बजट की खास बातें

रेल बजट की खास बातें

Wednesday, February 25, 2015

पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले में शिकायत दर्ज

देश की राजधानी दिल्ली में एक महिला वकील ने अपने पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले में शिकायत दर्ज कराई है । अभी तक घरेलू हिंसा के ज्यादातर केस शादीशुदा या लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहीं महिलाओं के पति या पार्टनर के खिलाफ ही देखने को मिलते थे। यह अपने आप में नए तरह का मामला है।
शिकायतकर्ता महिला शादीशुदा हैं और एक वकील हैं। उन्होंने पिछले साल 23 जुलाई को अपने पति द्वारा उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद महिला के पिता और भाई महिला को उसके मायके ले आए थे।
पिछले साल ही 20 नवंबर को महिला ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपने पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि उसे शारीरिक चोट पहुंचाई गई और मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया गया। महिला के मुताबिक, उसे खाना नहीं दिया जाता था और हर महीने पैसे मांगे जाते थे।

महिला का कहना है कि उसने वापस पति के घर जाने की अपने परिजनों की बात नहीं मानी तो परिजनों ने उसे मायके से जबरन निकाल दिया। मामले की सुनवाई कर रही जज ने महिला के पिता और भाई को समन जारी किया तो उसके पिता और भाई ने इस मामले में हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट में महिला के परिजनों का कहना था कि घरेलू हिंसा के तहत वे महिला को खर्च देने के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी। 

Monday, February 23, 2015

बचत योजनाओं में निवेश पर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है

दिल्ली चुनाव में हार के बाद मध्य वर्ग का विश्वास फिर जीतने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली 28 फरवरी को आम आदमी के अनुकूल बजट पेश कर सकते हैं, जिसमें या तो टैक्स-स्लैब बदले जा सकते हैं या बचत योजनाओं में निवेश पर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा वह 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत देश में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने उपाय भी कर सकते हैं। इस अभियान का लक्ष्य है भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का पैदा करना है।
जेटली व्यक्तिगत करदाताओं को राहत पहुंचाने के दृष्टिकोण को शनिवार के अपने पहले पूर्ण बजट में आगे बढ़ा सकते हैं। पिछली बार उन्होंने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 50,000 रुपये बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये और बचत योजनाओं में 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट दी जबकि इससे पहले यह छूट 1 लाख रुपये तक की सीमित थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हालांकि, इस बार जेटली इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं क्योंकि उन्हें अतिरिक्त राजस्व की भी जरूरत है ताकि सरकारी निवेश बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि तेज की जा सके। कर दी थी।
वित्त मंत्री ने पिछले साल कॉर्पोरेट या आम आदमी पर सरचार्ज की दर में कोई बदलाव नहीं किया था और आगामी बजट में भी इसे मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रख सकते हैं। इधर, कॉर्पोरेट मोर्चे पर जेटली विवादास्पद गार (सामान्य कर परिवर्जन नियम) को कम से कम दो साल के लिए टाल सकते हैं क्योंकि इससे निवेश के माहौल पर विपरीत असर हो सकता है जिसे सरकार सुधारना चाहती है। जेटली पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के लिए कर रियायतों की घोषणा का दबाव बढ़ रहा है ताकि उन निवेशकों को वापस लाया जा सके जो सेज स्थापना के लिए मिली मंजूरियां वापस कर रहे हैं।
अप्रत्यक्ष कर के संबंध में वित्त मंत्री द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अप्रैल 2016 से लागू करने के लिए जमीन तैयार करने उम्मीद है। इसके लिए वह धीरे-धीरे सेवा कर की दर बढ़ा सकते हैं जो फिलहाल 12 प्रतिशत है क्योंकि जीएसटी में अप्रत्यक्ष कर के लिए सिर्फ एक दर होगी। उल्टा शुल्क ढांचा के लिहाज से बजट उद्योग विशेष तौर पर वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों की चिंता पर ध्यान दे सकता है। उल्टा शुल्क ढांचे का अर्थ है तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल पर ज्यादा कर जिससे लागत बढ़ती है। उद्योग मांग करता रहा है कि सरकार को कच्चे माल और अन्य माल पर कराधान से जुड़ी गड़बड़ी दूर करनी चाहिए।
इनकम टैक्स में छूट की सीमा 50,000 रुपये या बचत में निवेश की छूट सीमा में बढ़त संभव।
स्वास्थ्य बीमा में निवेश सीमा में भी कर छूट।
पेंशन योजनाओं में बचत पर सभी तीन चरणों-प्रवेश, संचयन और निकासी में छूट पर भी विचार संभव।
अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए) का दायरा बढ़ाकर इसका लाभ हर साल देने का भी प्रावधान।
कर-बचत वाले बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड संभव।
होम लोन में ब्याज एवं मूलधन के भुगतान के संबंध में ज्यादा कर राहत।
व्यक्तिगत तौर पर 1 करोड़ से अधिक की आय पर जबकि कंपनियों पर 10 करोड़ रुपये से अधिक के मुनाफे पर 10 प्रतिशत का लग सकता है टैक्स।
जीएसटी को लागू करने की दिशा में सर्विस टैक्स में बढ़त संभव।
उल्टा शुल्क ढांचे में हो सकता है बदलाव।
आयकर छूट- 2.50 लाख रुपये
बचत योजनाएं- 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट
आवास ऋण के पुनर्भुगतान पर कर छूट 2 लाख रुपये तक

Friday, February 20, 2015

जटिल टैक्स पॉलिसीज को सरल बनाना चाहिए

फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली 28 फरवरी को आम बजट पेश करते हुए डायरेक्ट टैक्स की दरों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव कर सकते हैं। वह एक इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली माहौल बनाने और कन्जयूमर सेंटिमेंट को मजबूत करने के लिए ऐसे कदम उठा सकते हैं।
पर्सनल इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स के ढांचे में अच्छा-खासा बदलाव हो सकता है। इससे लोगों और कंपनियों के हाथ में ज्यादा रकम बच सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में विचार-विमर्श हो रहा है। उन्होंने कहा, 'इसका मकसद इन्वेस्टमेंट में तेजी लाना और बेवजह की बाधाएं हटाना है।'

पर्सनल इनकम के मामले में टैक्स स्लैब बदले जा सकते हैं। बचत और हाउसिंग में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए इनसेंटिव्स दिए जा सकते हैं।
अपने पहले बजट में एनडीए सरकार ने एग्जेम्प्शन लिमिट को 50,000 रुपये बढ़ा दिया था। हालांकि तब टैक्स स्लैब्स को जस का तस रहने दिया गया था। इन्वेस्टमेंट्स पर टैक्स छूट देने वाले सेक्शन 80सी और होम लोन इंटरेस्ट पेमेंट्स की लिमिट भी 50-50 हजार रुपये बढ़ाई गई थी। टैक्स रेवेन्यू की रफ्तार सुस्त होने और डिवेलपमेंट के लिए ज्यादा फंड रखने की जरूरत के बावजूद सरकार कन्जयूमर सेंटिमेंट मजबूत करना चाहती है, जिसे फिलहाल इकॉनमी को रिवाइव करने का क्विक फॉर्मूला बताया जा रहा है।
आरबीआई सहित फाइनैंशल सेक्टर के अन्य रेग्युलेटर्स ने भी हाउसहोल्ड सेविंग्स के लिए इनसेंटिव्स बढ़ाने की वकालत की है। ताजा आंकड़ों से पता चल रहा है कि 2013-14 में सेविंग्स रेट ग्रॉस नैशनल डिस्पोजेबल इनकम के 30% पर आ गई, जो इससे पहले वाले साल में 33% पर थी। उधर, इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म्स के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स 1 अप्रैल 2016 से लागू करने की तैयारी है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि टैक्स के कुछ जटिल प्रावधानों के मामले में स्पष्टता लाने पर फोकस होगा क्योंकि पिक्चर क्लीयर न होने से इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में देश की इमेज को झटका लगता है।
इंडस्ट्री की नजर भी इन्वेस्टमेंट साइकल को रफ्तार देने की जेटली की कोशिशों पर है। कंपनियां चाहती हैं कि टैक्स के नियमों में स्थिरता रहे और ये पिछली तारीख से लागू न किए जाएं।
मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स के फ्रेमवर्क में स्पष्टता लाने, डिस्प्यूट सेटलमेंट के मेकनिज्म को बेहतर बनाने, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्टों के मामले में टैक्स की तस्वीर साफ करने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग पर असर डाल रहे प्रावधानों को दुरुस्त करने पर भी फोकस रहेगा। मैट का रेट फिलहाल 18.5% है। इसे घटाया जा सकता है। अगर सभी कंपनियों के लिए ऐसा नहीं किया गया तो कम से कम स्पेशल इकनॉमिक जोन के मामले में ऐसा हो सकता है।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एशिया में सबसे ज्यादा टैक्स भारत में लगते हैं और कस्टम्स ड्यूटी की तर्ज पर टैक्स स्ट्रक्चर को बदलने की काफी गुंजाइश है। पीडब्ल्यूसी के लीडर (डायरेक्ट टैक्स प्रैक्टिस) राहुल गर्ग ने कहा, 'जटिल टैक्स पॉलिसीज को सरल बनाना चाहिए।'

Wednesday, February 18, 2015

माएं बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री नहीं

बीजेपी सांसद साक्षी महाराज की हिंदू महिलाओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हमारी माएं बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री नहीं हैं।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कानपुर में सोमवार को संघ से जुड़े संगठनों के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा, 'हमारी माताएं फैक्ट्री नहीं हैं, बच्चा पैदा करना व्यक्तिगत निर्णय है।' 

हालांकि भागवत ने साक्षी महाराज का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, 'मैं किसी को बोलने से कैसे रोक सकता हूं? लेकिन, कुछ कहने से पहले सोचना चाहिए।' अखबार के मुताबिक उस बैठक में मौजूद लोगों ने बताया कि भागवत ने हिंदुओं के घटते अनुपात का जिक्र किया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया।
भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव करते हुए कहा कि उनमें इच्छा शक्ति है, हमें अपने स्वयंसेवकों पर भरोसा होना चाहिए। जब बैठक में मौजूद एक व्यक्ति ने कहा कि केंद्र सरकार को हिंदू वर्ष और आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार के जन्मदिन को राष्ट्रीय दिवस घोषित करना चाहिए, तो संघ प्रमुख ने कहा, 'सरकार अपने ढंग से काम करती है। मैं भी प्रधानमंत्री बन जाऊं तो ऐसे ही काम करूंगा।'
भागवत ने लोगों से कहा कि हमें यह कहना बंद कर देना चाहिए कि यह हमारी सरकार है, हम सभी को अपना काम करते रहना है।

Monday, February 16, 2015

आम आदमी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार आज से काम पर लग गई है  शनिवार को आधिकारिक तौर पर पद संभालने के बाद सरकार के सभी मंत्रियों ने आज सुबह दिल्ली सचिवालय पर डेरा जमाकर काम शुरू कर दिया है। दोपहर बाद आज कैबिनेट की बैठक होनी है, जिसमें सरकार अपने पिछले कार्यकाल के कामों की समीक्षा के अलावा बिजली-पानी सस्ता करने जैसे कुछ खास फैसले भी ले सकती है। सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वह अब स्वस्थ हैं और उनके आज कामकाज का पहला दिन है। सीएम ने दिल्ली वालों से उनके लिए दुआ करने को कहा है।
सीएम के आदेश के बाद सुबह सरकार के सभी मंत्री अपने घरों से रवाना होकर सरकार के मुख्यालय दिल्ली सचिवालय रवाना हो गए। उन्होंने सुबह 11 बजे अपना कामकाज संभाल लिया और संबंधित अफसरों ने अपने-अपने विभागों की जानकारी ली। सूत्र बताते हैं कि इसमें पेंडिंग कामों के अलावा इस बात की भी जानकारी ली गई कि किन प्रॉजेक्ट्स को जल्द किया जाना जरूरी है। बताते हैं कि इस जानकारी के बाद सभी मंत्री सीएम केजरीवाल और डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ बैठकर अपने विभागों पर विचार विमर्श करेंगे।
सूत्र बताते हैं कि दोपहर बाद सीएम ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। बताते हैं कि इस बैठक में सरकार अपने पिछले 49 दिनों के कार्यकाल की समीक्षा करेगी, जिसमें इस बात की कवायद होगी कि पिछले कार्यकाल में ऐसे कौन से काम हैं, जिनको जल्द शुरू किया जाना जरूरी है। बैठक में सरकार अपने कामों की प्राथमिकता भी तय करेगी। कैबिनेट की बैठक में बिजली और पानी को लेकर कुछ खास निर्णय भी लिए जाने की संभावना है, जिसमें बिजली पर सब्सिडी और हर माह 20 हजार लीटर मुफ्त पानी दिए जाने पर विचार होगा। आज सुबह केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि आज उनका ऑफिस में पहला दिन है। वह स्वस्थ हैं और लोग उनके लिए दुआ करें।
दूसरी ओर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने दिल्ली सचिवालय की विभिन्न मंजिलों पर मंत्रियों के बैठने की व्यवस्था कर दी है। अब तक की व्यवस्था के अनुसार मुख्यमंत्री का कार्यालय तीसरे फ्लोर पर रहा है, जबकि सचिवालय के छठे, सातवें और आठवें तल पर दो-दो मंत्री बैठते रहे हैं। आप की पिछली सरकार में छठे फ्लोर पर राजस्व और शिक्षा मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया के साथ एक और मंत्री को बिठाया गया था, लेकिन इस बार छठे तल पर मनीष सिसोदिया अकेले मंत्री होंगे। इस फ्लोर के बाकी हिस्से में उपमुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी और स्टाफ बैठेगा
इस बार सातवें फ्लोर पर तीन मंत्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है। परिवहन मंत्री गोपाल राय, स्वास्थ्य व ऊर्जा मंत्री सत्येन्द्र जैन तथा खाद्य एवं आपूति मंत्री आसिम मोहम्मद खान यहीं बैठेंगे। आठवें फ्लोर पर पहले की तरह दो मंत्री ही रहेंगे जिनमें इस बार कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर और महिला व बाल कल्याण मंत्री संदीप कुमार शामिल हैं।

Friday, February 13, 2015

इंजीनियरों से वो 'कमीशन' लेते रहे हैं- बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी

बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक और विवादित बयान दे डाला है. गुरुवार को उन्होंने यह कह कर नए विवाद को जन्म दे दिया कि सरकारी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में शामिल इंजीनियरों से वो 'कमीशन' लेते रहे हैं. पटना के गांधी मैदान पर पब्लिक मीटिंग के दौरान मांझी ने यह बात जब कही तो वहां कई अध्यापक भी मौजूद थे. मांझी ने कहा पुल बनाने से ज्यादा पैसा पिलर बनाने में लगा. उन्होंने कहा कि इंजीनियरों ने प्रोजेक्ट की लागत को ज्यादा आंका और उन्हें कमीशन दी, लेकिन उन्होंने वादा किया कि अब वो कमीशन नहीं लेंगे और वो पैसा राज्य के अध्यापकों की भलाई में लगाएंगे.
मांझी ने कहा, 'पुल बनाने से ज्यादा पैसा पिलर्स बनाने में लगा. ये इंजीनियर और टेक्नोक्रेट्स ने इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये लगाए और कुछ पैसे मुझे और कॉन्ट्रैक्टरों को भी दिया. मुझे भी कमीशन मिली. अब मैं कमीशन का पैसा नहीं लूंगा और उस पैसे का इस्तेमाल राज्य के अध्यापकों की भलाई में करूंगा.

मांझी की कुर्सी जाना लगभग तय नजर आ रहा है ऐसे में यह बयान उन्हें और मुश्किल में डाल सकता है

नीतीश उन्हें कठपुतली बनाना चाहते थे

बिहार में जारी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार फिर जेडीयू नेता नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश उन्हें कठपुतली बनाना चाहते थे. उन्होंने कहा, 'मैं गरीब हूं, पर धोखेबाज नहीं.' अपनी पार्टी जेडीयू के भारी विरोध का सामना कर रहे मांझी ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे, अगर सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके तो तुरंत कुर्सी छोड़ देंगे. उन्होंने राज्यपाल को उन्हें बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए धन्यवाद दिया और स्पीकर पर भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया. उन्होंने राज्यपाल से विश्वास मत पर गुप्त मतदान कराने की भी अपील की. मांझी ने नीतीश कुमार पर खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'मैं जब गरीबों के लिए काम करने लगा तब ये कहा जाने लगा कि ये पार्टी के खिलाफ काम हो रहा है.

मांझी ने कहा, 'मैंने सिस्टम में बिचौलियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी. मैं गरीबों के लिए आवाज उठा रहा था और गरीबों के फायदे के लिए ही फैसले ले रहा था. क्या इन कामों से जेडीयू का वोट बैंक बिगड़ गया? मेरा मकसद सिर्फ दलितों और महादलितों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करना था.' मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि अगर नीतीश ने यह सोचा कि मैं उनके लिए रबर स्टैंप बनकर काम करूंगा तो यह उनकी गलती थी. अगर उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री बनाया है तो जरूरी तो नहीं कि मैं उनके निर्देशों के अंतर्गत काम करूं. मेरा भी अपना जज करने का सेंस है. उन्होंने कहा कि जब पार्टी के नेता उन पर जुबानी हमले कर रहे थे तब नीतीश की चुप्पी से उन्हें दुख हुआ.

Wednesday, February 11, 2015

10 लाख के सूट का मुद्दा

इस चुनाव में मोदी के 10 लाख के सूट का मुद्दा भी लोगों के दिलों दिमाग पर छाया रहा। जहां लोकसभा चुनाव में मोदी की इमेज एक चाय वाले के रूप में पेश की जा रही थी वहीं इस सूट से उनकी इमेज एक अमीर पीएम की दिखाई गई। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया और यह बात लोगों के दिलों दिमाग पर भी छा गई। इतना ही नहीं जाते जाते अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धार्मिक असहिष्णुता को जो मुद्दा फैंका वह भी लोगों को हिट किया। यही कारण रहा कि मुस्लिम, अल्पसंख्यक वर्ग सहित धार्मिक निरपेक्षता में विश्वास करने वाले तमाम लोग आम आदमी पार्टी की ओर मुड गए।
दरअसल गणतंत्र दिवस पर ओबामा की विजिट को बीजेपी ने इस तरह से पेश किया जैसे पूरे विश्व में पीएम नरेंद्र मोदी और देश का जबरदस्त प्रभाव बढ़ रहा हो। मोदी जिस तरह से ओबामा से आंखों में आंखें डालकर बातें करते नजर आए उसे भी बीजेपी ने भुनाने की पूरी कोशिश की गई। बीजेपी के कई कैंडिडेट ने तो इसे चुनाव में जोड़कर फायदा लेने की भी कोशिश की लेकिन ओबामा ने जाते जाते एक ऐसा तीर फेंक दिया जिसमें कहा गया कि भारत में सभी धर्मों का आदर होना चाहिए। यह बयान अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को उजागर कर रहा था। इससे बीजेपी को काफी धक्का लगा। दिल्ली के तमाम लोग भी मानते हैं कि इससे बीजेपी को नुकसान पहुंचा।
मोदी का 10 लाख का सूट और उस पर नरेंद्र मोदी का नाम लिखा होना भी उनकी आत्म मुग्धता की कहानी कहता नजर आया है। इससे भी लोगों के अंदर जो मोदी की एक इमेज थी उसे धक्का लगा। ऐसे ही मामले पहले भी आए हैं, जिनसे कई नेताओं की इमेज खराब हुई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की इमेज को भी उनके हाथों में लाखों की अंगूठियों की खबर ने डेमेज किया था। पहले लालू यादव को गरीबों का मशीहा, चरवाहे के लड़के के रूप में जाना जाता था जब यह खबर आई कि वे अंगुलियों में लाखों की अंगूठियां पहनते हैं तो लालू वादी सामंतवादी मानसिकता में फंसते नजर आए इससे उनकी लोकप्रियता भी कम हुई।

उत्तराखंड के पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ने भी अपने करीबियों को इतनी लाल बत्ती की गाड़ी दे दीं जो विवाद का विषय बना इतना ही नहीं लाल बत्तियों को लेकर वहां पर लोक गीत तक बने और उनकी लोकप्रियता पर असर पड़ा। यूपी की पूर्व सीएम मायावती की लोक प्रियता भी उनके विलासिता वाले जीवन से कम हुई।

फर्जी कंपनियों से डोनेशन लेने के मुद्दे पर नोटिस

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आम आदमी पार्टी को कथित फर्जी कंपनियों से डोनेशन लेने के मुद्दे पर नोटिस भेजा  है। 'आवाम' नाम के एक एनजीओ ने आरोप लगाए थे कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी कंपनियों से 2 करोड़ रुपये का चंदा लिया है।
डोनेशन मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 'आप' को नोटिस भेजकर 16 फरवरी तक जवाब देने को कहा है। यह नोटिस दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के ठीक एक दिन पहले यानी 9 फरवरी को भेजा गया था। इसमें कहा गया है कि अगर तय समय सीमा के अंदर जवाब न दिया गया तो 10 हजार रुपये की जुर्माना लगाया जाएगा।
आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष ने कहा है कि पार्टी ने कुछ भी गलत नहीं किया है, ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस नोटिस का जवाब दे देगी। उन्होंने कहा, 'इस मामले की जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। हम आईटी डिपार्टमेंट और फाइनैंस मिनिस्ट्री को जांच में पूरा सहयोग करेंगे।'
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी से अलग होकर बने ग्रुप आप वॉलनटिअर्स ऐक्शन मंच (AVAM) ने चुनाव से पहले प्रेस कॉन्फ्रेस में आरोप लगाया था कि 'आप' ने 4 ऐसी कंपनियों से 50-50 लाख रुपये का चंदा लिया, जिनका पता फर्जी है। वोटिंग से ठीक पहले यह मामला काफी उछला था

Saturday, February 7, 2015

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने प्रफेसर्स पर अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के साथ सेक्स करने से रोक

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने प्रफेसर्स पर अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के साथ सेक्स करने से रोक लगा दी है। काफी कड़े शब्दों में लगाई इस रोक में हालांकि यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टूडेंट्स और टीचर्स के उचित संबंधों पर उसे कोई ऐतराज नहीं है।
गुरुवार को जारी एक बयान में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि शिक्षा में सेक्स के आधार पर भेदभाव न हो, इसके लिए लागू कानून के मुताबिक नीतियों की समीक्षा के बाद यह फैसला किया गया है। अब तक नीति यह थी कि टीचर्स उन स्टूडेंट्स से सेक्स न करें जो उनके सीधे सुपरविजन में हैं। यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट कर दिया है कि अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच न शारीरिक संबंधों के इजाजत होगी, न प्रेम संबंधों की।

बॉस्टन के बाहर केंब्रिज के नजदीक स्थित यूनिवर्सिटी में करीब 2400 टीचर्स और 6700 स्टूडेंट्स हैं। इस बारे में फैसला करने वाली कमिटी के अध्यक्ष ऐलिसन जॉनसन ने कहा कि हम अपने फैसले से इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि प्रफेसर और अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के बीच संबंध शैक्षणिक होने चाहिए

Thursday, February 5, 2015

दानदाता कंपनियों के संदिग्ध चरित्र बेनकाब हुए

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम आदमी पार्टी (आप) को मिले कथित संदिग्ध चंदे के मुद्दे पर बुधवार को फिर उनसे पूछा कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल राजस्व अधिकारी के तौर पर इससे निपटने के लिए क्या करते।
आप पार्टी को चेक के जरिए दिए गए राजनीतिक चंदे पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होंने कहा कि इससे लेन-देन शुद्ध नहीं हो जाता है। जेटली ने अपने फेसबुक पन्ने पर 'वॉट वुड अरविंद केजरीवाल, आईआरएस हैव डन?' शीर्षक से एक लेख में लिखा है, 'निश्चित रूप से केजरीवाल कर संबंधी कानूनों को लेकर अनजान तो नहीं हैं। उन्हें पता था कि उनकी पार्टी क्या कर रही है। उन्हें ईमानदारी से जनता को बताना चाहिए कि आईआरएस के रूप में वह इन हालात में क्या करते?'
उन्होंने आरोप लगाया, 'आप प्रचार करने में माहिर है। वह अपने हाथ पर ईमानदारी का तमगा लगा होने का दावा करती है।' जेटली ने केजरीवाल से पूछा कि क्या राजनीतिक दलों को चेक से चंदा देने से काले धन को सफेद में बदलने के सारे अपराध धुल जाते हैं।
जेटली ने वहीं बीजेपी की वेबसाइट पर जारी एक आलेख में लिखा है कि आप ने फर्जी कंपनियों से काला धन स्वीकार किया। जेटली ने कहा है, 'आप ने कई सारी कॉर्पोरेट कंपनियों के नाम का खुलासा किया है, जिनसे उसने चेक के रूप में चंदे स्वीकारे हैं।'
जेटली ने लिखा है, 'आप से अलग हुए सदस्य लगता है कि इन कंपनियों के नाम कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय से तलाशे हैं। इस तलाश से दानदाता कंपनियों के संदिग्ध चरित्र बेनकाब हुए हैं।'
चेक के रूप में आप द्वारा दो करोड़ रुपये स्वीकारने का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि ऐसी ढेर सारी कंपनियां हैं, जो काले धन को सफेद बना रही हैं। उन्होंने कहा, 'ये कंपनियां कोई कारोबार नहीं करतीं। उनके पास लाभ देने वाला कोई कारोबार नहीं है।'
वित्त मंत्री ने लिखा है, 'इन कंपनियों की कार्यप्रणाली बहुत ही सरल है। इस समय एक बहुस्तरीय प्रक्रियाओं के जरिए पैदा हुईं ढेर सारी अंतरसंबंधित कंपनियां हैं। इनमें आपस में एक से दूसरे को धन हस्तांतरित किए जाते हैं। कंपनियां संदिग्ध पते पर पंजीकृत होती हैं।'

Wednesday, February 4, 2015

मैनेजमेंट प्रोग्राम अब अपनी चमक खो रहा है

देश भर में मैनेजमेंट प्रोग्राम अब अपनी चमक खोता जा रहा है  ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा जारी किए गए लेटेस्ट आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले अकैडमिक वर्ष में देश भर में इंजिनियरिंग संस्थानों द्वारा ऑफर किए जा रहे 147 बिजनस स्कूल और एमबीए प्रोग्राम बंद हो गए।
मैनेजमेंट संस्थानों में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोम प्रोग्राम की संख्या भी 606 से कम होकर 600 हो गई है। सबसे ज्यादा 24 एमबीए कॉलेज महाराष्ट्र में बंद हुए, उसके बाद तमिलनाडु में 23 और आंध्र प्रदेश में 19 एमबीए कॉलेज बंद हुए।  सिर्फ बिहार, झारखंड और केरल में नए संस्थानों में इजाफा हुआ है। इन राज्यों ने इस अवधि में एक-एक नए संस्थान शुरू किए हैं।

एजुकेशनल कंसल्टेंट मूर्ति सेल्वाकुमारन ने कहा कि ज्यादातर संस्थानों के बंद होने का कारण मुख्य रूप से संरक्षण का अभाव था। कॉमन ऐडमिशन टेस्ट में कमी होने के साथ यह गिरावट करीब दो साल पहले शुरू हुई। कॉमन ऐडमिशन टेस्ट के आधार पर ही देश भर के अग्रणी मैनेजमेंट संस्थानों और अन्य मैनेजमेंट प्रोग्राम में दाखिला मिलता है।
ग्रेट लेक्स इंस्टिट्युट ऑफ मैनेजमेंट के डायरेक्टर टी.एन.स्वामीनाथन का कहना है कि बिजनस स्कूलों के बंद होने का कारण सरप्लस सप्लाई और मांग में कमी का होना था। उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए, इस साल कैट के लिए 1.93 लाख उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया जिनमें से मात्र 1.53 लाख छात्रों ने परीक्षा दी।'
सेल्वाकुमारन का कहना है कि इंजिनियरिंग संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे कई मैनेजमेंट कोर्स बंद हो रहे हैं क्योंकि वे छात्रों की स्किल्स में बेहतरी लाने और उनको रोजगार परक बनाने पर पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दे रहे हैं।
स्वामीनाथन ने कहा कि कइयों को इसलिए बंद करना पड़ा, क्योंकि उनलोगों ने युनिवर्सिटी का पाठ्यक्रम अपनाया जो आउटडेट हो चुके थे और वे स्वायत्त बिजनस स्कूलों की तरह छात्रों को आकर्षित नहीं कर सकें। स्वायत्त बिजनस स्कूल मार्केट की जरूरत के मुताबिक अपने पाठ्यक्रम को अपडेट करते रहते हैं।
मार्केट में ऑनलाइन मैनेजमेंट प्रोग्राम ने भी अपने पैठ बनाई है। मैनेजमेंट ऐंड आन्त्रप्रन्योरशिप में लाखों छात्रों को प्रशिक्षण देने वाले ऑनलाइन बिजनस स्कूल MyBSkool.com के संस्थापक के.स्वामीनाथन के कहा कि कई संस्थानों के पास अच्छी टीचिंग फैकल्टी का अभाव है जिस कारण उनको मैनेजमेंट प्रोग्राम चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, 'बिजनस स्कूलों में फैकल्टी के अभाव में एमबीए की पढ़ाई तुरंत समाप्त करने वाले लोग पढ़ा रहे हैं। एक अच्छे मैनेजमेंट कोर्स के लिए उद्योग जगत का अनुभव रखने वाले फैकल्टी की जरूरत है। ऑनलाइन प्रोग्राम बेस्ट फैकल्टी के साथ यह चीज प्रदान करने में सफल है क्योंकि इसमें समय और दूरी की कोई चिंता नहीं रहती है

Tuesday, February 3, 2015

काले धन के बावजूद केजरीवाल आगे

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली विधानसभा की चुनावी जंग में बीजेपी को पस्त करती दिख रही है। द इकनॉमिक टाइम्स के लिए पोलिंग फर्म टीएनएस ने जो ताजा ओपिनियन पोल कराया है, उससे पता चल रहा है कि 'आप' को बहुमत मिल सकता है। सोमवार को ही एबीपी न्यूज और नील्सन के ओपिनियन पोल में भी 'आप' को 35 सीटों और 37% वोटों के साथ साफ बढ़त दी गई। इसके मुताबिक, बीजेपी 33% वोटों के साथ 29 सीटें जीत सकती है।
जनवरी के आखिरी सप्ताह में कराए गए इस सर्वे के अनुसार, 'आप' को 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 36-40 सीटें मिल सकती हैं। उसे 49% वोट मिलेंगे। बीजेपी को 28-32 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 2-4 सीटों पर सिमट सकती है।

यह सर्वे 16 विधानसभा क्षेत्रों में 3,260 वोटरों के बीच किया गया था। नवंबर-दिसंबर में कराए गए ईटी-टीएनएस पोल में बीजेपी को 43-47 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। तब 'आप' 22-25 सीटें मिलती दिख रही थीं। कांग्रेस को तक अधिकतम 3 सीटें मिलने का अनुमान था।
केजरीवाल को चुनौती देने के लिए बीजेपी को किरण बेदी को मैदान में उतारना पड़ा। हालांकि यह दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। विभिन्न पोल्स में सबसे पसंदीदा सीएम कैंडिडेट के रूप में जमे हुए केजरीवाल ने ताजा ईटी-टीएनएस सर्वे में भी लीड बढ़ा ली है। इसके मुताबिक, केजरीवाल को 54% वोटर पसंद कर रहे हैं। बेदी से वह 16 प्रतिशत आगे हैं। पिछले पोल की तुलना में केजरीवाल ने 12 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है।
सोशल कमेंटेटर संतोष देसाई ने कहा कि माहौल 'आप' के पक्ष में मुड़ चुका है। उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक दायरे में अपनी बातचीत में बेदी हठी शख्स के रूप में सामने आई हैं।' देसाई ने कहा, 'इसके बावजूद मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है। बीजेपी पूरा जोर लगा रही है।'
टीएनएस पोल के मुताबिक, 12 सीटों पर बीजेपी और AAP में कड़ा मुकाबला है। इनमें से कृष्णानगर और जनकपुरी जैसी कुछ सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही हैं। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सोमनाथ भारती आराम से जीत सकते हैं। सर्वे के मुताबिक, दिल्लीवालों के लिए मुख्य मुद्दे महिला सुरक्षा की जगह महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक सौहार्द और गरीबी बन गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी के उस फैसले का सीधा नतीजा है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी को दिल्ली विधानसभा चुनावों से दूर रखने का फैसला किया गया। गुप्ता ने ईटी से बताया, 'चुनावी मैदान में बेदी की एंट्री ने मोदी और केजरीवाल की सीधी तुलना को खत्म कर दिया है। मुझे लगता है कि इन चीजों ने केजरीवाल के पक्ष में काम किया है।' अपनी तरफ से केजरीवाल पीएम मोदी पर सीधे हमले से भी बचे।
आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'वोटरों के बीच यह धारणा है कि मोदी और अरविंद की छवि साफ-सुथरी है और दोनों का अजेंडा विकास है। इसलिए हमने अपने कैंपेन को पॉजिटिव रखा और अरविंद ने मोदी को सीधे टारगेट नहीं किया। अगर आपने ध्यान दिया हो तो केजरीवाल, किरन बेदी पर भी निशाना साधने से बच रहे हैं।'
राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चंदोक ने कहा कि केजरीवाल की लोकप्रियता की मुख्य वजह गांव, निचले तबके के लोग और अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आपको याद हो तो हाल में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के 60 फीसदी वोटर हर महीने 14,000 रुपये से कम पर गुजारा करते हैं। यह वर्ग और केजरीवाल की तरफ इसका रुझान उन्हें सीएम पोस्ट के लिए तगड़ा प्रतिस्पर्धी बनाता है।'