देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। दिल्ली में एक उद्योग पर औसतन 2.7 लोगों को रोजगार मिलता है जबकि नैशनल लेवल पर यह औसत महज दो का है। यह जानकारी दिल्ली में असंगठित सर्विस क्षेत्र के बारे में तैयार की गई तीन साल पुरानी रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया ने सोमवार को जारी किया। यह रिपोर्ट जुलाई 2006 से जुलाई 2007 के बीच किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली के असंगठित क्षेत्र में 2.39 लाख उद्योग हैं। इनमें से 1.47 लाख घरों में और बाकी प्रतिष्ठान हैं। उन्होंने बताया कि इन उद्योगों में 6.44 लाख लोग काम करते हैं। दिल्ली में जहां हर उद्योग में औसतन रोजगार 2.7 है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत दो का है। यूपी में तो यह औसत 1.8 का है। इससे साफ है कि दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि असंगठित क्षेत्र के जो 2.39 लाख उद्योग हैं, उनमें से 30 हजार 255 होटल और रेस्तरां, 41 हजार से ज्यादा रीयल एस्टेट, 47 हजार से ज्यादा ट्रांसपोर्ट, लगभग 44 हजार कम्यूनिकेशन क्षेत्र में हैं। इसी तरह कर्मचारियों के मामले में सबसे ज्यादा कर्मचारी यानी लगभग 17.62 फीसदी होटल और रेस्तरां के कामकाज से जुड़े हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली में असंगठित सेवा क्षेत्र में कार्यरत उद्यमों से सकल मूल्य वृद्धि लगभग 6879 करोड़ रुपये होती है। दिल्ली में औसतन हर उद्योग की हर साल सकल मूल्य वृद्धि 2.87 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह बढ़ोतरी 1.48 लाख रुपये बनती है। इसी तरह उद्योगों में प्रति कर्मचारी सकल मूल्य वृद्धि दर दिल्ली में 1.07 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह महज 73 हजार 38 रुपये है। इस लिहाज से दिल्ली का देश भर में चौथा स्थान है। दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में से महज 10 फीसदी पर मालिकाना हक महिलाओं का है।
Tuesday, June 1, 2010
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