सगे भाइयों में जब बंटवारा होता है, तो किसी को घर मिलता है, तो किसी को दुकान। किसी को आभूषण मिलते हैं, तो किसी को नकदी। बंटवारे की यह प्रक्रिया तमाम परिवारों में दशकों से चल रही है, पर यह प्रक्रिया अंडरवर्ल्ड में भी कभी लागू हुई हो, यह कहानी आज तक शायद ही कभी किसी ने सुनी हो, लेकिन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच हुए बंटवारे का सच ऐसा ही था। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस बंटवारे में राजन को दाऊद की तरफ से 10 लाख दिरहम मिले थे। इसके बाद राजन ने अरबों का अपना कारोबार हफ्तावसूली, तस्करी, सट्टेबाजी और ड्रग्स के धंधे से खड़ा किया। दाऊद की भी काली कमाई इन्हीं सब जरियों से हुई। हां, दाऊद की डी कंपनी ने नकली नोटों के जरिए भी करोड़ों, अरबों रुपए कमाए। दाऊद और राजन के बीच करीब डेढ़ दशक तक जिगरी दोस्ती रही। लोग कहते हैं कि राजन और दाऊद के बीच बंटवारा 1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद शुरू हुआ था, पर सच यह नहीं है। बंटवारे का असली सच 16 नवंबर, 1991 के माया डोलस के उस चर्चित एनकाउंटर से जुड़ा हुआ है, जिसे पूरा देश लोखंडवाला एनकाउंटर के नाम से जानता है।
Tuesday, July 13, 2010
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