Wednesday, September 25, 2013

अजमेर ब्लास्ट में फंसाने के लिए दबाव

सन् 2007 में अजमेर में हुए बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों में से एक भावेश पटेल ने केंद्रीय मंत्रियों, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। भावेश ने सीबीआई कोर्ट को चिट्ठी लिखकर बताया है कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह और दिग्विजय सिंह ने उस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार को अजमेर ब्लास्ट में फंसाने के लिए दबाव डाला था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस साल मार्च में गिरफ्तार किए गए पटेल ने कोर्ट को दिए आवेदन में आरोप लगाया है, 'मुरादाबाद के आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मेरी मुलाकात दिग्विजय सिंह, शिंदे, जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई थी। ये सभी लोग चाहते थे कि मैं कोर्ट में आरएसएस के नेताओं को फंसाने वाला बयान दूं।' पटेल के वकील भूपेंद्र सिंह का कहना है कि उनका मुवक्किल गुरुवार को कोर्ट में भी यही बात दोहराएगा। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में पटेल पर ब्लास्ट के लिए साजो-सामान उपलब्ध करवाने और बम दरगाह के भीतर ले जाने का आरोप लगाया है।

हालांकि, दिग्विजय सिंह, आचार्य कृष्णन और आरपीएन सिंह ने पटेल के आरोपों को खारिज कर दिया है। दोनों नेताओं का कहना है कि पटेल से मिलना तो दूर उन्होंने उसका नाम भी पहली बार सुन रहे हैं। शिंदे और जायसवाल ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं दी है।

पटेल ने कहा है, 'कृ्ष्णन ने मेरी मुलाकात नवंबर, 2012 में दिग्विजय सिंह से कराई थी। मैंने जब उन्हें अपने केस के बारे में बताया तो दिग्विजय ने मुझसे कहा कि तुम चिंता मत करो। समय आने पर हम जैसा कहें, वैसा करना।' पटेल के मुताबिक इसके बाद कृष्णन ने उसकी मुलाकात जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई। उसका कहना है कि इन दोनों नेताओं ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें सारा मामला बता दिया है और अगर वह जैसा कहा गया है वैसा बयान देता है, तो उसे बचा लिया जाएगा। 
अजमेर ब्लास्ट के आरोपी का दावा है कि कृष्णन बाद में उसे दिल्ली लेकर गए, जहां शिंदे मौजूद थे। पटेल का दावा है कि शिंदे ने कहा, 'तुम्हे कोर्ट में कहना होगा कि अजमेर ब्लास्ट की साजिश में भागवत और इंद्रेश कुमार शामिल थे और तुमने इनकी साजिश कि हिसाब से धमाके को अंजाम दिया।' पटेल का कहना है कि दबाव के बावजूद मैंने कोर्ट में भागवत या इंद्रेश कुमार का नाम नहीं लिया। इसके बाद एनआईए के ऑफिसरों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
गौरतलब है कि पटेल अलवर की जेल में बाद था, वहां उसने एनआईए के ऑफिसरों के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया था। तबीयत बिगड़ने के बाद उसे एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसने कोर्ट को चिट्ठी लिखी है।

Tuesday, September 24, 2013

सेना जम्मू-कश्मीर में सभी मंत्रियों को रकम देती है,

जम्मू-कश्मीर में तख्तापलट की साजिश के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल वी. के. सिंह द्वारा सोमवार को दिए गए एक बयान पर फिर हंगामा खड़ा हो गया है। जनरल सिंह ने दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर में हालात 'स्थिर' बनाए रखने के लिए के लिए सेना वहां के कुछ मंत्रियों को निश्चित रकम देती रही है और यह आजादी के समय से ही चला आ रहा है।
जनरल सिंह के इस बयान के बाद राज्य और केंद्र से इसको लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने वीके सिंह के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आर्मी के फंड का इस्तेमाल ऐसे हो रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी जांच होनी ही चाहिए। उधर, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने वीके सिंह को ऐसे मंत्रियों का नाम जाहिर करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि अगर सिंह नाम बता सकते हैं तो ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने वीके सिंह के बयान को खारिज कर दिया है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि देश और खासकर सेना के लिए यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्व सेना प्रमुख इस तरह के आधारहीन बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनरल वीके सिंह शुरू से ही उमर सरकार विरोधी थे। उन्होंने कश्मीर में एक राजनीतिक पार्टी से गठजोड़ कर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार कार्य किया। राणा ने सच सामने लाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच करवाने की मांग की। पार्टी के मुस्तफा कमाल ने आरोप लगाया है कि सिंह अपने आचरण पर लगे आरोपों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।

जनरल सिंह ने हमारे सहयोगी चैनल 'टाइम्स नाउ' से बातचीत के दौरान कहा, 'सेना जम्मू-कश्मीर में सभी मंत्रियों को रकम देती है, क्योंकि राज्य में स्थायित्व बनाए रखने के लिए कई तरह के काम किए जाने होते हैं और मंत्रियों को कई चीजें करने के साथ ही कई गतिविधियों को भी अंजाम देना होता है।' हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या सभी मंत्रियों को रकम दी जाती है, तो उन्होंने यह कहते हुए अपने बयान में सुधार किया, 'हो सकता है सारे मंत्री नहीं, लेकिन कुछ मंत्री और लोग हैं, जिन्हें खास काम करवाने के लिए कुछ रकम दी जाती है। इस काम में किसी खास क्षेत्र में स्थायित्व लाना शामिल है।'
ऐसा किए जाने के कारण पूछे जाने पर जनरल सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसे हालात आए...जैसे केपीएल (कश्मीर प्रीमियर लीग) के लिए किसने रकम दी? क्या जम्मू-कश्मीर या उमर अब्दुल्ला ने? सेना ने दिया।'
वह इन आरोपों पर जवाब दे रहे थे कि उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के मंत्री गुलाम हसन मीर को राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए 'टेक्निकल सपोर्ट डिविजन (टीडीएस)' की ओर से 1.19 करोड़ रुपए दिए गए।
जनरल सिंह ने कहा, 'कश्मीर बिल्कुल अलग मुद्दा है। कई काम किए जाते हैं, वहां आप ढेर सारे नागरिकों और युवाओं के काम करते हैं। इन सभी के लिए रकम की जरूरत होती है। कुछ रकम इन कामों के लिए दी जाती है। इसमें समस्या कहां है?'
उन्होंने कहा, 'यह जम्मू कश्मीर में आजादी के समय से ही चल रहा है। इसमें नया कुछ नहीं है।' जोर देने पर सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसी बातें हैं जो जम्मू-कश्मीर में होती हैं और राष्ट्र के हित में नहीं हैं। हमारा एक काम है- देश को एकजुट रखना। यदि हमें लगता है कि हम मदद कर सकते हैं ताकि देश की अखंडता बनी रहे, तब सेना वहां कदम रखती है।'
गौरतलब है कि सेना ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वी.के.सिंह द्वारा बनाई गई 'सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट' की ऐक्टिविटीज़ की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने का आग्रह किया है। सेना को शक है कि इस यूनिट ने 'अनऑथराइज्ड ऐक्टिविटीज़' और फाइनैंशल गड़बड़ियां की हैं।

Thursday, September 19, 2013

शीर्ष पुलिस अधिकारी एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) अरुण कुमार यूपी में काम नहीं करना चाहते

 मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर चौतरफा घिरी उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दंगे के दौरान मुजफ्फरनगर में कैंप करके मुस्तैदी से काम करते दिखे उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) अरुण कुमार यूपी में काम नहीं करना चाहते हैं। प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाने की अर्जी देने के बाद वह छुट्टी पर चले गए हैं। हालांकि, उन्होंने अर्जी करीब दो महीने पहले दी थी, लेकिन हाल में स्‍मरण पत्र देने से बुधवार को सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में वह अपने को फिट नहीं पा रहे हैं।
एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर के पद पर उनकी तैनाती सीएम अखिलेश यादव ने पिछले साल नवम्बर में उस वक्त की थी, जब प्रदेश में कई जिलों में हालत काफी तनाव पूर्ण थे। तब यह उम्मीद थी कि अरुण कुमार पुलिसिया कार्यशैली में बदलाव लाएंगे। अपनी कार्यशैली को लेकर पहचाने जाने वाले अरुण कुमार ने पदभार संभालने के बाद बीटवार ड्यूटी लगाने से लेकर वैज्ञानिक तरीके से तफ्तीश को बढ़ावा देने समेत कई अहम कदम उठाए, लेकिन उनके कुछ फैसलों को दरकिनार कर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से वह असहज महसूस करने लगे।
खासतौर से गोंडा के तत्कालीन एसपी नवनीत राणा के मामले में जो कुछ हुआ उससे वह काफी असहज थे। राणा ने उनके कहने पर प्रदेश सरकार के मंत्री के करीबी पशु तस्कर के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया, लेकिन बाद में मंत्री के दबाव के चलते राणा को ही हटा दिया गया। सुभाष चंद्र दुबे को भी वह मुजफ्फरनगर खुद लेकर गए थे, लेकिन दुबे के निलंबन से उनको झटका लगा। डीएसपी जियाउल हक की हत्या के बाद उनकी सख्ती भी सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं को नागवार गुजरी। कुछ ऐसा ही नोएडा के एसएसपी शलभ माथुर के मामले में भी हुआ।

आजम ने स्टिंग को बताया फर्जी- क्योंकि सच्चाई बहुत खराब है

 मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा तो शांत हो गई, मगर इसे लेकर अब चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। हिंसाग्रस्त इलाके में तैनात रहे पुलिस अधिकारियों को एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कहते हुए दिखाया गया कि कवाल में हुई शुरुआती हिंसा के बाद डबल मर्डर के 7 आरोपियों को अरेस्ट कर लिया गया था, मगर लखनऊ से आजम नाम के नेता के फोन के बाद उन लोगों को छोड़ना पड़ा था। इस बीच विपक्ष द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खान को बर्खास्त करने और केस दर्ज करने की मांग के बीच उन्होंने कहा कि मैंने किसी को कोई फोन नहीं किया था। आजम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है और साजिशन उनका नाम खींचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि चैनल ने साजिशन उनका राजनीतिक करियर दागदार करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि दरोगा के मुंह में बात डाली गई।
भले ही यूपी सरकार दंगे भड़काने का दोष विपक्षी पार्टियों पर मढ़ रही हो, मगर न्यूज चैनल आज तक के स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के प्रेशर की वजह से ही हालात और खराब हुए थे। जिस वक्त दंगे जारी थे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि सरकार ने पुलिस और प्रशासन को काम करने की पूरी छूट दी है और किसी तरह का दबाव नहीं है। मगर इलाके के कुछ पुलिस ऑफिसरों की मानें तो दंगों के दौरान सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने पुलिस के काम में रोड़े अटकाए और कई थानों से पकड़े गए संदिग्ध लोगों को छुड़ाने का काम किया। स्टिंग ऑपरेशन में एक पुलिस ऑफिसर ने कहा कि फुगाना थाने पर लखनऊ से आजम नाम के नेता ने फोन कर कहा था, 'जो हो रहा है, होने दो।'

यूपी सरकार में मंत्री आजम खान ने इन खबरों को निराधार बताया है कि उन्होंने पुलिस पर किसी तरह का प्रेशर डाला था। उन्होंने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और न ही वह इस बारे में कोई सफाई देना चाहते हैं। आजम ने नाराजगी जताते हुए कहा, 'जिस न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन करने की कोशिश की है, उसको जांच भी कर लेनी चाहिए और मुझे सजा भी सुना देनी चाहिए।'
उन्होंने कहा कि चैनल ने अपने शब्द उन पुलिसकर्मियों के मुंह में डाले हैं, जिन्हें उस ऑपरेशन का आधार बनाया गया है। इसके अलावा उसके रिपोर्टर द्वारा पूछे गए सवाल को नहीं सुनाया गया, यह सही नहीं है। आजम खान ने कहा कि उनके अधिकारियों और दफ्तर के टेलिफोन नंबरों के कॉल डीटेल्स की जांच की जानी चाहिए। अगर यह साबित हो जाए कि उन्होंने किसी पुलिस अधिकारी को टेलिफोन किया था, तो उन्हें जो सजा देना चाहें दे दी जाए।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने पुलिस के कामकाज में कभी दखलंदाजी नहीं की और ऐसा करने के बजाय वह मर जाना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि वह एक साधारण आदमी हैं और किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। आजम ने आरोप लगाया कि चैनल ने जिस तरह का काम किया है उससे लगता है कि कुछ लोग मेरा राजनीतिक करियर डैमेज करना चाहते हैं।
आज तक के स्टिंग ऑपरेशन में जानसठ के सर्कल ऑफिसर जे. आर. जोशी को कैमरे पर कहते हुए दिखाया गया है कि 'ऊपर' के दबाव में सात-आठ संदिग्ध लोगों को छोड़ना पड़ा। जोशी ने बताया, 'ऊपर से नेता ने कहा, इनके खिलाफ एफआईआर किसी ने नहीं कराई है, इसलिए इन्हें छोड़ दो, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि ये लोग हिंसा में शामिल थे।' जानसठ के एसडीएम आर.सी. त्रिपाठी ने भी सियासी दखल स्वीकार करते हुए कहा, नेता राजनीतिक फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
फुगाना थाने के सेकंड ऑफिसर आर.एस. भगौर छिपे हुए कैमरे से रेकॉर्ड किए गए विडियो में यह स्वीकार करते दिखे कि आजम ने फोन कर कोई हस्तक्षेप नहीं करने को कहा था। भगौर ने यह भी कहा कि दंगाइयों के मुकाबले फोर्स काफी कम थी, कई हथियार मौके पर नहीं चले, बड़े अफसरों से संपर्क नहीं हो पाया और सुरक्षा बल देरी से पहुंचे। फुगाना सर्वाधिक दंगा प्रभावित इलाकों में से एक है। यहां 8 सितंबर को सोलह हत्याएं हुई थीं।
एसएचओ मीरापुर ने कहा कि डीएम और एसएसपी को समाजवादी पार्टी नेता ने हटवाया, जबकि वे दोनों अच्छा काम कर रहे थे। एसएचओ भोपा समरपाल ने भी यही बात कही। उन्होंने कहा कि कवाल कांड के बाद डीएम-एसएसपी का तबादला गलत हुआ। अगर वे तीन-चार दिन तक और यहां पर तैनात रहते तो दंगा होता ही नहीं।
जिस वक्त न्यूज चैनल पर स्टिंग ऑपरेशन टेलिकास्ट हो रहा था, एक-एक करके ऑफिसर्स को लाइन हाजिर किया जा रहा था। सबसे पहले फुगाना के एसओ आर.एस. भगौर लाइन हाजिर किए गए। इस स्टिंग ऑपरेशन में एसओ भगौर, सीओ जोशी और एसडीएम त्रिपाठी के अलावा एसपी क्राइम कल्पना सक्सेना, एसएचओ भोपा समरपाल सिंह, एसओ शाहपुर सत्यप्रकाश सिंह, एसएचओ मीरापुर एके गौतम और बुढ़ाना से हटाए गए इंस्पेक्टर ऋषिपाल सिंह भी नजर आए थे।

Saturday, September 14, 2013

हिन्दी ! भारत- माता के माथे की बिंदी

हिन्दी ! भारत- माता के माथे की बिंदी ! सभी हिन्दी भाषियों को हिदी दिवस की शुभकामनायें ,एवं अहिन्दी भाषियों को हिन्दी भाषा अपनाने का आवाहन ! जय हिन्दी !

लालकृष्ण आडवाणी- मोदी के नाम पर राजी नहीं

 बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के बावजूद पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन उनकी नाराजगी दूर न होने से पार्टी के नेता बेचैन हैं। पार्टी को डर है कहीं आडवाणी ऐसा कोई कदम न उठा दें, जिससे पार्टी को और शर्मसार होना पड़े। इसके मद्देनजर आडवाणी को मनाने का दौर शनिवार को भी जारी है। पार्टी के कई बड़े नेता उनके मान-मनौव्वल में जुटे हैं।

शनिवार सुबह आडवाणी से मिलने सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, मुरलीधर राव और बलबीर पुंज पहुंचे। इन नेताओं ने आडवाणी को पार्टी के इस फैसले पर राजी करने कोशिश की। बीजेपी नेतृत्व को डर है कि आडवाणी इस्तीफे देने जैसे अतिवादी कदम न उठा लें। गौरतलब है कि शुक्रवार को दिनभर की कोशिशों को बाद भी बीजेपी आडवाणी को मोदी के नाम पर राजी करने में नाकाम रही थी। शाम को संसदीय बोर्ड की मीटिंग में आडवाणी नहीं आए थे। आडवाणी के विरोध को दरकिनार करते हुए पार्टी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर उनकी कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया था। उन्होंने चिट्ठी में लिखा,'प्रिय श्री राजनाथ सिंह जी, आज दोपहर जब आप मुझे आज के संसदीय अधिकरण की बैठक की सूचना देने के लिए आए थे तब मैंने अपने मन की व्यथा के बारे में और और आपके कार्य संचालन के विषय में अपनी निराशा के बारे में कुछ कहा था। मैंने आपको उस समय कहा था कि मैं विचार करूंगा कि मैं बैठक में आकर अपनी बातें सभी सदस्यों को कहूं अथवा नहीं, अब तय किया है कि आज की बैठक में न आऊं यही उचित होगा। लाल कृष्ण आडवाणी।'

Tuesday, September 10, 2013

शादी करने से पहले

शादी करने से पहले आपको इन बातों का ख्याल रखना होगा;


एक लड़की है, जो आपकी तरह ही पढ़ी-लिखी है और कमा भी रही है। उसके ख्वाब भी आपकी तरह ही हैं, क्योंकि वह भी आपकी तरह इंसान ही तो है। वह लड़की 25 सालों तक अपने पैरंट्स और भाई-बहनों के साथ रही, ठीक आपकी ही तरह। जिसने बड़ी ही बहादुरी से अपने घर और परिजनों को छोड़ने का फैसला कर लिया, ताकि आपके घर, आपके परिवार, तौर-तरीकों और परिवार के नाम को अपना सके।
जब वह लड़की नए हालात, नए माहौल से जूझ रही होती है, तब आप बेखबर होकर सो रहे होते हैं। और उस लड़की से उम्मीद की जाती है कि पहले ही दिन वह मास्टर शेफ बन जाए। वह लड़की कभी किचन में नहीं गई थी। ठीक आपकी बहन की तरह, जो कि अपनी पढ़ाई में बिज़ी होने या फिर दूसरे संघर्षों की वजह से ऐसा नहीं कर पाई। मगर ये सब बातें उस लड़की को किचन में किसी तरह की रियायत नहीं दिला पातीं।
उससे सुबह उठकर सबसे पहले चाय बनाने की उम्मीद की जाती है और दिन के आखिर में खाना बनाने की चाह रखी जाती है। इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह आपकी ही तरह या आपसे ज्यादा थकी-मांदी है। वह नौकर, कुक, मां और पत्नी जैसी भूमिकाएं एक साथ निभा रही होती है। भले ही यह सब करने का उसका मन न हो, मगर वह ये सब करती है। और ऊपर से उससे उम्मीद की जाती है कि वह इसके लिए उफ तक न करे।
वह समझने की कोशिश करती है कि आप उससे क्या उम्मीदें रखते हैं, क्या चाहते है। मगर उसे यह भी मालूम रहता है कि आपको उसका डिमांडिंग होना पसंद नहीं आएगा। उसे यह भी मालूम है कि अगर वह आपके मुकाबले जल्दी से सीखती-समझती है, तो आपको यह बात भी पसंद नहीं आएगी।
उसके अपने दोस्त होते हैं, जिनमें लड़के और उसके ऑफिस में काम करने वाले पुरुष भी शामिल हैं। वे लोग भी, जिन्हें वह स्कूल के दिनों से जानती है। मगर वह उन सबको छोड़ने के लिए तैयार है, ताकि आपको किसी तरह की जलन न हो और बेवजह इनसिक्यॉर न हो जाएं। हां, वह आपकी ही तरह ड्रिंक कर सकती है, डांस कर सकती है, मगर वह ऐसा नहीं करती। भले ही आप कुछ भी कहें, मगर आप इसे पसंद नहीं करेंगे। वह काम की डेडलाइन्स को पूरा करने के लिए कभी-कभी ऑफिस से लेट भी हो सकती है, जैसे कि आप भी होते हैं।
अगर आप उसकी थोड़ी सी मदद करें और उस पर ट्रस्ट करें, तो वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती है कि ताकि उसकी जिंदगी का सबसे खास रिश्ता कामयाब हो। पूरे घर में वह आपके ही सबसे ज्यादा करीब होती है। उसे आपसे कुछ ज्यादा नहीं चाहिए, वह आपसे सपोर्ट चाहती है और चाहती है कि आप सेंसिटिव रहें उसे लेकर। जो बात उसके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है, वह यह कि आप उसे समझें। जी हां, इस सब को आप प्यार कह सकते है। यानी वह बस इतना चाहती है कि आप उसे प्यार करें।

मुजफ्फरनगर और शामली में हिंसा का सिलसिला थमा नहीं

 कर्फ्यू, सुरक्षा के भारी इंतजाम और अधिकारियों के ताबड़तोड़ तबादलों के बाद भी मुजफ्फरनगर और शामली में हिंसा का सिलसिला थमा नहीं है। हालात काबू में होने के सरकार के दावों के उलट सोमवार को कम से कम 8 लोगों की हत्याएं कर दी गईं। इस तरह अब तक कुल 36 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक यह आंकड़ा ज्यादा है। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए 286 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मुजफ्फरनगर के रतनपुरी इलाके में सोमवार शाम दो भाइयों की हत्या कर दी गई। मीरापुर के पड़ाव चौक पर उन्मादी युवकों ने बाइक सवार दो लोगों को गोली मार दी। एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। तितावी क्षेत्र के मुकंदपुर बाइक से जा रहे चाचा-भतीजे पर रास्ते में कुछ युवकों ने हमला कर दिया। इसमें चाचा की मौत हो गई और भतीजा घायल हो गया। सोमवार देर रात खतौली के रतनपुरी थाने के मंथेडी गांव में संप्रदाय विशेष के दो दूध कारोबारियों की हत्या कर शव खेत में फेंक दिए गए।
शामली में भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। बाबरी थानाक्षेत्र के बुटराड़ा निवासी एक व्यक्ति बाइक से कुरमाली जा रहा था। उसको गोली मार दी गई। शव कुरमाली के निकट खेतों में फेंक दिया। खेतों के पास उसकी बाइक पड़ी मिली। कुरमाली में 60 मुस्लिम परिवारों को हिंदुओं ने डीएम-आईजी की मौजूदगी में पलायन करने से रोका। छपरौली के राठौडा़ गांव में दोपहर को एक धर्मस्थल से भड़काऊ बातें कहीं गई। एसटीएफ ने पहुंचकर वहां तलाशी ली तो धारदार हथियार मिले।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद मुजफ्फरनगर के ग्रामीण इलाकों में हिंसा रुक नहीं पा रही हैं। जानसठ कोतवाली क्षेत्र के कवाल गांव से शुरू हुई हिंसा देहात के कोने-कोने तक जा पहुंची। जानसठ कोतवाली क्षेत्र के कई गांव, मीरापुर और आसपास के क्षेत्र, भोपा क्षेत्र के गांव, बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र, फुगाना थानाक्षेत्र के गांव पूरी तरह हिंसा की चपेट में है। खतौली में दो लोगों की गोली लगी लाश मिलने से फिर माहौल गर्मा गया।
शामली सोमवार रात फिर भड़क उठा। दयानंदनगर, नाला पट्टी, कलंदरशाह, नंदू प्रसाद, गुजरातियान, माजरा रोड, हाजीपुरा, बरखंडी समेत कई मोहल्लों एक साथ फायरिंग शुरू हो गई। सात-आठ मोहल्लों में एक साथ हुई ताबड़तोड़ फायरिंग से नगरवासियों के कलेजे दहल गए। इसकी जानकारी पुलिस को हुई तो उसने अर्धसैनिक बलों के साथ स्थिति को संभालने का प्रयास किया, लेकिन दोनों ओर से हो रही भारी फायरिंग के चलते पांव पीछे खींचने को मजबूर हो गई। बाद में डीएम और एसपी मौके पर पहुंचे तो हालात कुछ काबू में आए। देर रात सेना ने जाकर मोर्चा संभाल लिया था।

Monday, September 2, 2013

तिरुपति और शिरडी जैसे मंदिरों से उनका सोना बेचने की अपील

 रुपये में गिरावट रोकने के लिए किए गए उपायों से अब तक सफलता नहीं मिली है। ऐसे में पॉलिसी मेकर्स अब मंदिरों की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे उनसे अपना सोना बेचने के लिए कहेंगे, जिससे इसकी घरेलू डिमांड पूरी की जा सके।
आरबीआई की पाबंदियों के कारण गोल्ड का इंपोर्ट करना मुश्किल हो गया है। वह भारतीयों की गोल्ड की मांग पूरी करने के लिए तिरुपति और शिरडी जैसे मंदिरों से उनका सोना बेचने की अपील कर सकता है। रिजर्व बैंक इसके लिए बात कर रहा है। वह उनसे पता कर रहा है कि मंदिर ट्रस्टों को इसके लिए कैसे मनाया जा सकता है। इस मामले से वाकिफ दो बैंकरों ने यह जानकारी दी है।
आंध्र प्रदेश का तिरुपति, महाराष्ट्र में शिरडी साईं बाबा मंदिर, मुंबई में सिद्धिविनायक और तिरुअनंतपुरम में पद्मनाभस्वामी मंदिर सबसे अमीर हैं। उनके पास काफी सोना और कीमती धातुएं हैं। इनमें से कई मंदिरों के ट्रस्ट का अकाउंट बैंक मैनेज करते हैं।
रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि बैंक उन्हें अपने गोल्ड डिपॉजिट को कैश में बदलवाने के लिए मना सकते हैं। हालांकि, मंदिर ट्रस्ट के साथ डील की गारंटी नहीं है। ऊपर जिन बैंकरों का जिक्र किया गया है, उनमें से एक ने कहा, 'यह सोचा जा रहा है कि एक बैंक मंदिरों से उनकी जूलरी खरीदेगा और उसे गोल्ड में बदलेगा। इसके बाद इस सोने को आरबीआई खरीदेगा और उसके बदले वह बैंक को कैश देगा। बैंक यह पैसा मंदिर ट्रस्ट को दे सकते हैं।' इस बारे में आरबीआई से पूछने पर कोई जवाब नहीं मिला।
तिरुपति दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। इसके पास करीब 1000 टन गोल्ड है। इस साल देश के जितने गोल्ड का इंपोर्ट करने की उम्मीद है, यह उसका डबल है। पूरे देश में 18000-30000 टन गोल्ड होने की उम्मीद है।