Saturday, October 2, 2010

यादव की सीधी आलोचना मुसलमानों को रास नहीं आई

अयोध्या मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की सीधी आलोचना मुसलमानों को रास नहीं आई है। अधिकतर मुस्लिम नेताओं की राय है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी को संयम बरतना चाहिए और किसी को भी ऐसी माहौल बिगाड़ने वाला बयान नहीं देना चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और ईदगाह के नायब इमाम मौलाना रशीद फिरंगीमहली ने कहा, ' देश में दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं, राजनेताओं और मीडिया ने इस संवेदनशील मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी और संयम का परिचय दिया है। यह रुख आगे भी बना रहना चाहिए और किसी को भी ऐसी कोई टिप्पणी नही करनी चाहिए, जो राजनीति से प्रेरित लगती हो और जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका हो। '
फिरंगी महली ने कहा, अब तक सभी लोगों ने, यहां तक कि संघ परिवार ने भी परिपक्वता का परिचय दिया है और यह संयमपूर्ण व्यवहार आगे भी बना रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बयानबाजी नही होनी चाहिए, जिससे फिरकापरस्त ताकतों को हरकत में आने का मौका मिले। हालांकि उन्होंने माना कि हाई कोर्ट के फैसले से मुस्लिम समुदाय में मायूसी का भाव है, लेकिन जोर देते हुए कहा कि ' देश के व्यापक हित को देखते हुए हर एक को संयम बरतना चाहिए और ऐसी प्रतिक्रिया से बचना चाहिए, जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द और अमन में खलल पड़ने की आशंका हो। ' फिरंगी महली की ही तरह इस्लामी शोध संस्थान दारुल मुसिन्नफीन के मौलाना मोहम्मद उमर ने कहा, टउन्होंने (मुलायम) मुस्लिम समुदाय की भावनाओं की ही बात कही है। मगर ऐसी टिप्पणी करने के लिए यह समय उचित नहीं है। ' गौरतलब है कि कल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने एक बयान जारी करके कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आस्था को कानून तथा सुबूतों से ऊपर रखा है और देश का मुसलमान इस निर्णय से खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। मुलायम सिंह के इस बयान पर शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मिर्जा अतहर ने कहा कि ऐसे समय जब हर आदमी समाज में अमन और शांति बनाए रखने की कोशिश में है, मुलायम सिंह यादव जैसे बड़े नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी अदालती मामले में एक पक्ष जीतता है, दूसरा हारता है और जब हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का रास्ता खुला है और विवाद को आपसी सहमति से सुलझा लेने का विकल्प भी सामने है तो इस तरह की टिप्पणी गैर जरूरी लगती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के एक अन्य सदस्य एवं प्रतिष्ठित शिया उलेमा मौलाना हमीदुल हसन ने यादव के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने भी कहा कि सभी को संयम का परिचय देना चाहिए और ऐसी किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए, जिससे साम्प्रदायिक एकता खंडित होने की आशंका हो। ऑल इंडिया सुन्नी बोर्ड के मौलाना मोहम्मद मुश्ताक ने कहा है कि अपने वादों और अपीलों का मान रखते हुए किसी भी मुस्लिम नेता ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे माहौल बिगड़े और जुमे की नमाज के बाद भी यह अपील फिर दोहरायी गई है कि आपसी शांति और सौहार्द बनाए रखने में सबको सहयोग देना है।

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