Sunday, November 30, 2014

शिविरों में उचित दवाएं और भोजन उपलब्ध नहीं था

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया (आईएसआईएस) के संदिग्ध सदस्य अरीब मजीद ने उन स्थानीय लोगों के नामों का खुलासा किया है, जिन्होंने इराक में जारी लड़ाई में हिस्सा लेने की खातिर संगठन में शामिल होने के लिए उसकी मदद की थी। 
एनआईए के एक अधिकारी के सवाल के जवाब में मजीद ने कहा, 'वहां न तो कोई पवित्र युद्ध हो रहा है और न ही पवित्र किताबों में लिखी बातों का पालन किया जाता है। आईएसआईएस लड़ाकों ने वहां कई महिलाओं से बलात्कार भी किया है ।' 
मजीद ने यह भी बताया कि आतंकवादी संगठन ने उसे किस तरह दरकिनार कर दिया। उसने बताया कि लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भेजे जाने के बजाय उससे शौचालयों की सफाई का काम कराया जाता था या जंग लड़ रहे लड़ाकों को पानी मुहैया कराने को कहा जाता था। 
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'मजीद से रविवार को कई घंटों तक पूछताछ हुई। पूछताछ के दौरान उसने उन स्थानीय लोगों के नाम बताए, जिन्होंने उसमें और उसके तीन दोस्तों में कट्टरपंथी भावनाएं भड़काई और उन्हें इराक जाने में मदद की। हम उसके दावों की जांच कर रहे हैं और इन स्थानीय संपर्कों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि अधिकारी ने यह कहते हुए स्थानीय समर्थकों के नाम का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि इससे जांच पटरी से उतर जाएगी । 
अरीब मजीद से यह पूछे जाने पर कि उसने कितने महीनों तक लड़ाई में हिस्सा लिया, मजीद ने कहा कि उसकी पूरी तरह अनदेखी की जाती थी और उससे शौचालय साफ करने या सुरक्षा बलों से लड़ रहे लड़ाकों के लिए पानी का इंतजाम करने को कहा जाता था। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके वरिष्ठ सुपरवाइजर के अनुरोध के बावजूद आईएसआईएस कैडरों ने उसे लड़ाई में हिस्सा नहीं लेने दिया। 
उसने बताया कि जंग में हिस्सा लेने का उसका इरादा उस वक्त कमजोर पड़ गया जब गोली लगने से जख्मी होने के बावजूद तीन दिनों तक उसका इलाज नहीं कराया गया और बाद में एक अस्पताल में ले जाया गया। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया, 'जब मैं काफी गिड़गिड़ाया तो मुझे अस्पताल ले जाया गया। मैं अपना इलाज खुद कर रहा था पर जख्म दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा था। शिविरों में उचित दवाएं और भोजन उपलब्ध नहीं था।'

Saturday, November 29, 2014

उपभोक्ता स्कूल फीस से लेकर बिजली, पानी के बिलों का भुगतान एक ही स्थान पर

जल्द ही एक ऐसा सिस्टम आने वाला है जिसकी मदद हर कोई किसी भी वक्त और किसी भी तरह का बिल पेमेंट कर सकेगा। अभी कुछ हद तक इस सुविधा का फायदा वही लोग उठा रहे हैं जो नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बहुत जल्द यह सुविधा सबके लिए होगी। 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस तरह के सिस्टम शुरू करने के लिए अंतिम दिशा-निर्देश शुक्रवार की देर शाम जारी कर दिए। इस सिस्टम को 'भारत बिल पेमेंट सिस्टम' (बीबीपीएस) का नाम दिया गया है। इसके जरिए उपभोक्ता स्कूल फीस से लेकर बिजली, पानी के बिलों का भुगतान एक ही स्थान पर कर सकेंगे। 

आरबीआई के गाइडलाइंस में कहा गया है, 'बीबीपीएस एक सिंगल बिल पेमेंट सिस्टम होगा। इस सिस्टम में एजेंटों, विभिन्न पेमेंट सिस्टम और पेमेंट संबंधी जानकारी प्राप्त होने का एक व्यापक नेटवर्क होगा, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा।' इस तरह का नेटवर्क स्थापित करने के लिए आरबीआई द्वारा प्रवर्तित नैशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को शीर्ष एजेंसी बनाया गया है। 
ध्यान रहे कि एनपीसीआई ने ही रुपे कार्ड जारी किया है। आरबाआई ने बीबीपीएस के तहत अथॉराइज्ड पेमेंट कलेक्शन एजेंट बनने के लिए 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और घरेलू रजिस्ट्रेशन को जरूरी शर्त रखी है। 
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने सबसे पहले पिछले साल दूसरी तिमाही मौद्रिक नीति में इस तरह की एकीकृत भुगतान प्रणाली स्थापित किए जाने की मंशा जाहिर की थी। इसके बाद इसके बारे में तौर-तरीके सुझाने के लिए एक समिति गठित की गई। समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 अगस्त को दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया गया था। 
ये दिशा-निर्देश रिजर्व बैंक द्वारा भुगतान बैंकों और लघु वित्तीय बैंकों के बारे में अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए जाने के एक दिन बाद ही जारी किए गए।

Wednesday, November 26, 2014

सुरक्षा में तैनात गार्ड्स जसोदाबेन से ही चाय-नाश्ते की मांग करते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी के हाल ही में आरटीआई दाखिल करने के बाद सियासत में तमाम तरह की बयानबाजी हो रही है लेकिन जसोदाबेन ने इसका जो कारण बताया है वह बेहद चौंकाने वाला है। जसोदाबेन ने बताया कि वह सुरक्षाकर्मियों के खाने और चाय आदि का खर्च वहन नहीं कर पा रही हैं। सुरक्षाकर्मी हर जगह उनके साथ जाते हैं लेकिन उन्हें इसके लिए बेहद कम भत्ता मिलता है। भत्ता कम मिलने के कारण सुरक्षा में तैनात गार्ड्स उनसे ही चाय-नाश्ते की मांग करते हैं। जसोदाबेन का कहना है कि इससे ही परेशान होकर उन्हें आरटीआई डालनी पड़ी ताकि वह प्रोटोकॉल की जानकारी ले सकें। 

सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला एक हफ्ते पहले तब ज्यादा बढ़ गया जब जसोदाबेन 13 दिनों के लिए मुंबई गईं। जसोदाबेन मुंबई के मीरा रोड अपार्टमेंट में ऊपरी मंजिल पर ठहरीं। जसोदाबेन के भाई अशोक मोदी ने सुरक्षाकर्मियों को अपना रहने-खाने का इंतजाम खुद करने के लिए कहा। ड्यूटी के मुताबिक सुरक्षाकर्मी जसोदाबेन को अकेला छोड़कर नहीं जा सकते थे, लिहाजा उन्होंने अपार्टमेंट के बेसमेंट में ही अपने रहने का इंतजाम किया। लेकिन उन्होंने मेजबान से ही चाय और खाने की मांग की। जसोदाबेन का कहना है कि वह इस स्थिति में नहीं है कि 9 सुरक्षाकर्मियों को खाना और चाय दे सके। आरटीआई डालने के पीछे एक कारण यह भी था कि सुरक्षाकर्मियों को कम भत्ता मिलने के मामले को प्रमुखता से उठाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों को इस तरह के मामले में खासी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है।
जसोदाबेन के घर ऊंझा में 12 घंटे ड्यूटी करने वाले सुरक्षाकर्मियों के पास बैठने या आराम करने की भी जगह नहीं है। उन्हें जसोदाबेन के घर के आंगन के बाहर ही थोड़ी सी जगह किराए पर लेनी पड़ी। इसके लिए सुरक्षाकर्मियों को केवल 400 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा जब वह ड्यूटी के दौरान ट्रैवल करते हैं तो उन्हें बाहर खाने-पीने के लिए 30 से 100 रुपए के बीच ही भत्ता मिलता है जोकि नाकाफी है।
जब जसोदाबेन मुंबई से अहमदाबाद लौंटीं तो उन्होंने अपने भतीजे संदीप मोदी से संपर्क किया। पेशे से वकील संदीप की मदद से ही जसोदाबेन ने आरटीआई आवेदन तैयार किया। संदीप का कहना है, 'जसोदाबेन डरी हुई थीं क्योंकि सुरक्षाकर्मियों के पास ड्यूटी ऑर्डर के पेपर भी नहीं थे। सुरक्षाकर्मी शिफ्ट में काम करते हैं, इससे जसोदाबेन को अपनी सुरक्षा की भी चिंता हो रही थी। इसलिए आरटीआई में उन सभी सवालों को शामिल किया गया। इस काम में मैंने उनकी मदद की।' 

Monday, November 24, 2014

300 जज लैपटॉप खरीदने में बरती गई अनियमितताओं को लेकर जांच की जद में

दिल्ली की निचली अदालतों के करीब 300 जज लैपटॉप खरीदने में बरती गई अनियमितताओं को लेकर जांच की जद में हैं।साल 2013 में दिल्ली सरकार और दिल्ली हाई कोर्ट ने लैपटॉप खरीदने के लिए फंड जारी किया था, मगर पाया गया कि कई जजों ने कंप्यूटर और लैपटॉप्स के बजाय टीवी और होम थिएटर खरीद लिए।
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी. रोहिणी ने हाई कोर्ट के 3 जजों का पैनल बनाया है, जो इन जजों द्वारा खर्च किए गए पैसे की जांच कर रहा है। पैनल जजों द्वारा लैपटॉप्स खरीदने के बाद जमा करवाए गए डॉक्युमेंट्स की जांच कर रहा है।
इस स्कीम के तहत जजों को कंप्यूटर व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर अपडेट करने के लिए 1 लाख 10 हजार रुपये तक की रकम खर्च करनी थी। इस स्कीम के पीछे विचार यह था कि जज अपनी सुविधा के हिसाब के कंप्यूटर, लैपटॉप्स या आईपैड ले सकें, ताकि केसों को निबटाने की रफ्तार बढ़ सके।
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जांच कर रहे पैनल ने न्यायिक अधिकारियों को मेमो जारी किए हैं और पूछा है कि आपने पैसे किस तरह से खर्च किए। एक सूत्र ने बतायाा, 'सभी जज शुरुआत में जांच की जद में थे, लेकिन अब करीब 300 जजों पर शक है कि उन्होंने अनियमितता बरती। पाया गया कि इनमें से कुछ ने टीवी या होम थिएटर सिस्टम खरीद लिए।'
यह मामला तब सामने आया जब रुटीन विजिलेंस इन्क्वायरी की गई। चीफ जस्टिस और अन्य सीनियर जजों को सबूत दिखाए गए, तब जाकर हरकत में आते हुए चीफ जस्टिस जी. रोहिणी ने जांच के लिए 3 सीनियर जजों का एक पैनल बनाया।
सूत्रों के मुताबिज जांच पैनल की तरफ से जारी मेमो का जवाब देते हुए कई जजों ने बताया है कि उन्होंने क्या खरीदा है। इसके लिए कुछ ने अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स की डीटेल्स भी अटैच की हैं, ताकि दिखाया जा सके कि जितने का बिल है उतनी ही पेमेंट भी हुई है। जांच पैनल वेंडर्स की जानकारी भी चेक कर रहा है

Friday, November 21, 2014

भारत सरकार के पास ब्लैक मनी से संबंधित एक फीसदी भी जानकारी नहीं

एक ओर पूरा देश विदेशों में जमा ब्लैक मनी की वापसी के लिए केंद्र सरकार की ओर टकटकी लगा कर देख रहा है, तो दूसरी ओर इस मामले से जुड़े एक महत्वपूर्ण शख्स का दावा है कि भारत सरकार के पास ब्लैक मनी से संबंधित एक फीसदी भी जानकारी नहीं है।
यह दावा करनेवाला शख्स कोई और नहीं बल्कि छह साल पहले जिनीवा स्थित एचएसबीसी बैंक के हजारों गुप्त खातों का खुलासा करने वाले बैंक के पूर्व कर्मचारी एर्वे फलचैनी हैं, जो अभी फ्रांस में रह रहे हैं।
एनडीटीवी से बातचीत में एचएसबीसी बैंक के पूर्व कर्मचारी एर्वे ने कहा, 'भारत के पास असली आंकड़ों से जुड़ी एक फीसदी से भी कम सूचना है। मैं दूसरे देशों को मदद कर रहा हूं और मैं भारत की मदद करने के लिए भी उत्सुक हूं।'
साल 2011 में फ्रांस ने एचएसबीसी में खातों वाले भारतीयों के नामों की सूची भारत सरकार को दी थी। एर्वे के मुताबिक, यह असली आंकड़ों का बहुत छोटा हिस्सा भर है। भारत को 200 जीबी के डेटा में महज 2 एमबी डेटा दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, 'अगर कल जाकर भारत हमसे इसकी मांग करेगा तो हम इसका प्रस्ताव भेजेंगे।'
एर्वे एचएसबीसी की जिनीवा शाखा में सिस्टम इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। बाद में बैंक को पता चला कि उन्होंने स्विटजरलैंड के बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़ा सुरक्षा सेंध लगाते हुए 1,27,000 बैंक खातों की जानकारी चुरा ली थी। तब इन खातों में 180 अरब यूरो जमा थे।
उन्होंने साल 2008 में फ्रांस को यह डेटा देकर एचएसबीसी की सूची तैयार करने में मदद की। 42 साल के एर्वे पहले तो भागते रहे। हालांकि, पकड़ में आने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा। लेकिन अब वह वैसे कुछ देशों के खोजकर्ताओं की मदद कर रहे हैं जो बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से टैक्स से बचनेवालों और मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इन देशों में अमेरिका, फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम भी शामिल हैं।
वकीलों और विशेषज्ञों की टीम के साथ काम करनेवाले एर्वे का दावा है, 'खोजकर्ताओं के लिए हमारे पास हजार गुना ज्यादा सूचनाएं उपलब्ध हैं, जिनका उनके सामने खुलासे के लिए कई व्यावसायिक प्रक्रियाएं हैं।' उनका कहना है, 'यह भारतीय प्रशासन पर है कि वह हमसे संपर्क करे।'
विशेषज्ञ कहते हैं कि एर्वे के पास एचएसबीसी से जुड़े आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण हैं, लेकिन स्विटजरलैंड हमेशा से कहता रहा है कि उसके कानूनों में चोरी किए गए आंकड़ों की कोई जगह नहीं है।

Tuesday, November 18, 2014

पीड़ित कोई औरत नहीं बल्कि मर्द

दिल्ली सरकार के विमिन हेल्पलाइन नंबर-181 पर ऐसी भी कॉल्स आती हैं, जिनमें पीड़ित कोई औरत नहीं बल्कि मर्द होते हैं। फोन करने वाले ऐसे ज्यादातर मेल कॉलर चाहते हैं कि महिलाओं की तरह मेल हेल्पलाइन भी होनी चाहिए, क्योंकि अत्याचार केवल महिलाओं पर ही नहीं, पुरुषों पर भी हो रहे हैं। 
अगर कुछ मामलों में महिलाएं अपने पति से छुटकारा पाना चाहती हैं, तो ऐसे मामले भी हैं जिनमें पति अपनी बीवी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। मगर उनकी समझ में नहीं आता कि वे क्या करें और कहां जाएं? महिलाओं और अपनी पत्नियों से पीड़ित होने की पुरुषों की इस तरह की लगभग तीन कॉल हर रोज इस हेल्पलाइन नंबर पर आ रही हैं। 

प्रगति मैदान में चल रहे इंडिया इंटरनैशनल ट्रेड फेयर (आईआईटीएफ) में दिल्ली स्टेट पविलियन में इस हेल्पलाइन का भी एक काउंटर लगाया गया है। यहां आने वाली महिलाओं को बताया जा रहा है कि अगर वह किसी समस्या में हों, तो कैसे इस हेल्पलाइन की मदद ले सकती हैं। 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली गैंग रेप कांड के बाद उसी साल 31 दिसंबर को शुरू की गई इस हेल्पलाइन में 11 नवंबर तक करीब 6.5 लाख कॉल्स आ चुकी हैं। आने वाली कॉल्स में करीब 2100 कॉल्स पुरुषों ने भी की हैं। 
जिनमें पुरुषों ने विमिन हेल्पलाइन पर फोन करके आपबीती बताई। पता लगा है कि इनमें से कुछ ने फोन करके कहा कि मैम! मेरी पत्नी मुझे तरह-तरह से प्रताड़ित करती है, परेशान करती है। यहां तक कि कई बार उसने मेरे ऊपर हाथ भी उठा दिया है। उसने मेरा जीना हराम कर रखा है। तुम बताओ मैं क्या करूं? 
कई बार मेल कॉलर यह भी जानना चाहते हैं कि शादी के वक्त उन्होंने कोई दहेज नहीं लिया, मगर अब उसकी पत्नी और ससुराल वाले उसे अपने मां-बाप से अलग होने के लिए कहते हैं। अलग न होने पर वह दहेज मांगने के आरोप में फंसाने की धमकी देते हैं। कुछ कॉल्स ऐसी भी आई हैं जिसमें कॉलर ने फोन करके यह भी कहा है कि कोई लड़की उसे बार-बार फोन करके परेशान कर रही है, वह उससे कैसे छुटकारा पाए? 
ऐसे मामलों में विमिन हेल्पलाइन से उन्हें 100 नंबर पर कॉल करके हेल्प लेने के लिए ही कहा जाता है। हेल्पलाइन के शुरू होने से अब तक करीब 6.5 लाख कॉल्स आ चुकी हैं। इस पर फोन करने वाली ज्यादातर महिलाओं ने डोमेस्टिक वॉयलेंस की शिकायत की। इसके अलावा किसी अनजान शख्स द्वारा फोन कर परेशान करने, गाली देने की शिकायतें आईं।

Monday, November 17, 2014

गुजरात में मुठभेड़ में मौतों के 22 मामलों में प्रदेश सरकार का हाथ होने का कोई सबूत नहीं

सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई रिटायर्ड जस्टिस रिटायर्ड एच एस बेदी की अध्यक्षता वाली एक कमिटी को गुजरात में मुठभेड़ में मौतों के 22 मामलों में प्रदेश सरकार का हाथ होने का कोई सबूत नहीं मिला है। यह कमिटी इस नतीजे के साथ अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है कि इस बात का कोई पैटर्न सामने नहीं आया है, जिससे कहा जा सके कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आतंकवादी मानकर टारगेट किया गया।
इस कमिटी की जांच से वाकिफ एक शीर्ष कानूनी सूत्र ने बताया कि हालांकि मुठभेड़ के कम-से-कम तीन मामलों में पुलिस ऑफिसरों की गलत हरकतों के सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि ये मुठभेड़ें फर्जी लग रही हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में अपने रिटायर्ड जज जस्टिस एच एस बेदी को एक मॉनिटरिंग अथॉरिटी का चेयरमैन बनाया था। इस अथॉरिटी को गुजरात में साल 2002 से लेकर 2006 के बीच मुठभेड़ों में हुई सभी मौतों के मामलों की जांच का जिम्मा दिया गया था। सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ये मुठभेड़ें फर्जी थीं। 
जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस रंजना देसाई की बेंच ने वरिष्ठ पत्रकार बी जी वर्गीज और गीतकार जावेद अख्तर की दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अथॉरिटी बनाने का निर्देश दिया था। इन याचिकाओं में स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई से मामलों की जांच कराने की मांग की गई थी। 
मामले की जानकारी देने वाले सूत्र ने बताया, 'ऐसा कोई पैटर्न नहीं दिखा है कि मुसलमानों को जानबूझकर टारगेट किया गया। हिंदुओं और सिखों की मौतों के भी मामले हैं। ये मामले उन लोगों के हैं, जो केरल, गढ़वाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए थे। गुजरात के एक सिख की भी मौत हुई थी।' उन्होंने कहा, 'हमने पाया है कि इनमें से लगभग सभी मामलों में जो लोग मारे गए, उनके आपराधिक रिकॉर्ड थे।' 
जस्टिस बेदी से इस बारे में संपर्क नहीं हो सका, लेकिन मॉनिटरिंग अथॉरिटी के एक सूत्र ने बताया कि फाइनल रिपोर्ट तीन-चार महीनों में सौंप दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साल 2012 में 'किसी ऐसे शख्स की निगरानी में जांच होने पर जोर दिया था, जिसकी ईमानदारी पर कोई शक न हो।' बेंच ने कहा था, 'जस्टिस बेदी कथित फर्जी मुठभेड़ के मामलों की जांच के लिए बिल्कुल उपयुक्त व्यक्ति हैं।' 
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने निर्देश दिया था कि मॉनिटरिंग अथॉरिटी तीन महीने के भीतर उसके सामने एक प्रारंभिक पोर्ट पेश करे। कोर्ट ने तब गुजरात सरकार के इन आरोपों को खारिज कर दिया था कि उसे मानव अधिकार उल्लंघन के मामलों में 'जानबूझकर' निशाना बनाया जा रहा है। 
अथॉरिटी का चेयरमैन बनने के बाद जस्टिस बेदी ने सील्ड कवर में कई स्टेटस रिपोर्ट्स सुप्रीम कोर्ट को सौंपी हैं। इनमें से कुछ रिपोर्ट्स को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ताओं को भी दिया गया है। 
अधिकारी ने बताया कि कुछ मामलों में पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये से लेकर 14 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया गया है। एक मामले में एक मुसलमान महिला ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया और उन्होंने मामले में न्याय किए जाने की गुहार लगाई। 

Saturday, November 15, 2014

विदेशों में जमा काले धन की वापसी सरकार की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विदेशों में जमा काले धन की वापसी उनकी सरकार की प्राथमिकता है और इसे हासिल करने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत है। जी 20 शिखर सम्मेलन से पहले उभरती अर्थव्यवस्था वाले पांच देशों के समूह 'ब्रिक्स' ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं से अनौपचारिक मुलाकात के दौरान काले धन के मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री ने विदेशों में जमा काले धन की पाई-पाई वापस लाने के अपने वायदे के मद्देनजर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर यह बात कही। 
मोदी ने ब्रिक्स नेताओं की बैठक में विदेशों में जमा काले धन के मुद्दे पर बेहतर समन्वय का आह्वान करते हुए कहा कि इसका संबंध सुरक्षा चुनौतियों से भी जुड़ा है। भारत काले धन की वापसी के लिए प्रयासरत है और प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए विदेशों में जमा काले धन की वापसी के लिए बेहतर तालमेल एक प्रमुख मुद्दा है। 

जी 20 शिखर सम्मेलन के मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को टैक्स चोरी पर कानूनी कार्रवाई को लेकर बहुत ही कड़ा रुख अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई थी। भारत भी इस संबंध में कर चोरी करने वालों के पनाहगाह बने देशों टैक्स हैवेन के खिलाफ 20 प्रमुख देशों के समूह और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर से कड़ी कार्रवाई चाहता है। 
मोदी ने कहा, 'मेरे लिए प्रमुख मुद्दा काले धन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करना है।' उम्मीद है कि काले धन की वापसी के लिए टैक्स चोरी के पनाहगाह बने देशों पर दबाव डालने और उनसे भारत की मदद के लिए अधिक जानकारियों का खुलासा करने के लिए भी प्रधानमंत्री की ओर से जी 20 शिखर सम्मेलन में अपील की जाएगी। 
मोदी के अलावा चीनी प्रधानमंत्री शी चिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ उन अन्य नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने इस अनौपचारिक बातचीत में हिस्सा लिया।

Wednesday, November 12, 2014

अगर कोई मंत्री चाहे तो किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी नियुक्त कर सकता है

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई मंत्री चाहे तो किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी नियुक्त कर सकता है। कोर्ट ने साथ ही एनडीए सरकार के मंत्रियों द्वारा सेक्रटरीज की नियुक्ति से जुड़े सरकार के मेमोरैंडम को चुनौती देने वाली याचिका को जनहित याचिका मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को तय की है।
बेंच ने मंगलवार को कहा, 'कोई मंत्री किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी अपॉइंट कर सकता है। यह कोई ऐसा पद नहीं है जिसका विज्ञापन दिया जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि वह (मंत्री) किसी को भी सेक्रटरी न रखे।'
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई सार्वजनिक नुकसान नहीं हुआ, इसलिए इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता है। यह सर्विस का मामला है। पहली नजर में यह सर्विस मैटर है और इस तरह यह कैट के तहत कवर होता है। अगर किसी को परेशानी है, तो वह कैट का दरवाजा खटखटा सकता है।'
नरेंद्र मोदी सरकार ने 19 जून को एक मेमोरैंडम जारी किया कि पिछले 10 साल से किसी केंद्रीय मंत्री के निजी कर्मचारी के तौर पर जुड़े रहे किसी भी व्यक्ति को केंद्र सरकार का मंत्री नियुक्त न करें। बाद में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने सफाई दी कि यह ओएसडी और सेक्रटरीज पर लागू होगा न कि जूनियर कर्मचारियों पर।
जस्टिस बी. डी. अहमद और जस्टिस एस. मृदुल की बेंच ने एनजीओ वॉइस ऑफ ह्यूमन राइट्स ऐंड जस्टिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

मुंबई में महिलाएं सुरक्षित

न्यू यॉर्क के स्ट्रीट में घूमती महिला के वायरल विडियो ने महिलाओं की सुरक्षा पर नयी बहस खड़ी कर दी। ऐसे में मुंबई में दिन भर शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमती लड़की पर एक भी अभद्र टिप्पणी नहीं की गई।
न्यू यॉर्क वाले विडियो ने फिर से इस बहस को शुरू कर दिया कि भारत ही नहीं विश्व के दूसरे हिस्सों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। हालांकि उस विडियो को लेकर यह भी कहा गया कि विडियो के काफी हिस्से एडिट किये गये थे। इसके बाद भी उस विडियो ने महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे पर बहस फिर से शुरू जरूर कर दी।

इसके बाद इंटरनेट पर एक के बाद एक कई विडियो इंटरनेट पर वायरल होने लगे। उनमें से कुछ विडियो तो ऐसे थे जिसमें पुरुषों को छेड़खानी से पीड़ित दिखाया गया। यूट्यूब के चैनल इंडिट्यूब का नया विडियो अभी काफी लोकप्रिय है।
विडियो में दिखाया गया है कि टॉप और मिनी स्कर्ट में एक लड़की मुंबई के अलग-अलग इलाके लिहाजा, दादरी, बांद्रा, कुर्ला, मरीन ड्राइव, सीएसटी, फोर्ट मॉर्केट में सुबह से देर शाम तक घूमती है। इस दौरान कुछ लोगों ने युवती को पलट कर देखा और घूरा जरूर, लेकिन किसी ने भी किसी तरह की अभद्र टिप्पणी या अश्लील हरकत नहीं की।
विडियो में इस बात को दिखाने की कोशिश है कि मुंबई देश के दूसरे शहरों की तुलना में महिलाओं के लिए काफी सेफ है

Tuesday, November 11, 2014

कई देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों ने अनुरोध भेजे

पूर्व एशिया और जी-20 देशों के आगामी शिखर सम्मेलनों में दुनिया के पांच सबसे ताकतवर नेताओं- बराक ओबामा, व्लादिमीर पुतिन, शी चिनफिंग, शिंजो एबे और एंजेला मर्केल से कहीं ज्यादा महत्व छह महीने पहले भारत के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी को मिलता दिख रहा है। म्यांमार और ऑस्ट्रेलिया में इस सप्ताह होने वाले पूर्व एशिया, आसियान और जी-20 समिट में मोदी से द्विपक्षीय वार्ता के लिए कई देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों ने अनुरोध भेजे हैं। 
साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने बताया कि म्यामांर के ने पि टॉ और ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में होने वाले इन शिखर सम्मेलनों के दौरान कई नेताओं ने मोदी से मुलाकात करने की इच्छा जताई है और इसके लिए कई स्लॉट रिजर्व रखे गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'पूर्व एशिया सम्मेलन और जी-20 में कुछ नेता समान हैं और इस वजह से इन नेताओं के कार्यक्रमों के आधार पर मोदी की मीटिंग्स तय करने पर काम किया जा रहा है।' 
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'ये देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहते हैं और इन्हें मोदी सरकार के तहत व्यापार और निवेश बढ़ाने का मौका दिख रहा है।' 
मोदी इस दौरान ओबामा, एबे, डिल्मा रोसेफ (ब्राजील की राष्ट्रपति) से मिल सकते हैं और पुतिन दिसंबर में भारत आ रहे हैं। मोदी का जोर मर्केल और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से मिलने पर होगा क्योंकि इन नेताओं से अभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है। इसके अलावा मोदी फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, तुर्की, मैक्सिको, अर्जेंटीना और नाइजीरिया के नेताओं से ब्रिस्बेन में जी-20 समिट के दौरान मीटिंग कर सकते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और यूरोपियन यूनियन के नेताओं से भी उनकी मीटिंग हो सकती है। 
मंगलवार को म्यांमार पहुंचने पर मोदी वहां के राष्ट्रपति थेन सेन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह एक कैलेंडर ईयर में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की म्यांमार की दूसरी यात्रा होगी। इससे पहले मनमोहन सिंह मार्च में बिम्सटेक समिट में हिस्सा लेने के लिए वहां गए थे। म्यांमार के साथ भारत का 1,600 किलोमीटर से लंबा बॉर्डर लगता है। भारत वहां कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। मोदी अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान आंग सान सू की से भी मिलेंगे। 
मोदी 12 नवंबर को 12वें भारत-आसियान समिट के दौरान साउथ ईस्ट एशिया के नेताओं से भी मिल सकते हैं। वह इससे पहले वियतनाम के प्रधानमंत्री नुयेन से मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि मलेशिया और सिंगापुर के प्रधानमंत्री भी मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं। साथ ही, इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति जोको विदोदो से भी उनकी मीटिंग पर विचार किया जा रहा है।  पूर्व एशिया सम्मेलन के सदस्यों में सभी 10 आसियान देशों के अलावा अमेरिका, रूस, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

Sunday, November 9, 2014

होम्योपथी के पास ऑटिज़म का इलाज संभव

ऑटिज़म एक ऐसी बीमारी है, जिसका पीड़ित बच्चे के लिए अलोपथी में अब तक कोई प्रमाणित इलाज नहीं है। हालांकि, एक अध्ययन की मानें तो होम्योपथी के पास ऑटिज़म और ऐसे ही बच्चों के डिवेलपमेंट से जुड़ी अन्य बीमारियों का इलाज संभव है।
मुंबई के एक होम्योपैथ ने भारत और यूरोप के 500 बच्चों पर पिछले सात सालों में किए गए अध्ययन में बच्चों के विकास से जुड़े विकारों का इलाज होम्योपथी के जरिए करने की बात की है। इस अध्ययन को करने वाले मुंबई के होम्योपैथ, डॉ़ श्रीपद खेडेकर ने बताया कि हमने मुंबई और यूरोप के 3 से 15 साल तक के लगभग 500 बच्चों को इस अध्ययन में लिया, जो विकास से जुड़े विकारों से जूझ रहे थे। इनमें ऑटिज़म, बॉर्डरलाइन अटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी, टीबी स्क्लोरसिस जैसे विकास संबंधी डिसऑर्डर शामिल हैं। इस अध्ययन के परिणाम बहुत ही अच्छे आए हैं और जल्द ही हम अपनी इस स्टडी को इंटरनैशनल जर्नल में पब्लिश करने वाले हैं।

डॉ़ श्रीपद ने बताया कि हमने इन बच्चों को बायॉथेरपी पर रखा और इनके विकास को प्रभावित करने के लिए होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया। इन बच्चों का समय-समय पर फॉलोअप किया गया, साथ ही इनके पैरंट्स को भी काउंसलिंग दी गई। इस अध्ययन में हमने पाया कि इससे जुड़े 500 बच्चों में से 80% बच्चे लगभग पूरी तरह से ऐसे विकारों से उभर कर शारीरिक और मानसिक तौर पर एक सामान्य जिंदगी जीने लगे। इन बच्चों का इलाज होम्योपैथिक दवाओं से किया गया और हमने पाया कि इन दवाओं का बच्चों पर बेहतरीन असर हुआ।

Saturday, November 1, 2014

पेट्रोल 2 रुपये 41 पैसे सस्ता - डीजल के दाम में 2.25 रुपये की कमी

पेट्रोल, डीजल और सस्ता हो गया है। पेट्रोल 2 रुपये 41 पैसे सस्ता हुआ है, तो वहीं डी-रेग्युलेट होने के बाद डीजल के दाम में 2.25 रुपये की कमी आई है। नई कीमतें शुक्रवार आधी रात से लागू हो जाएंगी। सरकार ने दो हफ्ते पहले ही डीजल के दाम बाजार के हवाले किए थे। तब डीजल के दाम में 3.37 रुपये की कमी आई थी। इस कटौती से पेट्रोल के दाम 16 महीने में सबसे कम और डीजल का साल भर पहले के लेवल पर पहुंच गया है। इससे महंगाई और कम होने की संभावना है, क्योंकि दो हफ्ते से कम समय में डीजल करीब 11 पर्सेंट तक सस्ता हुआ है। 
अगस्त के बाद पेट्रोल के दाम में लगातार छठी बार कटौती हुई है, जबकि सब्सिडी खत्म किए जाने के बाद डीजल के दाम में पहली बार कमी हुई है। कैबिनेट ने 18 अक्टूबर को सरकारी ऑइल मार्केटिंग कंपनियों को डीजल का मार्केट रेट वसूलने की इजाजत दी थी। इसके साथ ही उसने इसमें प्रति लीटर 3.37 रुपये की कटौती की थी। पेट्रोल को यूपीए सरकार ने पिछले साल जून में डीरेग्युलेट किया था।
 

इंटरनैशनल मार्केट में क्रूड ऑयल काफी सस्ता हुआ है। इसलिए पेट्रोल, डीजल के दाम कम किए जा रहे हैं। ब्रेंट क्रूड का दाम दो हफ्ते पहले 82.60 डॉलर प्रति बैरल हो गया था, जो चार साल में सबसे कम था। इस साल जून में इसका दाम 115 डॉलर था। बुधवार को ब्रेंट क्रूड 87 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था। 

एटीएम का महीने में पांच बार

एटीएम का महीने में पांच से अधिक बार धन निकालने या किसी अन्य उद्देश्य से इस्तेमाल करने पर शनिवार से चार्ज लगेगा। एटीएम से पांच से अधिक लेनदेन के बाद हर बार 20 रुपये का चार्ज लगाया जाएगा। इसमें बैलेंस की जानकारी के लिए किया जाने वाला इस्तेमाल भी शामिल होगा। यह नियम देश के छह बड़े शहरों में लागू होगा। रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों के अनुसार यह शुल्क लागू किया जा रहा है। इन निर्देशों के अनुसार, जिन बैंकों में ग्राहक का बचत या चालू खाता है, उनके एटीएम से महीने में पांच बार ही फ्री ट्रांजैक्सशन किया जा सकेगा। 
छह महानगरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, कोलकाता, हैदराबाद व बेंगलुरु में एटीएम से पैसा निकालने या गैर वित्तीय लेनदेन मसलन मिनी स्टेटमेंट निकालने की सुविधा अब महीने में सिर्फ पांच बार मिलेगी। इसके बाद एटीएम के इस्तेमाल पर प्रत्येक बार 20 रुपये का शुल्क लगेगा। इसके अलावा जिन बैंकों में ग्राहक का खाता नहीं है, उनके एटीएम का फ्री इस्तेमाल महीने में सिर्फ तीन बार किया जा सकेगा। अभी तक यह सुविधा महीने मेंपांच बार मिलती थी।
 

रिजर्व बैंक ने इस साल अगस्त में जारी अधिसूचना में कहा था, 'एटीएम के ऊंचे औसत, बैंक शाखाओं व ग्राहकों के पास मौजूद भुगतान के वैकल्पिक स्रोतों के मद्देनजर अन्य बैंकों के एटीएम से मासिक नि:शुल्क लेनदेन की सीमा पांच से घटाकर तीन की जा रही है। इनमें वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों प्रकार का लेनदेन शामिल होगा।' हालांकि, रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि कोई भी बैंक अन्य बैंकों के एटीएम पर अपने खाताधारकों को तीन से अधिक नि:शुल्क लेनदेन की सुविधा दे सकता है।