Monday, June 28, 2010

संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए यह मांग की जा रही है।

जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को वापस लेने या उसे हल्का बनाने के किसी भी प्रयास का जोरदार विरोध करते हुए सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा है कि दरअसल संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए यह मांग की जा रही है। सिंह ने कहा है कि विषम परिस्थिति में काम रह रहे सैनिकों के अपना काम कुशलता से करने के लिए इस प्रकार की कानूनी सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा, इस कानून को हल्का बनाने या वापस लेने से हमारा संचालन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। सेना प्रमुख ने रक्षा पत्रिका 'फोर्सेज' के साथ साक्षात्कार में कहा, 'एएफएसपीए के बारे में गलतफहमी है और जो लोग उसे हल्का बनाने या वापस लेने की मांग कर रहे हैं, संभवत: वे संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं।' सेना प्रमुख से पूछा गया था कि क्या एएफएसपीए को वापस लेने से जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल की सुरक्षा और विश्वसनीयता गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगी? गौरतलब है कि एएफएसपीए में संशोधन की मांग जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला द्वारा नियमित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम समेत केंद्रीय नेताओं के सामने उठाई जाती रही है। पूर्वोत्तर राज्य भी सशस्त्र बलों द्वारा एएफएसपीए का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए इस कानून को हटाने की मांग करते रहे हैं। बताया जाता है कि केंद्र इस कानून को ज्यादा मानवीय बनाने पर विचार कर रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि हालांकि जम्मू कश्मीर में हिंसा के स्तर में कमी आई है,, लेकिन खतरा अभी भी एक सचाई है और सीमापार आतंकी ढांचे अब भी सक्रिय हैं।

Thursday, June 24, 2010

देसी मट्ठा, लस्सी, पेड़ा और गुलाबजामुन नाश्ते में दिया जाएगा

कानपुर में अब आप किसी सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस या मीटिंग में जाएंगे तो आपको वहां कोल्ड ड्रिंक्स, चाय कॉफी और चिप्स खाने को नही मिलेंगे बल्कि आपको देसी मट्ठा, लस्सी, पेड़ा और गुलाबजामुन नाश्ते में दिया जाएगा और वह भी सरकारी दुग्ध कंपनी का। जिला प्रशासन के इस आदेश पर अमल भी शुरू हो गया है और दूध निर्माता सरकारी कंपनी पराग द्वारा बनाए जा रहे यह सारे खाद्य पदार्थ प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीटिंग में अधिकारियों और पत्रकारों को दिए जाने लगे हैं। पत्रकार और अधिकारी भौचक्के और चकित है कि आखिर यह बदलाव क्यों और कैसे हुआ। इस बारे में कानपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड पराग के जनरल मैनेजर एस. पी. गुप्ता ने बातचीत में कहा कि जिले में विभिन्न सरकारी विभागों की रोजाना कम से कम 50 मीटिंग होती है जिसमें सैकड़ों की संख्या में अधिकारी और कर्मचारी शामिल होते हैं। इसी तरह शहर में रोजाना आधा दर्जन प्रेस कॉन्फ्रेंस होती हैं। अभी तक इन सभी मीटिंगों और प्रेस कॉन्फ्रेंसों में नाश्ते के नाम पर कोल्ड ड्रिंक, चाय, काफी, चिप्स, सैंडविच और कोई मिठाई दी जाती थी लेकिन अब सभी सरकारी मीटिंगों में नाश्ते और पेय पदार्थों का मेन्यू बदल दिया गया है। अब नाश्ते में पराग का पेड़ा, गुलाबजामुन तथा पेय पदार्थों में लस्सी, मट्ठा, मीठे फ्लेवर का दूध और दही दिया जा रहा है जो शुध्द, साफ सुथरा और सेहत के लिए फायदेमंद भी है। कानपुर के पूर्व जिलाधिकारी अमृत अभिजात ने सभी सरकारी कार्यालयों कों एक पत्र लिख कर निर्देशित किया है कि कानपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड कानपुर की स्थापना 1962 में यूनिसेफ और भारत सरकार के सहयोग से की गयी थी ताकि किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध का कारोबार करने वालों को उचित मूल्य मिल सकें और शहरी लोगों को ताजा और शुध्द दूध, दूध से बने अन्य सामान मिल सकें। जिलाधिकारी ने अपने पत्र में सभी सरकारी कार्यालयों को निर्देश दिए कि आप अपने विभाग की सभी मीटिंग में पराग के दूध से बने पदार्थ जैसे दही, छाछ, मठठा, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, पेड़ा और बेसन के लडडू आदि का इस्तेमाल करें। इससे एक तो सरकारी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ पराग को तो आर्थिक लाभ मिलेगा, साथ ही लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ खाने को मिलेंगे। शहर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अशोक मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी कार्यालय से सभी सरकारी कार्यालयों को ऐसा आदेश आया है।पराग के जीएम एस. पी. गुप्ता बताते हैं कि जिला प्रशासन के इस आदेश के बाद पराग की मट्ठे, लस्सी और नाश्ते की बिक्री में करीब दस गुना बढ़ोतरी हुई है। वह कहते हैं कि सुबह सुबह ही सरकारी कार्यालयों से फोन आने लगते हैं कि आज हमारी इतने बजे मीटिंग है, हमें इतने पैकेट मट्ठा और नाश्ता भिजवा दिया जाए और हम उसे सही समय पर ताजा ताजा भिजवा देते हैं।

Tuesday, June 22, 2010

अफजल गुरु की ओर से भेजी गई दया यचिका को खारिज कर दिया जाए।

गृह मंत्रालय ने संसद हमला मामले के अपराधी अफजल गुरु को फांसी देने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि अफजल गुरु की ओर से भेजी गई दया यचिका को खारिज कर दिया जाए। गौरतलब है कि अफजल गुरु को संसद हमला मामले में दोषी ठहराते हुए 18 दिसंबर 2002 को एक स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अक्तूबर 2003 को दिए फैसले में इस सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो 4 अगस्त 2005 को नामंजूर हो गई। सेशन जज ने तिहाड़ जेल में उसकी फांसी की तारीख (20 अक्तूबर 2006)भी तय कर दी थी। मगर, उसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी जहां से इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था।

Thursday, June 17, 2010

केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने एंडरसन की देश से निकल जाने में मदद की

भोपाल गैस कांड मामले में विपक्ष के प्रचार के जवाब के तौर पर तैयार किए गए कांग्रेस के एक आंतरिक दस्तावेज में कहा गया है कि 1984 में भोपाल में जहरीली गैस के रिसाव के बाद गुस्साई भीड़ यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वॉरेन एंडरसन की हत्या भी कर सकती थी। विपक्ष के इस प्रचार के जवाब में यह आंतरिक दस्तावेज तैयार किया गया है कि मध्य प्रदेश और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने एंडरसन की देश से निकल जाने में मदद की थी। कांग्रेस के एक पदाधिकारी की ओर से तैयार इस दस्तावेज में कहा गया कि दिसंबर 1984 में भोपाल में हुई त्रासदी में कई लोगों की जान जाने के बाद माहौल गरमाया हुआ और हिंसक था। इस तरह के माहौल में अगर एंडरसन भोपाल में ही रहता तो नाराज भीड़ उसकी हत्या कर सकती थी। कानून व्यवस्था से जुड़ी गंभीर समस्या भी खड़ी हो सकती थी। दस्तावेज के मुताबिक, इस तरह के गंभीर हालात में यह जरूरी था कि एंडरसन भोपाल से चले जाते। यह स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए बेहद जरूरी था। पार्टी का कहना है कि एंडरसन के खिलाफ प्राथमिकी धारा 304 ए के तहत दर्ज की गई। यह जमानती धारा थी और एंडरसन को सही तरीके से जमानत मिली थी।

Tuesday, June 15, 2010

विमान की लैंडिंग के दौरान उसके दो टायर फट गए।

मंगलवार सुबह दिल्ली में एक और भीषण विमान हादसा होते होते बच गया। इंडियन एयरलाइंस के एक विमान की लैंडिंग के दौरान उसके दो टायर फट गए। विमान में उस वक्त 102 यात्री सवार थे। सभी यात्री सुरक्षित बताए जाते हैं। उन्हें बाहर निकाला जा रहा है। हमारे सहयोगी समाचार चैनल टाइम्स नाउ ने खबर दी है कि मंगलवार को 11 बजे के आसपास इंडियन एयरलाइंस विमान आईसी - 133 की लैंडिग हो रही थी। उसी दौरान विमान के दो टायर फट गए। जैसे-तैसे विमान को सुरक्षित लैंड करा लिया गया। सभी यात्री सुरक्षित बताए जाते हैं। उन्हें विमान से बाहर निकाला जा रहा है। विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।

Wednesday, June 9, 2010

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट के जज आर. सी. सिन्हा और आलोक अराधे की डिविजन बेंच ने सागर की विनिता साहू की एक याचिका पर सोमवार को यह नोटिस जारी किया। इस याचिका में कहा गया था कि 2009-10 की यूपीएससी एग्जाम में याचिकाकर्ता की 134वीं रैंक आई थी और एग्जाम का कट ऑफ 131 पर गया था। विनिता का दावा था कि वह ओबीसी में आती है, पर उसे कास्ट सर्टिफिकेट का लाभ यह कहकर नहीं दिया गया कि वह ओबीसी में होने के बावजूद क्रीमी लेयर के दायरे में हैं। इस मामले में विनीता को जनरल कैंडिडेट की कैटिगरी में मानते हुए आईएएस की जगह आईपीएस अलॉट कर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि साल 2004 में सरकार द्वारा क्रीमी लेयर के बारे में जारी की गई नोटिफिकेशन में साफ था कि क्रीमी लेयर में वही परिवार माने जाएंगे, जिनकी सालाना इनकम लगातार 3 साल तक 4.50 लाख रुपये से ज्यादा रही हो, पर विनीता के पिता की इनकम सिर्फ एक साल ही साढे़ चार लाख रुपये हुई थी। याचिका में यह भी कहा गया कि इस मामले में विनिता ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट से कास्ट सर्टिफिकेट लेकर जब यूपीएससी के सामने पेश किया, तो उन्हें बताया गया कि अब इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उन्हें कास्ट सर्टिफिकेट का फायदा नहीं दिया जा सकता। अदालत ने इस याचिका के आधार पर यूपीएससी और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आईएएस की एक सीट खाली रखने के निर्देश दिए हैं।

Sunday, June 6, 2010

राजीव गांधी से उनकी शादी और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद के कठिन दौर का वर्णन

सोनिया गांधी पर लिखी गई लेखक जेवियर मोरो की किताब 'रेड साड़ी' का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। मोरो ने कांग्रेस नेता व वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। सिंघवी ने मोरो के आरोप को हास्यास्पद करार दिया है। वर्ष 2008 में मोरो की किताब स्पेनिश भाषा में छपी थी और अब यह भारत में छपने को तैयार है। लेकिन भारत में छपने से पहले ही किताब ने बवंडर ला दिया है। कांग्रेस के प्रमुख वकीलों ने मोरो की किताब को झूठ का पुलिंदा, बकवास और अपमानजनक टिप्पणियों से भरा हुआ बताया है और मोरो को कानूनी नोटिस थमाया है। मोरो ने आरोप लगाया है कि सिंघवी पब्लिशरों को धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी किताब तो बाजार में आई ही नहीं है, तो मुझे समझ में नहीं आता कि सिंघवी और अन्य लोगों के हाथ यह किस तरह लग गई। उन्होंने किताब का संस्करण अवैध तरीके से हासिल किया है। मैं उन पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी में हूं।
मोरो ने मैड्रिड से फोन पर बातचीत में कहा, 'मेरी किताब में गांधी परिवार की गौरवगाथा है। इसमें गांधी परिवार के आदर्शों का पक्ष लिया गया है। इन आदर्शों का मैं खुद भी पक्षधर हूं। सिंघवी पब्लिशर्स को डरा-धमका कर रहे हैं, पर इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस पार्टी ने मुझ पर पाबंदी लगा दी है। कांग्रेस पार्टी का भी इससे कुछ लेना-देना नहीं है।' मोरो ने कहा, 'लगता है कि कांग्रेस में भी किसी ने किताब नहीं पढ़ी है। वे बिना बिना संदर्भ के किताब के अंशों को उद्धृत कर रहे हैं और पाठों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं- पहले से ही इसे तोड़ मरोड़ करने का काम हो रहा है। सिंघवी भी ऐसा ही कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सोनिया गांधी इस प्रकार के लोगों से घिरी हैं जो दिखाना चाहते हैं कि वह दमदार वकील हो सकते हैं। इन सब कारणों से बिना मतलब विवाद पैदा हुआ है।' इधर सिंघवी ने कहा कि मोरो को उनकी अपमानजनक किताब के कारण छह महीने पहले ही कानूनी नोटिस थमाया जा चुका है। उन्होंने कहा, 'मोरो की टिप्पणी दुखद नहीं, तो हास्यास्पद जरूर है। लगता है कि वह कानून या वकालत का ककहरा तक नहीं समझते हैं।' सिंघवी ने कहा, 'मैं केवल कानूनी सलाहकार हूं। मैंने खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कानूनी नोटिस दिया है। या तो मोरो भोले-भाले हैं या अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं कि किताब कांग्रेस अध्यक्ष पर नहीं लिखी गई है और कानूनी नोटिस मैंने सोनिया गांधी की ओर से भेजा गया है। किताब न तो अंग्रेजी में आई है और न ही इसका कोई भारतीय संस्करण है। हमने तो केवल किताब की पांडुलिपि देखी है और हमारा सोर्स क्या है, मोरो को हम नहीं बताना चाहते।' सोनिया के काल्पनिक जीवनवृतांत का हवाला देकर मोरो ने किताब में कथित तौर पर सोनिया गांधी का मूल देश इटली बताया है। इसमें राजीव गांधी से उनकी शादी और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद के कठिन दौर का वर्णन है।

Thursday, June 3, 2010

अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था।

एयर इंडिया की दुबई-पुणे फ्लाइट पर सवार लोगों की जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ 2 मिनट का फासला रह गया। अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था। पर पायलट ने ऐन वक्त पर आकर फ्लाइट की कमान संभाल ली और विमान अरब सागर में गोता लगाने से बच गया। इस घटना की शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि अगर ऐन वक्त पर पायलट ने प्लेन को संभाला न होता तो यह अरब सागर में गिर जाता। जांच में यह चौंकानेवाली बात सामने आई है कि अगर पायलट ने 2 मिनट की देरी की होती, तो प्लेन को क्रैश होने से कोई नहीं बचा सकता था। गौरतलब है कि 26 मई को एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-212 दुबई से पुणे आ रही थी। उड़ान के दौरान पायलट विमान को 37 हजार फीट की ऊंचाई पर ऑटो पायलट करके वॉशरूम चला गया।
उसने को-पायलट को जहाज की निगरानी करने का आदेश दिया था। वॉशरूम से लौट कर आने के बाद पायलट ने कॉकपिट खोलने के लिए बटन दबाया, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। यह देखकर पायलट को लग गया कि जरूर कुछ गड़बड़ है। बाद में इमर्जेंसी कोड के जरिए उसने कॉकपिट का दरवाजा खोला लेकिन करीब 35 सेकंड का वक्त लगा। कॉकपिट के अंदर घुसते ही प्राइमरी फ्लाइट डिस्प्ले पर आ रहे इन्फर्मेशन को देखकर पायलट सन्न रह गया। उसने देखा कि एयरक्राफ्ट अपने नियत स्थिति से -23 डिग्री नीचे की दिशा में उड़ रहा है। इसके चलते इसकी स्पीड 0.88 माक हो गई। (1 माक यानी ध्वनि की गति जो करीब 1225 किमी प्रति घंटा है) यह ऐसी स्पीड है जिस पर आमतौर पर प्लेन नहीं उड़ते। साउंड की स्पीड लगभग 1 माक होती और यह विमान लगभग साउंड की स्पीड से चल रहा था। प्लेन की स्पीड इतनी तेज हो गई थी कि इसे संभालना काफी मुश्किल था। इतनी तेज स्पीड के चलते विमान में कई तरह की गड़बड़ियां आ जाती हैं और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पायलट को असाधारण स्किल दिखाना पड़ता है। मगर पायलट ने प्लेन को क्रैश होने से बचा लिया। इस घटना से एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों की ट्रेनिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस फ्लाइट के को-पायलट को लगभग 1000 घंटों का उड़ान का अनुभव था जो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त है। उधर, घटना के बाद डीजीसीए ने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि उड़ान के दौरान कॉकपिट में कोई पायलट अकले न रहे। यदि एक पायलट को कॉकपिट छोड़ना भी है तो फ्लाइट अटेंडेंट को उसकी सीट के पीछे स्थित ऑब्सर्वर सीट पर बैठना चाहिए।

संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में करीब 44 डीम्ड यूनिवर्सिटीज की मान्यता रद्द करने का आदेश

-डीम्ड यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा गड़बड़ी दूसरी जगहों पर अपने कैंपस या स्टडी सेंटर खोलने में करती हैं। इसके अलावा बिना इजाजत या मान्यता के नए डिपार्टमेंट भी खोले जाते हैं। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में करीब 44 डीम्ड यूनिवर्सिटीज की मान्यता रद्द करने का आदेश जनवरी में जारी किया था। बाद में इन यूनिवर्सिटीज के मैनेजमेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन संस्थानों को आगामी एकेडेमिक सेशन में दाखिले की इजाजत दे दी गई। गौरतलब है कि इन डीम्ड यूनिवर्सिटियों में दो लाख से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं। - संसद और विधानसभाओं के एक्ट द्वारा बनाई गई यूनिवर्सिटी ही दूसरे कॉलेज और इंस्टिट्यूट को कोर्स चलाने के लिए खुद से संबद्ध कर मान्यता दे सकती हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी को मेन कैंपस के अलावा दूसरे किसी कैंपस या संस्थान में कोर्स चलाने की इजाजत नहीं है। - यूजीसी ने अपनी जांच में पाया है कि कई डीम्ड यूनिवर्सिटी नए डिपार्टमेंट या इंस्टिट्यूट खोलने के लिए यूजीसी को ऐप्लिकेशन फाइल करते ही इस बारे में ऐड देना और एडमिशन लेना शुरू कर देती हैं। भले ही उनकी ऐप्लिकेशन यूजीसी या एचआरडी मिनिस्ट्री से अप्रूव हुई हो या नहीं। - इसी तरह यूजीसी का नियम है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी किसी कॉलेज को मान्यता नहीं दे सकती हैं। लेकिन कई कॉलेज किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त होने का दावा करते हैं। यूजीसी ने अपनी वेबसाइट पर राज्यवार हर प्रदेश में स्थित डीम्ड यूनिवर्सिटी का विस्तृत ब्यौरा दिया है। उसमें यूनिवर्सिटी का नाम चेक किया जा सकता है। - डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तमाम जगह स्टूडेंट सेंटर बनाए जा सकते हैं, लेकिन इन सेंटर्स का इस्तेमाल पढ़ाई करने या कोर्स चलाने के लिए नहीं बल्कि स्टूडेंट्स को कोर्स के सिलसिले में सलाह देने और उनकी मदद करने के लिए ही किया जा सकता है। - डीम्ड यूनिवर्सिटी की पहचान यह है कि इसके नाम के साथ 'डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी' जरूर लिखा होगा। ऐसी यूनिवर्सिटी अपने नाम के साथ नैशनल या इंडियन शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकतीं। यह हक सिर्फ सेंट्रल यूनिवर्सिटी को है।

धूम्रपान न करने वाला जीवनसाथी चाहते हैं।


धूम्रपान से होने वाले नुकसान को लेकर लोग न केवल काफी जागरूक हो रहे हैं बल्कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो धूम्रपान न करने वाला जीवनसाथी चाहते हैं। इस मामले में मुंबई के युवाओं ने दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस के मौके पर एक प्रतिष्ठित संस्था द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि मुंबई में 90.26 फीसदी और दिल्ली में 89 .76 फीसदी युवाओं ने कहा कि वे ऐसे जीवनसाथी का हाथ थामना पसंद करेंगे जो धूम्रपान न करता हो। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए 31 मई को हर साल नो टोबैको डे मनाने की घोषणा कई साल पहले से ही कर रखी है। दुनिया भर में प्रत्येक दस वयस्क लोगों की मौत में से एक मौत का कारण तंबाकू होता है। संभवत: यही कारण है कि शादी के बंधन में बंधने की योजना बना रहा युवा तबका अपने जीवनसाथी में तंबाकू का सेवन नहीं करने को भी एक अतिरिक्त योग्यता मानकर चल रहा है।
सर्वेक्षण संस्था ने यह सर्वे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे तथा कोलकाता में कराया जिसमें रोचक बात यह रही कि स्मोकिंग लाइफ पार्टनर को तरजीह देने के मामले में मुंबई के युवाओं ने 90.26 फीसदी के साथ दिल्ली के युवाओं को पीछे छोड़ दिया। बेंगलुरु में यह आंकड़ा 87.28 फीसदी, हैदराबाद में 87.41 फीसदी, चेन्नई में 88.75 फीसदी, पुणे में 89.68 फीसदी, कोलकाता में 70.58 फीसदी तथा अहमदाबाद में 91.29 फीसदी था।

Tuesday, June 1, 2010

दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके

देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। दिल्ली में एक उद्योग पर औसतन 2.7 लोगों को रोजगार मिलता है जबकि नैशनल लेवल पर यह औसत महज दो का है। यह जानकारी दिल्ली में असंगठित सर्विस क्षेत्र के बारे में तैयार की गई तीन साल पुरानी रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया ने सोमवार को जारी किया। यह रिपोर्ट जुलाई 2006 से जुलाई 2007 के बीच किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली के असंगठित क्षेत्र में 2.39 लाख उद्योग हैं। इनमें से 1.47 लाख घरों में और बाकी प्रतिष्ठान हैं। उन्होंने बताया कि इन उद्योगों में 6.44 लाख लोग काम करते हैं। दिल्ली में जहां हर उद्योग में औसतन रोजगार 2.7 है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत दो का है। यूपी में तो यह औसत 1.8 का है। इससे साफ है कि दिल्ली में रोजगार के ज्यादा मौके हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि असंगठित क्षेत्र के जो 2.39 लाख उद्योग हैं, उनमें से 30 हजार 255 होटल और रेस्तरां, 41 हजार से ज्यादा रीयल एस्टेट, 47 हजार से ज्यादा ट्रांसपोर्ट, लगभग 44 हजार कम्यूनिकेशन क्षेत्र में हैं। इसी तरह कर्मचारियों के मामले में सबसे ज्यादा कर्मचारी यानी लगभग 17.62 फीसदी होटल और रेस्तरां के कामकाज से जुड़े हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि दिल्ली में असंगठित सेवा क्षेत्र में कार्यरत उद्यमों से सकल मूल्य वृद्धि लगभग 6879 करोड़ रुपये होती है। दिल्ली में औसतन हर उद्योग की हर साल सकल मूल्य वृद्धि 2.87 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह बढ़ोतरी 1.48 लाख रुपये बनती है। इसी तरह उद्योगों में प्रति कर्मचारी सकल मूल्य वृद्धि दर दिल्ली में 1.07 लाख रुपये है जबकि नैशनल लेवल पर यह महज 73 हजार 38 रुपये है। इस लिहाज से दिल्ली का देश भर में चौथा स्थान है। दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में से महज 10 फीसदी पर मालिकाना हक महिलाओं का है।