Saturday, May 30, 2009

अमिताभ बच्चन ने ऑस्ट्रेलिया से डॉक्टरेट की मानद उपाधि लेने से इनकार कर दिया

सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने ऑस्ट्रेलिया से डॉक्टरेट की मानद उपाधि लेने से इनकार कर दिया है। उन्हें यह उपाधि ऑस्ट्रेलिया की क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी से मिलने वाली थी। अमिताभ ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर लगातार हो रहे हमलों से नाराज हैं। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न शहरों में भारतीय छात्रों के खिलाफ नस्लवादी हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन भी इस मामले में सख्त कदम उठाने के बदले मामले की लीपीपोती करता दिख रहा है। सरकार सिर्फ यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि ये हमले नस्लवादी नहीं है। इससे नाराज बिग बी ने ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी से डॉक्टर की उपाधि लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने अपने ब्लॉग (http://bigb.bigadda.com)पर लिखा है कि वह उस संस्थान के खिलाफ कोई असम्मान नहीं दिखाना चाहते, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में अपने देशवासियों पर हो ऐसे में उनकी अंतरात्मा यह स्वीकार नहीं करती कि उस देश के संस्थान से कोई उपाधि प्राप्त करें जहां उनके देशवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा हो। गौरतलब है कि क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी ने विश्व सिनेमा में अमिताभ के योगदान के मद्देनजर उन्हें डॉक्टर की मानद उपाधि देने का प्रस्ताव किया था, जिसे अमिताभ स्वीकार कर चुके थे। यह उपाधि उन्हें अगले महीने समारोहपूर्वक दी जानी थी।

Wednesday, May 27, 2009

पहले विस्तार में गुरुवार को कुल 59 मंत्रियों को शामिल किया जाएगा

मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में गुरुवार को कुल 59 मंत्रियों को शामिल किया जाएगा
। इन मंत्रियों के शपथ लेने के बाद मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 78 हो जाएगी, जिसमें 33 कैबिनेट मंत्री होंगे। गुरुवार को 14 कैबिनेट मंत्रियों, 7 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 38 राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगा। शिवराज पाटिल और हंसराज भारद्वाज जैसे दिग्गजों को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इससे पहले 22 मई को मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के मौके पर 19 कैबिनेट मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। इनमें से केवल छह के मंत्रालय घोषित किए गए हैं। प्रणव मुखर्जी को वित्त मंत्रालय, शरद पवार को कृषि, खाद्यान्न एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय, ए. के. एंटनी को रक्षा मंत्रालय, पी. चिदंबरम को गृह मंत्रालय, ममता बनर्जी को रेल मंत्रालय और एस. एम. कृष्णा को विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को जो सूची सौंपी है, वह इस प्रकार है - कैबिनेट मंत्री - वीरभद्र सिंह, विलासराव देशमुख, फारूक अब्दुल्ला, दयानिधि मारन, ए. राजा, मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी शैलजा, सुबोधकांत सहाय, एम. एस. गिल, जी. के. वासन, पवन कुमार बंसल, मुकुल वासनिक, कांतिलाल भूरिया और एम. के. अझागिरी।
स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्यमंत्री - प्रफुल्ल पटेल, पृथ्वीराज चव्हाण, श्रीप्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद, दिनाशा पटेल, जयराम रमेश और कृष्णा तीरथ। राज्यमंत्री- ई. अहमद, वी. नारायणसामी, श्रीकांत जेना, मुनापल्ली रामचन्द्रन, श्रीमती डी. पुरन्देश्वरी, श्रीमती पानाबाका लक्ष्मी, अजय माकन, के. एच. मुनिअप्पा, नमो नारायण मीणा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, ए. साई प्रताप, गुरुदास कामत, एम. एम. पल्लम राजू, महादेव खंडेला, हरीश रावत, प्रोफेसर के. वी. थामस, सौगत राय, दिनेश त्रिवेदी, शिशिर अधिकारी, सुलतान अहमद, मुकुल राय, मोहन जटुआ, एस. एस. पलानीमणिक्कम, डी. नेपोलियन, एस. जगतरक्षकन, एस. गांधीसेल्वन, प्रणीत कौर, सचिन पायलट, शशि थरूर, भरत सिंह सोलंकी, तुषार भाई चौधरी, अरुण यादव, प्रतीक प्रकाशबापू पाटिल, आर. पी. एन. सिंह, विंसेंट पाला, प्रदीप जैन और सुश्री अगाथा संगमा।

Monday, May 25, 2009

अफजल गुरु को फांसी देने के मामले में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।

नई यूपीए सरकार ने साफ कर दिया है कि संसद हमला मामले के अपराधी अफजल गुरु को फांसी देने के मामले में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी। मौत की सजा पाए अपराधियों के राष्ट्रपति से माफी की अपील के जितने भी मामले हैं उन सब पर क्रम से विचार होगा। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि मौत की सजा पाए 28 कैदियों के मामले हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने गृह सचिव से इन मामलों पर सूची में क्रमानुसार विचार करने को कहा है जिससे याचिकाओं को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का फैसला किया जा सके'। बकौल चिदंबरम, 'गृह सचिव पहला मामला देखेंगे। फिर हम सूची में क्रम से बाद के कैदियों के मामले देखेंगे। अधिकारी मुझे एक-एक करके हर मामले के बारे में जानकारी देंगे।' जब उनसे पूछा गया कि आखिर अफजल गुरु की दया याचिका पर कब विचार किया जाएगा तो चिदंबरम ने कहा, 'अफजल की याचिका सूची में 22वें नंबर पर है। यह कई बार कहा जा चुका है और मैं चाहता हूं कि आप ये दो नंबर याद रखें - 28 में से 22वां।

Saturday, May 23, 2009

प्रणव दा का तोहफा, टेक्स में दे सकते हैं छूट

प्रणव दा का तोहफा, टेक्स में दे सकते हैं छूट
यूपीए सरकार की दूसरी पारी में संभावित वित्त मंत्री के रूप में प्रणव मुखर्जी की प्राथमिकता आम आदमी को इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाने की होगी। प्रणव मुखर्जी ने बेशक शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, मगर इससे पहले उन्होंने गुरुवार को करीब 2.30 बजे नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय का दौरा किया। उन्होंने वित्त सचिव अशोक चावला और अन्य उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर बजट की तैयारी के बारे में बातचीत की। सूत्रों के अनुसार, उच्चाधिकारियों से बातचीत में प्रणव मुखर्जी ने इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाने की गुंजाइश और फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (एफबीटी) को खत्म करने की इंडस्ट्री की मांग पर खासा जोर दिया। प्रणव ने टैक्स, खासकर इनकम टैक्स के कलेक्शन, सीमा छूट बढ़ाने के बाद इसके कलेक्शन पर पड़ने वाले प्रभाव और महंगाई दर को देखते हुए कितनी सीमा छूट बढ़ाना तर्कसंगत होगा, इस बारे में बातचीत की। प्रणव ने उन्हें साफ तौर पर होम वर्क पूरा करने का संकेत दिया। जब वे वित्त मंत्री के रूप में आधिकारिक तौर पर मिलने आएंगे तो उनके सामने इस बाबत सभी ब्यौरे आंकड़े होने चाहिए, ताकि बाद में इस बारे में कोई भी फैसला करने में उनको आसानी हो।

प्रणव दा वित्त मंत्री

प्रणव दा वित्त मंत्री
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इनकम टैक्स छूट सीमा को लेकर इस वक्त दो ऑप्शन हैं। सीमा छूट को 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये या फिर दो लाख रुपये तक बढ़ाने की गुंजाइश है। अगर सीमा छूट 1.75 लाख रुपये तक बढ़ाया गया, तो सीधे तौर पर 5 हजार करोड़ रुपये का घाटा सरकार को सहना होगा। अगर इनकम टैक्स छूट सीमा 2 लाख रुपये कर दी जाती है तो सरकारी खजाने पर 10 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। साल 2008-09 में डाइरेक्ट टैक्स कलेक्शन, जिसमें इनकम टैक्स भी शामिल है, लक्ष्य से कम रहा है। लक्ष्य 3.45 लाख करोड़ रुपये का था, मगर कुल कलेक्शन 3.38 लाख करोड़ रुपये का रहा। साल 2009-10 में वित्तीय घाटा 3.35 लाख करोड़ रुपये होने की आशंका है। ऐसे में इसकी भरपाई के लिए सरकार को कुल टैक्स कलेक्शन में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। इधर राजस्व सचिव पी. वी. शिंदे का कहना है कि जो परिस्थितियां हैं, उसमें टैक्स कटौती को लेकर ज्यादा उदार रवैया नहीं रखा जा सकता है। आखिर देश को चलाने के लिए सरकारी खजाने में धन की आवश्यकता तो होगी।

Thursday, May 21, 2009

मनीष पांडे की धमाकेदार सेंचुरी की बदौलत

मनीष पांडे की धमाकेदार सेंचुरी की बदौलत रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने डेकन चार्जर्स को 12 रनों से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली। 23 मई को दूसरे सेमीफाइनल में चैलेंजर्स का मुकाबला चैन्नै सुपरकिंग्स से होगा। पहले सेमीफाइनल में 22 मई को डेयरडेविल्स चार्जर्स से भिड़ेंगे। मनीष पांडे को मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड दिया गया। बेंगलुरु ने अपने आखिरी लीग मैच में बेहतरीन बैटिंग का मुजाहिरा किया। हालांकि कालिस जल्दी ही आउट हो गए थे, लेकिन उनके साथ ओपनिंग करने आए मनीष पांडे के सिर पर तो जैसे धुन सवार थी। शुरुआत से ही उन्होंने रनों की झड़ी लगाए रखी और वह आखिर तक आउट नहीं हुए। दूसरे छोर पर विकेट गिरे, लेकिन मनीष पांडे अंत तक डटे रहे। पांडे ने 73 बॉल्स पर 114 रन की नॉट आउट पारी खेली। उन्होंने 10 चौके और 4 छक्के लगाए। आईपीएल 2 की यह महज दूसरी सेंचुरी है। मनीष पांडे पहले भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने आईपीएल में सेंचुरी लगाई है। मर्वे ने 23 रन का योगदान दिया। आखिरी ओवरों में सिर्फ 9 बॉल्स पर 19 रन ठोक कर विराट कोहली ने पांडे की बेहतरीन पारी को सलामी दी।

Monday, May 18, 2009

चौधरी चरण सिंह की औलाद यही करेगी

Rashtriya Lok Dal (RLD) may put off its alliance with the Bharatiya Janata Party (BJP) in UP to join hands with the Congress-led United Progressive Alliance (UPA). Party insiders said that RLD boss Ajit Singh Singh was already in touch with Ahmad Patel, the political advisor of Congress chief Sonia Gandhi. Party sources that some senior leaders of Congress have also approached the RLD chief seeking his support for the UPA, even as it has kept its past allies like the Samajwadi Party at a distance. While Ajit Singh was not available for comment, senior party functionaries confirmed that the party was in touch with the Congress. ‘‘We cannot say anything at this moment,’’ RLD state general secretary Munna Singh Chauhan said while talking to TOI. Chauhan said that the party had indeed been approached by the Congress. ‘‘But we have yet to decide on our future course of action,’’ he said. RLD was already ruing its alliance with the BJP after it suffered a major setback when Anuradha Choudhary and Munshi Ram Pal lost the elections from the Muslim-dominated seats Muzzafarnagar and Nagina. Party sources said that these two defeats were seen as significant despite the fact that the party improved its performance from three seats in 2004 to five this time. A senior RLD leader said that the increased tally in the general elections has come as a morale-booster for the party. ‘‘The performance cannot be dumped anyway,’’ a senior party leader said, in an apparent hint that the RLD may seriously think of joining the UPA. A senior party leader said that their alliance with BJP proved beneficial to the latter as BJP’s national president went on to win the Ghaziabad seat with a majority of Jat voters supporting Rajnath Singh. But RLD had to face setback as Muslim voters drifted away from Choudhary, resulting in her loss. Party workers said that she was quite confident of her win. She had won the Kairana seat in the 2004 general elections by over 3 lakh votes. This time however, she opted for Muzzafarnagar, apparently thinking of further increasing the winning tally for the RLD. A known opportunist, Ajit Singh, had entered into alliance with the Congress in 1999 general elections against the Bhartiya Janata Party (BJP)-led NDA and fought 2004 polls in partnership

Tuesday, May 12, 2009

सरकारी तंत्र का फंक्शन, उसके फंक्शनरी और फंड। अभी तक इन तीनों पर सिर्फ नेताओं और सरकारी कर्मचारियों का ही कब्जा रहा

दुनिया के लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों में अब यह महसूस किया जाने लगा है कि सिर्फ वोट देकर सरकार चुनने की व्यवस्था से प्रशासन में जनता की पूरी भागीदारी नहीं होती। इसलिए अनेक देशों में अब पार्टिसिपेटरी गवर्नंस को बढ़ावा देने वाले मॉडल विकसित किए जा रहे हैं। इनके बहुत ही उत्साहवर्द्धक नतीजे सामने आ रहे हैं। अमेरिका में हर मुहल्ले की अपनी स्थानीय असेंबली होती है। वहां एक फुटपाथ भी बनना हो तो म्युनिसिपैलिटी हरेक बाशिंदे से उसकी राय पूछती है। स्थानीय नागरिक निश्चित तारीख को टाउन हॉल में उपस्थित होते हैं और ऐसी योजनाओं पर अपना फैसला सुनाते हैं। आपने वॉलमार्ट का नाम सुना होगा। इस प्रसिद्ध रिटेल चेन को ओरेगांव में अपना स्टोर खोलना था। इस पर ओरेगांव के नागरिक टाउन हॉल में इकट्ठा हुए। विचार-विमर्श के दौरान उन्होंने पाया कि इससे इलाके की छोटी-छोटी दुकानें बंद हो जाएंगी, जिन्हें ममियां और पापा अपने खाली समय में चलाते हैं। इससे बेरोजगारी फैलेगी। नागरिकों के फैसले के बाद वॉलमार्ट को वहां स्टोर खोलने से मना कर दिया गया। क्या अपने यहां सेज या शॉपिंग मॉल के लिए जमीन मुहैया कराते समय प्रशासन, स्थानीय जमीन अधिग्रहण करने के अलावा जनता से किसी भी तरह की कोई बात करता है? इसी तरह ब्राजील का एक शहर है पोर्तो अलेग्रे। इस शहर में 1989 से स्थानीय बजट बनाते समय वहां के नागरिकों को भी सहभागी बनाया जा रहा है। पंद्रह लाख की आबादी वाले इस शहर में हर साल लगभग 20 करोड़ डॉलर की रकम जनता अपनी इच्छा से खर्च करती है, जिसका प्रावधान मुख्य बजट में अलग से किया जाता है। शहर के विभिन्न इलाकों, आय वर्गों, पेशों और आयु वर्गों के प्रतिनिधि मिल कर यह तय करते हैं कि इस बार शहर के किस हिस्से में किस चीज का विकास किया जाना चाहिए। सर्वेक्षणों में इस शहर के लोगों की क्वॉलिटी ऑफ लाइफ सबसे उम्दा पाई गई है। इस पाटिर्सिपेटरी बजटिंग का नतीजा यह भी हुआ है कि वहां शत प्रतिशत टैक्स कलेक्शन होता है और शत प्रतिशत वोटिंग होती है। स्विटजरलैंड में तो संवैधानिक व्यवस्था ही ऐसी है कि पचास हजार मतदाता मिल कर अपने हस्ताक्षर द्वारा वहां की सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को चुनौती दे सकते हैं और उस पर राष्ट्रीय स्तर पर जनमत संग्रह करा सकते हैं। क्या भारत में आबादी का कितना भी बड़ा हिस्सा किसी कानून को बदलवाने के लिए कोई प्रक्रिया शुरू कर सकता है? भारतीय शासन व्यवस्था में तीन ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर वोटर या जनता का कोई वश नहीं चलता और जिनमें दखल देने की जरूरत स्पष्ट रूप से महसूस की जाती है। ये तीनों हैं - सरकारी तंत्र का फंक्शन, उसके फंक्शनरी और फंड। अभी तक इन तीनों पर सिर्फ नेताओं और सरकारी कर्मचारियों का ही कब्जा रहा है। लेकिन अब देश में सहभागी और स्वराज जैसे कुछ अभियान चलाए जा रहे हैं जो कहते हैं कि इन तीनों में यथासंभव जनता को भी भागीदार बनाया जाए। यह काम कैसे किया जाएगा- इसके लिए कई मॉडल हो सकते हैं। हमारे और आपके मॉडल अलग-अलग भी हो सकते हैं, लेकिन सहभागिता जरूरी है। मान लीजिए कि आपके इलाके के स्कूल का कोई शिक्षक (फंक्शनरी) बहुत गैरहाजिर रहता है, तो इलाके के लोग क्या उसकी तनख्वाह रोक सकते हैं? यदि इलाके का थानेदार भ्रष्ट है, तो क्या स्थानीय नागरिक उसका तबादला करवा सकते हैं? आपके क्षेत्र में पानी की सप्लाई (फंक्शन) ठीक नहीं है, तो क्या आप सप्लाई लाने वाले पाइप की मोटाई बढ़वा सकते हैं? या पानी की बड़ी टंकी बनवा सकते हैं? क्या शराब की दुकान का लाइसेंस क्षेत्र के लोगों से पूछने के बाद जारी किया जाता है? या मोहल्ले की सड़क की मरम्मत पर किए जाने वाले फंड का फैसला और उसके खर्च की जांच स्थानीय लोगों से कराई जाती है? यदि ऐसा नहीं होता तो यह सच्चा लोकतंत्र नहीं है। लोकतंत्र का मतलब सिर्फ म्यूनिसिपल/ पंचायत, विधानसभा या लोकसभा के चुनाव में वोट देना भर नहीं हो सकता। बीते छह दशकों का अनुभव यही बताता है कि वोट देने के बाद सिविक गवर्नंस या विकास की योजनाओं में आम नागरिकों की कोई भी भूमिका नहीं रह जाती। हमारे ही क्षेत्र के प्रशासन और विकास के मामले में हम कुछ भी नहीं, पर सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी सारे अधिकार रखता है, यहां तक कि हमारी आवाज या शिकायत सुनना- न सुनना या उसे मानना- नहीं मानना भी उसके अपने विवेक पर निर्भर करता है। वोट डालते ही हमारे हाथ से सारी सत्ता निकल कर चंद दूसरे लोगों के हाथों में पहुंच जाती है, जिसका प्रयोग वे अपनी इच्छा से या निरंकुश तरीके से करने को स्वतंत्र होते हैं। यह सच्चा लोकतंत्र नहीं है। इससे नागरिकों को वास्तविक अधिकार नहीं मिल पाए हैं। सहभागी नागरिकों के सशक्तीकरण के लिए चलाया जाने वाला अभियान है। इस आम चुनाव के दौरान भी यह बात खूब जोर-शोर से उठी है कि उन्हीं प्रत्याशियों या पार्टियों को वोट दें जो अपने कार्यकाल में जन सहभागिता को मजबूत बनाने का वादा करें। यदि अपने देश में डेमोक्रेसी को सचमुच सफल बनाना है, तो नागरिकों को निर्णय और विकास की योजनाओं में सहभागी बनाना होगा। कुछ लोगों को यह अवधारणा अभी अपरिपक्व और भ्रामक लगती है। कुछ लोग पूछ भी रहे हैं कि स्थानीय लोगों की राय से शासन कैसे चल सकता है? मोहल्ले के आधे लोग कहेंगे कि पूरब वाली गली की मरम्मत करो, दूसरे आधे कहेंगे कि पश्चिम वाली गली की मरम्मत करो। इसके अलावा पार्षद या विधायक स्थानीय लोगों की बात सरकार तक पहुंचाने के लिए ही तो चुने जाते हैं, उन्हें प्रतिनिधि चुनने का क्या फायदा? इस तरह के प्रश्न इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हम पार्टिसिपेटरी गवर्नंस जैसे किसी सिस्टम के आदी नहीं हैं। लेकिन क्या इलाके के बुजुर्गों की कोई कमिटी बारी-बारी से थाने में बैठकर पुलिस के कामकाज और व्यवहार पर निगरानी रख सकती है? क्या स्कूली बच्चों की मांएं एक-एक दिन ड्यूटी बांध कर मिड डे मील की निगरानी कर सकती हैं? क्या ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि माताओं की इस कमिटी की सलाह गंभीरता से सुनी जाए और उनकी शिकायतों पर अनिवार्य रूप से कार्रवाई की जाए। क्षेत्र के विकास के लिए जारी फंड के बारे में क्या नागरिकों से पूछा जा सकता है कि पहले मंदिर में लाइट लगाई जाए या स्कूल की मरम्मत कराई जाए। पहले पार्क बने या अस्पताल? देश में ऐसे कुछ मॉडल बेहद सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।

Saturday, May 9, 2009

आज है मदर दिवस, क्या हम अपनी मां को कुछ दे सकते है ?

बच्चे के साथ ही एक मां का भी जन्म होता है। वह मां, जो अपनी पूरी जिंदगी बच्चे के लिए खुशियां और सहूलियतें जुटाने में लगा देती है। दुखद यह है कि बड़े होते ही हम और आप अपनी जिंदगी में इतने मसरूफ हो जाते हैं कि मां के बारे में सोचने की फुरसत ही नहीं मिलती, जबकि जिंदगी के इस मोड़ पर उसे हमारे प्यार और वक्त की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। आज मदर्स डे है। इसके बहाने आप अपनी मां के चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। हम आपको बताते हैं चंद ऐसे आइडिया, जिनके जरिये आप मां के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार कर सकते हैं : मेडिकल चेकअप : हमारे देश में महिलाएं परिवार का ख्याल रखने में अपनी सेहत को पूरी तरह नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसे में उन्हें कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। आज या अगले हफ्ते में किसी दिन आप मां को मेडिकल चेकअप के लिए नजदीक के किसी अच्छे अस्पताल में ले जाएं। फोर्टिस में डिपार्टमेंट ऑफ डायबीटीज एंड मेटाबॉलिज्म के हेड डॉ. अनूप मिश्रा के मुताबिक 45 साल और उससे बड़ी उम्र की महिलाओं को दिल की बीमारियों के अलावा डायबीटीज, ब्लड प्रेशर, जोड़ों में दिक्कत और मीनोपॉज से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में साल में एक बार फिजिकल चेकअप जरूर कराएं। इनमें ब्लड प्रेशर, शुगर, कॉलेस्ट्रॉल, ईसीजी, गायनी, बोन डेंसिटी, मेमोग्रफी और पेप स्मीयर टेस्ट कराए जाने चाहिए। घुमाने ले जाएं : स्कूलों में अब गर्मियों की छुट्टियां या तो हो गई हैं या होनेवाली हैं। आप हर साल बच्चों को घूमाने ले जाते हैं। इस बार पैरंट्स को भी ले जाएं। हिल स्टेशन या हरिद्वार, ऋषिकेश आदि तीर्थस्थान पर। आजकल चार धाम यात्रा भी चल रही है। दिल्ली में या दिल्ली के आसपास किसी हरी-भरी और शांत जगह भी घुमाने ले जा सकते हैं। सिर्फ घर की 'चौकीदारी' का जिम्मा सौंपने के बजाय उसकी जिंदगी में कुछ खुशियां भरें। कुछ वक्त भी निकालें : भागदौड़ भरी इस जिंदगी में किसी के पास वक्त नहीं है। बुजुर्ग पैरंट्स के लिए तो बिल्कुल नहीं! इससे वे खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। सीनियर सायकायट्रिस्ट डॉ. समीर मल्होत्रा कहते हैं कि इंसान के लिए पॉजिटिव संपर्क बेहद जरूरी है। मां तो बच्चों के लिए हमेशा करती है। बच्चे भी पैरंट्स को यह अहसास कराएं कि हम आपके लिए मौजूद हैं। बातचीत इसका अच्छा जरिया है। इससे हम अगली पीढ़ी में भी बड़ों का सम्मान और उनका ख्याल रखने के संस्कार रोप पाएंगे। तो फिर रोज कुछ देर मां के साथ तमाम अच्छे बुरे अनुभव और कुछ खट्टी-मीठी यादें शेयर करें। छुट्टी होने की वजह से आज दूसरे कामों का बहाना भी नहीं चलेगा। उनके दोस्तों-रिश्तेदारों को दें इज्जत : अगर उनके दोस्तों या जान-पहचान वालों को इज्जत न बख्शें तो बड़े-बुजुर्ग को बहुत बुरा लगता है। ऐसे लोग जब भी उनसे मिलने आएं तो बिना पूछे चाय-कॉफी आदि से उनका सत्कार करें। आज अपनी मां की सहेलियों को खाने पर बुलाएं। उनकी अच्छी तरह आवभगत करें। आपकी मां को बेहद गर्व और सुकून महसूस होगा। प्यारा-सा एक गिफ्ट : आमतौर पर बड़े-बुजुर्ग अपने ऊपर पैसा खर्च कराने से बचते हैं। सो, आज आप अपनी मां की जरूरत या पसंद की कोई भी चीज मसलन - ड्रेस, चश्मा, किताबें आदि गिफ्ट करें। उन्हें महसूस होगा कि कोई है, जो उनका ख्याल रखता है और यह बहुत अच्छा अहसास होगा।

चुनाव प्रक्रिया के अंतिम दौर में लोग तू और मैं चाहते हैं। दलों को स्थायी सरकार के लिए मिलकर काम करना होगा।

बीजेपी के अहम रणनीतिकार सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा है कि हमारी पार्टी कांग्रेस को राजनीतिक अछूत नहीं मानती है, सो राष्ट्रहित में जरूरी हुआ तो हम कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। कुलकर्णी को पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी का करीबी सहयोगी भी माना जाता है। एक चैनल पर उन्होंने कहा, हम आपस में बहुत तू-तू, मैं-मैं कर सकते हैं, लेकिन चुनाव प्रक्रिया के अंतिम दौर में लोग तू और मैं चाहते हैं। दलों को स्थायी सरकार के लिए मिलकर काम करना होगा। आखिरकार कारत पड़े नरम : चुनाव बाद कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने से साफ इनकार कर रहे सीपीएम महासचिव प्रकाश कारत ने शनिवार को कोलकाता में इस बारे में कहा कि पहले चुनाव हो जाने दीजिए, 16 मई के बाद सोचा जाएगा। बाद में एक टीवी चैनल पर उन्होंने कहा कि इस मसले पर थर्ड फ्रंट के सहयोगियों के साथ मिलकर फैसला किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में थर्ड फ्रंट का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। साथ ही हमारी नजर जेडी (यू) और एनसीपी पर है। जेडी (यू) के साथ हमारी बातचीत हो रही है। नीतीश की आलोचना क्यों की : कांग्रेस ने एम. वीरप्पा मोइली को पार्टी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। मोइली ने शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दिया था। पार्टी के महासचिव राहुल गांधी ने हाल ही में नीतीश की तारीफ की थी। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख का स्थान अब कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी को दिया गया है। मोइली ने कहा है कि मुझे 17 मई तक कर्नाटक में रहना है, इसलिए मैंने जनार्दन द्विवेदी को अपना प्रभार सौंप दिया है। द्विवेदी ने भी यही बात कही। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि अश्विनी कुमार को प्रवक्ता पद से हटाया गया है। चैनलों पर अश्विनी कुमार को हटाने जाने की चर्चा थी। पासवान ने रखी शर्त : जेडी (यू) की ओर कांग्रेस का झुकाव दिखने के बाद एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान ने शनिवार को कहा, 'मैं यूपीए के साथ रहूंगा। हमारी पार्टी का इस बार कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हुआ था, क्योंकि यह संभव नहीं था। अब चुनाव बाद गठबंधन होगा।' यह पूछे जाने पर चुनाव बाद गठबंधन कब होगा, इस पर पासवान ने कहा कि अगर सोनिया गांधी आमंत्रण देंगी तो इस पर बात करने का सवाल सामने आता है। एनडीए की ओर टीआरएस : थर्ड फ्रंट के घटक दल तेलंगाना राष्ट्र समिति ने एनडीए की ओर झुकाव दिखाया है। पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर राव लुधियाना में रविवार को होने जा रही एनडीए की रैली में शामिल होंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद कुमार ने पंजाब के मुख्यमंत्री बादल का बुलावा मंजूर होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनडीए में शामिल होने पर फैसला चुनाव बाद होगा। आंध्र प्रदेश में सीपीएम के सचिव के. नारायण ने कहा कि अगर राव उस रैली में रहेंगे, जहां आडवाणी हों तो वह हमारे गठबंधन में नहीं रह सकते हैं। आजम पर बरसे मुलायम : समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने शनिवार को आजम खान को पार्टी के खिलाफ काम करने के लिए निशाने पर लिया। आजम और एसपी नेता अमर सिंह के बीच खटपट इन दिनों चर्चा में है। अमर ने शुक्रवार को संकेतों में एक तरह से पार्टी छोड़ने की धमकी दे दी थी। रामपुर में एक चुनावी रैली में मुलायम ने आजम की ओर संकेत कर कहा कि हमने जिस पर विश्वास किया, उसने वक्त आने पर एसपी को सपोर्ट नहीं किया। अब भी समय है, सम्मान सहित वापस आइए। चुनाव प्रचार में लग जाइए।

Friday, May 1, 2009

वरूण गांधी की पैरोल अवधि बढी, रहेंगे जेल से बाहर

The Supreme Court on Friday extended the parole of BJP leader Varun Gandhi till May 14. Earlier, on the 16th of April, the Supreme Court had released Varun Gandhi on an interim parole after extracting promise of impeccable behaviour and not to give any speech against any community. Gandhi was booked under the National Security Act (NSA) for an alleged hate speech delivered in his parliamentary constituency of Pilibhit in Uttar Pradesh last month. Earlier, a lawyer representing Gandhi revealed that his client has given an undertaking to the apex court that he will not make any more hate speeches, raising prospects of his early release on bail from the Etah District Jail where he had been lodged under the NSA Act. Varun had moved the apex court seeking relief to allow him to contest the Lok Sabha elections from Pilibhit

आयोग ने अनुज धर नाम के व्यक्ति ने आरटीआई ऐप्लिकेशन पर यह निर्देश दिया।

केंद्रीय सूचना आयोग ने विदेश मंत्रालय से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मौजूद कथित जासूसों के नाम बताने को कहा है। आयोग ने अनुज धर नाम के व्यक्ति ने आरटीआई ऐप्लिकेशन पर यह निर्देश दिया। अनुज ने युद्ध के दौरान अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए के एक एजंट द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी 'लीक' करने के बाबत जानकारी मांगी थी। 1971 में खबरें आई थीं कि एक सीनियर मंत्री ने कैबिनेट मीटिंग से जुड़ी अहम जानकारी सीआईए को लीक कर दी थीं। इसके बाद हंगामा मच गया था। अनुज ने अपनी किताब में इस मामले की विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने उन लोगों के नाम और अन्य जानकारियां मांगी हैं, जो सीआईए के संपर्क में थे और जिन्होंने कांग्रेस वर्किन्ग कमिटी की कार्यवाही से जुड़ी जानकारियां लीक की थीं। विदेश मंत्रालय पहले इस संदर्भ में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर चुका है। मंत्रालय का कहना था कि यह मांग विदेशी सरकारों, अखबारों और किताबों की रिपोर्ट्स पर आधारित है। चूंकि ये रिपोर्ट्स विश्वसनीय नहीं होतीं इसलिए भारत सरकार उन पर ध्यान नहीं देती। मंत्रालय का यह भी कहना था कि प्रशासन 20 साल से ज्यादा पुरानी घटनाओं से जुड़ी जानकारी और तथ्य देने के लिए बाध्य नहीं है। अब इन्फर्मेशन कमिश्नर अन्नपूर्णा दीक्षित ने कहा है कि आयोग केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को पॉइंट वाइज सूचनाएं देने का निर्देश देता है। विदेश मंत्रालय साफ-साफ बताए कि उसके पास यह जानकारी है या नहीं। अगर है तो वे अपीलकर्ता को ये जानकारियां उपलब्ध कराएं।

7 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली पुलिस ने उन सभी पॉइंट की पहचान कर ली

7 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली पुलिस ने उन पॉइंट की पहचान कर ली है जहां से लोग दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। बड़े बॉर्डर सहित ऐसे करीब 40 पॉइंट चुने गए हैं जो 5 मई से सील कर दिए जाएंगे। सील करने का मतलब वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना नहीं बल्कि उनकी सघन तलाशी लेना होगा। इसके अलावा दिल्ली के 191 पोलिंग बूथों को संवेदनशील और 28 को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया है, हालांकि यह संख्या 2008 के विधानसभा चुनाव से कम है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक गाजीपुर बॉर्डर, भोपुरा, आनंद विहार, अप्सरा, नोएडा, सरिता विहार, बदरपुर, कापसहेड़ा, सिंधु और मुंडका बॉर्डर सहित करीब 40 पॉइंट ऐसे हैं जहां से लोग वाहनों के जरिए दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। 5 मई की शाम इन पॉइंट्स को सील किए जाने के बारे में दिल्ली पुलिस ने यूपी और हरियाणा पुलिस से बात कर ली है। मीटिंग में यह बात साफ हो गई है कि दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाहनों की जांच दिल्ली पुलिस करेगी और दिल्ली से बाहर जाने वाले वाहनों की जांच यूपी और हरियाणा पुलिस करेगी। बसों की भी जांच की जाएगी। मकसद सिर्फ इतना है कि कोई अवांछित व्यक्ति फिर शराब या हथियार लेकर दिल्ली में न घुस सके। दिल्ली पुलिस ने 191 संवेदनशील और 28 अतिसंवेदनशील पोलिंग बूथ घोषित किए हैं। इनमें सबसे अधिक संवेदनशील बूथ साउथ-ईस्ट जिले में हैं जबकि सबसे कम नई दिल्ली में हैं। अतिसंवेदनशील बूथों की लिस्ट में सेंट्रल और नई दिल्ली जिले में कोई बूथ नहीं है सबसे अधिक अतिसंवेदनशील बूथ नॉर्थ-वेस्ट और ईस्ट दिल्ली में 6-6 हैं। हालांकि संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बूथों की यह संख्या 2008 के विधानसभा चुनाव से कम हैं। दिल्ली पुलिस ने 7 मई को मतदान में करीब 28000 पुलिसकर्मियों को लगाने की योजना बनाई है। इनके अलावा करीब 10 हजार होमगार्डों की ड्यूटी लगेगी।

पुलिस ने दुष्यंत का लैपटॉप जब्त कर विडियो फिल्म की तलाश की

महिला मित्र को घर बुलाने के बाद रेप के इल्जाम में सॉफ्टवेयर प्रफेशनल को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने लड़की की बुरी तरह पिटाई की थी। मुलजिम के पिता शिलॉन्ग में बिजनेस करते हैं। यह वारदात साउथ ईस्ट दिल्ली के महारानी बाग में हुई। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने की पुलिस को 20 अप्रैल को वसंत कुंज के एक एनजीओ से इस वारदात की खबर मिली। पुलिस को जानकारी मिली कि प्राइवेट जॉब करने वाली एक लड़की से 18 अप्रैल को महारानी बाग के साउथ एवेन्यू में रहने वाले दुष्यंत वर्मा (28) ने अपने घर में रेप किया था। पुलिस ने साउथ दिल्ली में रहने वाली इस लड़की को एम्स में ले जाकर मेडिकल चेकअप कराया। इसकी रिपोर्ट में रेप की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने रेप केस दर्ज कर वर्मा को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। लड़की ने पुलिस को बताया कि करीब एक महीना पहले उसकी दोस्ती दुष्यंत से हुई थी। 18 तारीख की दोपहर दुष्यंत ने उसे अपने घर लंच पर साथ ले गया था। उसने लड़की को शराब पिलाने की कोशिश की, लेकिन उसने मना कर दिया। खाना लाने के लिए नौकर को 700 रुपये देकर बाहर भेजने के बाद दुष्यंत ने लड़की से छेड़छाड़ शुरू कर दी। लड़की विरोध करते हुए घर से बाहर जाने लगी तो दुष्यंत ने उसकी बुरी तरह पिटाई करते हुए रेप किया। पिटाई से लड़की के चेहरे और शरीर पर जगह-जगह पिटाई के निशान पड़ गए। वारदात के बाद दुष्यंत लड़की को कार में बिठाकर उसके घर के नजदीक छोड़ आया। जाते हुए दुष्यंत ने लड़की को बताया कि उसने रेप की विडियो फिल्म बनाई है। उसने लड़की को धमकी दी कि किसी को इस बारे में बताया तो वह उस फिल्म को इंटरनेट पर डाल देगा। लड़की के मुताबिक इस वारदात से वह बुरी तरह घबरा गई थी। दो दिन तक खामोश रहने के बाद उसने अपनी बहन को अपने साथ हुई वारदात के बारे में बता दिया। बहन की दोस्त उसे लेकर वसंत कुंज में एक एनजीओ के दफ्तर में गई। वहां से पुलिस को खबर दी गई। पुलिस ने दुष्यंत का लैपटॉप जब्त कर विडियो फिल्म की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिली। मुलजिम को जेल भेज दिया गया है।