Tuesday, May 31, 2011

बैठक सरकार और सिविल सोसायटी के मेंबरों के बीच टकराव में तब्दील

सरकार के रुख से नाराज अन्ना हजारे के नेतृत्व वाली सिविल सोसयटी एक बार फिर सड़कों का रुख करने के मूड में है। प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग कमिटी की सोमवार को हुई बैठक सरकार और सिविल सोसायटी के मेंबरों के बीच टकराव में तब्दील हो गई। सरकार ने पीएम ऑफिस, जुडिशरी और संसद में सांसदों की करप्ट करतूतों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग खारिज कर दी। इससे भड़ककर सिविल सोसायटी के सदस्य अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और संतोष हेगड़े ने कमिटी से वॉकआउट करने और फिर से सड़कों पर उतरने की धमकी दी है। सरकार ने इनकी मांगों को यह कहकर खारिज कर दिया कि पीएम को इस दायरे में लाना उनके पद को महत्वहीन बना देगा और अगर उनके खिलाफ जांच होती है तो वह शासन करने और अहम फैसले लेने का हक खो देंगे। कपिल सिब्बल का कहना है कि इस मामले में राज्य सरकारों और राजनीतिक पार्टियों से बात करना जरूरी है। उसके बाद ही 6 जून को होने वाली अगली मीटिंग में इस मसले पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार को लग रहा है कि अन्ना के आंदोलन का असर अब कम होता दिख रहा है इसलिए उसने अब ज्यादा दबाव में न आने का मन बना लिया है। इसी लिहाज से अब तक सिर्फ टीम अन्ना से बात करने के पक्ष में रही सरकार ने विवाद के मामलों पर राज्य सरकारों और दूसरे राजनीतिक दलों आदि की राय लेने की बात कह दी है। उधर, सरकार की इस मंशा को भांपते हुए अन्ना फिर से सड़क पर उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि इससे पहले ये कुछ और बैठकों में भाग लेंगे। सोमवार को कमिटी के सह- अध्यक्ष शांति भूषण ने कमिटी में मौजूद मंत्रियों पर लोकपाल को लेकर गंभीर नहीं होने के आरोप लगाते हुए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से दखल देने की मांग की। कमिटी की बैठक के दौरान अहम बिंदुओं पर पहली बार सरकार का पक्ष रख रहे प्रणब मुखर्जी ने साफ कर दिया कि जिस तरह के अधिकार संपन्न लोकपाल की मांग अन्ना कर रहे हैं, उसके लिए सरकार तैयार नहीं है। सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पूरी तरह से लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखने का प्रस्ताव रख दिया। हालांकि, सरकार ने अन्ना के आंदोलन से पहले जो लोकपाल का मसौदा अपनी तरफ से बनाया था, उसमें कुछ मामलों को छोड़ कर प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके दायरे में रखा गया था। इसी तरह सरकार ने न्यायपालिका, सांसदों व जॉइंट सेक्रेटरी से नीचे स्तर के सरकारी अधिकारियों को भी इसके दायरे में लाने से इनकार कर दिया इन पांच मुद्दों पर अटकी बात - प्रधानमंत्री के ऑफिस को लोकपाल के दायरे में लाने पर नहीं मानी सरकार - जुडिशरी को लोकपाल के तहत लाने का मसला उठा, मगर सरकार ने खारिज की मांग - संसद में सांसदों के करप्ट व्यवहार को लोकपाल के दायरे में लाने का मुद्दा भी नामंजूर हुआ - जॉइंट सेक्रेट्री से नीचे के रैंक वाले अफसरों को लोकपाल के तहत लाने पर भी राजी नहीं हुई सरकार - सीवीसी और सीबीआई को लोकपाल में मिलाने के भी खिलाफ है सरकार

Friday, May 27, 2011

गुजरात में भी भ्रष्टाचार

सुशासन के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि गुजरात में भी भ्रष्टाचार है। उन्होंने गुजरात में भी लोकपाल की मांग की है। जन लोकपाल बिल पर कामयाब अनशन के जरिए देश के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचनेवाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि गुजरात में भी भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा है कि गुजरात में भी लोकपाल होना चाहिए। अन्ना हजारे बुधवार को अचानक अहमदाबाद पहुंचे और वहां पर गुजरी बाजार के स्लमवासियों से मिले। अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन(एएमसी) ने बुधवार को की गई कार्रवाई के तहत इन स्लमवासियों के घरों को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया है। इन लोगों के दुख दर्द को सुनने के बाद अन्ना ने उन्हें समर्थन देने की बात कही। अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश भी अहमदाबाद पहुंचे। स्वामी अग्निवेश ने भी राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, 'अफसरों ने जिस तरह यहां पर गरीब लोगों के साथ बुरा बर्ताव किया है, वह निंदनीय है। मैं यह देखकर हैरान हूं कि गुजरात में किस तरह कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।' गौरतलब है कि अन्ना हजारे ने कहा था कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से अपने-अपने राज्य में काम किया है, उससे दूसरे मुख्यमंत्रियों को सीखना चाहिए।

Friday, May 20, 2011

सांसद और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी की जमानत याचिका खारिज

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में आरोपी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी की जमानत याचिका खारिज कर दी। उनके साथ कलैग्नर टीवी के प्रमुख शरद कुमार की अर्जी भी खारिज कर दी गई। दोनों को जेल भेज दिया गया। जैसे ही कोर्ट ने कनिमोड़ी की अर्जी खारिज की, कोर्ट परिसर में मौजूद डीएमके कार्यकर्ता दहाड़ मारकर रोने लगे। कोर्ट का फैसला सुनने के बाद कनिमोड़ी की आंखों से भी आंसू छलक पड़े। इसके पहले शुक्रवार की सुबह सीबीआई जज ओ. पी. सैनी ने कहा था कि मैं फैसला सुना दूंगा, लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा, उम्मीद है कि यह फैसला दोपहर 1 बजे के बाद सुनाया जाएगा। उसी वक्त यह माना जाने लगा था कि कनिमोड़ी की जमानत याचिका खारिज कर दी जाएगी। इसके पहले कनिमोड़ी की जमानत पर सुनवाई के बाद अदालत ने 7 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कनिमोड़ी के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसके बाद उन्हें अदालत ने समन जारी किया था। कनिमोड़ी ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि यदि हम यह मान भी लें कि राजा ने कलैग्नर टीवी के जरिए डायनेमिक्स समूह से 214 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की थी तब भी मेरे खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं होता, क्योंकि इस बारे में मैंने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए। दूसरी ओर, सीबीआई ने अपने चार्जशीट में कहा है कि कनिमोड़ी राजा को दोबारा टेलिकॉम मिनिस्टर बनाने के लिए सक्रिय रूप से मध्यस्थ की भूमिका निभा रही थीं। गौरतलब है कि डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी कनिमोड़ी और शरद कुमार का नाम सीबीआई द्वारा 25 अप्रैल को दायर किए गए चार्जशीट में शामिल किया गया था। सीबीआई ने यह चार्जशीट घोटाले से संबंधित 214 करोड़ रुपये के अवैध हस्तांतरण का पता लगने के बाद दायर किया था। इस मामले के मुख्य आरोपी और पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर ए. राजा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और तिहाड़ जेल में बंद हैं।

Monday, May 16, 2011

प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधक कानून के दायरे में न्यायपालिका को रखे जाने की शनिवार को जोरदार वकालत

लोकपाल विधेयक ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्य और सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधक कानून के दायरे में न्यायपालिका को रखे जाने की शनिवार को जोरदार वकालत की। उनकी राय है कि लोकपाल को ऐसी कानूनी ताकत दी जानी चाहिए, जिसके इस्तेमाल से वह भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी जजों को हटा सके। एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आये भूषण ने पत्रकारों से कहा कि न्यायपालिका लोकपाल विधेयक के दायरे में जरूर होना चाहिये। हालांकि, न्यायपालिका के ही कुछ लोगों का मानना है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के आरोप की जांच में लोकपाल की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। भूषण की राय में न्यायपालिका के भ्रष्टाचार के मामलों में जजों को हटाने तक करने की भूमिका लोकपाल को दी जा सकती है।

Tuesday, May 10, 2011

मेरे अपनी सास के साथ संबंध

मेरी शादी हो गई है और मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करताहूं। वह भी मुझसे बहुत प्यार करती हैहमारी शादी को एक सालहो गया है। इस बीच पिछले 6 महीने से पत्नी की मां के साथ मेरेशारीरिक संबंध हैं और अब वह मेरे बच्चे की मां बनने वाली हैं मैंने उनसे अबॉर्शन करानेको कहा , मगर वह इसके लिए तैयारनहीं हैं। वह बच्चे को जन्म देना चाहती हैंमेरे ससुर जी का देहांतदो साल पहले हो चुका है। पत्नी को नहीं पता है कि मेरे अपनी सास के साथ संबंध है।

Sunday, May 1, 2011

संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया मुरली मनोहर जोशी को

सीनियर बीजेपी लीडर मुरली मनोहर जोशी को 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में रिपोर्ट के मसौदे को लेकर उठे विवाद के बावजूद रविवार को फिर से संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

लोकलेखा समिति के अध्यक्ष पद के लिए जोशी को उनकी पार्टी ने नामांकित किया, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्त किया। पीएसी विभिन्न विभागों और मंत्रालयों का वित्तीय ऑडिट करती है।

पूर्व समिति का कार्यकाल शनिवार को खत्म हो गया था। जोशी की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति रविवार से प्रभावी होगी और उनका कार्यकाल एक साल का होगा। हाल ही में 77 वर्षीय जोशी 2 जी मामले में पीएसी की रिपोर्ट के मसौदे को वितरित करने के बाद विवादों में घिर गए थे।

पीएसी में शामिल यूपीए के सदस्यों ने जोशी पर आरोप लगाया था कि रिपोर्ट सरकार को बदनाम और अस्थिर करने के इरादे से तैयार की गई है। यूपीए सदस्यों ने पीएसी की पूर्व समिति की 28 अप्रैल को हुई अंतिम बैठक में खूब हंगामा किया था।

जोशी ने यूपीए सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए शनिवार को रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को भेज दी थी। वह चाहते हैं कि अध्यक्ष इसे संसद में पेश करें। एक सवाल के जवाब में जोशी ने कहा कि वह रिपोर्ट पर लोकसभा अध्यक्ष के फैसले का इंतजार करेंगे कि इसे स्वीकार किया जाता है या नहीं।