Monday, June 30, 2014

केजरीवाल कौशांबी लौट रहे हैं

सरकारी मकान और उसके बाद किराए के मकान को लेकर उठे विवाद को देखते हुए दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने फिर गाजियाबाद के कौशांबी स्थित फ्लैट में जाने का मन बना लिया है। वह सिविल लाइंस स्थित जिस बंगले में किराए पर जाने वाले थे, उसके मालिक नरेन भीखूराम जैन ने अरविंद को फोन पर सूचित कर दिया है कि बंगले का विवाद कोर्ट में पहुंच गया है, इसलिए किसी परेशानी से बचने के लिए अभी वह किराएदार बनकर न आएं। संभावना है कि कुछ दिन में केजरीवाल अपने पुराने फ्लैट में शिफ्ट हो जाएंगे।
केजरीवाल अभी तिलक लेन स्थित सरकारी आवास में रह रहे हैं। यह मकान शासन ने उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद अलॉट किया था। उनके सीएम पद से हटने के बाद पीडब्ल्यूडी ने उन्हें मकान खाली करने का नोटिस जारी कर रखा है। अभी कुछ दिनों पहले पुरानी दिल्ली के कारोबारी नरेन भीखूराम जैन का मकान उन्होंने किराए पर लिया था। इसके बाद नरेन के बड़े भाई वीरेंद्र जैन यह कहकर कोर्ट में चले गए कि इस बंगले को लेकर परिवार में विवाद चल रहा है, इसलिए उसे किराए पर नहीं दिया जा सकता। मामला फिलहाल हाई कोर्ट में है।
इस मसले पर नरेन का दावा है कि यह बंगला उनका निजी है और उसको लेकर कोई विवाद नहीं है। मामला कोर्ट में जा चुका है, इसलिए उन्होंने केजरीवाल को फोन कर कह दिया है कि किसी भी विवाद से बचने के लिए अभी वह इस बंगले में रहने के लिए न आएं। नरेन के अनुसार, वैसे वह इस बंगले में केजरीवाल को 'मेहमान' के रूप में ठहराना चाहते थे, लेकिन विवाद से बचने के लिए अभी इसे टाल दिया गया है।
दूसरी ओर मकान की किचकिच से बचने के लिए केजरीवाल फिर से कौशांबी स्थित अपने पुराने फ्लैट में रहने के लिए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा के अनुसार, पार्टी किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती, इसलिए उन्होंने वापस अपने पुराने फ्लैट में जाने का निर्णय ले लिया है। नागेंद्र के अनुसार, उन्हें इस बात की सूचना मिली है कि एनडीएमसी अपने इलाके के निर्वाचित सदस्यों को मकान, कार और ऑफिस की सुविधा देने का मन बना रही है, लेकिन इसमें अभी वक्त लग सकता है, इसलिए केजरीवाल फिलहाल कौशांबी लौट रहे हैं।

भारत में जल्द ही सिर्फ तीन राष्ट्रीय पार्टियां

भारत में जल्द ही सिर्फ तीन राष्ट्रीय पार्टियां बच सकती हैं। शरद पावर की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को राष्ट्रीय पार्टी के तमगे से वंचित किया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने इस मामले में तीनों पार्टियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि लोकसभा चुनावों में हुई हार के बाद क्यों न नैशनल पार्टी का उनका स्टेटस छीन लिया जाए।
चुनाव आयोग की तय शर्तों के मुताबिक, राष्ट्रीय पार्टी के स्टेटस के लिए किसी पार्टी को चार राज्यों में कम से कम 6 फीसदी वोट या तीन-चौथाई लोकसभा सीटों पर कम से कम 2 फीसदी वोट मिलने चाहिए। या फिर कम से कम चार राज्यों में राज्य की पार्टी के तौर पर उसकी मान्यता होनी चाहिए। एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई अब इन शर्तों को पूरा नहीं कर रही हैं।

Thursday, June 26, 2014

अच्छे दिन 2019 में आएंगे

केंद्र सरकार के चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले पर कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि लोग परेशान हैं कि मोदी ने जिन अच्छे दिनों का वादा किया था, क्या वो 2019 में आएंगे, जब अगले लोकसभा चुनाव होने जा रहे होंगे।
रेल किराये, माल ढुलाई में बढ़ोतरी के बाद से ही नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साधा जा रहा है। सरकार के चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद देश में चीनी की कीमत में 60 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी हुई है।
कांग्रेस की प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा, 'लोकसभा चुनावों से पहले यह नारा दिया गया था कि बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। लेकिन अच्छे दिनों की शुरुआत डीजल की कीमत में 50 पैसे की बढ़ोतरी से हुई। इसके बाद फलों और सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी हुई।'
कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'पीएम ने कहा कि कुछ कड़वी गोलियां खानी पड़ेंगी। इसके बाद रेल किराया और माल ढुलाई में बढ़ोतरी हुई। अब चीनी की कीमत बढ़ा दी गई है। लोग अब पूछ रहे हैं कि क्या अच्छे दिन 2019 में आएंगे।'
शोभा ओझा ने कहा कि लोगों ने बीजेपी को 282 सीटें दी हैं, जो कि बहुमत से 10 अधिक हैं। ऐसा इसलिए ताकि बीजेपी ने देश के लोगों से जिन अच्छे दिनों का वादा किया था, उन्हें पूरा करने में किसी तरह की कोई परेशानी न आए।

गैस का दाम डबल करना पॉपुलिस्ट और वोट हासिल करने वाला कदम नहीं

रेल किराए में बढ़ोतरी के झटके बाद मोदी सरकार फिलहाल तीन महीने तक गैस कीमतें बढ़ाने का कड़वा डोज नहीं देगी। रिलायंस को झटका देते हुए कैबिनेट ने गैस के दाम बढ़ाने का फैसला 3 महीने के लिए टाल दिया है। वह इस मामले को अच्छी तरह समझना चाहती है और उसके बाद आम लोगों के हित को ध्यान में रखकर कोई फैसला करना चाहती है। यह रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी जैसी तेल और गैस कंपनियों के लिए झटका है। इससे उन एक्सपर्ट्स की उम्मीदें भी टूटी हैं, जो मोदी सरकार से जल्द बिजनेस-फ्रेंडली फैसले की उम्मीद कर रहे थे।
3 महीने में दूसरी बार सरकार ने गैस प्राइस बढ़ाने का मामला टाला है, जो रिलायंस और ओएनजीसी के कई अरब डॉलर के इनवेस्टमेंट के लिहाज से काफी अहमियत रखता है। यूपीए सरकार की कैबिनेट ने रंगराजन फॉर्म्युले के हिसाब से गैस की कीमत तय करने को मंजूरी दी थी। इससे गैस का दाम 1 अप्रैल से 8.4 डॉलर प्रति यूनिट हो जाता। हालांकि, चुनाव आयोग ने आचार संहिता की वजह से इसे रोक दिया था, जिसकी इंडस्ट्री ने आलोचना की थी। इंडस्ट्री का कहना था कि गैस का दाम डबल करना पॉपुलिस्ट और वोट हासिल करने वाला कदम नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को बताया कि आर्थिक और उपभोक्ता मामलों की कैबिनेट कमिटी ने गैस की कीमत में बढ़ोतरी को टालने का फैसला किया है। सितंबर तक गैस 4.2 डॉलर के भाव पर मिलती रहेगी। इस प्राइस को 5 साल के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसकी मियाद इस साल 31 मार्च को खत्म हो गई। प्रधान ने कहा कि रंगराजन फॉर्म्युले सहित पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी। जानकारों का कहना है कि इस फैसले से सरकारी खजाने पर दबाव भी नहीं बढ़ेगा और महंगाई बढ़ने की आशंका भी कम होगी। इससे बिजली और फर्टिलाइजर कंपनियों को भी राहत मिलेगी। हालांकि इससे ऑयल और गैस फील्ड्स में इनवेस्टमेंट पर नेगेटिव असर हो सकता है। कंपनियों का कहना है कि वे गैस की मौजूदा कीमत पर ये इनवेस्टमेंट नहीं कर सकतीं।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सरकार के इस फैसले पर ट्वीट कर कहा कि सरकार को नैचरल गैस की कीमतें बढ़ाने के निर्णय को महज तीन महीने टालने की जगह इसे पूरी तरह खारिज कर देना चाहिए।
सत्ताधारी बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सत्ता में आने पर वह गैस के दाम के मुद्दे का समाधान निकालेगी। इस फॉर्म्युले का कई तरफ से विरोध हुआ है, क्योंकि इससे बिजली महंगी हो जाएगी और यूरिया का खर्च, सीएनजी की दर और पाइप से आपूर्ति होने वाली रसोई गैस के दाम बढ़ जाएंगे। लेकिन उद्योग जगत के संगठन सीआईआई ने सरकार को गैस के दाम पर लिए गए फैसले को लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि इससे पीछे हटने पर तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश पर बुरा असर पड़ेगा।

Monday, June 23, 2014

शिरडी के साईं बाबा को भगवान मानने से इनकार

शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ने शिरडी के साईं बाबा को भगवान मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि साईं की पूजा करना हिन्दू धर्म को बांटने की साजिश है और जो शिरडी के साईं बाबा की पूजा को बढ़ावा दे रहे हैं वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म कमजोर हो। शंकराचार्य ने कहा कि ऐसे लोग भारत को हिन्दू प्रधान नहीं देखना चाहते हैं। स्वरूपानंद ने कहा कि साईं बाबा के नाम पर कमाई की जा रही है और हिन्दू धर्म को बांटने के लिए विदेशी ताकतें भी हावी हैं।
उन्होंने कहा, 'हिन्दू धर्म में अवतार और गुरु की पूजा होती है। हिन्दू धर्म में जो 24 अवतार हुए उनमें कलियुग में केवल बुद्ध और कल्कि का अवतार हुआ। ऐसे में साईं की पूजा का कोई मतलब नहीं है। साईं न तो अवतार हैं और न ही गुरु के रूप में हम आंक सकते हैं। गुरु आदर्शवादी होता है। लेकिन साईं में ऐसा क्या था? हम मांसाहारी को गुरु नहीं मान सकते। साईं का मंदिर बनाना कहीं से भी सही नहीं है। मंदिर के नाम पर केवल कमाई की जा रही है।' स्वरूपानंद ने कहा कि ब्रिटेन हिन्दुओं को बांटना चाहता है।
उन्होंने कहा कि साईं को हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन साईं की पूजा मुस्लिम कहां करते हैं? यदि मुसलमान भी पूजा करते तब हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात समझ में आती। स्‍वामी स्‍वरूपानंद ने लोकसभा चुनाव के दौरान 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' के नारे पर भी आपत्ति जताई थी। इसके बाद बढ़ते बवाल को देख मोदी ने लोगों से हर हर मोदी का नारा नहीं लगाने की अपील की थी।

देर तक ऑफिस में रुकना पड़ता है

नरेंद्र मोदी सरकार में सरकारी बाबुओं की जिंदगी थोड़ी मुश्किल हो गई है। उन्हें वक्त पर ऑफिस आना पड़ रहा है। जरूरत पड़ने पर देर तक ऑफिस में रुकना पड़ता है और यहां तक कि कभी-कभी छुट्टियों की भी कुर्बानी देने का मौका आ जा सकता है। दिल्ली जिम खाना में लंच और दिल्ली गोल्फ कोर्स की हरी घास पर चहलकदमी जैसे जिंदगी के मजे भी खत्म हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय के दिल्ली ऑफिस में पिछले हफ्ते कर्मचारियों को एक नोटिस पर साइन करने को कहा गया, जिसमें सुबह 9 बजे तक दफ्तर आने या अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात थी। नतीजन, नियमित तौर पर देर से आने वाले कर्मचारी अब घर से आधा घंटा पहले ही चलने लगे हैं।
नौकरशाहों को केंद्रीय सचिवालय सरकारी ऑफिस कॉम्प्लेक्स ले जाने वाले बस के ड्राइवर राकेश तोमर को बस की टाइमिंग और पहले करने को कहा गया है। तोमर ने बताया, 'पहले मैं बस स्टॉप पर इंतजार करता था। अब वे लोग मेरा इंतजार कर रहे होते हैं।' इस कॉम्प्लेक्स के बाहर 9 बजे आपको कई कर्मचारी वक्त से रेस करते हुए नजर आ जाएंगे। देरी का मतलब बॉस की डांट है।
हाउसिंग मिनिस्ट्री में अगर कर्मचारी 15 से मिनट से ज्यादा लेट होते हैं, तो उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना देनी पड़ती है। अटेंडेंस पर बायोमीट्रिक स्कैनर्स नजर रखते हैं और नियमित तौर पर लेट से आने वालों को 6 महीने के बाद नोटिस मिलेगा।
कई टॉप नौकरशाहों का अब इंडिया हैबिटाट सेंटर, इंडिया इंटरनैशनल सेंटर, दिल्ली गोल्फ क्लब और दिल्ली जिमखाना जैसी जगहों पर नियमित तौर पर आना-जाना बंद हो चुका है। ऐसा लगता है कि इस बात को लेकर अलिखित फरमान जारी हुआ है कि नौकरशाह गोल्फ खेलते हुए न दिखें। दिल्ली गोल्फ क्लब में तकरीबन 200 नौकरशाह मेंबर हैं। कामकाजी दिनों में कई अफसर यहां दोपहर में भी गोल्फ खेलते हुए पाए जाते थे। माना जा रहा है कि नियमित तौर पर गोल्फ खेलने वाले अफसरों को इस नियम का पालन करने को कहा गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल में ऑफिस मीटिंग के दौरान उस वक्त एक नौकरशाह की जमकर खिंचाई कर दी, जब इस शख्स को बातचीत के दौरान अपना सेल फोन ढूंढते हुए पाया। कई सीनियर ऑफिसर काफी लंबे समय तक काम कर रहे हैं। विशेष तौर पर पीएमओ में। ये लोग सुबह 8 बजे दफ्तर आते हैं और देर तक रुकते हैं। पीएमओ के एक अधिकारी ने बताया, 'खुद के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं मिल रहा है, फिर भी काम बचे हुए हैं।' एक और अधिकारी का कहना था कि ऑफिस की उनकी व्यस्तता के कारण उनकी पत्नी को पानी संकट की दिक्कत से खुद ही निपटना पड़ रहा है।

Friday, June 20, 2014

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम के नारायणन और गोवा के राज्यपाल बी वी वांचू से पूछताछ

सीबीआई डायरेक्टर रणजीत सिन्हा ने पहली बार माना है कि ऑगस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीद से जुड़े घोटाले में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम के नारायणन और गोवा के राज्यपाल बी वी वांचू से पूछताछ हो सकती है। जांच एजेंसी अगले कुछ दिनों में इन दोनों से पूछताछ कर सकती है। अगर ऐसा होता है, तो बीजेपी सरकार को इन राज्यपालों का इस्तीफा लेने का बेहतर मौका मिल सकता है।
सिन्हा ने बताया कि जांच एजेंसी पहले ही दोनों राज्यपालों के लिए सवाल तैयार कर चुकी है और जल्द ही अधिकारियों की एक टीम को पूछताछ के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने बताया, 'ऑगस्टा वेस्टलैंड घोटाले में जांच को और नहीं रोका जा सकता है। पूछताछ इस महीने के आखिर तक होगी। हम राज्यपालों से पूछताछ गवाह के तौर पर कर रहे हैं और हमें इसके लिए सरकार से मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है।'
यह पूछे जाने पर क्या सीबीआई की योजना दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की गवर्नर शीला दीक्षित से भी पूछताछ करने की है, सिन्हा का कहना था कि ऐसी कोई योजना नहीं है। शीला दीक्षित का नाम दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) घोटाले में आया है, जिसकी जांच भी सीबीआई के जिम्मे है। उन्होंने बताया, 'हमारे पास अब तक तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई सामग्री नहीं है। जांच अब भी जारी है।'
मुख्यमंत्री होने के नाते शीला दीक्षित दिल्ली जल बोर्ड की चेयरपर्सन भी थीं। सीबीआई ने दिल्ली जल बोर्ड में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप प्रॉजेक्ट के सिलसिले में पिछले साल 3 शुरुआती जांच शुरू की थी। इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड ने दिल्ली में बेरोकटोक पानी की सप्लाई के लिए यूरोपीय फर्म से समझौता किया था।
नारायणन, वांचू और दीक्षित को कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार में गवर्नर बनाया गया था। बीजेपी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार 7 राज्यपालों को हटाना चाहती है। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और कुछ ने जल्द ही ऐसा करने के संकेत दिए हैं।
होम मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अगर सीबीआई इस घोटाले में नारायणन और वांचू से पूछताछ करती है, तो दोनों के लिए संवैधानिक स्थिति को सही ठहरना मुश्किल हो जाएगा। एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'इस हाई ऑफिस की गरिमा को कायम रखने के लिए इन लोगों को पूछताछ होने से पहले ही खुद से इस्तीफा दे दिया जाना चाहिए।'
यूपीए-1 सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके नारायणन ने इस्तीफा देने के संकेत दिए हैं, जबकि एसपीजी के पूर्व हेड वांचू इस मामले पर चुप हैं। हालांकि, सीबीआई अधिकारियों ने साफ किया है कि पूछताछ की टाइमिंग का सरकार और राज्यपालों के बीच चल रहे टकराव से कोई लेना-देना नहीं है।

Thursday, June 19, 2014

राज्यपाल पद से हटाए जाने के प्रयासों का विरोध

महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन केंद्रीय गृह सचिव द्वारा संदेश दिए जाने से संभवत: प्रसन्न नहीं हैं, लेकिन 'उपयुक्त प्राधिकार' द्वारा कहे जाने की स्थिति में वह पद छोड़ने पर विचार कर सकते हैं।
राजभवन सूत्रों ने 82 वर्षीय शंकरनारायणन का हवाला देते हुए कहा, 'अगर कोई उपयुक्त प्राधिकार वाला व्यक्ति मुझे पद छोड़ने के लिए कहता है, तो मैं निश्चित रूप से इस पर विचार करूंगा।' उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने दो दिन पहले शंकरनारायणन से बात की थी।
सूत्रों ने कहा, 'केंद्रीय गृह सचिव ने 'पद छोड़ने के' संदेश के साथ दो दिन पहले राज्यपाल से बातचीत की। राज्यपाल ने कुछ मीडियाकर्मियों से बातचीत की और अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट की।'
शंकरनारायणन 22 जनवरी 2010 से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। राष्ट्रपति द्वारा पांच साल का नया कार्यकाल प्रदान किए जाने के बाद उन्होंने दूसरी बार सात मई 2012 को महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली थी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल में नियुक्त कुछ राज्यपालों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। कथित रूप से दबाव दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी. एल. जोशी ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था।
 

Tuesday, June 17, 2014

सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को फूट

आम आदमी पार्टी (आप) के कुछ विधायक दिल्ली में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे सकते हैं। दिल्ली में 49 दिनों तक सरकार चलाने वाले अरविंद केजरीवाल के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को फूट से बचाने की होगी।
'आप' के एक विधायक ने अपना नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बताया, 'पार्टी के कई विधायक दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं। स्थायी सरकार दिल्ली की जनता के हित में है और हमारा मानना है कि बीजेपी यह मुहैया करा सकती है।'
हालांकि उन्होंने बीजेपी को समर्थन देने जा रहे विधायकों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायकों ने पार्टी नेतृत्व से कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाने की अपील की थी। हालांकि कांग्रेस ने दिल्ली में दूसरी बार 'आप' को समर्थन नहीं देने का फैसला किया।
एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में केजरीवाल ने बीजेपी पर पार्टी के 8 विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था, 'बीजेपी के लोग हमारे विधायकों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने पिछले चार-पांच दिनों में हमारे आठ विधायकों से संपर्क साधा है और वे उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि हमारे विधायक किस मिट्टी के बने हैं।'
पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने 'आप' के विधायकों के पाला बदले जाने की संभावनाओं को खारिज कर दिया। सिसोदिया ने बताया, 'पार्टी विधायकों के अलग होने को लेकर चिंतित नहीं है। हमें यह जानकारी उन्हीं विधायकों से मिली है, जिनसे बीजेपी ने संपर्क किया। अगर हमें यह जानकारी किसी तीसरे पक्ष से मिली होती तो हमें चिंतित होने की जरूरत होती, लेकिन हमारे विधायक इस बारे में हमें जानकारी देते रहे हैं इसलिए पार्टी को इस बारे में कोई चिंता नहीं है।'

Wednesday, June 11, 2014

यह सरकार अंडरपरफॉर्म नहीं कर सकती

फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा कि चुनाव में जबरदस्त जनादेश मिलने के बाद बनी मोदी सरकार से देश को काफी उम्मीदें हैं। ऐसे में यह सरकार अंडरपरफॉर्म नहीं कर सकती। जेटली के इस बयान से उन चुनौतियों पर ध्यान गया है, जिनका सामना मोदी सरकार कर रही है। जेटली ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दो साल से देश की ग्रोथ 5 फीसदी से कम रही है, ऐसे ग्रोथ के लिए सरकार की क्या जरूरत है।
जेटली राज्यसभा में पार्टी के नेता के तौर पर राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर और मोदी से उम्मीद के चलते बीजेपी गठबंधन को लोकसभा चुनाव में जीत हासिल हुई। उन्होंने कहा, 'हम पर उम्मीदों का बोझ काफी ज्यादा है क्योंकि लोग हमसे कहीं ज्यादा की उम्मीद कर रहे हैं।' राष्ट्रपति अभिभाषण में बीजेपी सरकार ने अपनी प्रायॉरिटीज के बारे में बताया था।
जेटली ने कहा कि मोदी सरकार के सामने 'करो या मरो' जैसी स्थिति है। उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला। जेटली ने कहा कि पिछली सरकार ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी और हमें ऐसी इकॉनमी दी है, जो भारी महंगाई और फिस्कल डेफिसिट जैसे चैलेंज का सामना कर रही है। इकनॉमिक ग्रोथ सुस्त है। इन्हीं वजहों के चलते विदेशी निवेशक देश से बाहर जा रहे हैं और डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स दूसरे देशों में पैसा लगाने की सोच रहे हैं।
जेटली ने कहा, 'पिछले दो साल में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5 पर्सेंट से कम रही है। यह अफसोस की बात है। भारत में अगर कोई सरकार नहीं भी होती तो ग्रोथ 5 पर्सेंट रहती।' उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार पर गरीबी मिटाने के बजाय उसे बढ़ाने का आरोप भी लगाया।
बीजेपी की लीडरशिप में एनडीए को लोकसभा चुनाव में 543 सीटों में से 336 पर जीत हासिल हुई। अकेले बीजेपी ने इन चुनावों में 282 सीटें जीतीं। इसके साथ वह 30 साल बाद अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पार्टी बन गई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल हुई, जो उसका सबसे खराब परफॉर्मेंस है।
जेटली ने कहा कि चुनावी नतीजे ने राजनीति को लेकर पारंपरिक सोच बदल दी है और गुड गवर्नेंस को केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा, 'लोग गवर्नेंस चाहते हैं। जिन लोगों को लगता था कि पॉलिटिकल लीडरशिप मेरिट के हिसाब से तैयार नहीं होती, जो लोग विरासत के भरोसे चल रहे थे, उन्हें जबरदस्त झटका लगा...जो खास जाति या समुदाय को लुभाने और वोट बैंक पॉलिटिक्स करते थे, उन पर करारी चोट पड़ी है।

Wednesday, June 4, 2014

केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत हार्ट अटैक से नहीं

केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई थी। पहले कहा जा रहा था कि ऐक्सिडेंट के बाद उन्हें हार्ट अटैक हुआ होगा, जिसकी वजह से उनकी जान गई। लेकिन बुधवार को एम्स की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मुंडे को हार्ट अटैक नहीं हुआ था।
एम्स के डॉ. अमित गुप्ता ने कहा कि मुंडे की मौत की वजह हार्ट अटैक नहीं थी। उन्होंने कहा, 'प्राथमिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उन्हें कुछ गंभीर चोटें लगी थीं। इनमें सर्वाइकल और लिवर की चोट थीं। इन दोनों ने मिलकर शरीर के ऊपर ऐसा घातक प्रहार किया कि उनकी आकस्मिक मौत हुई। 10 मिनट बाद, जब उन्हें हमारे पास लाया गया तो न उनकी हृदय गति थी, न सांस चल रही थी। यही दो बड़ी चोटें थीं, जिनकी वजह से जान गई।' डॉ. गुप्ता ने बताया कि गोपीनाथ मुंडे को अंदरूनी ब्लीडिंग भी हुई थी।
मंगलवार सुबह एक कार हादसे में गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गई थी। उनकी कार एक गाड़ी से टकरा गई। इस टक्कर में मुंडे घायल हो गए। उन्हें तुरंत एम्स ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। बुधवार को उनके पैतृक गांव परली में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।