Thursday, July 31, 2014

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी जिक्र हटा दिए

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने 2007 के बाद से पहली बार अपनी सालाना इंटरनैशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी जिक्र हटा दिए हैं। अमेरिकी विदेशी मंत्री जॉन केरी और वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर के दोनों देशों के बीच रणनीतिक बातचीत के लिए भारत आने से पहले यह एक संयोग माना जाना मुश्किल है।
केरी ने भारत यात्रा से दो दिन पहले सोमवार को वॉशिंगटन में 2013 के लिए यह रिपोर्ट जारी की। अमेरिका गुजरात दंगों की वजह से एक दशक से भी ज्यादा समय तक मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा और अब इस बदलाव को उनके साथ जुड़ने की एक कोशिश के तौर पर माना जा सकता है। वीजा न दिए जाने की वजह से मोदी और अमेरिका के बीच संबंध ठीक नहीं थे, लेकिन हाल ही में मोदी की अगुवाई में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद अमेरिका को अपना रवैया बदलने पर मजबूर होना पड़ा है।
हालांकि, नई रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे कोच को जलाने और उसके बाद हिंसा से जुड़े कई मामले अभी लंबित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 'ट्रेन में आग लगाने का आरोप मुस्लिमों पर है। इस घटना में 58 लोग मारे गए थे और इसके बाद मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी, जिसमें 790 मुस्लिमों और 254 हिंदुओं की हत्या हुई।' रिपोर्ट में 2002 के दंगों में कथित भूमिका के लिए गुजरात सरकार के 60 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की जकिया जाफरी की 2006 से की जा रही कोशिश का जिक्र है।
जाफरी के पति एहसान जाफरी और बहुत से अन्य लोगों की अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स पर भीड़ के हमले में हत्या कर दी गई थी। 2010 और 2011 में प्रकाशित रिपोर्ट्स में भी जकिया जाफरी का जिक्र था।
इस साल की रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने वर्षों की जांच के बाद 2012 में कोई आरोप न लगाने का फैसला किया। दिसंबर 2013 में एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने जाफरी की ओर से दायर विरोध याचिका को खारिज कर दिया था और एसआईटी का फैसला बरकरार रखा। जाफरी ने कहा था कि वह हाई कोर्ट में अपील करना चाहती हैं।' अमेरिकी गृह मंत्रालय ने मार्च 2005 में मोदी को जारी किया गया वीजा वापस ले लिया था। इसकी वजह गुजरात दंगों में उनकी कथित भूमिका बताई गई थी।
पिछले एक दशक में भारत में अमेरिकी डिप्लोमेट्स ने बमुश्किल मोदी से बात की है। हालांकि, 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उनकी जीत के बाद बहुत से अमेरिकी सहयोगियों ने उनसे मुलाकात की थी। हालांकि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के लोकसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें अमेरिका आने का निमंत्रण दिया था। मोदी सितंबर में अमेरिका जाएंगे। वहां वह ओबामा से मिलने के अलावा संयुक्त राष्ट्र की आमसभा को संबोधित करेंगे।

Monday, July 28, 2014

विदेश नीति के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजरिये का अक्स

वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) में ट्रेड समझौते के मामले में भारत के सख्त रवैये ने पश्चिमी देशों, खासतौर पर अमेरिका को हैरान कर दिया है। भारत का यह रुख ब्रिक्स बैंक का हेडक्वॉर्टर चीन में बनाए जाने के ऐलान के तुरंत बाद सामने आया है। विश्लेषकों का कहना है कि इस रुख में घरेलू और विदेश नीति के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजरिये का अक्स है।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि डब्ल्यूटीओ में कॉमर्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के सख्त रवैये के पीछे प्रधानमंत्री का ही हाथ था। हालांकि, मोदी ने ब्रिक्स बैंक के हेडक्वॉर्टर पर कोई बवाल नहीं खड़ा किया, क्योंकि वह इस पहल के दायरे को व्यापक बनाना चाहते हैं।
एक आला सरकारी अफसर ने बताया, 'ब्रिक्स बैंक के हेडक्वॉर्टर पर बातचीत के बीच जब बाकी देश इस बात को लेकर दुविधा में थे कि इसे शंघाई में होना चाहिए या नहीं, तो प्रधानमंत्री मोदी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि चीन की इस मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए। मोदी ने कहा कि इसी तरह से बाकी दुनिया को यह मेसेज दिया जा सकेगा कि यह एक गंभीर पहल है।'
वर्ल्ड बैंक-आईएमएफ के विकल्प के तौर पर नए ब्रिक्स बैंक से भारत को न केवल फायदा होगा, बल्कि इससे पश्चिमी देशों को मोदी की कूटनीतिक क्षमताओं के बारे में भी मेसेज जाएगा। ब्राजील में हुई ब्रिक्स शिखर वार्ता में दक्षिण अफ्रीका प्रतिनिधिमंडल इस बात को सुनकर हैरान था कि कॉमर्स मिनिस्टर सीतारमण को जेनेवा में होने वाली डब्ल्यूटीओ की जनरल काउंसिल की बैठक से पहले सिडनी में जी-20 मीटिंग में शिरकत करने को कहा गया था।
सिडनी में सीतारमण ने साफ कर दिया कि भारत की चिंताओं को खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने जी-20 बैठक में ट्रेड समझौते से जुड़ी भारत की समस्याओं और ऐग्रिकल्चर प्रॉडक्ट्स की वैल्यूएशन के मसले जोरशोर से उठाए। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को घटनाक्रम की जानकारी दी।
सरकार के एक सूत्र ने बताया, 'अगले दिन (बीते रविवार) पीएम ने सभी संबंधित सचिवों को बुलाकर जेनेवा में गुरुवार और शुक्रवार को होने वाली डब्ल्यूटीओ बैठक में भारत की पोजिशन के बारे में जानकारी दी। सोमवार को उन्होंने कैबिनेट की बैठक बुलाई और इसमें भाग लेने के लिए सीतारमण भी दिल्ली पहुंचीं।'
कुछ लोग इसकी तुलना अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 1998 में हुए परमाणु परीक्षण से कर रहे हैं। हालांकि, मोदी सरकार के इस रुख की वजह कुछ घरेलू मजबूरियां भी हो सकती है। चुनाव प्रचार में मोदी ने किसानों से वादा किया था कि उनकी सरकार 50 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन सुनिश्चित करेगी। डब्ल्यूटीओ में भारत के सख्त रवैये की एक वजह यह भी हो सकती है।
प्रधानमंत्री का इरादा जो भी रहा हो, लेकिन इसे आक्रामक फॉरेन और ट्रेड पॉलिसी के तौर पर देखा जा रहा है। इससे कम से कम इतना तो सुनिश्चित हो गया है कि सितंबर में पीएम के अमेरिकी दौरे पर बारीक नजर होगी।

Friday, July 25, 2014

कोई पार्टी कांग्रेस के साथ नहीं

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के सामने एक अजीब सी समस्या आ खड़ी हुई है। उन्हें 16वीं लोकसभा में जीतकर आए सांसदों को सीटें बांटनी हैं लेकिन कोई पार्टी कांग्रेस के साथ नहीं बैठना चाहती। 
सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने खबर दी है कि कम से कम पांच राजनीतिक दल कांग्रेसी सांसदों के साथ बेंचों पर बैठने से इनकार कर चुके हैं। इनमें एआईएडीएमके, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईएसआर कांग्रेस ने कथित तौर पर कहा है कि उनका राजनीतिक रुख कांग्रेस और बीजेपी दोनों से अलग है और यह लोकसभा में नजर आना चाहिए। 

वैसे टीएमसी और टीआरएस तो यूपीए का हिस्सा बनकर कांग्रेस के साथ बैठ चुकी हैं। लेकिन तब कांग्रेस के पास 200 से ज्यादा सांसद हुआ करते थे। अब कांग्रेस के पास मात्र 44 सांसद हैं और यह मुख्य विपक्षी दल बनने तक की योग्यता पूरी नहीं करती। 
सूत्रों के हवाले से न्यूज चैनल ने खबर दी है कि कांग्रेस का साथ वाली 20 सीटें सबसे पहले बीजू जनता दल को दी गई थीं जिसने कथित तौर पर इन्हें सिरे से नकार दिया। उसके बाद बाकी चार दलों ने भी इन सीटों को लेने से इनकार कर दिया।
 
एआईएडीएमके के 36 सांसद हैं। टीएमसी के 34 और बीजेडी के 20 सांसद हैं।

विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।

आम आदमी पार्टी (आप) की महाराष्ट्र यूनिट ने फैसला किया है कि वह राज्य में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। पार्टी को लगता है कि राज्य के ज्यादातर हिस्से में उसका संगठन खड़ा नहीं हो पाया है। 
सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त हार का आंकलन कर यह फैसला किया है। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र भर में पार्टी को सिर्फ 2.2 फीसदी वोट ही मिले। अब, जमीनी स्तर पर काम करने वाला पार्टी का कार्यकर्ता भी नहीं चाहता कि 'आप' विधानसभा चुनाव में उतरे।
 
आम आदमी पार्टी की महाराष्ट्र यूनिट का यह कदम उसकी हरियाणा यूनिट के फैसले के बाद उठाया गया है। हरियाणा में भी राज्य यूनिट विधानसभा चुनाव में न उतरने का फैसला ले चुकी है। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
 

25 जुलाई को आम आदमी पार्टी की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन फैसलों पर औपचारिक मुहर लगेगी। 'आप' संयोजक अरविंद केजरीवाल 30 जून को ही कह चुके हैं कि पार्टी को हरियाणा, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ध्यान हटाकर दिल्ली पर ही केंद्रित होना चाहिए। 
महाराष्ट्र यूनिट की आप संयोजक अंजलि दमानिया ने बताया कि हम अपने फैसले के बारे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी को बता चुके हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में न उतरने के हमारे फैसले पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सभी एकमत हैं।
 
दमानिया ने कहा, 'पार्टी के हार्डकोर समर्थक भी यही मानते हैं कि हमें महाराष्ट्र में अधिक काम करने की जरूरत है। यह एक बहुत बड़ा राज्य है। हमें ग्रामीण इलाकों तक भी पहुंच बनानी होगी।'
 

Wednesday, July 23, 2014

हरियाणा में चुनाव न लड़ने का फैसला

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। पार्टी के प्रमुख नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि पार्टी आने वाले हरियाणा विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेगी क्योंकि वह दिल्ली पर ध्यान देना चाहती है। करनाल में योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में राज्य कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया। लेकिन इसके साथ ही पार्टी के नेताओं के मतभेद भी उभर आए हैं। 
पार्टी के इस फैसले पर हरियाणा में पार्टी के बड़े नेता नवीन जयहिंद ने कहा है कि ऐसा 'निठल्ले' नेताओं की वजह से हो रहा है। जयहिंद ने ट्वीट कर कहा, 'हरियाणा में चुनाव न लड़ने का कारण अरविन्द जी नहीं हैं बल्कि वे निठल्ले नेता है जिनको अरविन्द जी ने ज़मीनी काम करने के लिए कहा था ऑफिस में नहीं।'
 

जयहिंद का एक और ट्वीट है जो बड़े सवाल खड़े करता है। उन्होंने लिखा है, 'कोई तो जयचंद है पार्टी में जिससे पार्टी को बचाना बहुत जरूरी है। फैसले पार्टी के होते हैं एक व्यक्ति के नहीं।' 
हालांकि, हरियाणा में चुनाव न लड़ने के बारे में अरविंद केजरीवाल कई बार संकेत दे चुके थे। हरियाणा में पार्टी प्रवक्ता राजीव गोदारा ने कहा, 'एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें यह महसूस किया गया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेना व्यवहारिक नहीं होगा।' उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की पूर्ण सहमति चुनाव लड़ने में नहीं है।

हरकतों से धार्मिक भावना को गहरा आघात लगा

शिवसेना के 11 सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र सदन में परोसे जाने वाले खाने से नाराज होकर रोजा रखे एक मुस्लिम कर्मचारी को रोटी खाने के लिए मजबूर किया। इस घटना के कुछ ही घंटे बाद सांसदों के दुर्व्यवहार के विरोध में कैटरिंग का जिम्मा संभाल रही आईआरसीटीसी ने सदन में अपनी सेवाएं बंद कर दीं। आईआरसीटीसी ने महाराष्ट्र के रेजिडेंट कमिश्नर से लिखित में शिकायत की है कि धार्मिक भावनाएं आहत होने से हमारे कर्मचारी अरशद जुबैर को काफी दुख पहुंचा है। रेजिडेंट कमिश्नर ने सांसदों के व्यवहार पर आईआरसीटीसी से माफी मांगते हुए जवाब दिया है कि वह अरशद से निजी तौर पर मिलकर सरकार की ओर से संवेदना जताना चाहते हैं। 
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, यह घटना 17 जुलाई की है। महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच करने की बात कहते हुए वादा किया है कि उचित कार्रवाई की जाएगी। शिवसेना सांसदों का कहना है कि उनका अपमान किया गया था और दुर्व्यवहार के आरोप गलत हैं। आईआरसीटीसी की ओर से जिन 11 सांसदों पर बदसलूकी का आरोप लगाया गया है, उनमें संजय राउत (राज्यसभा), आनंदराव अडसुल (अमरावती), रंजन विचारे (ठाणे), अरविंद सावंत (दक्षिण मुंबई), हेमंत गोडसे (नासिक), कृपाल तुमाने, रविन्द्र गायकवाड़ (उस्मानाबाद), विनायक राउत (रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग), शिवाजी पाटिल (शिरूर), राहुल शेवाले (दक्षिण-मध्य मुंबई) और श्रीकांत शिंदे (कल्याण) के नाम शामिल हैं।
 

17 जुलाई को आईआरसीटीसी के डेप्युटी जनरल मैनेजर शंकर मल्होत्रा ने रेजिडेंट कमिश्नर बिपिन मलिक को ईमेल करके बताया था, 'आज महाराष्ट्र सदन के प्रेस कॉन्फ्रेंस हाल में शिवसेना के 12-15 सांसदों की मीटिंग थी। इस मीटिंग में वे इलेक्ट्रिकल, सिविल, हाउसकीपिंग, कैटरिंग आदि से जुड़ीं समस्याएं उठा रहे थे। इसके बाद पूरा प्रतिनिधिमंडल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और मैनेजर के साथ पब्लिक डाइनिंग हॉल में पहुंच गया। वे आपत्तिजनक भाषा में किचन और सर्विस स्टाफ को धमकाने लगे।' 
इस मेल में कहा गया है, 'गुस्साए सांसदों ने आईआरसीटीसी के रेजिडेंट मैनेजर अरशद को एक रोटी खाने के लिए मजबूर किया। उस दौरान रोजे पर होने की वजह से अरशद की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।' अरशद ने अपनी शिकायत में कहा है, 'सारे गेस्ट मीडिया के लोग और महाराष्ट्र सदन के कर्मचारियों के साथ किचन में घुस गए। उस समय मैं ऑर्डर तैयार करवा रहा था। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और एक रोटी में मेरे मुंह में ठूंस दी। मैंने उस समय आईआरसीटीसी की वर्दी पहन रखी थी और नेम प्लेट भी लगा रखी थी। पैनल में मौजूद सारे लोग जानते थे कि मेरा नाम अरशद है। इन लोगों के मुंह में रोटी ठूंसने की वजह से मेरा रोजा टूट गया। उनकी हरकतों से मेरी धार्मिक भावना को गहरा आघात लगा है।'
 
शंकर मल्होत्रा का कहना है कि सांसद नए महाराष्ट्र सदन में महराष्ट्रियन कैटरर चाहते हैं। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं, लेकिन महाराष्ट्र सदन का प्रबंधन इस संबंध में हमारा पक्ष नहीं लेता है। 17 जुलाई की घटना के बाद आईआरसीटीसी ने वहां अपनी सर्विस बंद कर दी है और इसकी वजह से वहां कैंटीन फिलहाल बंद है।
 
सांसद और शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कहना है कि गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई शरारत कर रहा है। राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सदम में कई समस्याएं हैं इसलिए मैं वहां ठहरता ही नहीं हूं। दक्षिण मुंबई के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, 'मैं वहां पिछले दो महीनों से रह रहा हूं और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला है। यहां विधायकों, मंत्रियों और सचिवों के लिए कई कमरे हैं, लेकिन सांसदों को छोटे-छोटे कमरे में ठहराया गया है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के चार सांसदों को भी बड़े कमरे दिए गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है?'
 
सावंत ने कहा, 'सदन का खाना एकदम घटिया है। यहां रेलवे के लोग कैटरिंग चलाते हैं और महराष्ट्रियन खानों के बारे में कुछ भी पता नहीं है। अगर आप आंध्र भवन जाते हैं, तो वहां राज्य का खाना मिलता है। लेकिन महाराष्ट्र सदन में रेलवे के लोग खाना बनाते हैं। हम मिल-बैठकर समस्या को सुलझाना चाहते थे, लेकिन उस दिन भी रेजिडेंट कमिश्नर ने मिलने से इनकार कर दिया। काफी देर के बाद बताया गया कि वह राज्य के मुख्य सचिव को लेने एयरपोर्ट गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है? किसी के साथ भी जबरदस्ती या धक्कामुक्की नहीं की गई थी।'

Monday, July 21, 2014

सिसोदिया के मुताबिक वह कांग्रेस विधायक मतीन अहमद से जरूर मिले

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद को मिलने के लिए एसएमएस भेजने की बात से इनकार किया है। सिसोदिया ने आसिफ को चुनौती देते हुए कहा कि वे उनके एसएमएस सार्वजनिक करें। गौरतलब है कि आसिफ मोहम्मद ने दावा किया था कि सिसोदिया ने उन्हें दिल्ली में सरकार बनाने के लिए मेसेज भेजकर मिलने के लिए बुलाया था।
सिसोदिया के मुताबिक वह कांग्रेस विधायक मतीन अहमद से जरूर मिले थे, लेकिन उनसे उनकी सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई थी। सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी का हर विधायक दोबारा चुनाव के पक्ष में है।
सिसोदिया ने रविवार को एक न्यूज चैनल पर कहा कि कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद के दावों में आधा सच है। उनके मुताबिक बनारस में चुनाव प्रचार के दौरान उनके पास कांग्रेस नेता मतीन अहमद के फोन आए थे। वे उनसे मिलना चाहते थे। सिसोदिया के मुताबिक लोकसभा चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद दिल्ली लौटने पर उनकी मतीन अहमद से मुलाकात जरूर हुई, लेकिन इसमें सरकार बनाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई
उन्होंने कहा कि अलग-अलग पार्टियों के नेताओं के आपस में मिलने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते उनके बीच किसी तरह की खरीद-फरोख्त की डील न हो।

Friday, July 18, 2014

अरुंधती रॉय गांधी के दर्शन को नहीं समझ पाई

बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधती रॉय महात्मा गांधी पर जातिवादी होने का आरोप पहले भी लगा चुकी हैं, लेकिन इस बार उससे भी आगे बढ़ गईं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जिन संस्थाओं के नाम उनके नाम पर रखे गए थे वे बदल दिए जाएं। रॉय ने कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत यूनिवर्सिटियों के नाम बदलने से की जाए। केरल यूनिवर्सिटी में महात्मा अय्यंकाली स्मृति व्याख्यानमाला में अरुंधती का इशारा शायद राज्य के अग्रणी संस्थान महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी को लेकर था। महात्मा अय्यंकाली केरल के बड़े दलित नेता माने जाते हैं। रॉय ने महात्मा गांधी के सन् 1936 के लेख 'आदर्श भंगी' का हवाला देते हुए कहा, 'इसमें वह मैला ढोने वालों को सलाह दे रहे हैं कि मल-मूत्र से खाद बनाएं। यह बताता है कि उन्होंने हरिजन व्यवस्था को बनाए रखने में मदद की।' 

हालांकि, सेंटर फॉर गांधियन स्टडीज के कॉर्डिनेटर जेएम रहीम लेखिका अरुंधती रॉय के तर्कों को खारिज करते हैं। गांधी की आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में जिक्र की गई घटना का उल्लेख करते हुए रहीम कहते हैं कि उनकी पत्नी कस्तूरबा पर अपना मल खुद साफ करने के लिए उन्होंने दबाव डाला था और भंगी को साफ नहीं करने दिया था। इसके बावजूद जब कस्तूरबा ने विरोध किया तो उन्होंने उनके मल को खुद साफ किया था। 
रहीम कहते हैं, 'गांधी को बिना संदर्भ के उद्धृत करना और कहना कि वह जातिवादी थे न सिर्फ छिछलापन है बल्कि यह भी बताता है कि अरुंधती रॉय उनके दर्शन को नहीं समझ पाई हैं।' उन्होंने उदाहरण दिया कि दक्षिण अफ्रीका में अपने साथियों के विरोध के बावजूद महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोग से पीड़ित दलित दंपती को अपने आश्रम में रखा था।
 
अपने भाषण में रॉय ने यह भी दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने अश्वेत कैदियों को काफिर की उपाधि दी थी और उन्हें वह असभ्य और झूठ बोलने वाला मानते थे। महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ गांधियन थॉट ऐंड डिवेलपमेंट के डायरेक्टर प्रफेसर एमएसन जॉन कहते हैं, 'यह मानना गलता होगी कि गांधी को जैसा हम जानते हैं वह वैसा शुरू से ही थे। गांधी शुरू में उग्र सुधारवादी नहीं थे। समय के साथ उनका विकास हुआ। अश्वेत कैदियों के बारे में उन्होंने जो कुछ भी कहा वह जेल में रहते हुए उनके अनुभवों के आधार पर था। जेल में उन्हें साथी कैदियों द्वारा गुदा मैथुन की आशंका रहती थी।'
 
कवि और सामाजिक कार्यकर्ता सुगाता कुमारी ने कहा, 'गांधी भारतीय संस्कृति और जड़ों को गहराई तक जानते थे। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अरुंधती रॉय ने सस्ती लोकप्रियता के लिए उनके बारे में ऐसा बयान दिया।'
 
अपने भाषण में रॉय ने बीजेपी पर जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि बाल्मीकि समाज सदियों तक समाज को साफ करने का काम किया है, इसलिए अब वे आध्यात्मिक रूप से साफ हो चुके हैं।'

ब्राह्मणों को लुभाने की मायावती की कोशिश को करारी चोट

 उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों को रिझाने की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की कोशिशों को करारा झटका लगा है। पार्टी में ब्राह्मणों का चेहरा माने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा की चचेरी बहन डॉ. दिव्या मिश्रा गुरुवार को बीजेपी में शामिल हो गईं। 
अचानक हुए इस घटनाक्रम से जहां बीजेपी को एक और बढ़त मिली है, वहीं ब्राह्मणों को लुभाने की मायावती की कोशिश को करारी चोट भी लगी। सतीश चंद्र मिश्रा के लिए भी यह एक बड़ी मुसीबत है क्योंकि सूबे में बीएसपी की सरकार रहने के दौरान उन्होंने दिव्या मिश्रा पर काफी भरोसा जताया था।
 
2007 में प्रदेश की सीएम बनने के बाद मायावती ने जो कुछ शुरुआती नियुक्तियां की थीं, उनके तहत उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा की बहन आभा अग्निहोत्री को राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष और डॉ. दिव्या मिश्रा को राज्य समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था।
 

इसे मिश्रा के लिए इनाम माना गया था, जिन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव प्रचार में बीएसपी के पाले में ब्राह्मण वोट लाने की कोशिश की थी। सत्ता में पहुंचने के लिए तब मायावती ने ब्राह्मणों को अपने कोर वोटर्स दलितों के बराबर सत्ता में साझेदारी का भरोसा दिया था। वकील से नेता बने सतीश चंद्र मिश्रा को मायावती ने अपनी पार्टी का ब्राह्मण चेहरा बनाया, जो बाद में उनके करीबी सलाहकार भी बने। 
सीएम बनने पर मायावती ने मिश्रा के कई करीबी लोगों की सरकार में नियुक्तियां की थीं। इनमें मिश्रा के एक अन्य रिश्तेदार अनंत मिश्रा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। हालांकि, दिव्या सतीश चंद्र मिश्रा के ज्यादा करीब मानी गईं क्योंकि सतीश मिश्रा ने अखिलेश यादव सरकार बनने के बाद भी दिव्या का कार्यकाल बढ़वा लिया था।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि दिव्या मिश्रा का बीजेपी में आना इस बात का साफ संकेत है कि बीजेपी के पक्ष में हवा चल रही है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि दिव्या मिश्रा सतीश चंद्र मिश्रा की चचेरी बहन हैं।
 
वाजपेयी ने कहा कि बीएसपी और समाजवादी पार्टी के कई अन्य विधायक और नेता बीजेपी के संपर्क में हैं और उन्होंने पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई है।
 
यूपी में ब्राह्मण वोट अहम माना जाता है। एसपी, बीएसपी, कांग्रेस, बीजेपी सभी पार्टियां इन्हें अपने पाले में करने की कोशिश करती रही हैं। अब, दिव्या का यूं अचानक पाला बदलना मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
 
इससे ब्राह्मणों के करीब पहुंचने की उनकी कोशिशों को पलीता लग सकता है, जिसके चलते उनके कोर वोटर्स का एक तबका कुछ नाराज भी हो चुका था।

Wednesday, July 16, 2014

आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए

आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पांच सदस्यीय ब्रिक्स देशों के नेताओं से कहा कि वे अभी जो कुछ चुनेंगे वह अंतत: विश्व का भविष्य तय करेगा। 
ब्रिक्स की इस बैठक में ब्रिक्स डिवेलपमेंट बैंक (बीडीबी) की स्थापना पर मुहर लगा दी गई। ब्रिक्स विकास बैंक कई देशों और विकासशील राष्ट्रों में परियोजनाओं का वित्तपोषण करेगा। इस बैंक का मुख्यालय नई दिल्ली या शांघाई में बनाए जाने को लेकर भारत और चीन का अपना अपना दावा है।मोदी के सामने चुनौती है कि वह बीडीबी के गठन में भारत की अहम भूमिका निश्चित करें। इस बैंक का मुख्यालय कहां होगा, इस पर भी फैसला होगा। अगर मोदी इसका मुख्यालय (भारत) नई दिल्ली में रखवा सकें, तो पूरे एशिया में इसका रुतबा बढ़ जाएगा।
 
ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका वाले पांच देशों की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान से अफ्रीका तक का क्षेत्र अशांति और संघर्ष के दौर से गुजर रहा है और जिन देशों को यह सब झेलना पड़ रहा है उनकी दशा पर मूक दर्शक बने रहने के गंभीर परिणाम होंगे।
पहली बार इस शिखर बैठक में भाग ले रहे मोदी ने कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद, किसी भी रूप और आकार में हो, मानवता के खिलाफ है। आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि आज हम जो चुनेंगे वह न केवल हमारे देश का भविष्य तय करेगा, बल्कि कुल मिलाकर पूरे विश्व का भविष्य तय करेगा।
प्रधानमंत्री ने साइबर जगत के मुद्दे का जिक्र किया और कहा, 'साइबर जगत अनेक अवसरों का स्रोत है, लेकिन साइबर सुरक्षा एक अहम चिंता का विषय बन चुका है।'
मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को साइबर क्षेत्र को समान वैश्विक हित के लिए बनाए रखने के मामले में अगुआई करनी चाहिए।

Monday, July 14, 2014

हाफिज सईद और वेद प्रताप वैदिक की मुलाकात से सरकार का कोई लेना-देना नहीं

जाने-माने पत्रकार और योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी वेद प्रताप वैदिक की पाकिस्तान में मोस्ट वॉन्डेट कट्टरपंथी नेता हाफिज सईद से मुलाकात के बाद देश की राजनीति का पारा चढ़ गया है। कांग्रेस ने बम्बई धमाके के आरोपी हाफिज सईद से मुलाकात को लेकर वैदिक और बाबा रामदेव पर हमला बोला। विपक्षी पार्टी ने बीजेपी और सरकार से जवाब मांगा कि आखिर रामदेव के सहयोगी किस हैसियत से हाफिज सईद से मिले थे। कांग्रेस ने वैदिक को गिरफ्तार करने तक की मांग कर डाली।
राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने परोक्ष रूप से सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि अधिकारियों की जानकारी या इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास के सहयोग के बिना यह मुलाकात नहीं हो सकती है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से इस मामले में सफाई देने की मांग की। कांग्रेस ने कार्रवाई की मांग करते हुए राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
इस बीच, सरकार ने कहा है कि हाफिज सईद और वेद प्रताप वैदिक की मुलाकात से उसका कोई लेना-देना नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'हाफिज सईद आतंकवादी है। पत्रकार या कोई और उससे मिलता है, इससे भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।' जेटली ने राज्यसभा में स्पष्ट किया कि सरकार ने वेद प्रताप वैदिक को हाफिज सईद से मिलने के लिए नहीं भेजा। यह उनकी व्यक्तिगत मुलाकात है।
पूरे विवाद पर सफाई देते हुए वेद प्रताप वैदिक पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने बतौर पत्रकार यह मुलाकात की थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वैदिक ने कहा कि इस मुलाकात की तस्वीर उन्होंने खुद फेसबुक में पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि अपने पाकिस्तान दौरे में उन्होंने नवाज शरीफ के साथ अन्य पाकिस्तानी नेताओं से मुलाकात की और बतौर पत्रकार उन्हें किसी से भी मिलने में कोई गुरेज नहीं है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा ट्विटर पर किए गए हमले के जवाब में वैदिक ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री का दूत बनकर नहीं गया था। एक पत्रकार के तौर पर मैं राष्ट्रपति, विद्रोही और बागी लोगों से मिलता रहता हूं। मैं इंदिरा गांधी, अपने परम मित्र नरसिम्हा राव और बड़े भाई समान अटल बिहारी वाजपेयी का दूत बनकर कभी किसी से नहीं मिला, फिर नरेंद्र मोदी के दूत के तौर पर क्यों मिलूंगा?'
कांग्रेस के नेताओं पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, 'वे संसद में इस मुलाकात पर शोर मचा रहे हैं। यदि उन्हें जाना पड़ता तो पायजामा गीला हो जाता, स्ट्रेचर पर लिटाकर लाना पड़ता। सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर भी पाकिस्तान जाने वाले शिष्टमंडल में मेरे साथ थे। मैंने अपनी जिंदगी खतरे में डालकर यह मुलाकात की।'

बीजेपी नेता राम नाइक ने इस बात की पुष्टि की

राष्ट्रपति जल्द 5 नए राज्यपालों की नियुक्ति करेंगे। खबर है कि होम मिनिस्ट्री की तरफ से इन राज्यपालों के नाम राष्ट्रपति भवन को भेज दिए हैं। पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता राम नाइक ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनने को कहा गया है। विजय कुमार मल्होत्रा को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया जा सकता है।
नई सरकार के तहत यह राज्यपालों की भर्ती का पहला दौर हो सकता है। होम मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि यूपी बीजेपी के पूर्व प्रेजिडेंट केसरी नाथ त्रिपाठी, वी. के. मल्होत्रा, कैलाश जोशी, बी. एल. टंडन और नाइक को उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीगढ़ और नगालैंड का राज्यपाल बनाने की सिफारिश की गई है। राष्ट्रपति सोमवार को इस बाबत ऑर्डर जारी कर सकते हैं।
नाइक ने पत्रकारों को बताया, 'मुझे पार्टी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने को कहा और मैंने हामी भर दी है। यह चुनौतीपूर्ण काम है और मैं इस तरह के काम का आदी रहा हूं।' उन्होंने कहा कि वह आधिकारिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
बी. एल. जोशी ने पिछले महीने यूपी के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था, जबकि ऑगस्टा वेस्टलैंड घोटाले में सीबीआई से पूछताछ के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम. के. नारायणन ने इस्तीफा दे दिया था। गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल का हाल में मिजोरम ट्रांसफर कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ और नगालैंड के राज्यपालों- शेखर दत्त और अश्विनी कुमार ने पिछले महीने इस्तीफा दिया था।
सरकार को गोवा, त्रिपुरा, मिजोरम और कर्नाटक में भी राज्यपालों की भर्ती करनी है। पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीरेंद्र कटारिया को उन पर लगे गंभीर आरोपों के बाद शुक्रवार को हटाया गया। राज्यपालों की भर्ती का अगला दौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश से लौटने के बाद शुरू हो सकता है। वह अगले हफ्ते स्वदेश लौटेंगे।

Thursday, July 10, 2014

क्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रु

नरेंद्र मोदी सरकार से बड़ी राहत की उम्मीद लगा बैठे मिडल क्लास को तोहफा दिया है। इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव करते हुए वित्त मंत्री ने टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपया कर दिया। साथ ही 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर छूट मिलेगी। पहले यह सीमा 1 लाख रुपये की थी। सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपया कर दिया गया है। ध्यान रहे कि जनता कम से कम 3 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगाने की मांग कर रही थी।
अपने पहले बजट भाषण में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने टैक्स स्लैब बदलाव किया है। इनकम टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख करने से आम इंडिविजुअल टैक्सपेयर को 5150 रुपये का फायदा होगा। होम लोन इंटरेस्ट पर बढ़ी छूट की सीमा से 10 फीसदी टैक्स स्लैब वालों को 5150 रुपये का फायदा होगा। 

Tuesday, July 8, 2014

जम्मू कश्मीर में दो झंडों की व्यवस्था खत्म करने की मांग की

बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में दो झंडों की व्यवस्था खत्म करने की मांग की है। राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने सदन में यह मांग उठाई। 
बीजेपी के राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने कहा कि देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए एक ही झंडे की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं मांग करता हूं सरकार जम्मू-कश्मीर में दो झंडों की व्यस्था को खत्म करे। वहां एक ही झंडा इस्तेमाल होना चाहिए।' 

अब मोदी को बुलाओ

मुरादाबाद के कांठ में हुए विवाद पर बीजेपी ने स्थानीय प्रशासन पर समाजवादी पार्टी के एजेंट के तौर पर काम करने का आरोप लगाया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का तो यहां तक कहना है कि जिन 62 लोगों को पहले गिरफ्तार कर थाने लाया गया था, उनके मुंह पर पुलिस ने जूते, चप्पलों, डंडों से मारा, गालियां दी और कहा अब मोदी को बुलाओ।
सोमवार को प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से मुखातिब प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांठ गांव में एक समुदाय के लाउड स्पीकर उतरवा दिए गए, दूसरे समुदाय के लाउड स्पीकर बजते रहे। गांव में रहने रहने वाले जाटव समाज के लोग पुलिसिया उत्पीड़न से डरकर घर में ताला लगाकर पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे ट्रैक पर पथराव की घटना में पुलिस ने उन लोगों को भी मुजरिम बना दिया, जिन्हें पहले से ही गिरफ्तार कर पुलिस लाइन में रखा गया था। इनके नाम की सूची पहले ही डीजीपी से लेकर डीआईजी तक भेज दी गई थी। ऐसे फर्जी मुकदमे वापस होने चाहिए।

डॉ. वाजपेयी ने कहा कि यूपीपीएससी की परीक्षाएं जातिवाद का अड्डा बन गई हैं। एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में 95 फीसदी तक नंबर दिए गए, वहीं सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को जानबूझ कर काफी कम अंक दिए गए। यहां तक कि पीसीएस टॉपर तक को इंटरव्यू में नहीं बख्शा गया। इन अनियमितताओं की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम किसी जाति के विरोधी नहीं है, परन्तु किसी प्रकार के जातिवाद का हम विरोध करते है। यह जातिवाद राष्ट्रवाद के लिए खतरा है।

Friday, July 4, 2014

बारामुला जिले के उड़ी में पनबिजली परियोजना 2 का उद्घाटन

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर पहुंचे हैं। यहां उन्होंने कटरा-उधमपुर रेल लाइन का उद्घाटन करते हुए कटड़ा से चलने वाली पहली सवारी गाड़ी को उधमपुर के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शाम चार बजे उनका बारामुला जिले के उड़ी में पनबिजली परियोजना 2 का उद्घाटन करने का कार्यक्रम है।
कटरा को ट्रेन के जरिये शेष भारत से जोड़ने का एक फायदा यह होगा कि जम्मू से कटरा तक पहुंचने में महज सवा घंटे का वक्त लगेगा। अभी सड़क मार्ग से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को 2 घंटे लगते हैं।
इस बीच मोदी के जम्मू-कश्मीर के दौरे को लेकर पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है। जम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हुए इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तसनीम असलम ने कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर के भारत में तथाकथित विलय को स्वीकार नहीं करते हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है। हमारा रुख है कि जम्मू-कश्मीर विवादास्पद क्षेत्र है। पाकिस्तान की दलील को भारत ने सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। भारत ने कहा कि जम्मू कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और आगे भी रहेगा।
मोदी के राज्य के दौरे को लेकर पूछे गए सवाल पर असलम ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने फैसले लेने का हक नहीं मिला है, जिसका वादा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कम-से-कम 20 प्रस्तावों में किया गया है।' पाकिस्तानी प्रवक्ता ने यह आरोप भी लगाया कि सजा पूरी कर चुके पाक कैदियों को भारत छोड़ नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे कई नागरिकों ने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन वे अभी भी जेल में बंद है। उनके खिलाफ एक अपराध की सजा पूरी होने के बाद दूसरे अपराध की धारा लगा दी जाती है। साथ ही उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने भारत की जेलों में बंद 264 सामान्य नागरिक और 116 मछुआरे कैदियों की सूची दी है।
इधर, प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। अलगाववादी संगठनों ने मोदी की यात्रा के विरोध में बंद का आह्वान किया है, जिसके कारण घाटी का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। श्रीनगर शहर के कई पुलों को बंद कर दिया गया है और महत्वपूर्ण स्थलों पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
मोदी की यात्रा से पहले सेना ने पुंछ सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने का दावा किया है। पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में सीमा पार से घुसपैठ का बड़ा प्रयास हुआ। सेना के साथ हुई मुठभेड़ के बाद घुसपैठिये वापस भाग गए। मुठभेड़ में तीन आतंकियों के मारे जाने की भी सूचना है, लेकिन सीमा पर किसी आतंकी का शव बरामद नहीं हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि करीब 10 की संख्या में आए आतंकी वापस भागते समय मारे गए घुसपैठियों के शव भी साथ ले गए हैं। गुरुवार देर रात आतंकियों ने शोपियां में पुलिस के गश्ती दल पर हमला किया, हालांकि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री सुबह साढ़े नौ बजे के करीब जम्मू पहुंचे और उसके बाद हेलिकॉप्टर से कटरा पहुंचे। कटरा में रेलमार्ग का उद्घाटन करने के बाद वह श्रीनगर जाएंगे और राजभवन में लंच करेंगे। इसके बाद बादामी बाग स्थित 15 कोर के हेडक्वॉर्टर में यूनिफाइड कमान की बैठक में उच्च सैन्य अधिकारियों, डीजीपी, अर्द्धसैनिक बलों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक करेंगे। शाम चार बजे बारामुला जिले के उड़ी में पनबिजली परियोजना 2 का उद्घाटन करेंगे। देर शाम श्रीनगर से नई दिल्ली को उड़ान भरेंगे।

Tuesday, July 1, 2014

तमाम कोशिश के बाद भी दिल्ली में प्याज की कीमत लगातार तेज

सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी दिल्ली में प्याज की कीमत में लगातार तेजी आ रही है। न केवल गली-मोहल्ले में, बल्कि मंडी में भी प्याज की कीमतों में इजाफा हो रहा है। प्याज की कीमत कंट्रोल करने के लिए सरकार वैन से प्याज बेच रही है। फिर भी प्याज लोगों को रुला रहा है। स्थिति यह है कि पिछले हफ्ते जो प्याज मंडी में 6 से 19 रुपये के बीच था, वह सोमवार को 9 से 24 रुपये के बीच पहुंच चुका है। आने वाले दिनों में प्याज की दरें और बढ़ सकती हैं।
थोक विक्रेताओं का आरोप है कि मीडिया में प्याज की कीमतों में और बढ़ोतरी की खबरों ने जमाखोरी बढ़ा दी है। जमाखोरों ने प्याज के और महंगे होने के इंतजार में प्याज को दबा लिया है। इसी वजह से प्याज महंगा होता जा रहा है।
आजादपुर मंडी के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि मीडिया रिपोर्टिंग की वजह से प्याज की कीमतों में इजाफा हो रहा है। मार्केट में प्याज की कोई कमी नहीं है, लेकिन फिर भी रेट भाग रहा है। यह महंगाई सीजन के हिसाब से नहीं है। आमतौर पर मानसून आने के बाद ही महंगाई बढ़ती है या 15 जुलाई के बाद ऐसी महंगाई देखी जाती है। अभी केवल प्याज महंगा हो रहा है, क्योंकि मीडिया में केवल प्याज की कीमतों में उछाल की संभावना जताई गई है।
पिछले दिनों मीडिया में खबर आई कि प्याज की कीमत 50 से 100 रुपये तक पहुंच सकता है। इस वजह से जमाखोर एक्टिव हो गए हैं। प्याज के अलावा किसी और सब्जी की कीमत में बढ़ोतरी नहीं हुई है और अभी ऐसी संभावना भी कम है। दूसरी ओर रिटेल में प्याज की कीमत दोगुनी हो चुकी है, लोग 30 से 35 रुपये किलो प्याज खरीदने को मजबूर हैं। प्याज के और महंगा होने की संभावना से लोग प्याज खरीद भी ज्यादा रहे हैं, इस वजह से मांग भी बढ़ गई है।