क्या आप जानते हैं कि बाबरी मस्जिद ध्वंस के टाइम पीरियड में पैदा हुए अयोध्या (और बाकी जगहों के भी) अधिकतर युवाओं को अयोध्या विवाद के बारे में आज से पहले तक कुछ पता नहीं था! जो इस विवाद से थोड़ा बहुत परीचित हैं, उनका कहना है- इसे भूल जाओ और आगे बढ़ो। इन युवाओं के पास इतना वक्त नहीं है कि वे तब हुए सांप्रदायिक दंगों की ओर मुड़ कर देखें। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने बुधवार को ऐसे कई युवाओं से बातचीत की जो 1992 या इसके आसपास के टाइम में पैदा हुए हों। हैरानी की बात यह है कि इन युवाओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अयोध्या विवाद का क्या हल निकलता है। ट्विंकल उप्पल, उम्र 18 साल, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स: सच तो यह है कि इस पूरे मामले पर मुझे कुछ पता नहीं था तब तक जब तक कोर्ट के फैसले को लेकर हंगामा मचना शुरू नहीं हो गया। मेरे ख्याल में एक मस्जिद थी जिसे बीजेपी ने गिरा दिया था। लेकिन, यह बहुत पहले की बात है। मेरी चिंता कोर्ट के फैसले के बाद हम सबकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा है।...मैं चाहे मंदिर जाऊं, मस्जिद जाऊं या फिर गुरुद्वारा, मैं एक सा ही स्पिरिचुअल फील करती हूं। तो फिर दिक्कत कहां हैं? अज़रा खातून, बाबरी मस्जिद ढहाने के दौरान आयु दो वर्ष: मुझे इस मामले का पता तब चला जब मैं स्कूल में थी और मैंने कोर्स के एक चैप्टर में जाति और धर्म पर पढ़ा। जमीन के एक टुकड़े को ले कर लड़ने भिड़ने में मुझे कोई पॉइंट नजर नहीं आता है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। मंदिर मस्जिद, मेरी नजर में सभी सही हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कई विदेशी यहां आएंगे, उन्हें हमें अपनी एकता का नजारा दिखाना चाहिए।
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