Monday, August 31, 2009

दो बार घुसपैठ की गई।

जम्मू-कश्मीर के लेह इलाके में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा घुसपैठ करने की घटनाएं बढ़ गई हैं। अगस्त के महीने में सबसे ज्यादा घुसपैठ हुई हैं। इस साल अगस्त में चीनी गश्ती दल ने भारतीय सीमा में 26 बार प्रवेश किया। वे अपने साथ पेट्रोल और केरोसिन ले गए जो सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों के लिए रखा गया था। इसी इलाके में दो चीनी हेलिकॉप्टरों ने भारतीय वायुसीमा का भी उल्लंघन किया है। इस दौरान उन्होंने हिमालयी कस्बे के चुमार क्षेत्र में बंजर जमीन पर डिब्बाबंद खाना भी गिराया। चीन के एमआई हेलिकॉप्टरों के आने की सूचना ऊंचाई पर स्थित पेंगांग के आसपास रहने वाले लोगों ने पास की रक्षा चौकी को दी। इसके बाद सेना की विमानन कोर ने हरकत में आते हुए अपने चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों को रवाना किया। चीनी हेलिकॉप्टर इस साल 21 जून को भारतीय सीमा में पांच मिनट मंडराए और उन्होंने खाने-पीने की चीजें नीचे फेंकी। उधमपुर में उत्तरी कमान के सैन्य प्रवक्ता ने, चुमार के दक्षिणी क्षेत्र में चीन का हेलिकॉप्टर आने की खबर थी। इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की धारणा को लेकर मतभेद हैं। एक खुफिया रक्षा दस्तावेज से पता चलता है कि लद्दाख के डमचोक क्षेत्र और ट्रिग पहाड़ियों में चीनी हेलिकॉप्टरों ने भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश किया और ऊपर से डिब्बाबंद भोजन गिराया। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस क्षेत्र में कई बार भारतीय पक्ष में घुस आती है। टिग पहाड़ियां वह क्षेत्र हैं जिसमें इस साल जून, जुलाई और अगस्त में चीनी गश्त बढ़ी थी। ट्रिग पहाड़ियों को ट्रेड जंक्शन के रूप में जाना जाता है। अतीत में यह क्षेत्र लद्दाख और तिब्बत को जोड़ता था। चीनी सेना गश्ती दल ने जून में 26 उड़ानें भरी जिनमें हेलिकॉप्टर द्वारा दो बार घुसपैठ की गई। इसके अलावा जुलाई में 21 उड़ानें भरी गईं। सेना प्रवक्ता ने इन घुसपैठ प्रयासों को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा, सीमा के आसपास कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा की अवधारणा को लेकर भारत और चीन के बीच मतभेद हैं। दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अपनी अवधारणाओं वाले क्षेत्र में गश्त करते हैं।

Saturday, August 29, 2009

बीजेपी में भी बदलाव के फॉर्म्युले को लेकर माथापच्ची शुरू

बीजेपी में रोज़-रोज़ की जूतम पैजार के बाद पार्टी में बदलाव की कमान परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खुद संभाल ली है। संघ से मिले संदेश के बाद बीजेपी में भी बदलाव के फॉर्म्युले को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। शुक्रवार देर शाम सरसंघचालक मोहन राव भागवत द्वारा अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को चर्चा के लिए एक साथ बुलाने को राजनीतिक हलके में गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि दोनों के बाद वेंकैया नायडू और अनंत कुमार भी पहुंचे थे। संघ प्रमुख से चारों नेताओं ने करीब 2 घंटे तक चर्चा की और इसके बाद संदेश लेकर आडवाणी के घर रवाना हो गए। सुषमा लोकसभा में विपक्ष की नेता और जेटली पार्टी अध्यक्ष के दावेदार के रूप में उभरे हैं। ऐसी स्थिति में वेंकैया को राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि अभी कुछ भी तय नहीं है और विरोधी गुट इतनी जल्दी हार नहीं मानेगा। इसका प्रमाण पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी का शनिवार सुबह मोहन राव भागवत से मिलना है। बताया जा रहा है कि जोशी चाहते हैं कि आडवाणी के वारिस के रूप में उनके नाम पर भी विचार हो। संघ भी चाहता है कि इस बार कोई कसर ना रह जाए। इसके लिए वह आडवाणी विरोधी नेताओं को भी तरजीह देने के पक्ष में हैं। जबकि जेटली, सुषमा और वेंकैया आडवाणी के ही करीबी माने जाते हैं।
आडवाणी आज भागवत से मिलने वाले हैं और पूरी संभावना है कि इस बैठक में वह उनके सामने कोई फॉर्म्युला पेश करेंगे। अगर, संघ प्रमुख इस पर मुहर लगा देते हैं, तो इसे दिसंबर में अध्यक्ष बदलने के समय अमल में लाया जाएगा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पहले ही संघ प्रमुख से मिलकर अपनी सफाई दे चुके हैं। शुक्रावर को संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने बीजेपी में बदलाव के लिए सार्वजनिक रूप से तीन संदेश दिए थे। पहला, लालकृष्ण आडवाणी को विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देना होगा। दूसरा, पार्टी अध्यक्ष पद से दिसंबर में राजनाथ सिंह की विदाई हो जाएगी। तीसरा, पार्टी के सभी फैसलों में आडवाणी और राजनाथ सिंह की संयुक्त भूमिका रहेगी। संघ ने बीजेपी में बदलाव के लिए इस बार दबाव बढ़ाकर इन दोनों नेताओं के सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। साथ ही यह संकेत भी दे दिया है कि बीजेपी पर संघ की पकड़ ढीली नहीं हुई है।

भारत के पहले मून मिशन पर संकट के बादल मंडराने लगे

भारत के पहले मून मिशन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। शनिवार तड़के चंद्रयान-1 का इसरो से र
ेडियो संपर्क टूट गया। इसरो के वैज्ञानिक संपर्क को फिर से बहाल करने में जुटे हुए हैं। अगर यह नहीं हो पाता है तो दो साल का यह मिशन 10 महीने में ही खत्म हो जाएगा। चंद्रयान-1 को पिछले साल 22 अक्टूबर को छोड़ा गया था। इसरो ने बयान में कहा है कि बेंगलुरु से 40 किलोमीटर दूर ब्यालालू में डीप स्पेस नेटवर्क ने पिछले ऑर्बिट से 12.25 मिनट को चंद्रयान से अंतिम डेटा मिला है। अब इसरो के वैज्ञानिक डेटा के विश्लेषण से चंद्रयान की स्थिति के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। इसरो के बयान में कहा गया है कि चंद्रयान ने ऑर्बिट में 312 दिन पूरे करने के साथ ही चंद्रमा की कक्षा में 3400 चक्कर पूरे कर लिए हैं। चंद्रयान ने इस दौरान कई अहम डेटा भी भेजे हैं। इससे पहले 16 मई को चंद्रयान-1 का एक अहम उपकरण स्टार सेंसर ओवर हीटिंग की वजह से काम करने में नाकाम हो गया था। लेकिन चंद्रयान में लगे जाइरोस्कोप को ऐक्टिवेट करके और उसका तालमेल बाकी के इलेक्ट्रो मेकेनिकल डिवाइस के साथ बैठाकर इस समस्या से निपट लिया गया था।

'सूर्य नमस्कार' एवं 'प्राणायाम' को अनिवार्य न बनाए।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह शैक्षणिक संस्थाओं में
'सूर्य नमस्कार' एवं 'प्राणायाम' को अनिवार्य न बनाए। चीफ जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस अजित सिंह की डिविजन बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह आदेश मध्य प्रदेश कैथलिक चर्च द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है। चर्च ने याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के पहले के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने हाल में सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अल्पसंख्यक संस्थाओं में प्रत्येक हफ्ते करना अनिवार्य बना दिया, जो संविधान की धाराओं का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता आनंद मुत्तूंगल ने राज्य के शिक्षा विभाग के खिलाफ यह कहते हुए कार्रवाई करने की मांग की है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अनिवार्य करने पर पाबंदी लगाए जाने के 24 जनवरी, 2007 के हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद विभाग ने अपने स्कूलों को इसे जुलाई, 2009 से अनिवार्य बनाने को कहा। 2007 में हाई कोर्ट ने जमीयत-ए-उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इन दोनों पद्धतियों को अनिवार्य न बनाने का निर्देश दिया था। कैथलिक चर्च के प्रवक्ता फादर मुत्तूंगल ने दिसंबर, 2006 में कहा था कि इन दोनों अभ्यासों को स्कूलों में साल में एक बार अनिवार्य बना दिया गया। लेकिन अब राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के जरिये 29 जुलाई, 2009 को सर्कुलर जारी कर स्कूलों से इसे प्रत्येक हफ्ते अनिवार्य रूप से आयोजित करवाने को कहा है।

Thursday, August 27, 2009

मिस्यार शादी के बाहर सेक्स संबंधों को जायज ठहरा रहा है।

रूढ़िवादी सऊदी अरब में पुरुष और महिलाएं मिस्यार निकाह के जरिए सेक्स संबंध बनाने को तरजीह दे रहे हैं। मिस्यार निकाह को आप एक तरह की कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कह सकते हैं जिसके जरिए स्त्री-पुरुष पारंपरिक शादी के बंधन में बंधे बिना सेक्स रिलेशन कायम कर सकते हैं। सऊदी अरब जैसे रूढ़िवादी देश में यह प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। मिस्यार में कपल एक दूसरे से अलग रह सकते हैं, लेकिन फिर भी सेक्स संबंध कायम कर सकते हैं। अगर किसी कारणवश पति-पत्नी साथ नहीं रहते या उनका रिश्ता टूट जाता है तो वह अलग रह सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद वह सेक्स संबंध बना सकते हैं। इसमें महिलाएं और पुरुष अपनी मर्जी से अपनी शादीशुदा जिंदगी के अधिकार छोड़ देते हैं। मसलन महिलाओं को मिलने वाले शादी के बाद के सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, वहीं पुरुष पूरी आजादी का आनंद लेते हैं।
सऊदी अरब जैसे देश में मिस्यार के तेजी से प्रचलित होने की एक खास वजह यह भी है कि इससे शादी में होने वाले भारी-भरकम खर्चों जैसे- दहेज, पार्टी, डिनर, घर की साज सजावट, हनीमून का खर्चा भी बच जाता है। गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- मिस्यार उन लोगों को काफी रास आ रहा है जिनके पास ज्यादा पैसा नहीं है। रिपोर्ट में सऊदी अरब के एक व्यक्ति ने कहा है- अपनी पहली शादी के टूट जाने के बाद उसने कई मिस्यार शादियां कीं और किसी भी शादी में वह छह महीने से ज्यादा नहीं रहा। उसने कहा- इन शादियों से उसके खर्च में उतनी कमी नहीं आई जितनी उसने उम्मीद की थी। सच तो यह है कि अब वह एक ऐसे पार्टनर की तलाश कर रहा है, जिसके साथ वह हमेशा रह सके। उन्होंने यह भी कहा कि मिस्यार पत्नियां लालची किस्म की थीं जिनका मकसद गिफ्ट और पैसा लेना ही था। गार्जियन के अनुसार, अब ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जो मिस्यार कॉन्ट्रैक्ट करने को तरजीह दे रही हैं। महिलाओं का कहना है मिस्यार पति कभी अपनी वास्तविक पत्नी को अपने दूसरे संबंधों के बारे में नहीं बताते, तो मिस्यार पत्नियां ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं? गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- मिस्यार पॉप्युलर हो रहा है क्योंकि जिस समाज में विवाहेतर संबंध और शादी से पहले सेक्स संबंधों को अपराध माना जाता है, वहां मिस्यार शादी के बाहर सेक्स संबंधों को जायज ठहरा रहा है।

मिश्र ने कहा, 'फैसला कैबिनेट की सुरक्षा समिति ने किया था।

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने पहले से ही परेशानियों से जूझ रहे बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मिश्र ने आज कहा कि इंडियन एयरलाइंस के अपहृत विमान के यात्रियों को छुड़ाने के लिए तीन आतंकवादियों को मुक्त करने और उनके साथ जसवंत सिंह को कंधार भेजने के तत्कालीन एनडीए सरकार के फैसले में तत्कालीन गृह मंत्री आडवाणी की रजामंदी भी शामिल थी। मिश्र ने कहा, 'फैसला कैबिनेट की सुरक्षा समिति ने किया था। आप जानते हैं कि इस समिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री सदस्य होते हैं।
उन्होंने सीएनएन-आईबीएन चैनल पर पत्रकार करण थापर से कहा कि जब मांगें तीन आतंकवादियों को छोड़ने तक ही आ गईं तो सुरक्षा समिति ने विमान के 160 से ज्यादा बंधक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान बचाने के लिए सर्वसम्मति से फैसला किया था। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों ने माना था कि बंधकों को छुड़ाने के लिए उन तीन आतंकवादियों को मुक्त करना ठीक है। उनसे साफ-साफ पूछा गया कि क्या उस फैसले से सभी सहमत थे, तो मिश्र ने कहा, 'बिल्कुल, वह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था।'

उनके पास करीब 23 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति


राजस्थान में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वीएचपी के एक बड़े नेता दामोदर मोदी से 10 करोड़ रुपये नकद और कम से कम 57 लाख रुपये की जूलरी जब्त की है। वीएचपी के जयपुर प्रांत के 'संरक्षक' मोदी स्टॉक ब्रोकर का भी काम करते हैं। इनकम टैक्स के अडिशनल डायरेक्टर प्रसन्नजीत सिंह ने कहा कि मोदी के आठ बैंक लॉकर हैं और उनकी प्रॉपर्टी कम से कम 22 करोड़ रुपये की है। मोदी ने माना है कि उनके पास करीब 23 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति है और उन्होंने इस पर टैक्स देना स्वीकार किया है।

Tuesday, August 25, 2009

'विभाजन का दोषी कौन'।

भारत विभाजन के 62 साल बाद अभी भी 'विभाजन क्यों और कैसे हुआ' की जगह यह सवाल ज्यादा चर्चित है कि 'विभाजन का दोषी कौन'। इसके लिए कभी अंग्रेज, तो कभी मोहम्मद अली जिन्ना कठघरे में खड़े किए जा चुके हैं। अभी हाल में अपनी पुस्तक 'जिन्ना : भारत विभाजन के आईने में' में बीजेपी के वरिष्ठ नेता माने जाने वाले जसवंत सिंह ने जिन्ना को बाइज्जत बरी करके जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उनके इन विचारों से नाराज होकर बीजेपी ने उन्हें पार्टी से ही निकाल बाहर किया। इस तरह जो नाइंसाफी जसवंत सिंह ने नेहरू और पटेल के साथ की, लगभग वही नाइंसाफी बीजेपी ने जसवंत सिंह के साथ की है। एक तरह से देखा जाए तो जसवंत सिंह ने न सिर्फ नेहरू-पटेल के साथ नाइंसाफी की है, बल्कि उससे भी अधिक जिन्ना के साथ की है। जिस आंदोलन के परिणामस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ, उसमें जिन्ना की केंदीय भूमिका को अनदेखा करना नैतिक रूप से उनके साथ ऐतिहासिक नाइंसाफी है। यह सच है कि पाकिस्तान में कायदे आजम के रूप में प्रतिष्ठित जिन्ना को भारत में खलनायक के रूप में देखा जाता रहा है। जिन्ना को अलग-अलग समय में 'कम्युनल' या फिर 'सेक्युलर' घोषित किया जा चुका है। जसवंत सिंह की किताब छपने से लगभग चार साल पहले लाल कृष्ण आडवाणी पाकिस्तान जाकर जिन्ना को सेक्युलर घोषित कर चुके हैं। इस तरह से जिन्ना पर 'सेक्युलर' या सांप्रदायिक होने के ठप्पे तो अक्सर लगते रहे हैं, लेकिन इससे एक ऐतिहासिक किरदार के रूप में उनका मूल्यांकन करने में कोई मदद नहीं मिली है। जिन्ना के साथ न्याय तभी होगा, जब पाकिस्तान आंदोलन में उनकी भूमिका को सही प्रकार से समझा जाएगा। भारत विभाजन की कहानी भारतीय राजनीति की तीन महाशक्तियों- ब्रिटिश सरकार, कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के परस्पर टकरावों में निहित है। अलग-अलग समय पर इन तीनों शक्तियों को विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा चुका है। ब्रिटिश सरकार ने भारत में ऐसी राजनीति की नींव डाली जिसके तहत समस्त चुनाव क्षेत्र धार्मिक आधार पर निर्धारित किए गए। साथ ही चुनाव क्षेत्र, मतदाताओं तथा निर्वाचित सदस्यों को भी धर्म के आधार पर बांट दिया गया। इस तरह से समूचे भारत की चुनावी राजनीति हिंदू और मुस्लिम, दो खंडों में बंट गई। इस तरह की राजनीतिक संरचना ने जहां एक तरफ सांप्रदायिकता को काफी बल दिया, वहीं सेक्युलर राजनीति के लिए अड़चनें पैदा कीं। भारत में 1937 और 1946 में जो आम चुनाव हुए, वे इसी व्यवस्था के अंतर्गत हुए और इसके नतीजतन हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक ध्रुवीकरण हुआ और वह तेजी से बढ़ता गया। 1946 के चुनावों के तुरंत बाद 1947 में देश का बंटवारा हुआ। यह साफ है कि स्वतंत्रता से पूर्व भारत में राजनीति के सांप्रदायीकरण का मुख्य कारण वही पृथक निर्वाचन प्रणाली थी, जिसकी शुरुआत ब्रिटिश सरकार ने की थी। इस राजनीतिक व्यवस्था ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन के सामने नई समस्याएं खड़ी कीं। राष्ट्रीय आंदोलन का वैचारिक आधार था: साम्राज्यवाद विरोध और राष्ट्रीय एकता। लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के अलग-अलग राजनीतिक मंच तैयार हो जाने से राष्ट्रीय एकता की परियोजना कमजोर पड़ गई। साथ ही इसने 'हिंदू राजनीति' और 'मुस्लिम राजनीति' के अलग-अलग दावेदारों को बढ़ावा दिया। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा (और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी, जिसकी स्थापना 1925 में हो चुकी थी) की अलगाववादी राजनीति का उदय इसी प्रक्रिया का तार्किक परिणाम था। यह सच है कि राष्ट्रीय आंदोलन को साम्राज्यवाद विरोध में तो निर्णायक सफलता मिली, लेकिन राष्ट्रीय एकता, विशेष रूप से हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने में वह निश्चित रूप से असमर्थ रहा। भारत विभाजन में नेहरू और सरदार पटेल की भूमिका यही थी कि ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्मित राजनीतिक संरचना में निहित सांप्रदायीकरण से निपटने की उन्होंने कोशिश तो की, लेकिन वे कामयाब न हो सके। भारतीय राजनीति की तीसरी महाशक्ति- जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग- ने सक्रिय रूप से सांप्रदायिकता फैलाने का अभियान चलाया। पाकिस्तान का निर्माण इसी सांप्रदायिक राजनीति की चरम परिणति था। जिन्ना ने 1937 के बाद से और खास तौर पर 1940 में पाकिस्तान आंदोलन का वैचारिक आधार तैयार किया। इस वैचारिक आधार के तहत उन्होंने द्विराष्ट्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार भारत में एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र थे, हिंदू और मुस्लिम। जिन्ना के अनुसार एक अलग और विशिष्ट राष्ट्र होने के नाते भारतीय मुसलमानों का एक अलग राष्ट्र-राज्य भी होना चाहिए। इस सिद्धांत के आधार पर मुस्लिम लीग ने एक आंदोलन की नींव डाली। इस आंदोलन और संगठन की बागडोर जिन्ना के हाथ में थी। 1940 से 1947 तक जिन्ना इस विचार पर अडिग रहे कि भारतीय मुसलमानों का अपना अलग देश और अपनी सरकार होनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार पर लगातार दबाव डाला कि वे पाकिस्तान की वैधता को स्वीकार करें। इसके लिए वे राजनीतिक ब्लैकमेलिंग का सहारा लेने में भी नहीं चूके। इसी ब्लैकमेलिंग के तहत उन्होंने अगस्त 1946 में मुसलमानों का 'डायरेक्ट ऐक्शन' के लिए आह्वान किया। इसके परिणामस्वरूप अविभाजित बंगाल में भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए। सिर्फ कलकत्ता शहर में चार दिनों में 5 हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए। बंगाल के दंगों की प्रतिक्रिया में बिहार और मुंबई में भी सांप्रदायिक हिंसा हुई। 1946 के आम चुनाव तथा अगस्त-सितंबर की सांप्रदायिक हिंसा के बाद भारत का बंटवारा लगभग अवश्यंभावी हो गया। वे लोग जो न सिर्फ सैद्धांतिक रूप से विभाजन के विरोधी थे, बल्कि जिन्होंने हर संभव प्रयास किया कि देश का विभाजन न हो, वे भी इन भयावह दंगों को देखकर विचलित हो गए और उन्हें मजबूर होकर विभाजन को स्वीकार करना पड़ा। नेहरू और पटेल की भूमिका को इसी संदर्भ में समझने की जरूरत है। जिन्ना पाकिस्तान आंदोलन के निर्माता और प्रवर्तक दोनों थे। पाकिस्तान आंदोलन की विचारधारा, इसकी रणनीति तथा इससे जुड़ी राजनीति के सबसे महत्त्वपूर्ण कर्ताधर्ता जिन्ना ही थे। उन्होंने इस विचारधारा के प्रचार और प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाई। उनकी इस भूमिका को नकारना नैतिक रूप से उनके प्रति और विभाजन को संभव बनाने की ऐतिहासिक प्रक्रिया के प्रति नाइंसाफी होगी।

Sunday, August 23, 2009

गड़े मुर्दे उखाड़ने में लग गए जसवंत सिंह

पार्टी से निकाले जाने के बाद जसवंत सिंह नए-नए बयानों से बीजेपी के गड़े मुर्दे उखाड़ने में लग गए हैं। कंधार विमान अपहरण मुद्दे पर लालकृष्ण आडवाणी पर झूठ बोलने का आरोप लगाने के बाद जसवंत सिंह ने कहा है कि 2002 के दंगे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते थे लेकिन आडवाणी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। बकौल जसवंत, आडवाणी ने वाजपेयी से कहा था कि इस कदम से पार्टी में बवाल मच जाएगा। जसवंत सिंह ने एक टीवी प्रग्राम में कहा कि दंगे के बाद वाजपेयी काफी व्यथित थे और उन्होंने अपना इस्तीफा तक लिखा लिया था। उस दौरान संसद का सेशन चल रहा था। जसवंत ने कहा, ' वाजपेयी ने एक पेपर निकाला और अपना इस्तीफा लिखने लगे। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, तो वह मेरी ओर देखने लगे और बोले मेरा हाथ छोड़ दो।मैं उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर उनके घर ले गया।
उन्होंने बताया कि जब वह, वाजपेयी, आडवाणी और अरुण शौरी के साथ विमान से बीजेपी की मीटिंग में भाग लेने जा रहे थे उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के भविष्य को लेकर बात हुई थी। जसवंत ने कहा कि वाजपेयी ने पूछा, गुजरात का क्या करना है? इसके बाद वहां चुप्पी छा गई। वाजपेयी ने इसके बाद कहा कि हमें गुजरात के बारे में सोचना चाहिए। जसवंत ने कहा कि इस सवाल के बाद आडवाणी उठकर बाथरूम की ओर जाने लगे, तो वाजपेयी ने कहा कि पूछिए क्या करना है। बकौल जसवंत, जब उन्होंने आडवाणी के पास पहुंचकर इस मसले पर पूछा तो उन्होंने कहा कि पार्टी में बवाल खड़ा हो जाएगा। वाजपेयी द्वारा इस्तीफा दिए जाने का मन बनाने की घटना को याद करते हुए जसवंत ने बताया कि उस दिन प्रमोद महाजन ने सदन से उन्हें फोन करके संसद के पीएमओ में तुरंत आने को कहा था। उनके अनुसार महाजन ने उन्हें कहा, संभालिए इस्तीफा दे रहे हैं। घटना का ब्योरा देते हुए जसवंत ने बताया कि वाजपेयी ने अपने सचिव को बुलाया। मैंने उनके सचिव से वापस जाने और अभी नहीं आने को कहा। इस पर वाजपेयी मुझसे सख्ती से बोले- क्या कर रहे हो। यह पूछे जाने पर कि क्या वाजपेयी मोदी को बर्खास्त करना चाहते थे, सिंह ने कहा कि वह बर्खास्त शब्द का प्रयोग तो नहीं करेंगे, लेकिन निश्चित तौर पर वह पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया करने और कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की इच्छा रखते थे।

Thursday, August 20, 2009

राष्ट्र ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आज उनके 65वें जन्मदिन पर याद किया।

राष्ट्र ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आज उनके 65वें जन्मदिन पर याद किया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राजीव गांधी की पत्नी तथा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिवंगत नेता को उनके स्मारक वीर भूमि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका तथा उनके पति राबर्ट वड्रा भी इस अवसर पर मौजूद थे। राजीव गांधी के स्मारक को कमल के सैकड़ों सफेद फूलों से सजाया गया था। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, दिल्ली के उप राज्यपाल तेजिंदर खन्ना, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इमरान खान और पाकिस्तान की दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बीच 'बेहद अंतरंग संबंधों' का दावा किया

मशहूर क्रिकेटर इमरान खान की नई बायॉग्रफी ने पाकिस्तान में तहलका मचा दिया है। किताब में सनसनीखेज खुलासा करते हुए इमरान खान और पाकिस्तान की दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बीच 'बेहद अंतरंग संबंधों' का दावा किया गया है। बताया जाता है कि यह तब की बात है जब इमरान और बेनजीर ऑक्सफर्ड में पढ़ा करते थे। क्रिस्टोफर स्टैनफर्ड ने अपनी इस किताब में लिखा है कि बेनजीर भुट्टो इमरान खान से काफी प्रभावित थीं। ऑक्सफर्ड के दिनों में दोनों एक-दूसरे के 'बेहद करीब' थे। स्टैनफर्ड ने किताब में लिखा है कि दोनों के बीच सेक्शुअल रिलेशन की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। किताब में यह भी खुलासा किया गया है कि इमरान की मां दोनों की शादी के लिए रजामंद थी और उन्होंने इसके लिए कोशिश भी की, लेकिन सफल न हो सकीं। स्टैनफर्ड ने इस किताब के लिए इमरान और उनकी पूर्व पत्नी जेमिमा से बात की। उन्होंने किताब में अपने सूत्रों के हवाले से कहा है कि भुट्टो 1975 में इमरान के करीब आईं। तब वह 21 साल की थी और सेकंड यिअर में पढ़ती थीं। उन्होंने कहा कि बेनजीर क्रिकेट में डेब्यू कर रहे इमरान की शख्सियत से बेहद आकर्षित थीं। संभवत बेनजीर ने ही पहली बार इमरान को 'लॉयन ऑफ लाहौर' कहा था। खान और भुट्टो के बीच सेक्शुअल रिलेशन की बात इसलिए भी पुख्ता होती है क्योंकि इमरान के बारे में उनके एक दोस्त का कॉमेन्ट था- 'खान हर किसी के साथ सोए थे।'

Wednesday, August 19, 2009

और जसवंत आउट

और जसवंत आउट

बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अपनी किताब में जिन्ना को सेक्युलर बताना जसवंत सिंह को काफी महंगा पड़ा है। जसवंत सिंह पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और दार्जिलिंग से सांसद भी हैं। सूत्रों के मुताबिक, संघ परिवार और पार्टी के कई हलकों ने जसवंत सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दबाव बनाया था। इसी का नतीजा है कि जसवंत सिंह को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जसवंत से बैठक में न आने के लिए कहा था। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि जसवंत सिंह की प्राथमिक सदस्यता खत्म कर दी गई है। अब जसवंत सिंह पार्टी के किसी भी पद पर नहीं हैं। राजनाथ ने बताया कि यह फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड ने मिलकर लिया। लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार की जवाबदेही तय करने की मांग करनेवाले नेताओं अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा को भी इस चिंतन बैठक से दूर रखा गया है। गौरतलब है कि बीजेपी के सीनियर लीडर लाल कृष्ण आडवाणी जब पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर गए, तब उन्होंने जिन्ना की काफी तारीफ की थी। इसके बाद भी पार्टी में खूब बवाल मचा था और आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा था। अपडेट@ 11:30 AM अपनी किताब में मोहम्मद अली जिन्ना को सेक्युलर बताने के कारण विवाद में आए जसवंत सिंह इस चिंतन बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। जसवंत ने अपने लिए शिमला में अलग होटल बुक कराया है और वह मंगलवार को आडवाणी द्वारा दिए गए रात्रिभोज में भी शामिल नहीं हुए। खबर है कि जसवंत सिंह अब तक अपने होटल से बाहर नहीं निकले हैं। गौरतलब है कि जसवंत ने अपनी किताब में देश के विभाजन के लिए जिन्ना को नहीं बल्कि नेहरू और कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार बताया है। बीजेपी के सीनियर नेता शिमला की वादियों में बुधवार से तीन दिन तक आत्मनिरीक्षण करेंगे। वे सोचेंगे कि अपने सहयोगी दलों के साथ पार्टी पिछले लोकसभा चुनावों में इतनी सीटें क्यों नहीं ला सकी कि लालकृष्ण आडवाणी देश के प्रधानमंत्री बन सके। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के बागी तेवरों और बीजेपी के सीनियर नेता जसवंत सिंह की पुस्तक में मुहम्मद अली जिन्ना और सरदार वल्लभ भाई पटेल पर की गई टिप्पणियों से उठ रहे बवंडर के माहौल में यह बैठक होगी।
पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे से इस्तीफा मांगे जाने और जसवंत सिंह की जिन्ना और पटेल पर की गई टिप्पणियों से बन रहे माहौल को संभालने की पूरी कोशिश की है। वसुंधरा के मामले में आलाकमान ने कह दिया कि त्यागपत्र के मामले में कोई समयसीमा नहीं बांधी गई है और जसवंत सिंह की किताब में जिन्ना और पटेल की टिप्पणियों पर चिंतन बैठक की पूर्व संध्या पर पार्टी ने खुद को अलग कर लिया। हालांकि पार्टी की हार के बाद सवाल खड़े करने वाले सीनियर नेताओं में से यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी को चिंतन बैठक से दूर रखने में आलाकमान सफल रहे हैं लेकिन जसवंत सिंह उन 25 नेताओं में शामिल हैं जो इस बैठक में भाग ले रहे हैं। जसवंत सिंह ने पार्टी के मुख्य चुनाव प्रबंधक अरुण जेटली को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर अप्रसन्नता प्रकट करते हुए चुनावों में बीजेपी की हार के बाद प्रदर्शन और पुरस्कार में संबंध बैठाने का सवाल खड़ा किया था। हालांकि संकेत इस प्रकार के मिल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान चिंतन बैठक के दौरान 'बीती ताहे बिसार के, आगे की सुध ले' की तर्ज पर आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की चुनावी रणनीति को चर्चा का केंद्र बनाने की कोशिश करे। लेकिन जसवंत सिंह के रुख से लगता है कि वह पार्टी नेताओं के लिए कुछ असहज सवाल फिर से खड़े करने की कोशिश करें। बैठक में भाग लेने वाले नेताओं में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, संसद के दोनों सदनों के प्रतिपक्ष के नेता-सुषमा स्वराज और अरुण शौरी, चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने की जिम्मेदारी वहन करने वाले बाल आप्टे आदि शामिल हैं। दिल्ली से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विजय गोयल को ही बैठक में शामिल किया गया है। चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने के लिए बाल आप्टे समिति का गठन किया गया था जिसने विभिन्न राज्यों की पार्टी की इकाइयों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। उस रिपोर्ट पर विचार किया जा सकता है। हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों को ध्यान में रख कर भी आगे की रणनीति तैयार की जा सकती है। नई दिल्ली में सत्ता में आने के लिए पार्टी की चिंता देश के दक्षिणी राज्यों में मतदाता का समर्थन प्राप्त करना है। आडवाणी भी दक्षिण भारत में अपना आधार मजबूत करने पर जोर दे चुके हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि देश के दक्षिणी हिस्सों की 145 लोकसभा सीटों पर प्रतिनिधित्व के मामले में बीजेपी फिलहाल शून्य है। वैसे पार्टी के नेता चिंतन बैठक के शुरू होने से पहले ही शंका प्रकट कर रहे हैं कि इस बैठक से कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है। 2004 के चुनावों की हार के बाद भी पार्टी सबक नहीं सीख सकी तो तीन दिन की बैठक में क्या हो सकता है। आम चुनावों में अभी पांच साल का समय शेष है और विधानसभा चुनावों में हार जीत के कारण राज्यवार ही हो सकते हैं। इसलिए भिन्न राज्यों में एक रणनीति काम करने वाली नहीं है।

Tuesday, August 18, 2009

भारत में रह रहे मुसलमानों की आंखों में देखिए।

बीजेपी के सीनियर नेता जसवंत सिंह ने कहा है कि भारतीय मुसलमानों के साथ दूसरे ग्रह के प्राणी जैसा बर्ताव किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश का बंटवारा जिन्ना नहीं , बल्कि नेहरू की केंद्रीयकृत राजनीति की वजह से हुआ था। एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जसवंत ने जिन्ना से लेकर भारत - पाक विभाजन समेत कई मुद्दों पर बेबाक राय जाहिर की। उनकी नई किताब ' जिन्ना - इंडिया , पार्टिशन , इंडिपेंडंस ' आज रिलीस होने वाली है।

कवि की चुटकीः
देश विभाजन के लिए नेहरू जिम्मेदार भारतीय मुसलमानों का जिक्र करते हुए जसवंत ने कहा कि यहां के मुस्लिमों ने विभाजन की कीमत चुकाई है। उन्होंने बेबाकी से कहा , ' भारत मुसलमानों के साथ ' दूसरे ग्रह के प्राणी ' की तरह बर्ताव करता है।
भारत में रह रहे मुसलमानों की आंखों में देखिए।
आपको उनमें वतन की पहचान की अनिश्चितता का दर्द नजर आएगा। भारत में मुसलमान ज्यादा मजबूत हो सकते थे। मैं जो कुछ कह रहा हूं , वह बेशक पाकिस्तान और बांग्लादेश को अच्छा नहीं लगेगा। ' जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जिन्ना को एक महान व्यक्ति मानते हैं तो जसवंत ने कहा , ' हां बिल्कुल मानता हूं क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं में से एक चीज बनाई थी और वह खुद को नापसंद करने वाली कांग्रेस पार्टी व अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपने दम पर खड़े हुए। गांधी जी ने खुद भी जिन्ना को महान भारतीय कहा था , तो हम उन्हें यह दर्जा क्यों नहीं देते ? हम यह क्यों नहीं समझते कि महात्मा गांधी ने ऐसा क्यों कहा था। ' पूर्व विदेश मंत्री सिंह ने कहा , ' मैं जिन्ना की प्रचलित छवि को सही नहीं मानता। भारत ने जिन्ना को गलत समझा और उन्हें एक हिंदू विरोधी व्यक्ति माना। प्रचलित धारणा के उलट जसवंत का मानना है कि जिन्ना नहीं बल्कि नेहरू की केंद्रीयकृत राजनीति की वजह से ही देश का बंटवारा हुआ था। ' सिंह के मुताबिक , ' क्या होता अगर अलग होने के इस रास्ते और निरंतर विवाद के बजाय हमने 1947 के विभाजन के बाद मिलकर काम करने का रास्ता चुना होता। ' इंटरव्यू में जब जसवंत सिंह के किताब में छपे अंश का उदाहरण देते हुए पूछा गया कि क्या भारत को फिर विभाजन के दौर से गुजरना पड़ सकता है ? इस पर जसवंत ने कहा , ' रिजर्वेशन की समस्या 1906 में शुरू हुई थी। अब देखिए सच्चर कमिटी क्या कहती है ? मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था करो। अब हम क्या कर रहे हैं ? फिर वही रिजर्वेशन। मेरा मानना है कि मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन एक त्रासदी भरा कदम होगा। मुझे निजी तौर पर लगता है कि इससे हमें तीसरे विभाजन के दौर से गुजरना पड़ेगा। '

Monday, August 17, 2009

एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवासियों को एससी, एसटी का लाभ नहीं मिल सकता

एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवासियों को एससी, एसटी का लाभ नहीं मिल सकता
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि एक राज्य से पलायन करके दूसरे राज्य में बसने वाले एससी, एसटी और ओबीसी के लोग आरक्षण का लाभ नहीं मांग सकते। जिस राज्य में वे बस गए हैं, वहां अगर उनकी जाति या जनजाति को आरक्षित समुदाय में नहीं रखा गया है तो उन्हें यह सुविधा नहीं मिल सकती है। कोर्ट ने कहा कि प्रवासी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोग दूसरे राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत भी आरक्षण का लाभ देने का दावा नहीं कर सकते। कोर्ट के मुताबिक, जाति या कबीले से जुड़े लोग एक राज्य में हानि का सामना कर सकते हैं, लेकिन दूसरे राज्य में हो सकता है कि उसी हानि का सामना नहीं करना पड़े।

Sunday, August 16, 2009

गृह मंत्री श्री चिदम्बरम ने आम आदमी की तरह ही टिकट खरीदकर आतंकवाद से नहीं घबराने की नसीहत दी

गृह मंत्री श्री चिदम्बरम ने आम आदमी की तरह ही टिकट खरीदकर आतंकवाद से नहीं घबराने की नसीहत दी
यहां वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप देखने के लिए टिकिट खरीद रहे दर्शक अपनी लाइन में गृह मंत्री पी. चिदंबरम को खड़े देखकर चौंक गए। चिदंबरम ने अपने पैसों से काउंटर से टिकिट खरीदा और दर्शक गैलरी में बैठकर मैच का फाइनल देखा। इस तरह उन्होंने यह मेसिज देने की कोशिश की कि चैंपियनशिप को आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं है। गौरतलब है कि इंग्लैंड की टीम यहां आतंकवादी खतरे की आशंका को वजह बताकर वापस लौट गई थी। चिदंबरम कमर्शल फ्लाइट से हैदराबाद पहुंचे और अपनी प्राइवट कार में बैठकर गोचिवाउली स्टेडियम आए। उन्होंने एक हजार रुपये का टिकिट खरीदा और आम दर्शकों के बीच बैठकर मैच का लुत्फ लेने लगे। इसी बीच आयोजकों की नजर उन पर पड़ी। आयोजकों ने उनसे आग्रह किया कि वह मैन्स चैंपियन चीन के लिन दैन को पुरस्कार दें। बाद में, उन्होंने वीआईपी गैलरी में बैठकर मिक्स्ड डबल्स और विमिंस डबल्स मैच देखे। चिदंबरम ने कहा कि मेरे द्वारा बयान जारी किए जाने के बावजूद इंग्लैंड की टीम द्वारा लश्कर के हमले का खतरा बताकर लौट जाने के बाद से ही मैं अंदर ही अंदर जल रहा था। इसीलिए मैं यहां आया।

Friday, August 14, 2009

इनकम टैक्स स्लैब में भारी बदलाव

सरकार पुराने डायरेक्ट टैक्स के ढांचे में बदलाव लाने की पहल कर दी है , जो 1961 से चला आ रहा है। इसकी शुरुआत करते हुए बुधवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने डायरेक्ट टैक्स कोड का नया मसौदा जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा , सरकार टैक्स प्रक्रिया को समान और सरल बनाने के साथ टैक्स दरों को इतना उदार बनाना चाहती है कि आम आदमी की बचत की आदत और बढ़े। नए कोड पर आम आदमी से लेकर कॉरपोरेट दिग्गजों और बाजार विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। जरूरत पड़ी तो सुधार भी किया जाएगा। संभवत : नया कोड कानून के रूप में 2011 से लागू होगा।
इनकम टैक्स स्लैब में भारी बदलाव
फिलहाल 1.60 लाख से 3 लाख रुपये की इनकम पर 10 पर्सेंट , 3 से 5 लाख रुपये पर 20 पर्सेंट और 5 लाख से ज्यादा पर 30 पर्सेंट का इनकम टैक्स देना पड़ता है। नए कोड में 10 लाख रुपये तक की इनकम पर 10 पर्सेंट , 10 लाख से 25 लाख रुपये पर 20 पर्सेंट और 25 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 पर्सेंट टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
3 लाख रुपये तक सेविंग छूट
आम आयकर दाता को फिलहाल 80 सी के तहत एक लाख रुपये तक की सेविंग या इन्वेस्टमेंट में टैक्स छूट हासिल है। नए कोड में इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया है।
ब्याज पर टैक्स नहीं कटेगा
बैंक से मिलने वाले ब्याज या किसी स्कीम पर मिलने वाले बोनस और ब्याज पर कोई कटौती नहीं की जाएगी। पूरी राशि मिलेगी। टैक्स पेयर को उसे अपनी आय में जोड़कर दिखाना होगा।
लॉन्ग टर्म स्कीम को ईईटी के दायरे में
सभी लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम को ईईटी के दायरे में लाया जाएगा। यानी टैक्स कटौती सिर्फ विड्रॉअल के समय ही होगी। पीएफ और पेंशन फंड में छूट होगी , लेकिन 31 मार्च 2011 तक जमा राशि पर ही।
कॉरपोरेट को राहत
कॉरपोरेट टैक्स को 30 पर्सेंट से घटाकर 25 पर्सेंट करने का प्रस्ताव है। कंपनियां काफी लंबे समय से कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की मांग कर रही हैं।
50 करोड़ पर वेल्थ टैक्स
अगर कुल संपदा 50 करोड़ रुपये से ज्यादा है , तो वेल्थ टैक्स देना होगा। इसकी दर 0.25 फीसदी होगी। घाटे की भरपाई का भरपूर समय अगर किसी कंपनी को एक साल घाटा हुआ और अगले साल फायदा , तो फायदे में से घाटे की भरपाई के बाद ही उसे इनकम टैक्स देना पड़ता है। यह छूट कंपनी को आठ साल तक के लिए मिली हुई है। इसमें अब समय सीमा खत्म की जा सकती है।

एसटीटी खत्म
शेयरों की खरीद - फरोख्त पर लगने वाले सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स ( एसटीटी ) को खत्म करने की सिफारिश नए कोड में की गई है। फिलहाल शेयरों की खरीद - फरोख्त करने कारोबारियों को हर सौदे पर 0.125 पर्सेंट का एसटीटी देना पड़ता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा
फिलहाल शेयरों को खरीदकर एक साल बाद बेचने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। है। मगर सरकार की मंशा अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने की है। शेयर खरीदने के बाद बेशक कोई उसे दो या पांच साल बाद बेचे , उसे कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा। कैपिटल गेन आय का हिस्सा माना जाएगा। लॉन्ग और शॉर्ट टर्म गेन का फर्क खत्म होगा।

अपनी लाइफ के सच का सामना नहीं कर सका और सदमे में फांसी लगाकर जान दे दी।

एक टीवी चैनल पर आने वाले शो 'सच का सामना' देखने वाला एक शख्स अपनी लाइफ के सच का सामना नहीं कर सका और सदमे में फांसी लगाकर जान दे दी। प्रोग्रैम देखकर एक्साइटमंट में उसने पत्नी से अपने सच का खुलासा करने को कहा, लेकिन सच को वह सहन नहीं कर सका। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। कासना पुलिस के अनुसार ग्रेटर नोएडा के राजेंद्र (बदला हुआ नाम) यहां के एक मॉल में काम करते थे। वह और उनकी पत्नी टीवी पर सच का सामना रेगुलर देखते थे। इसी की तर्ज पर राजेंद्र ने मंगलवार रात पत्नी को सच का सामना करने के लिए कहा। पत्नी ने पहले इससे इनकार किया, लेकिन अपनी कसम दिलाकर राजेंद्र ने पत्नी को मना ही लिया। उन्होंने पत्नी को यकीन दिलाया कि सच जैसा भी हो, वह उसे मंजूर करेंगे और पत्नी को उतना ही प्यार करेंगे। भरोसे में आई पत्नी ने पति को बता दिया कि शादी से पहले उन्होंने अपने प्रेमी से शारीरिक संबंध बनाए थे। यह सुनकर राजेंद्र को गहरा सदमा लगा। अगले दिन यानी बुधवार को वह तैयार होकर काम पर चले गए। देर शाम वह चुपचाप घर पहुंचे तो पत्नी घर पर नहीं थी। राजेंद्र ने पत्नी की चुनरी का फंदा बनाया और खिड़की की ग्रिल के सहारे फांसी लगा ली। पत्नी घर लौटी तो पति को ग्रिल से लटका हुआ देखा। पत्नी ने पड़ोसी को बुलाया जो उनके पति के साथ ही काम करते थे। पड़ोसी ने ही कासना पुलिस को घटना की खबर दी। एसपी देहात सुरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि शादी से पहले पत्नी के संबंधों के बारे में जानने पर सदमे में राजेंद्र ने जान दी है। समाजशास्त्री डॉ. आनंद आर्य का कहना है कि जीवन में कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें रहस्य रखना ही बेहतर होता है। कई बार इनके खुलने से लोगों के जीवन में भूचाल आ जाता है

Wednesday, August 12, 2009

जब मंत्री के दोनो पुत्र इससे संक्रमित है तो आम भारतीय आदमी की क्या दशा होगी यह भी सोचना होगा

स्वाइन फ्लू एक महामारी घोषित होनी चाहिये, जब मंत्री के दोनो पुत्र इससे संक्रमित है तो आम भारतीय आदमी की क्या दशा होगी यह भी सोचना होगा ।

दिल्ली सरकार के मंत्री हारून यूसुफ के दोनों बेटों को स्वाइन फ्लू हो गया है। टेस्ट में दोनों बच्चे पॉजिटिव पाए गए हैं। हारून के दोनों बेटे संस्कृति स्कूल में पढ़ते हैं। हारून यूसुफ दिल्ली सरकार में फूड ऐंड सप्लाई मिनिस्टर हैं। हालांकि संस्कृति स्कूल पहले ही एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया है। हारून यूसूफ ने मीडिया से भी बात की और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी नहीं है कि लोग बेवजह परेशान हो जाएं लेकिन अपनीतरफ से सतर्कता बरतें और बच्चों की खास तौर पर देखभाल करें। इससे पहले स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रकोप के चलते महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के सभी स्कूलों को अगले 20 अगस्त तक बंद करने का ऐलान किया है। सरकार ने शहर के सभी थिएटर, मल्टीप्लेक्सों और मॉल्स को अगले 3 दिन तक बंद रखने का फैसला भी किया है। महाराष्ट्र में बुधवार को स्वाइन फ्लू से एक महिला सहित 4 और लोगों की मौत हो जाने के साथ ही देश में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई। पुणे में अब तक 8 लोग इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। महाराष्ट्र में अब तक स्वाइन फ्लू से 10 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य स्वाइन फ्लू नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे के निकट पिंपरी के रहने वाले संजय मिस्त्री (35) को गत रविवार गंभीर हालत में पुणे के ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। मिस्त्री के निधन के कुछ घंटे बाद ही इसी बीमारी से 29 वर्षीया श्रावणी देशपांडे की मौत हो गई। उन्हें 3 दिन पहले निमोनिया से पीड़ित होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उनके भी स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने का पता चला। उसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उधर, नासिक सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू से राकेश गरगुंडे नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई। अस्पताल के सर्जन ए. डी. भाल सिंह ने बताया कि बुधवार तड़के तीन बजे के आसपास गरगुंडे की मौत हुई। उन्हें दो दिन पहले बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें भी जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। उनके स्वाइन फ्लू से पीडि़त होने की जानकारी अस्पताल को मंगलवार देर रात को मिली थी। स्वाइन फ्लू के दो और संदिग्ध रोगियों विनोद बोरकुल (21)और कुलकर्णी (26)को भी नासिक सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। बोरकुल में तो स्वाइन फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कुलकर्णी की रिपोर्ट का अभी इंतजार है। अब तक पुणे में 7, मुंबई में 2, गुजरात में 2 और तलिनाडु, केरल व नासिक में एक-एक व्यक्ति की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है। इसके साथ ही इस फ्लू का वायरस अब जम्मू-कश्मीर और मेघालय जैसे नए इलाकों तक जा पहुंचा है। उधर, वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप पर भी इसकी छाया दिखी। हैदराबाद में चल रही वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के दौरान मलयेशियाई कोच को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसमें रोग के लक्षण देखे गए हैं। पुणे में एमबीए की पढ़ाई कर रही एक लड़की जम्मू में टेस्ट में पॉजिटिव पाई गई है। यूके से लौटा 17 साल का एक लड़का शिलॉन्ग में पॉजिटिव पाया गया है।

Saturday, August 8, 2009

फीस बढ़ोतरी पर सरकार ही कानून बना सकती है

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी और कोर्ट के इस फैसले के बाद पब्लिक स्कूल मनमानी नहीं कर सकेंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने फीस बढ़ाने के मामले में पब्लिक स्कूलों पर शिकंजा कसते हुए साफ किया है कि फीस बढ़ोतरी पर सरकार ही कानून बना सकती है और पब्लिक स्कूल अपनी मर्जी से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने नियमित अंतराल पर फीस बढ़ाने की इजाजत से संबंधित पब्लिक स्कूलों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल सरकार ही इस पर नियम-कानून बना सकती है और पब्लिक स्कूलों को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। दिल्ली अभिभावक संघ और सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभिभावकों के लिए बहुत बड़ी राहत है, क्योंकि इन स्कूलों की मनमानी से अभिभावक बहुत ही दुखी हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इन स्कूलों को इस मुद्दे पर भी फटकार लगाई है कि उन्होंने शिक्षा को मात्र व्यापार के नजरिए से देखा है और अभिभावकों से अनाप-शनाप मदों में बेतहाशा धनराशि वसूली है। अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2004 के अपने उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें फीस बढ़ोतरी के मामले में शिक्षा निदेशक को अपनी शक्तियों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी और उन्हें ही अंतिम माना गया था। इसके अलावा फीस ढांचे पर रोक लगाने के शिक्षा निदेशक के फैसले को भी उचित ठहराया गया है।

Wednesday, August 5, 2009

अब अगला नंबर किसका?


हरियाणा के अमलोह गांव के लोगों की जुबान पर पिछले कुछ महीने से यही सवाल है। हर किसी के चेहरे पर मौत का खौफ साफ पढ़ा जा सकता है। लोग इतने घबराए हुए हैं कि उन्होंने शराब व मांस-मच्छी क्या सेक्स करना तक छोड़ दिया है। वजह? वजह यह है कि इस गांव में पिछले चार महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। यमुनानगर जिले के अमलोह गांव की आबादी 600 है। चार महीने पहले गांव में सबकुछ नॉर्मल था। लेकिन फिर अचानक 13 मई को गांव के रुलिया राम अपने बिस्तर पर मृत मिले। गांव वालों के लिए यह सामान्य घटना थी।...लेकिन मौत का यह सिलसिला बड़े अजीब तरीके से आगे बढ़ा। गांव में पिछले 4 महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। गांव के सरपंच कुलदीप कहते हैं कि आज यानी गुरुवार को फिर 17वां दिन है। लोग सहमे हुए हैं कि आज किसका नंबर है। कुलदीप कहते हैं कि दुनिया भले ही इस पर यकीन न करे, लेकिन हम पिछले चार महीने में अपने 5 लोगों को खो चुके हैं। वह संदेह जताते हैं कि जरूर गांव के खेड़ा देवता को किसी ने नाराज कर दिया है। इससे पूरा गांव मुसीबत में फंस गया है। उन्होंने बताया कि रुलिया राम के बाद हर 17 दिन में सीमा देवी, राहुल (22), धर्मपाल, रमन पाल (19) की मौत हो चुकी है।

अब अगला नंबर किसका?


हरियाणा के अमलोह गांव के लोगों की जुबान पर पिछले कुछ महीने से यही सवाल है। हर किसी के चेहरे पर मौत का खौफ साफ पढ़ा जा सकता है। लोग इतने घबराए हुए हैं कि उन्होंने शराब व मांस-मच्छी क्या सेक्स करना तक छोड़ दिया है। वजह? वजह यह है कि इस गांव में पिछले चार महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। यमुनानगर जिले के अमलोह गांव की आबादी 600 है। चार महीने पहले गांव में सबकुछ नॉर्मल था। लेकिन फिर अचानक 13 मई को गांव के रुलिया राम अपने बिस्तर पर मृत मिले। गांव वालों के लिए यह सामान्य घटना थी।...लेकिन मौत का यह सिलसिला बड़े अजीब तरीके से आगे बढ़ा। गांव में पिछले 4 महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। गांव के सरपंच कुलदीप कहते हैं कि आज यानी गुरुवार को फिर 17वां दिन है। लोग सहमे हुए हैं कि आज किसका नंबर है। कुलदीप कहते हैं कि दुनिया भले ही इस पर यकीन न करे, लेकिन हम पिछले चार महीने में अपने 5 लोगों को खो चुके हैं। वह संदेह जताते हैं कि जरूर गांव के खेड़ा देवता को किसी ने नाराज कर दिया है। इससे पूरा गांव मुसीबत में फंस गया है। उन्होंने बताया कि रुलिया राम के बाद हर 17 दिन में सीमा देवी, राहुल (22), धर्मपाल, रमन पाल (19) की मौत हो चुकी है।

अब अगला नंबर किसका?


हरियाणा के अमलोह गांव के लोगों की जुबान पर पिछले कुछ महीने से यही सवाल है। हर किसी के चेहरे पर मौत का खौफ साफ पढ़ा जा सकता है। लोग इतने घबराए हुए हैं कि उन्होंने शराब व मांस-मच्छी क्या सेक्स करना तक छोड़ दिया है। वजह? वजह यह है कि इस गांव में पिछले चार महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। यमुनानगर जिले के अमलोह गांव की आबादी 600 है। चार महीने पहले गांव में सबकुछ नॉर्मल था। लेकिन फिर अचानक 13 मई को गांव के रुलिया राम अपने बिस्तर पर मृत मिले। गांव वालों के लिए यह सामान्य घटना थी।...लेकिन मौत का यह सिलसिला बड़े अजीब तरीके से आगे बढ़ा। गांव में पिछले 4 महीने से हर 17 दिन में एक आदमी की मौत हो रही है। गांव के सरपंच कुलदीप कहते हैं कि आज यानी गुरुवार को फिर 17वां दिन है। लोग सहमे हुए हैं कि आज किसका नंबर है। कुलदीप कहते हैं कि दुनिया भले ही इस पर यकीन न करे, लेकिन हम पिछले चार महीने में अपने 5 लोगों को खो चुके हैं। वह संदेह जताते हैं कि जरूर गांव के खेड़ा देवता को किसी ने नाराज कर दिया है। इससे पूरा गांव मुसीबत में फंस गया है। उन्होंने बताया कि रुलिया राम के बाद हर 17 दिन में सीमा देवी, राहुल (22), धर्मपाल, रमन पाल (19) की मौत हो चुकी है।

Sunday, August 2, 2009

क्या 16 की लड़की सेक्स के लिए सहमति दे सकती है?

क्या 16 की लड़की सेक्स के लिए सहमति दे सकती है? और क्या इस सहमति को वैध समझा जाना चाहिए? इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का कहना है कि इस उम्र में लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से सेक्स के लिए सहमति देने लायक नहीं समझा जा सकता, इसलिए इस सहमति को जायज नहीं ठहराया जा सकता। जस्टिस वी. डी. चतुर्वेदी ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया और यूपी के अडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें सेक्स के लिए सहमति की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 करना चाहती हैं। कोर्ट ने यह बात एक रेप केस की सुनवाई के दौरान कही। रेप के एक दोषी ने हाई कोर्ट में अपील की थी। उसे रेप के इल्जाम में 7 साल की कैद की सजा हुई है। दोषी का कहना है कि रेप के वक्त लड़की की उम्र 17 साल थी और उसने शारीरिक संबंध सहमति से बनाए थे। इस आधार पर दोषी ने दी गई सजा को चैलेंज किया था। लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी। कोर्ट का कहना था कि लड़की की सहमति मर्जी से नहीं दी गई थी। सेक्स के लिए लड़की की जायज सहमति की उम्र के लिए 16 साल पर सवाल उठाते हुए जज ने संसद में पास हुए अलग-अलग बिल और कानूनों को आधार बनाया है। इनमें हिंदू माइनॉरिटी ऐंड गार्जियनशिप ऐक्ट, चाइल्ड मैरिज ऐक्ट और जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट शामिल है। कोर्ट के मुताबिक इन सभी में लड़की की बालिग उम्र 18 या 21 साल मानी गई है। लेकिन आईपीसी के सेक्शन 375 और 361 के तहत लड़की की बालिग उम्र 16 साल है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान नीति निर्देशक सिद्धांतों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ तो लड़की को 18 साल की उम्र से पहले शादी के लिए बालिग नहीं माना जाता और दूसरी तरफ 16 साल की बच्ची को सेक्स के लिए सहमति देने लायक मान लिया जाता है।

फिर भी टीचर्स टोकती रहती हैं।

स्कूलों में बच्चे कितनी लो वेस्ट स्कर्ट या पैंट पहन सकते हैं? इस बारे में टीचर्स और बच्चों का नजरिए एकदम अलग है। जहां टीचर्स का कहना है कि लो वेस्ट स्कर्ट, पैंट अश्लील हो या न हो, अनटाइडी लगती हैं जबकि बच्चों का कहना है कि स्कर्ट को हम ऊपर बांध कर नहीं रख सकते। ऐसा असहज भी है और बहुत बोरिंग लुक भी देता है। फैशन डिजाइनर्स का मानना है कि बैली बटन से डेढ़ से दो इंच नीचे स्कर्ट या पैंट नॉर्मल मानी जाती है अगर इससे नीचे हो तो इसे वाकई लो वेस्ट कह सकते हैं। माउंट कार्मल स्कूल में एक छात्र को लो वेस्ट पैंट पहनने की वजह से एक महीने के लिए सस्पेंड करने के बाद यह चर्चा गरम है कि क्या लो वेस्ट को अश्लील माना जाए? असहज है ऊपर स्कर्ट बांधना 11 वीं की स्टूडेंट आकृति कहती हैं हम नर्सो की तरह स्कर्ट नहीं पहन सकते। हमारी स्कर्ट इतनी नीचे भी नहीं होती है कि वह अश्लील लगे। फिर भी टीचर्स टोकती रहती हैं। मुझे इस वजह से स्कूल ही चेंज करना पड़ा क्योंकि टीचर को लगता था कि मेरी स्कर्ट लो वेस्ट है और मुझे लगता था कि वह सही है। शर्ट, स्कर्ट के भीतर टक की होती है और थोड़ी स्ट्रैच करते हैं। इसमें गलत क्या है? इसी तरह मुक्ति कहती हैं कि जब हमारी स्कर्ट से बॉडी नहीं दिखाई देती तो किस बात की आपत्ति। बहुत ऊपर स्कर्ट बांधना वैसे भी बहुत अनकम्फर्टेबल लगता है। लेकिन प्रज्ञा की इस बारे में अलग राय है। वह कहती हैं कि मुझे नीचे खिसकी हुई स्कर्ट अच्छी नहीं लगती है। पीयूष का कहना है कि ज्यादा नीचे पैंट तो हम वैसे भी नहीं पहन सकते। जितना कम्फर्टेबल होगा उतनी ही पहनते हैं। रितु कहती हैं कि ऊपर स्कर्ट बांध कर हम बेवकूफ नहीं दिखना चाहते। हम ऐसे स्कर्ट पहनते हैं कि वह अश्लील ना लगे साथ ही अच्छा लुक भी आए। इसमें बुराई ही क्या है। अश्लील हो न हो अनटाइडी है हालांकि कई टीचर्स सस्पेंशन जैसे कदम का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन इतना जरूर मानते है कि बच्चों को स्कूल में लो वेस्ट स्कर्ट, पैंट पहनने से रोका जाना चाहिए। लक्ष्मण पब्लिक स्कूल की प्रिसिंपल उषा राम कहती हैं कि बच्चों को स्कूल में इस तरह की छूट नहीं दी जा सकती। अगर वह अश्लील नहीं लगता तो हम ऐसे ही नहीं टोकते। जब कुछ दिखता है तभी हम कहते हैं। कुछ बॉयज पैंट को इतना नीचे पहनते हैं कि वह लटकी हुई सी लगने लगती है। वैसे सस्पेंड कर देने से दिक्कत दूर नहीं होगी। हम अपने स्कूल में अगर लड़कियों की स्कर्ट छोटी होती है तो उसे नीचे से खोल कर लंबी कर देते हैं। या पैंट सही नहीं होती तो कहते हैं कि आप खेलने नहीं जाएंगे पूरा वक्त लाइब्रेरी में रहेंगे या ऐसा ही कुछ और। इससे बच्चे खुद ही संभल जाते हैं। स्प्रिंगडेल स्कूल की अमिता वट्टल कहती हैं कि मैं इसे अलग नजरिए से देखती हूं। हम भी अपने जमाने में ऐसा कुछ किया करते थे जिसे फैशन माना जाता था। पहले तो बच्चा स्कूल में कायदे से आता है लेकिन 14 से 16 साल तक की उम्र ऐसी होती है जब वह अपनी पहचान बनाना चाहता है। फैशन के जरिए वह अपना अस्तित्व ढूंढते हैं। जैसे बाल कुछ अजीब से कर लेते हैं या कान में कुछ पहन लेते हैं। हमें उनके नजरिए को बदलने की जरूरत है ना कि सस्पेंड करने की। स्कूल में अक्सर मैं ऐसे बच्चों से कहती हूं ऐसे आप कितने अजीब लग रहे हैं। हमने मेडिकल रूम में कुछ यूनिफॉर्म्स रखी हैं। जब कोई इस तरह की हरकत करता है तो हम उसे मेडिकल रूम से दूसरी ड्रेस पहनने को कहते है। जो बच्चों को अच्छा नहीं लगता और फिर वह यह गलती नहीं दोहराते। हम अपने टेलर से यूनिफॉर्म बनवाते हैं और उसे डिजाइन की सख्त हिदायत दिए रहते हैं। लो वेस्ट स्कर्ट, पैंट का कट ही अलग होता है। जरूरी नहीं कि लो बेस्ट ड्रेस पहनकर बॉडी दिखे पर वह अनटाइडी जरूर लगती है। स्कूल में ऐसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। 2 इंच नीचे इज ओके फैशन डिजाइनर विजय अरोड़ा कहते हैं कि देखकर पता चल जाता है कि कौन सी ड्रेस लो वेस्ट है। इसका कोई तय फॉर्म्युला नहीं है। लेकिन फिर भी बैली बटन से 2 इंच नीचे नॉर्मल माना जाता है। यह हाइट पर भी निर्भर करता है। अगर हाइट ज्यादा है तो 2 इंच और कम है तो एक इंच से नीचे लो वेस्ट मान सकते हैं। फैशन डिजाइनर राहुल जैन कहते हैं कि कमर की हड्डी से नीचे खिसकती ड्रेस को अश्लील माना जा सकता है। लेकिन नेवल से डेढ़- दो इंच नीचे स्कर्ट या पैंट बांधना नॉर्मल है।