जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को वापस लेने या उसे हल्का बनाने के किसी भी प्रयास का जोरदार विरोध करते हुए सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा है कि दरअसल संकीर्ण राजनीतिक लाभों के लिए यह मांग की जा रही है। सिंह ने कहा है कि विषम परिस्थिति में काम रह रहे सैनिकों के अपना काम कुशलता से करने के लिए इस प्रकार की कानूनी सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा, इस कानून को हल्का बनाने या वापस लेने से हमारा संचालन गंभीर रूप से प्रभावित होगा। सेना प्रमुख ने रक्षा पत्रिका 'फोर्सेज' के साथ साक्षात्कार में कहा, 'एएफएसपीए के बारे में गलतफहमी है और जो लोग उसे हल्का बनाने या वापस लेने की मांग कर रहे हैं, संभवत: वे संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं।' सेना प्रमुख से पूछा गया था कि क्या एएफएसपीए को वापस लेने से जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल की सुरक्षा और विश्वसनीयता गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगी? गौरतलब है कि एएफएसपीए में संशोधन की मांग जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला द्वारा नियमित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम समेत केंद्रीय नेताओं के सामने उठाई जाती रही है। पूर्वोत्तर राज्य भी सशस्त्र बलों द्वारा एएफएसपीए का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए इस कानून को हटाने की मांग करते रहे हैं। बताया जाता है कि केंद्र इस कानून को ज्यादा मानवीय बनाने पर विचार कर रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि हालांकि जम्मू कश्मीर में हिंसा के स्तर में कमी आई है,, लेकिन खतरा अभी भी एक सचाई है और सीमापार आतंकी ढांचे अब भी सक्रिय हैं।
Monday, June 28, 2010
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