सुल्तानपुरी गैंग रेप केस में एक ओर पुलिस की भागदौड़ काबिले-तारीफ रही, वहीं दूसरी ओर वारदात कर रहे मुलजिमों को 10 मिनट का वक्त भी पुलिस की ओर से दिया गया। कार में रेप होते देखने के बावजूद हवलदार ने लड़की को बचाने के बजाय अपने एसएचओ को बुलाने में ही खैरियत समझी। काले रंग की कार की तलाश के दौरान रात करीब 11:30 बजे मंगोलपुरी थाने के एक हवलदार को इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 में काले रंग की कार खड़ी देखी। खुद पुलिस अफसरों के मुताबिक, हवलदार ने कार के अंदर दो लोगों को लड़की से दुराचार करते देखा था।
हवलदार को सर्विस पिस्टल मिलती है। इसके बावजूद उस पुलिस कर्मी ने हथियार निकलकर उन दोनों को चैलेंज करने और असहाय लड़की को उनके कब्जे से तुरंत छुड़ाने की कोशिश न कर अपने एसएचओ को फोन कॉल करने में अपनी खैरियत समझी। इस वारदात के मुजरिमों की तलाश कर रहे एसएचओ गजेंद्र कुमार ने दल-बल के साथ फेज-1 में उस जगह पहुंचने के बाद कार में मौजूद रामा और चंदपाल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लड़की को आजाद कराया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हवलदार की कॉल मिलने के बाद मौके पर एसएचओ के पहुंचने में करीब 10-15 मिनट लगे थे। इस दौरान मुलजिम वहशत दिखाते रहे और हवलदार कार से कुछ दूरी पर खड़ा होकर एसएचओ के आने का इंतजार करता रहा था। डीसीपी छाया शर्मा ने बताया कि रामा और चंद्रपाल की गिरफ्तारी के बाद उनके इकबाले-जुर्म पर 15 साल के नाबालिग लड़के और मणि उर्फ डब्बू को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने रेप नहीं किया था, लेकिन अपहरण के वक्त ये दोनों भी कार में थे। लड़की के अपहरण के बाद रास्ते में ये दोनों कार से उतर गए थे। कार में लड़की के पास सेलफोन था। अपहरण के बाद पुलिस उसके सेलफोन पर कॉल कर रही थी, जिसे वह पिक नहीं कर पा रही थी। इस वारदात की पहली कॉल लड़की के पड़ोसी रवि ने रात 10:24 बजे की थी। कॉल के दौरान उसने हड़बड़ी में सेक्टर 20 बोल दिया, जिसे पुलिस ने अमन विहार का इलाका समझा। बाद में साफ हुआ कि वारदात सुल्तानपुरी में हुई थी। डीसीपी छाया शर्मा के मुताबिक कॉल मिलते ही पुलिस वालों को निर्देश दिए गए कि गली-गली में जाकर कार की खोज करें। आउटर डिस्ट्रिक्ट की सभी बीट के सब पुलिस वालों और हर थाने के एसएचओ को सड़क पर उतारा गया। बाइक पर पैट्रोलिंग करने वाले सभी पुलिसकर्मी भी कार को खोज रहे थे। ऑपरेशन ब्लैक रोज की तरह बैरिकेडिंग लगाई गई। दूसरे जिलों की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया। पहली कॉल में रवि कार का मेक या नंबर नहीं बता सका था। इसी दौरान इस अपहरण के चश्मदीद एक टेंट वाले ने रवि को बताया कि कार का नंबर अंत में 4097 है। रात 11:05 बजे रवि ने फिर पुलिस को कॉल कर काली कार का यह नंबर बताया। हालांकि उसने गलती से कार का मेक गलत बता दिया। उसने एसेंट की जगह एस्टीम बताया था। गिरफ्तार मुख्य अभियुक्त रामा (28) सुल्तानपुरी के 'ई' ब्लॉक और चंद्रपाल (23) 'पी' ब्लॉक का रहने वाला है। दोनों ड्राइवर हैं। डब्बू 'सी' ब्लॉक में रहता है। इन तीनों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इनकी टीआईपी (शिनाख्ती परेड) कराने के लिए पुलिस कोर्ट में प्रार्थनापत्र दायर करेगी। नाबालिग लड़के को ऑब्जर्वेशन होम भेजा गया है। रेप केस में सात साल सजा होने के कारण जुवेनाइल ऐक्ट के प्रावधान के तहत उसे भी गिरफ्तार किया गया है। रामा ने कार कुछ दिन पहले डेढ़ लाख रुपये में एक कार डीलर से खरीदी थी। आरटीओ ऑफिस में इस कार के मालिक के तौर पर वजीरपुर में रहने वाले एक शख्स का नाम दर्ज है। उनका कहना है कि चार महीने पहले उन्होंने यह कार बेच दी थी। सुल्तानपुरी के लोगों के मुताबिक, रामा पहले भी महिलाओं से छेड़छाड़ करता रहता था। सोमवार आधी रात उसने एक लड़की से छेड़छाड़ की थी।
हवलदार को सर्विस पिस्टल मिलती है। इसके बावजूद उस पुलिस कर्मी ने हथियार निकलकर उन दोनों को चैलेंज करने और असहाय लड़की को उनके कब्जे से तुरंत छुड़ाने की कोशिश न कर अपने एसएचओ को फोन कॉल करने में अपनी खैरियत समझी। इस वारदात के मुजरिमों की तलाश कर रहे एसएचओ गजेंद्र कुमार ने दल-बल के साथ फेज-1 में उस जगह पहुंचने के बाद कार में मौजूद रामा और चंदपाल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लड़की को आजाद कराया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हवलदार की कॉल मिलने के बाद मौके पर एसएचओ के पहुंचने में करीब 10-15 मिनट लगे थे। इस दौरान मुलजिम वहशत दिखाते रहे और हवलदार कार से कुछ दूरी पर खड़ा होकर एसएचओ के आने का इंतजार करता रहा था। डीसीपी छाया शर्मा ने बताया कि रामा और चंद्रपाल की गिरफ्तारी के बाद उनके इकबाले-जुर्म पर 15 साल के नाबालिग लड़के और मणि उर्फ डब्बू को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने रेप नहीं किया था, लेकिन अपहरण के वक्त ये दोनों भी कार में थे। लड़की के अपहरण के बाद रास्ते में ये दोनों कार से उतर गए थे। कार में लड़की के पास सेलफोन था। अपहरण के बाद पुलिस उसके सेलफोन पर कॉल कर रही थी, जिसे वह पिक नहीं कर पा रही थी। इस वारदात की पहली कॉल लड़की के पड़ोसी रवि ने रात 10:24 बजे की थी। कॉल के दौरान उसने हड़बड़ी में सेक्टर 20 बोल दिया, जिसे पुलिस ने अमन विहार का इलाका समझा। बाद में साफ हुआ कि वारदात सुल्तानपुरी में हुई थी। डीसीपी छाया शर्मा के मुताबिक कॉल मिलते ही पुलिस वालों को निर्देश दिए गए कि गली-गली में जाकर कार की खोज करें। आउटर डिस्ट्रिक्ट की सभी बीट के सब पुलिस वालों और हर थाने के एसएचओ को सड़क पर उतारा गया। बाइक पर पैट्रोलिंग करने वाले सभी पुलिसकर्मी भी कार को खोज रहे थे। ऑपरेशन ब्लैक रोज की तरह बैरिकेडिंग लगाई गई। दूसरे जिलों की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया। पहली कॉल में रवि कार का मेक या नंबर नहीं बता सका था। इसी दौरान इस अपहरण के चश्मदीद एक टेंट वाले ने रवि को बताया कि कार का नंबर अंत में 4097 है। रात 11:05 बजे रवि ने फिर पुलिस को कॉल कर काली कार का यह नंबर बताया। हालांकि उसने गलती से कार का मेक गलत बता दिया। उसने एसेंट की जगह एस्टीम बताया था। गिरफ्तार मुख्य अभियुक्त रामा (28) सुल्तानपुरी के 'ई' ब्लॉक और चंद्रपाल (23) 'पी' ब्लॉक का रहने वाला है। दोनों ड्राइवर हैं। डब्बू 'सी' ब्लॉक में रहता है। इन तीनों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इनकी टीआईपी (शिनाख्ती परेड) कराने के लिए पुलिस कोर्ट में प्रार्थनापत्र दायर करेगी। नाबालिग लड़के को ऑब्जर्वेशन होम भेजा गया है। रेप केस में सात साल सजा होने के कारण जुवेनाइल ऐक्ट के प्रावधान के तहत उसे भी गिरफ्तार किया गया है। रामा ने कार कुछ दिन पहले डेढ़ लाख रुपये में एक कार डीलर से खरीदी थी। आरटीओ ऑफिस में इस कार के मालिक के तौर पर वजीरपुर में रहने वाले एक शख्स का नाम दर्ज है। उनका कहना है कि चार महीने पहले उन्होंने यह कार बेच दी थी। सुल्तानपुरी के लोगों के मुताबिक, रामा पहले भी महिलाओं से छेड़छाड़ करता रहता था। सोमवार आधी रात उसने एक लड़की से छेड़छाड़ की थी।
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