Thursday, June 3, 2010

अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था।

एयर इंडिया की दुबई-पुणे फ्लाइट पर सवार लोगों की जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ 2 मिनट का फासला रह गया। अगर पायलट ने वॉशरूम में 2 मिनट और लगाए होते, तो 26 मई को भी मेंगलुरु या उससे भी भयंकर हादसा हो सकता था। पर पायलट ने ऐन वक्त पर आकर फ्लाइट की कमान संभाल ली और विमान अरब सागर में गोता लगाने से बच गया। इस घटना की शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि अगर ऐन वक्त पर पायलट ने प्लेन को संभाला न होता तो यह अरब सागर में गिर जाता। जांच में यह चौंकानेवाली बात सामने आई है कि अगर पायलट ने 2 मिनट की देरी की होती, तो प्लेन को क्रैश होने से कोई नहीं बचा सकता था। गौरतलब है कि 26 मई को एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-212 दुबई से पुणे आ रही थी। उड़ान के दौरान पायलट विमान को 37 हजार फीट की ऊंचाई पर ऑटो पायलट करके वॉशरूम चला गया।
उसने को-पायलट को जहाज की निगरानी करने का आदेश दिया था। वॉशरूम से लौट कर आने के बाद पायलट ने कॉकपिट खोलने के लिए बटन दबाया, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। यह देखकर पायलट को लग गया कि जरूर कुछ गड़बड़ है। बाद में इमर्जेंसी कोड के जरिए उसने कॉकपिट का दरवाजा खोला लेकिन करीब 35 सेकंड का वक्त लगा। कॉकपिट के अंदर घुसते ही प्राइमरी फ्लाइट डिस्प्ले पर आ रहे इन्फर्मेशन को देखकर पायलट सन्न रह गया। उसने देखा कि एयरक्राफ्ट अपने नियत स्थिति से -23 डिग्री नीचे की दिशा में उड़ रहा है। इसके चलते इसकी स्पीड 0.88 माक हो गई। (1 माक यानी ध्वनि की गति जो करीब 1225 किमी प्रति घंटा है) यह ऐसी स्पीड है जिस पर आमतौर पर प्लेन नहीं उड़ते। साउंड की स्पीड लगभग 1 माक होती और यह विमान लगभग साउंड की स्पीड से चल रहा था। प्लेन की स्पीड इतनी तेज हो गई थी कि इसे संभालना काफी मुश्किल था। इतनी तेज स्पीड के चलते विमान में कई तरह की गड़बड़ियां आ जाती हैं और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पायलट को असाधारण स्किल दिखाना पड़ता है। मगर पायलट ने प्लेन को क्रैश होने से बचा लिया। इस घटना से एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों की ट्रेनिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस फ्लाइट के को-पायलट को लगभग 1000 घंटों का उड़ान का अनुभव था जो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त है। उधर, घटना के बाद डीजीसीए ने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि उड़ान के दौरान कॉकपिट में कोई पायलट अकले न रहे। यदि एक पायलट को कॉकपिट छोड़ना भी है तो फ्लाइट अटेंडेंट को उसकी सीट के पीछे स्थित ऑब्सर्वर सीट पर बैठना चाहिए।

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