Monday, January 11, 2016

मालदा हिंसा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

पश्चिम बंगाल में मालदा के कालियाचक में हुई हिंसा मामले में भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर जमकर हमला बोला। भाजपा ने मालदा हिंसा को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मालदा और आसपास के इलाकों में अफीम की खेती फलफूल रही है। अफीम की बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में तस्करी हो रही है लेकिन सरकार खामोश है। मालदा हिंसा की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट को गृहमंत्री को पेश किया जाएगा।
हंगामे से पहले लीफलैट, सांप्रदायिक सामग्रियां बांटी गई। आखिर इसे रोका क्यों नहीं गया?
·         ममता जी ने कहा कि यूपी में मालदा की घटना यूपी से आए बयान (कमलेश तिवारी का बयान) का रिएक्शन था। लेकिन रिएक्शन फौरन होता है, 30 दिन बाद नहीं। ये प्लांड एक्शन था।
·         ममता ने अपना बयान बदला और कहा कि ये स्थानीय बीएसएफ सैनिकों से झड़प थी, लेकिन एक लाख लोगों ने पुलिस स्टेशन क्यों जलाया?
·         एनआईए मालदा में जाली नोट रैकेट पकड़ने वाली थी। देश में 80 फीसद नकली करेंसी मालदा से है। रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए बंगाल पुलिस की मदद चाहिए। ये सारी डिटेल्स कालियाचक पुलिस स्टेशन में है। रिकॉर्ड जलाने के लिए पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ। ऐसा क्यों हुआ?
·         मालदा में अफीम की खेती होती है। इसे बांग्लादेश में भेजा जाता है। इसे क्यों नहीं रोका गया?
मालदा रेलवे स्टेशन पर पहुंची भाजपा की टीम को पुलिस ने पहले हिरासत में लिया। इसके बाद उसे वापस लौटा दिया। जांच टीम में दार्जिलिंग से पार्टी सांसद एसएस अहलूवालिया, रिटायर्ड डीजीपी विष्णु दयाल राम व भूपेंद्र यादव शामिल हैं।
मालदा पुलिस ने भाजपा की जांच टीम को रेलवे स्टेशन से ही लौट जाने को कहा और कालियाचक जाने से रोक दिया। भाजपा की इस टीम को मालदा स्टेशन से बाहर भी नहीं निकलने दिया गया। कहा गया कि बाहर आने या कलियाचक जाने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके बाद उन्हें दूसरी ट्रेन से वापस लौटा दिया गया।
हिरासत में लिए जाने के बाद भाजपा सांसद व जांच टीम के सदस्‍य एसएस अहलूवालिया ने कहा कि वे यहां सच का पता लगाने आए हैं। क्षेत्र को अस्थिर करने नहीं। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य सरकार के दबाव में उन्‍हें घटनास्‍थल पर जाने से रोका जा रहा है। जिला प्रशासन का कहना है कि धारा 144 लागू है और हम लोग उस क्षेत्र का दौरा नहीं कर सकते हैं। अहलूवालिया ने कहा कि उन्‍होंने एसपी से कइ सवाल किए, जिसमें उन्‍होंने कहा कि अभी जांच चल रही है।
जांच टीम के एक अन्‍य सदस्‍य भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा कि उनको रोका जाना दुर्भाग्‍यपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि अभी तक की सारी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्‍व को सौंपी जाएगी।
भाजपा के सिद्धार्थ दास ने कहा कि यह ममता बनर्जी सरकार की तानाशाही है, वह मामले पर पर्दा डालना चाहती हैं। मालदा की घटना राज्य प्रशासन द्वारा योजनाबद्ध है। कृष्णु मित्रा ने कहा है कि पुलिस द्वारा जांच दल को हिरासत में लिया जाना उचित नहीं है। इस बीच, भाजपा के नलिन कोहली ने सवाल किया है कि ममता सरकार किसी को मालदा क्यों नहीं जाने दे रही है।
गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मालदा कांड की सही जानकारी और तथ्यों का पता लगाने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद भूपेंद्र यादव, सांसद एसएस अहलूवालिया और बीडी राम को भी शामिल किया गया था। यह टीम मालदा के हिंसाग्रस्त व तनावग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद अमित शाह को रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व बंगाल में पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को राजनीतिक लड़ाई की अगली रणनीति के रूपरेखा तैयार करने का निर्देश देगा। बंगाल में कुछ महीने बाद ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश भाजपा की ओर से भी बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू हो गई है। इसी कड़ी में आगामी 18 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह भी मालदा दौरे पर जा रहे हैं।
मालदा हिंसा को लेकर भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। गत शुक्रवार को पहली बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मालदा हिंसा पर कहा था कि बंगाल शांत राज्य है। यहां कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है। कुछ लोग हमें राजनीतिक रूप से आलोचना का शिकार बना सकते हैं, लेकिन हम सांप्रदायिक समस्या नहीं होने देंगे। अगर शांति है तो सभी कुछ सुलझ जाता है।
इस पर भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में हुई एक बात जिसकी हम भी निंदा करते हैं, को लेकर सांप्रदायिक मुद्दा बनाया गया। इसका इस्तेमाल पुलिस थाने में आग लगाने के लिए किया गया। बीएसएफ के वाहन भी फूंके गए। कुछ घरों पर हमले भी हुए थे। पूरे मामले को ऐसा बनाया गया ताकि वह एक सांप्रदायिक मामला लगे लेकिन सच तो यह है कि यह तृणमूल द्वारा आंख में धूल झोंकना है, खुद की करतूत पर पर्दा डालना है।

मालदा में तीन दिसंबर को दो लाख लोगों ने एकत्रित होकर कालियाचक थाने में तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी थी। कई वाहनों को फूंक दिया गया था। कई दुकानें लूट ली गई थीं। इसके बाद कालियाचक थाने के 17 पुलिस अधिकारियों व सिपाहियों का तबादला कर दिया गया था।

Friday, January 8, 2016

मुस्लिम बाहुल गांव हफुआ की तस्‍वीर बदल गई

मुस्लिम बाहुल गांव हफुआ की तस्‍वीर बदल गई है। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के एक कार्यकर्ता सिद्धि नाथ सिंह मुफ्त में हजारों युवाओं को स्किल ट्रेनिंग और जीवनयापन के लिए रोजगार के तरीके मुहैया करा रहे हैं।
उन्‍होंने मुस्लिम बाहुल इस गांव की प्रगति में योगदान दिया है। कभी इस गांव के युवाओं का रुझान अपराध की तरफ था, जिन्‍हें पिछले दो दशक से नि:स्‍वार्थ सेवा के जरिये सिंह ने मुख्‍यधारा में जोड़ने का काम किया है। यही वजह है कि स्‍थानीय युवाओं के लिए वह एक सम्‍मानित व्‍यक्‍ित हैं। सिंह बिहार और झारखंड में क्षेत्रीय संचालक हैं। इसके अलावा वह संघ की सामाजिक विकास शाखा राष्‍ट्रीय सेवा भारती के अध्‍यक्ष भी हैं। झारखंड के रामगढ़ जिले के इलेक्‍िट्रसिटी हब पट्राटू में रहने वाले सिंह अपनी फर्म कल्‍पतरु के जरिये देश के हजारों युवाओं को मुफ्त में स्किल ट्रेनिंग मुहैया करा रहे हैं।

इसके साथ ही वह युवाओं के जीवनयापन के लिए भी व्‍यवस्‍था करा रहे हैं। इंजीनियर से उद्यमी बने सिंह को जो बात औरों से अलग करती है, वह है उनका समर्पण। इसके जरिये वह हफुआ के हर युवक की जिंदगी बदल रहे हैं। राजधानी रांची से करीब 70 किमी उत्‍तर में बसे इस गांव की आबादी करीब एक हजार है।

Thursday, January 7, 2016

महबूबा मुफ्ती राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्‍य को पहली महिला मुख्‍यमंत्री मिल सकती है। खबरों के अनुसार मुफ्ती सईद के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी। उनके नाम पर भाजपा और पीडीपी गठबंधन ने सहमति जता दी है।
मुफ्ती मोहम्मद की बीमारी के बाद उनकी बेटी और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को केयर टेकर सीएम बनाया गया था। सीएम की रेस में महबूबा सबसे आगे हैं, इसकी पुष्टि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता भी कर रहे हैं, पीडीपी के वरिष्ठ नेता महबूब अली बेग ने कहा कि स्वाभाविक तौर पर पीडीपी की अध्यक्ष ही राज्य की अगली सीएम होंगी।

बेग के बयान पर हामी भरते हुए पार्टी के ही एक और नेता रफीक मीर ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ही नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद हैं। मुफ्ती मोहम्मद सईद का आज एम्स में निधन हो गया था वो 79 साल के थे। पिछले कई दिनों से बिमारी के चलतें उन्हें 24 दिसंबर को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था।

Tuesday, January 5, 2016

अब तक छठे आतंकी के मारे जाने की पुष्टि नहीं

एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद अब तक छठे आतंकी के मारे जाने की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं यह माना जा रहा है कि इस हमले को अंजाम देने वाले फिदायीन एयरबेस में दो बैच में आए होंगे। इनमें से दो आतंकी गुरदासपुर एसपी के अपहरण और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट दिए जाने तक सुनसान इलाके में छिपे रहे।
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार खुफिया एजेंसी के सूत्रों को डर है कि जब एसपी का अपहरण हुआ और उनकी सूचना की पुष्टि करने में जो वक्‍त लगा उस बीच बचे हुए दो आतंकी इलाके में छिपकर बेस तह पहुंचे होंगे। सूत्रों के अनुसार एसपी का ज्‍वेलर मित्र राजेश वर्मा जो अपहरण के वक्‍त उनके साथ था ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने आतंकियों और पाक में बैठे उनके सरगनाओं की बात सुनी थी जिसमें आतंकी पूछ रहे थे कि उनके साथी किस तरह निशाने तक पहुंचे क्‍योंकि उनकी टीम पीछे रह गई थी।
एक वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार इस बात से यह लगता है कि दो अन्‍य आतंकी एसपी की कार का अपहरण होने तक मुठभेड़ वाले इलाके में घुस चुके थे। जब शुक्रवार शाम को एनएसए की अध्‍यक्षता में बैठक में एसपी की सूचना को लेकर चर्चा हो रही थी उस दौरान उन दो आतंकियों को बचे हुए चार आतंकियों ने वहीं जॉइन किया होगा।

संभवत: आतंकि‍यों ने शनिवार सुबह हमला करने से छिपने के लिए एलिफेंट घास की मदद ली होगी। एनआईए इस हमले की जांच करेगा और सूत्रों ने इस जांच का प्रमुख बिंदू यह पता करना होगा कि क्‍या आतंकियों द्वारा उपयोग किया गया असलहा उनके द्वारा सीमा पार करने से पहले ही पहुंच गया था या नहीं। क्‍या उनका कोई तस्‍कर नेटवर्क इलाके में सक्रि‍य है? एक अधिकारी के अनुसार उन आतंकियों के लिए इतना सारा असलहा लेकर चलना संभव नहीं था।

Monday, January 4, 2016

पठानकोट एयरबेस पर आतंकी

पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले में शहीद हुए एनएसजी के लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार और गरुड़ कमांडो गुरसेवक का शव उनके गृह नगर पहुंच चुका है। उनके अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्‍या में लोग मौजूद थे।
शहीदों की पार्थिव देह घर पहुंचते ही परिजन आंसूओ में डूब गए। बेंगुलुरु पहुंचने के बाद बीईएल ग्राउंड पर शहीद निरंजन की पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया जहां मुख्‍यमंत्री सिद्धारमय्या के अलावा कई स्‍कूलों के बच्‍चों और नागरिकों ने शहीद को अंतिम सलामी दी।
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि शहीद के परिजनों को सरकार पूरी मदद देगी। खबरों के अनुसार अंतिम दर्शनों के बाद शहीद का पूरे सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कर दिया जाएगा।

वहीं दूसरी तरफ गरुड़ कमांडो गुरसेवक की पार्थिव देह भी उनके गृह नगर पहुंची जहां हजारों की संख्‍या में लोग वीर शहीद को अंतिम सलामी देने पहुंचे। शहीद गुरसेवक का अंबाला में पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कर दिया गया।

Friday, January 1, 2016

दूसरा राज्य शरबती के नाम पर गेहूं का कारोबार नहीं कर सकेगा

देश-दुनिया में मध्यप्रदेश के शरबती के नाम से बिकने वाले गेहूं की धाक और बढ़ाने के लिए सरकार भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई में इसका पंजीयन कराएगी। इसके लिए सौ साल के रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं ताकि पंजीयक को बताया जा सके कि ये किस्म सिर्फ मध्यप्रदेश में ही पैदा होती है। पंजीयन होने के बाद कोई भी दूसरा राज्य शरबती के नाम पर गेहूं का कारोबार नहीं कर सकेगा। जानकारी के मुताबिक सरकार की तैयारी अप्रैल 2016 तक भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई के यहां किसान संगठन के माध्यम से अपील दावा कराने की है।
दरअसल, पंजीयक के यहां बासमती के उत्पादन क्षेत्र पंजीयन का मामला भी चल रहा है। राज्य का दावा है कि मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में बासमती धान की खेती बरसों से हो रही है लेकिन इसको लेकर पाकिस्तान के धान उत्पादक समूहों से लेकर कई संगठनों की आपत्ति है। इसके कारण पिछले डेढ़-दो साल से कानूनी दावं-पेंच चल रहे है। इसे देखते हुए हुए शरबती गेहूं को लेकर कृषि विभाग सतर्क हो गया है। विभाग का कहना है कि शरबती गेहूं का क्षेत्र मध्यप्रदेश में सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा से बढ़कर कई जिलों तक पहुंच गया है।
दूसरे राज्य भी इस किस्म को पैदाकर अपने यहां के शरबती के नाम से बेचकर बाजार में चुनौती दे सकते हैं। इसका नुकसान प्रदेश के किसान और कारोबारियों को होगा, इसलिए किसानों के समूहों से भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई में दावा कराने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए 100 साल का रिकार्ड निकलवाया जा रहा है। पुराने किसानों से शरबती गेहूं की खेती के प्रमाण भी मांगे हैं। प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश कुमार राजौरा का कहना है कि सरकार खुद दावा नहीं कर सकती है पर जो किसान संगठन अपील करना चाहेंगे उन्हें रिकार्ड उपलब्‍ध कराए जाएंगे।

कृषि विभाग के अध्‍ािकारियों का कहना है कि शरबती गेहूं में प्रोटीन बाकी गेहूं की तुलना में अधिक होता है। इसके कारण ये स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद तो है ही, इसकी रोटी भी मुलायम बनती है। यही वजह है कि देश और दुनिया में मध्यप्रदेश के गेहूं के नाम से इसकी बिक्री होती है। दूसरे गेहूं की तुलना में भले ही इसका उत्पादन कुछ कम रहता है पर किसान को कीमत अधिक मिलती है।