Tuesday, May 28, 2013

हर मॉडल को एक रात के लिए एक लाख


विंदू दारा सिंह सिर्फ एक ऐक्टर या बुकी ही नहीं, सेक्स रैकेट से भी जुड़ा हुआ था। मुंबई क्राइम ब्रांच सूत्रों का दावा है कि किसी क्रिकेटर या अंपायर को खुश करने के लिए वह जिन मॉडल्स को अलग-अलग होटलों में भेजता था, उसके लिए वह हर मॉडल को एक रात के लिए एक लाख रुपये देता था।

ऐसी ही दो मॉडल्स के सीसीटीवी फुटेज मुंबई क्राइम ब्रांच के हाथ लगे है। ये फुटेज जुहू के नोवेटेल होटल के हैं, जहां विंदू का खास दोस्त बुकी पवन जयपुर ठहरा हुआ था। विंदू ने पवन और उसके भाई संजय को अपनी गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले दुबई भगा दिया था। क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि संजय अपने भाई पवन के साथ नहीं, बल्कि जुहू के दूसरे होटल ऑकवुड में ठहरा था। मुंबई क्राइम ब्रांच को अभी इस बात के सुराग या सबूत नहीं मिले हैं कि क्या संजय को भी मुंबई प्रवास के दौरान ऑकवुड होटल में मॉडल्स भेजी गई थीं।

क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि दोनों मॉडल्स उड़ीसा और हैदराबाद की मूल निवासी हैं, पर मुंबई में लोखंडवाला कॉम्पलेक्स में रहती हैं। क्राइम ब्रांच ने दोनो मॉडल्स से पूछताछ की है, पर क्रिकेट बेटिंग में उनका नाम अभी तक सामने नहीं आया है। विंदू पाकिस्तानी अंपायर असद रऊफ को भी उनके मुंबई प्रवास के दौरान मॉडल्स भिजवाता था, लेकिन अभी यह बात साफ नहीं हुई है कि क्या रऊफ को भेजी मॉडल्स वही हैं, जो पवन जयपुर को भेजी गई थीं।

Thursday, May 23, 2013

भाई को सट्टेबाजी से मिली हराम की कमाई की जरूरत नहीं है।


 आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग को लेकर डी कंपनी का नाम लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस पूरे रैकेट का रिमोट कंट्रोल दुबई से ऑपरेट करने वाली डी कंपनी के पास है। लेकिन, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गैंग ने स्पॉट फिक्सिंग से किसी भी तरह का कनेक्शन होने से इनकार किया है। दाऊद के दाहिने हाथ छोटा शकील ने मंगलवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को फोन करके बताया कि मीडिया ने ही 'भाई' का नाम इस विवाद में घसीटा है। शकील ने कहा कि भाई को सट्टेबाजी से मिली हराम की कमाई की जरूरत नहीं है।

छोटा शकील ने माना कि पहले डी कंपनी सट्टेबाजी और हवाला कारोबार से भी जुड़ी हुई थी। उसके मुताबिक हैंसी क्रोन्ये वाली कंट्रोवर्सी के दौरान हम इस धंधे में थे, लेकिन अब भाई की फैमिली का कोई मेंबर और अनीस भी इसमें शामिल नहीं है। छोटा शकील ने कहा, 'शुरू में हमारा गैंग सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग में बेशक शामिल था, लेकिन अब हम इस धंधे को छोड़ चुके हैं। पहले भाई का भरोसेमंद शरद अन्ना (शेट्टी) इस काम को संभालता था। 2002 में अन्ना की मौत के बाद से हमने इस धंधे से किनारा कर लिया था। भाई ने भी हमें सट्टे से दूर रहने की कड़ी हिदायत दी है। अब हम रीयल एस्टेट के बिजनस में हैं। क्या आपने पिछले कुछ सालों में सुना कि हमने किसी को धमकी दी हो?'

छोटा शकील से जब सट्टेबाज सुनील दुबई से डी कंपनी के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला, 'हम उसकी तरह ही सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग करने वाले बहुत से लोगों को जानते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस धंधे से जुड़े हुए हैं। अब हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और ये चीज़ें काफी पीछे छूट गई हैं। अब हम रीयल एस्टेट और दूसरे वाइट बिजनस में काफी अच्छा कर रहे हैं। भाई सट्टेबाजी से आने वाली ये हराम की कमाई नहीं चाहते।'

उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा हैं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी


 बीजेपी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अगला आम चुनाव उनका अंतिम मौका है। लेकिन, उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा हैं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी। मोदी को निपटाने के लिए उन्होंने पूर्व पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को मोहरा बनाने की कोशिश की है। यह और बात है कि चार महीने पहले आडवाणी ने ही गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए 'खेल' कर दिया था और ऐन ताजपोशी के वक्त ताज राजनाथ सिंह के सिर पर रख दिया गया।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, पिछले दिनों गडकरी, आडवाणी के घर लंच पर गए थे। इस दौरान आडवाणी ने उनसे कहा, 'मैंने इलेक्शन कैंपेन कमिटी के चेयरमैन पद के लिए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से आपके नाम की सिफारिश की है।' गौरतलब है कि मोदी इस पद के लिए पार्टी में सबसे मजबूत दावेदार हैं और कहा जा रहा है कि उनका नाम करीब-करीब तय है। जून में 8 और 9 तारीख को गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद कैंपेन कमिटी के चेयरमैन के नाम की घोषणा संभव है।

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि गडकरी कैंपन कमिटी का चेयरमैन बनने के तो इच्छुक हैं, लेकिन वह मोदी बनाम आडवाणी के झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। इसके अलावा वह यह भी नहीं चाहते कि उन्हें आडवाणी के उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी गडकरी को सलाह दी है कि जब तक पूर्ति ग्रुप को लेकर चल रही जांच में सबकुछ साफ न हो जाए वह लो प्रोफाइल ही रहें। इन वजहों से गडकरी ने आडवाणी के 'प्रस्ताव' पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

Monday, May 13, 2013

पूछताछ में एक मंत्री ने पीएमओ और एक बड़े नेता का नाम

कोयला घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने इस मामले में दो पूर्व राज्यमंत्रियों दसारी नारायणराव और संतोष बागड़ोदिया से पूछताछ की है। ये दोनों प्रधानमंत्री के पास कोयला मंत्रालय का प्रभार रहने के दौरान इस महकमे के राज्यमंत्री थे। एबीपी न्यूज के मुताबिक, पूछताछ में एक मंत्री ने पीएमओ और एक बड़े नेता का नाम लिया है। इस मंत्री ने कहा कि अक्सर पर्ची आती थी कि किसे कोयला ब्लॉक देना है। हालांकि, यह नहीं बताया गया कि दोनों में से किसने यह बयान दिया है।

रेलवे में प्रमोशन के लिए घूस देने के मामले में भी सीबीआई ने पांच ऑफिसरों को पूछताछ के लिए समन भेजा है। यह पूछताछ आज ही होने की संभावना है। सीबीआई के सूत्र ने बताया कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने महेश कुमार के प्रमोशन की फाइल सीबीआई को सौंप दी है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को पूछताछ के लिए समन भेजेगी। सीबीआई के सूत्र का कहना है कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि महेश कुमार को मेंबर स्टाफ के प्रमोशन देने में कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं बरती गई है, लेकिन पश्चिमी रेलवे के जनरल मैनजर का अतिरिक्त प्रभार देने में जबर्दस्त गड़बड़ियां हुई हैं।

Friday, May 3, 2013

शहीद घोषित करने की मांग


सरबजीत की मौत के बाद उनके परिजनों ने उन्हें शहीद घोषित करने की मांग की है। पंजाब ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया भी है, लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसी कोई पहल नहीं की है। हालांकि केंद्र सरकार पर इसके लिए दबाव डाला जा रहा है।

दरअसल, इस मामले में केंद्र सरकार के लिए मुश्किल है कि इसके लिए उसे नियम में बदलाव करने होंगे या सरबजीत को सैन्यकर्मी मानना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से शहीद का दर्जा देने के लिए बनी नियमावली के अनुसार, सिर्फ सैन्यकर्मियों को ही शहीद का दर्जा दिया सकता है, जिनकी मौत ड्यूटी के दौरान हुई हो। इनमें थल, वायु और नेवी तीनों के जवान शामिल होते हैं।

खास बात यह है कि इस नियमावली के अनुसार पुलिस और पारा मिलिटरी बल के जवान व अधिकारी भी शहीद का दर्जा पाने की श्रेणी में नहीं आते हैं। हालांकि कई राज्यों ने अपने यहां नियम में संशोधन कर सेना के अलावा, दूसरे लोगों को भी देश सेवा के नाम पर शहीद का दर्जा देने का प्रावधान बना लिया है। ऐसा ही पंजाब सरकार ने किया था, जिसकी बदौलत वहां की सरकार ने सरबजीत को तुरंत शहीद का दर्जा दे दिया।

कैबिनेट कमिटी के पास तीन साल से है मामला
कैबिनेट कमिटी के पास पिछले तीन साल से इस प्रस्ताव से संबंधित फाइल घूम रही है कि सेना के अलावा दूसरे लोगों को भी शहीद का दर्जा देने के बारे में पैरामीटर तय करे। इस बीच बड़ी संख्या में पुलिस वाले नक्सल और दूसरे उपद्रवी गतिविधियों के शिकार हुए और उन्हें शहीद का दर्जा देने से संबंधित फाइलें गृह मंत्रालय तक पहुंची।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2011 से अक्टूबर 2012 के बीच देश में 547 पुलिस और पैरा मिलिट्री के जवान मारे गए। इनमें कई ड्यूटी के दौरान भी मरे थे। लेकिन सरकार ने इन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया था।

पिछले साल गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भरोसा दिलाया था कि उनकी मांगों पर जल्द ही कोई अंतिम निर्णय होगा। अगर सरकार इन्हें शहीद का दर्जा देती है तो फिर सरकार को इन्हें तमाम सुविधाएं देनी होंगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, एक बार फिर सरबजीत के बहाने गृह मंत्रालय का ध्यान शहीद का दर्जा देने की पेचीदा प्रक्रिया पर गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में इस पर कोई निर्णय हो सकता है।