Saturday, October 30, 2010

अंग्रेजी देवी की मूर्ति लगवाई

रोजी-रोटी के बाजार में तमाम भारतीय भाषाओं को पछाड़कर पहले ही देवी का दर्जा हासिल कर चुकी अंग्रेजी भाषा की अब बाकायदा पूजा होगी। प्रदेश के लखीमपुर खीरी में अंग्रेजी देवी की मूर्ति लगवाई जा रही है। यह मूर्ति जिले के एक दलित प्रधान स्कूल में लगवाई जा रही है। इस अनोखी परम्परा के सूत्रधार और अंग्रेजी के प्रतिष्ठित स्तम्भकार डॉ. चंद्रभान प्रसाद ने फोन पर बताया, देवी की प्रतिमा लखीमपुर खीरी जिले में दलितों द्वारा संचालित नालंदा पब्लिक शिक्षा निकेतन में स्थापित की जा रही है। सामूहिक चंदे से जुटाए गए धन से 800 वर्गफुट जमीन पर मंदिर बनकर तैयार है। प्रसाद ने बताया कि मंदिर में अंग्रेजी देवी की तीन फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जा रही है। देवी का एक मंजिला मंदिर काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि मंदिर के स्थापत्य को आधुनिक रूप देने के लिए उसकी दीवारों पर भौतिकी, रसायन और गणित के चिह्न तथा फार्मूले एवं अंग्रेजी भाषा में सूत्र वाक्य के साथ नीति वचन आदि उकेरे जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि इस अनूठे मंदिर के निर्माण की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली, प्रसाद ने बताया कि देश में आजादी के बाद जब राष्ट्रीय भाषा के चयन को लेकर बहस चल रही थी, तब संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने अंग्रेजी को यह दर्जा दिए जाने की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने कहा कि हालांकि तब देश के अन्य अग्रणी नेता आम्बेडकर से सहमत नहीं हुए थे। मगर अब रोजी-रोटी के बाजार में जिस तरह अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य कायम हो गया है, उससे उनके तर्क सही सिद्ध हुए हैं। प्रसाद ने कहा, हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं से कोई विरोध नहीं है। मगर अब इस बात में तर्क-वितर्क की कोई गुंजाइश बची नहीं है कि जीवन में सफलता की सीढि़यां चढ़ने के लिए अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान आवश्यक है। संयोग से दलित समाज इसमें काफी पिछड़ा हुआ है और जीवन के तमाम क्षेत्रों में उनके पिछड़े रहने का यह भी एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद मंदिर के जरिए दलित समुदाय के छात्रों को अंग्रेजी सीखने के लिए प्रेरित करना है।

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