Tuesday, December 30, 2014

सरकार ने अब डेडलाइन पहली जून 2014 कर दी

केंद्र सरकार ने अब दिल्ली की कॉलोनियों की मंजूरी की घोषणा की है लेकिन हर विधानसभा चुनाव से पहले इसी तरह कॉलोनियां मंजूर करने का ऐलान होता रहा है। जनता को विश्वास दिलाने के लिए बीजेपी को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं।
केंद्र सरकार ने फिलहाल यह घोषणा की है कि 1 जून 2014 तक बनी सभी कॉलोनियों को पास किया जा रहा है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों से पहले 895 कॉलोनियों को मंजूर किया था लेकिन उन कॉलोनियों की मंजूरी अब तक लटकी पड़ी। इसी तरह 2008 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने सोनिया गांधी के हाथों कॉलोनियों की मंजूरी के सर्टिफिकेट तक बंटवा दिए थे लेकिन बाद में पता चला क कॉलोनियां मंजूर नहीं हुई। 2003 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इन कॉलोनियों की डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च 2002 की गई थी जबकि इससे पहले 1998 तक की कॉलोनियों की मंजूरी ही होने वाली थी।
अभी केंद्र सरकार के फैसले का पूरा ब्यौरा आना बाकी है लेकिन बीजेपी में अवैध कॉलोनियों की मंजूरी के लिए संघर्ष कर रहे सांसद रमेश बिधूड़ी का कहना है कि पहली जून 2014 तक जितनी भी कॉलोनियां हैं, उनकी मंजूरी हो गई है। मास्टर प्लान के अनुसार अगर कहीं रोड बनना है या अन्य सुविधाएं दी जानी हैं, उन्हें पास नहीं किया जाएगा। यहां तक कि डीडीए की जमीन पर बनी कॉलोनियों को भी मंजूर किया जा रहा है। डीडीए कॉलोनी वासियों से जमीन की कीमत वसूल कर लेगा।
2012 में जब इन कॉलोनियों का सर्वे कराया गया था तो कुल मिलाकर 1639 कॉलोनियों को मंजूर करने के दस्तावेज तैयार हुए थे। जब इनकी कनफर्मेशन की गई तो पता चला कि बहुत सारी कॉलोनियां रिज लैंड पर या फॉरेस्ट लैंड पर बनी हुई हैं। इसके अलावा एएसआई के स्मारकों के पास भी कई कॉलोनियां थीं। कुछ कॉलोनियों की बाउंड्री विवादास्पद थी और कुछ में आरडब्ल्यूए के झगड़े थे। पता चला है कि केंद्र सरकार जो गाइडलाइन बना रही है, उनके अनुसार रिज वाली कॉलोनियों को छोड़कर शेष सभी को मंजूर किया जाएगा और सभी संबंधित विभागों के नियमों में तब्दीली की जाएगी। 1639 में से 1548 कॉलोनियों को मंजूर करने का रास्ता साफ हो गया है। केवल 91 कॉलोनियां ही पास नहीं हो पाएगी।

बीजेपी का कहना है कि चूंकि केंद्र सरकार ने अब डेडलाइन पहली जून 2014 कर दी है, इससे अब तक बने सभी मकान मंजूर हो जाएंगे। केंद्र सरकार स्पेशल प्रोविजन एक्ट को पहले ही पास कर चुकी है जिसके तहत जून 2017 तक इन मकानों को नहीं गिराया जा सकेगा। यह भी माना जा रहा है कि इन कॉलोनियों को 'जैसे है जहां है' के आधार पर मंजूर किया जा रहा है।
कॉलोनियों की मंजूरी का फैसला हर बार राजनीतिक स्तर पर होता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दिल्ली के बीजेपी नेता पिछले कुछ समय से केंद्र पर दबाव डाल रहे थे कि ऐसे फैसले किए जाएं जिनसे चुनाव में फायदा हो सके। स्पेशल एक्ट पहले ही पास हो चुका है और अब कॉलोनियों की मंजूरी के साथ कुछ और फैसले भी दिल्ली को लुभाने के लिए किए जा सकते हैं।

पुरानी दिल्ली स्थित डिलाइट सिनेमा के बाहर प्रदर्शन

आमिर खान और राजकुमार हिरानी की फिल्म 'पीके' के विरोध में हिन्दू सिनेमा के कुछ कार्यकर्ताओं ने पुरानी दिल्ली स्थित डिलाइट सिनेमा के बाहर प्रदर्शन किया। इसकी वजह से सवा बारह बजे वाला शो थोड़ी देर से शुरू हुआ।
हिन्दू सेना के कार्यकर्ताओं ने फिल्म के पोस्टर जलाए और डिलाइट सिनेमा के बार फिल्म के लगे बैनरनुमा पोस्टर को फाड़ दिया। थियेटर के कर्मचारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने एक खिड़की को भी तोड़ दिया। पुलिस ने हिन्दू सेना के कार्यकर्ताओं को वहां से खदेड़ दिया और इसके बाद शो करीब साढ़े 12 बजे शुरू हुआ। 

बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद समेत कई हिन्दू संगठन इस फिल्म पर हिन्दुओं की भावना को आहत करने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने फिल्म की जमकर तारीफ की है।
इससे पहले सोमवार को भी 'पीके' के विरोध में गुजरात के अहमदाबाद में बजरंग दल के कथित कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और तोड़फोड़ की थी। शहर के सिटी गोल्ड और शिव मल्टीप्लेक्स में जहां 'पीके' की स्क्रीनिंग हो रही थी वहां ये लोग पहुंच गए और आमिर और हिरानी के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस ने विरोध कर रहे कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। 

Monday, December 29, 2014

पार्टी संगठन चुनाव कराने की मांग को चुपचाप खारिज करने की तैयारी में

कांग्रेस हाई कमान राहुल गांधी की बैलट के जरिये पार्टी संगठन चुनाव कराने की मांग को चुपचाप खारिज करने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इसके बजाय जिला, प्रदेश कांग्रेस कमिटी और एआईसीसी स्तर पर आगामी संगठन चुनावों में अधिकतम मुमकिन सहमति को पैमाना बनाया जाएगा। 
पार्टी के ज्यादातर नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के लिए इस संकट की घड़ी में बैलट की मांग पर और मतभेद बढ़ेंगे, लिहाजा संकट की इस घड़ी में कांग्रेस की कोशिश आंतरिक स्तर पर अधिकतम एकता बनाए रखने की होनी चाहिए। साथ ही, कांग्रेस नेतृत्व की राज्यों की कमिटी में सभी स्तर पर पकड़ बरकरार है, लिहाजा आशंका इस बात की भी है कि हाल में गांधी की तरफ से नियुक्त किए गए गए कई राज्यों के मुखिया बैलट की लड़ाई में खुद को मुश्किल में पा सकते हैं। 

इनमें केरल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष वी एम सुधीरन, हरियाणा में अशोक तंवर, एमपी में अरुण यादव, राजस्थान में सचिन पायलट आदि शामिल हैं। इनमें से कुछ नेता भी सहमति के आधार पर चुनाव लड़ने की वकालत कर सीनियर नेताओं के साथ सुलह की कोशिश कर रहे हैं। केरल में ओमान चांडी-रमेश सेन्निथाला के समर्थक सुधीरन को चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहे हैं, जो एआईसीसी के लिए चेतावनी का संकेत है। 
एआईसीसी से जुड़े एक नेता ने बताया, 'हमारी कोशिश संगठन का निष्पक्ष चुनाव कराने की होगी, जो सभी समुदायों और इनसे जुड़े सामाजिक आधार की सहभागिता को सुनिश्चित करेगा। पार्टी की कोशिश सही मायनों में सहमति तलाशने की होगी और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो फिर मुकाबला होगा।' 
उन्होंने सोनिया गांधी का हवाला देते हुए कहा कि असम, गोवा और ओडिशा में नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति कांग्रेस नेतृत्व के आम-सहमति वाले रवैये को प्रतिबिंबित करती है। कांग्रेस हाई कमान पहले ही उन दो नाकाम अनुभवों को खारिज कर चुकी है, जो टीम राहुल ने लोकसभा चुनाव के दौरान पेश किए थे। 
राहुल गांधी और उनकी सलाहकार टीम इस बात पर जोर दे रही है कि कांग्रेस संगठन को भी उसी तरह के प्रयोग करने चाहिए , जैसा भारतीय युवा कांग्रेस के संगठन में किया गया। हालांकि, हकीकत यह है कि युवा कांग्रेस में हुए चुनावों में पैसे की ताकत का जमकर दुरुपयोग हुआ और इससे गुटबाजी भी बढ़ी है। इससे कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं को इस तरह का प्रयोग व्यवहारिक नहीं लग रहा है। 
कुछ महीने पहले इकनॉमिक टाइम्स ने खबर दी थी कि हार के बाद रणनीति तैयार करने के लिए हुई बैठक में कांग्रेस के कई नेताओं ने सोनिया गांधी से कहा था कि युवा कांग्रेस के संगठन के चुनावों का काफी नुकसान हुआ है और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर पार्टी कमजोर ही होगी।

राष्ट्रीय मासिक वेतन 15,000 रुपए करने की तैयारी में

केंद्र सरकार देश के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय मासिक वेतन 15,000 रुपए करने की तैयारी में है। राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत 45 तरह की आर्थिक गतिविधियों को इस एक्ट में सूचीबद्ध किया गया और इसी एक्ट को राज्यों में भी लागू किया गया। हालांकि, राज्य 1,600 प्रकार के आर्थिक गतिविधियों को इस एक्ट के तहत ला सकते हैं।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय इसके लिए जल्द ही सभी राज्यों की बैठक बुलाने वाला है जिसमें इस एक्ट में संशोधन के लिए सभी राज्यों की राय जानी जाएगी। वहीं, एक इंटर मिनिस्टीरियल कमिटी इस पर पहले से ही काम कर रही है। इसमें संशोधन के बाद सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतनमान तय कर दिया जाएगा, जिसे सभी राज्यों को लागू करना होगा।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने श्रम मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अरुण कुमार सिन्हा का बयान प्रकाशित किया है जिसमें सिन्हा ने कहा, 'न्यूनतम वेतनमान अधिनियम में संशोधन कर इसमें एक प्रावधान जोड़ा जाएगा जिसके तहत राष्ट्रीय दर राज्यों के लिए भी जरूरी होंगे। अब तक यह राज्यों के लिए सलाह तक ही सीमित थे लेकिन अब इनका पालन आवश्यक कर दिया जाएगा।'
केंद्र सरकार के न्यूनतम तनख्वाह को 15,000 रुपए करने के कदम से राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत आने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह करीब दोगुनी हो जाएगी। अभी न्यूनतम वेतनमान 4,645 रुपए है।
सरकारी अधिकारियों की मानें तो ऐसा होने से अनौपचारिक क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को खास तौर पर फायदा पहुंचेगा। यहां कर्मचारियों में असंतोष पैदा होने के आसार कम होंगे। इन क्षेत्रों में वेतनमान कम होने की वजह से कर्मचारी हमेशा अपनी कंपनी बदलते रहते हैं। लेकिन, वेतनमान बढ़ने से जॉब बदलने की परिपाटी में भी कमी आने की संभावना है।
दूसरी ओर श्रम क्षेत्रों पर नजर रखनेवाले विशेषज्ञों को इस बदलाव की कामयाबी को लेकर तमाम आशंकाएं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमरीका में ऐसा नियम आने पर तो वहां यह तुरंत लागू हो जाता है और कर्मचारियों की सैलरी बढ़ भी जाती है, लेकिन भारत में मौजूद कई व्यवस्थागत खामियों की वजह से व्यवहार में इसे लागू करना आसान नहीं होगा।

गोडसे की प्रतिमा की स्थापना 30 जनवरी को ही

30 जनवरी को मेरठ समेत देश में तीन जगहों पर गोडसे की प्रतिमा की स्थापना पर अड़े हिंदू महसभा के पदाधिकारियों ने रविवार को यहां कहा कि अगर इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा तो वे तैयार हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए उनसे गोडसे पर बयान के लिए सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की। ऐसा न करने पर यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में बाजपेयी को सबक सिखाने का ऐलान किया।
शारदा रोड स्थित हिंदू महासभा के कार्यालय पहुंचे महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र प्रकाश कौशिक, यूपी के महासचिव नवीन त्यागी और राष्टीय प्रवक्ता राकेश रंजन ने कहा कि मेरठ ऑफिस में जिस स्थान पर भूमि पूजन किया जा चुका है, उसी जगह 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। पुलिस की ओर से उनके राष्ट्रीय महासचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और 15 कार्याकर्ताओं को मुचलका पाबंद करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चाहे उन्हें जेल ही क्यों न जाना पड़े लेकिन मूर्ति की स्थापना 30 जनवरी को ही की जाएगी।
बीजेपी पर निशाना साधते हुए कौशिक ने कहा कि ये वही पार्टी है जो अपने शासनकाल में मेरठ से कमेले नहीं बद करा पाई थी। उन्होंने कहा कि अगर बाजपेयी अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेंगे तो 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वे यूपी के महासचिव नवीन त्यागी को उनके खिलाफ उतारेंगे। हिंदू महासभा की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि लक्ष्मीकांत के पिता खुद आजीवन हिंदु महासभा से जुड़े रहे।

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री मदन ने फोन पर बताया कि मेरठ के अलावा सीतापुर और अंबाला (हरियाणा) के कार्यालयों में भी 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। अंबाला में नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी, इसलिए अंबाला को चुना गया है। तीनों मूर्तियां जयपुर से बनवाई गई है। हर मूर्ति की कीमत 80 हजार से 1 लाख के बीच है। इनकी उंचाई 4 से 5 फीट के बीच है। ये मूर्तियां सफेद संगमरमर की बनवाई गई है। एक प्रतिमा को दिल्ली में रखा गया है, जबकि दो प्रतिमाएं अन्य स्थानों पर रखी गई हैं। मदन के अनुसार 2015 में महासभा की योजना देश के अपने अन्य कार्यालायों में नाथूराम गोडसे की प्रतिमा लगवाने का है। मुजफ्फरनगर में फरवरी में भूमि पूजन किया जाएगा।

जनजीवन की रफ्तार पर पूरी तरह से ब्रेक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और सूबे के अन्य हिस्सों में कोहरे और ठंड ने आम जनजीवन की रफ्तार पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है। सर्दी और शीतलहर के कारण राजधानी में इंटरमीडिएट तक के स्कूलों को एक जनवरी तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान तापमान में और कमी आने का अनुमान जताया है। 
राज्य में मौसम विभाग के निदेशक जे.पी. गुप्ता ने बताया कि दिन में शीतलहर और सर्दी का असर जारी रहेगा। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमी उप्र सहित सभी हिस्सों में शीतलहर का असर दिखाई देगा। गुप्ता के मुताबिक, सोमवार को न्यूनतम और अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की जाएगी। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की वजह से पूरा उप्र सर्द हवाओं की चपेट में है। 

मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी लखनऊ का न्यूनतम तापमान सोमवार को पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किए जाने का अनुमान है। राजधानी लखनऊ के अलावा सोमवार को वाराणसी का न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री, इलाहाबाद का पांच डिग्री सेल्सियस, कानपुर का 5.3 डिग्री सेल्सियस और इलाहाबाद का 4.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 
इधर, शीतलहर की वजह से रेल सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। लखनऊ और कानपुर से होकर दिल्ली आने-जाने वाली लगभग एक दर्जन रेलगाड़ियों पर इसका असर देखा गया है। कई रेलगाड़ियां अपने नियत समय से 10 घंटे से अधिक की देरी से चल रही हैं। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि शीतलहर की वजह से दर्जनभर रेलगाड़ियां अपने नियत समय से देरी से चल रही हैं। 
इस बीच, लखनऊ के जिलाधिकारी राजशेखर ने इंटरमीडिएट तक के सभी स्कूलों को 1 जनवरी तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। पहले विद्यालयों को 28 दिसम्बर तक बंद रखने का आदेश दिया गया था।

Friday, December 26, 2014

ढाका भागने से पहले रहमान का पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से 'मजबूत लिंक

ढाका पुलिस ने आतंकी संगठन जमात उद मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेबीएम) के दो संदिग्धों को अरेस्ट किया है। ये दोनों संदिग्ध 2009 से ही भारत में जेबीएम की आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहे थे। भारतीय एजेंसियों की सूचना के आधार पर अरेस्ट किए गए इन जिहादियों की पहचान 48 वर्षीय सैदुर रहमान और 25 वर्षीय अबुल सलेक के रूप में हुई है।
भारत से ढाका भागने से पहले रहमान का पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से 'मजबूत लिंक' थे, जबकि सलेक खुद को 24 परगना के एक किसान के तौर पर पेश करता था। सलेक बर्दवान बलास्ट के मास्टरमाइंड और जेबीएम के शीर्ष जिहादी तारिक इस्लाम समन का भाई है।

दोनों ही संदिग्ध भारत में जेबीएम की आतंकी गतिविधियों को चलाने में सबसे अहम रोल अदा कर रहे थे। रहमान आतंकियों की बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आने में मदद करता था। वहीं, सलेक की जिम्मेदारी थी कि जेबीएम के 'जिहादियों' की पत्नी और बच्चें जरूरत पड़ने पर 'सुरक्षित' तरीके से सीमा के आर-पार आ जा सकें।
रहमान की जेबीएम के टॉप लीडर तक सीधी पहुंच थी। ढाका के डेप्युटी पुलिस कमिश्नर मसूदुर रहमान का कहना है कि पुलिस की स्पेशल टीम और बम स्क्वॉड दस्ते ने एसीपी रहमतुल्लाह चौधरी के नेतृत्व में धान मंडी रोड इलाके में एक घर पर छापा मारा। सात मस्जिद रोड स्थित इस घर से दोनों संदिग्धों को अरेस्ट किया गया है। पुलिस अधिकारी का कहना है, ' अरेस्ट किए गए संदिग्धों के पास से बम बनाने के मैनुअल भी जब्त किए गए हैं। जल्द ही इस गिरफ्तारी से संबंधित सूचनाएं नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के साथ साझा की जाएंगी। भारत में आतंकी गतिविधियां चलाने के संबंध में दोनों संदिग्धों के बयानों की जांच की जाएगी।'
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बर्दवान बलास्ट के बाद एनआईए की सूचना के आधार पर छापा मारा गया और दो संदिग्धों को अरेस्ट किया गया। पुलिस का मानना है कि दो संदिग्धों की गिरफ्तारी तो महज शुरुआत है, अभी इस दिशा में और भी कई सफलताएं हाथ लग सकती हैं।
इसी साल बांग्लादेश का दौरा करने के दौरान एनआईए की टीम ने बांग्लादेशी जांच एजेंसियों को 10 से 15 मोबाइल नंबर और कुछ संदिग्धों के नाम भी दिए थे। एनआईए ने बांग्लादेश की पुलिस से इन लोगों को अरेस्ट करने में मदद की अपील की थी।

रघुवर दास झारखंड के अगले मुख्यमंत्री

सीनियर बीजेपी नेता और जमशेदपुर पूर्व से विधायक रघुवर दास झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे। शुक्रवार को केंद्रीय पर्यवेक्षकों जेपी नड्डा और विनय सहस्त्रबुद्धे की मौजूदगी में बीजेपी विधायकों ने सर्वसम्मति से रघुवर दास को विधायक दल का नेता चुन लिया। हालांकि, यह एक औपचारिकता भर थी क्योंकि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर के नाम पर पहले ही सहमति जता दी थी।
1980
से ही बीजेपी से जुड़े रहे रघुवर दास पहली बार 1995 में विधायक बने थे और उसके बाद लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं। इस बार उन्होंने करीब 70 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। पिछड़े समुदाय से आने वाले रघुवर दास का जन्म बेहद गरीब पिरवार में हुआ था। उनके पिता जमशेदपुर में टाटा स्टील में खलासी का काम करते थे। छात्र जीवन में रघुवर दास जेपी के आंदोलन से जुड़े और उसके बाद सक्रिय राजनीति में आए।

रांची में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में दिन के सवा ग्यारह बजे बैठक शुरू हुई। बैठक के फोटो सेशन के बाद मीडिया के लोगों को वहां से हटा दिया गया। शुरू में केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने विधायकों और राज्य इकाई के नेताओं से बात करके उनका नजरिया जाना। उसके बाद 12 बजे के करीब रघुवर दास विधायक दल का नेता चुन लिए जाने का ऐलान कर दिया गया। बीजेपी ऑफिस के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों का हुजूम लगा हुआ है और डोल-नगाड़े भी बजाए जा रहे हैं।
झारखंड की राजनीति में अर्जुन मुंडा के विरोधी माने जाने वाले रघुवार दास के नाम पर सहमति बनाने के साथ ही बीजेपी नेउस मिथक को भी तोड़ दिया, जिसके तहत कहा जाता रहा है कि झारखंड में आदिवासी ही मुख्यमंत्री हो सकता है। रघुवर ने गुरुवार को रांची में बीजेपी के बड़े नेताओं से मेल-जोल की गतिविधियां जिस प्रकार तेज कर दी थी, उससे भी लग रहा था कि उनको संकेत मिल गया था।
रघुवर ने गुरुवार को सीपी सिंह, सरयू राय समेत बीजेपी के वरिष्ठ विधायकों के आवास पहुंचकर गुफ्तगू की, जबकि शाम को वह बीजेपी कार्यालय गए, जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में था।

Tuesday, December 23, 2014

झारखंड में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार

जम्मू कश्मीर और झारखंड विधानसभा चुनावों में वोटों की गिनती जा रही हैं। रुझानों के मुताबिक, झारखंड में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बना सकती हैं, लेकिन जम्मू और कश्मीर में खंडित जनादेश आता दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर में अब इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि कौन-सी पार्टी किसके साथ मिलकर सरकार बना सकती है। इसी हालात पर चर्चा करने के लिए नई दिल्ली में बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक शुरू हो गई है। पीडीपी ने संकेत दिए हैं कि केंद्र में बीजेपी की सरकार हैं, इसलिए वह उसके साथ जा सकती है।

Monday, December 22, 2014

भविष्य के कार्यक्रमों के लिए गोपनीयता

विश्व हिंदू परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाखुशी के कारण फिलहाल अपने घर वापसी कार्यक्रम पर रोक लगाने का फैसला किया है। वीएचपी के कार्यकर्ताओं को मौखिक आदेश दिया गया है कि फिलहाल घर वापसी कार्यक्रमों को रोक लिया जाए। यह निर्देश शनिवार को गुजरात के वलसाड में 500 ईसाई आदिवासियों के पुनर्धर्मांतरण के कार्यक्रम पर पैदा विवाद के बाद दिया गया है।
वीएचपी से जुड़े एक सूत्र ने नाम न जाहिर करने की शर्त बताया, 'कहा जा रहा है कि शनिवार को हुए कार्यक्रम पर प्रधानमंत्री ने नाखुश जताई है।' इस बीच, मध्यप्रदेश में संगठन ने दावा किया है कि रविवार को 6 लाख लोगों की घर वापसी कराई गई। केरल में भी कम से कम 30 दलित आदिवासियों का पुनर्धर्मांतरण कराया गया। वीचपी सूत्र का कहना है कि फिलहाल 40 लाख धर्मांतरणों पर रोक लगाई गई है।
हालांकि वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने टीओआई से बातचीत में कहा कि कार्यकर्ताओं को कोई नया कार्यक्रम शुरू या बंद करने के कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। गुजरात के ही अन्य वीएचपी नेता का कहना है कि परिषद पर सरकार का कोई दबाव नहीं है और उसकी गतिविधियां पहले की योजना के तहत जारी रहेंगी। उन्होंने कहा कि परिषद इस बात को ध्यान में रखती है कि उसके काम से समाज में नफरत न फैले।
इससे पहले एक कार्यक्रम में बोलते हुए वीएचपी प्रमुख अशोक सिंघल ने कहा कि हिंदू संस्कृति और धर्म को पिछले 800 साल से दबाया गया है और अब हम कह सकते हैं कि एक ऐसी सरकार आ गई है जो हिंदुत्व की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
तोगड़िया ने टीओआई से फोन पर बातचीत में बताया, 'अब जिन कार्यक्रमों को हाईलाइट किया जा रहा है, वे दशकों से चल रही हैं। कुछ भी नया नहीं किया जा रहा है और न ही कुछ नया करने या बंद करने का कोई निर्देश दिया गया है।'
गुजरात वीएचपी के अनुसार परिषद के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कार्यक्रमों की डीटेल्स मीडिया को जारी न करें और भविष्य के कार्यक्रमों के लिए गोपनीयता बरतें। उनके मुताबिक डर है कि कहीं सरकार इन कार्यकर्मों को रोकने का प्रयास न करे।
सिंघल ने कहा कि पिछले 50 साल में किए गए उनके संघर्ष के कारण ही हिंदुओं ने 800 साल पहले 'खोए' दिल्ली के 'साम्राज्य' को फिर से पा लिया है। उन्होंने कहा कि हम धर्म बदलने नहीं दिल जीतने निकले हैं। एक दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने घर वापसी कार्यक्रम का समर्थन करते हुए सरकार को चैलेंज किया कि अगर वह इसे रोकना चाहती है तो इसके लिए कानून बनाए।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि धर्मांतरण पर बीजेपी का स्टैंड साफ है। धर्मांतरण से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी बीजेपी सरकार के डिवलेपमेंट के अजेंडे को बदल नहीं सकता। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि धर्मांतरण के मुद्दे पर भाजपा और संघ के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है। नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार धर्मांतरण रोकने के लिए जबरन या एकतरफा कानून नहीं बनाएगी। इसे आम सहमति से ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो विपक्षी पार्टियां धर्मांतरण के खिलाफ बोल रही हैं उन्हें इस बिल के साथ आना चाहिए।

Saturday, December 20, 2014

एक और तरह की घर वापसी

विश्व हिंदू परिषद के 'घर वापसी' के नाम पर धर्मांतरण के कार्यक्रम ने जहां पूरे मुल्क में बवाल मचाया हुआ है, वहीं कुछ दलित विचारक मिलकर एक और तरह की घर वापसी करा रहे हैं। वीएचपी के कार्यक्रम के उलट इस घर वापसी से भारत के बेहद नाजुक सामाजिक तानेबाने को कोई नुकसान पहुंचता नहीं दिख रहा है लेकिन हिंदुओं के बीच के तानेबाने को यह बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। 
ये दलित लोग वाल्मीकि, खटिक, चर्मकार जैसे उपनामों को मिश्रा, पांडेय, तोमर और राठौड़ आदि में वापस ला रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बिजय सोनकर शास्त्री के नेतृत्व में यह घर वापसी हो रही है। शास्त्री कहते हैं कि वह उन हिंदुओं का खोया हुआ सम्मान वापस दिला रहे हैं जिन्होंने इस्लामिक आक्रमणों के वक्त अपना धर्म छोड़ने के बजाय अपनी ऊंची जाति छोड़ दी थी। 

शास्त्री कहते हैं, 'हम उन लोगों की घर वापसी की बात करते हैं जिनके पुरखों ने जबरन या मजबूरी के तहत कोई और धर्म अपना लिया लेकिन उनका क्या जिन्होंने धर्म नहीं छोड़ा बल्कि उसकी रक्षा के लिए नीचे काम अपना लिए? क्या यह सही वक्त नहीं है कि उन्हें समाज में उनका खोया हुआ स्थान वापस दिलाया जाए?' 
डॉ. बीआर आंबेडकर के पोते और जानेमाने इतिहासकर प्रकाश आंबेडकर इस सिद्धांत को खारिज करते हैं। वह कहते हैं, 'बीजेपी सत्ता में आ चुकी है और इस्लाम का विरोध करके ही वे हिंदुओं को जोड़ सकते हैं।' 
शास्त्री बताते हैं कि वह इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए 500 से ज्यादा सेमीनारों में भाषण दे चुके हैं। उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदू संगठनों में भी इस विषय पर बात की है।

ई-सिगरेट, नए तरह का नशा

यूं तो ई-सिगरेट का इस्तेमाल सिगरेट छोड़ने वाले लोग एक माध्यम के तौर पर करते हैं, लेकिन भारत में बिना किसी नियम-कानून के चलते, दिन दोगुनी और रात चौगुनी गति से बढ़ रहा यह बाजार अब पूरी तरह से बेलगाम हो गया है। आलम यह है कि अभी तक सिगरेट छुड़ाने के लिए इलाज के एक माध्यम के रूप में बाजार में मिलने वाली यह ई-सिगरेट, नए तरह का नशा बनकर उभर रही है।
डॉक्टरों के अनुसार बाजार में मिलने वाली ई-सिगरेट्स में कई ब्रैंड ऐसे हैं, जिनमें सामान्य सिगरेट से भी कहीं ज्यादा मात्रा में निकोटीन है और यह सिगरेट की तरह ही खतरनाक है। 

इस साल अक्टूबर में मॉस्को में हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तंबाकू नियंत्रण सेमिनार में ई-सिगरेट को सामान्य सिगरेट के जैसे ही खतरनाक और नुकसानदायक माना। वहीं सितंबर में दिल्ली में दक्षिण-एशियाई देशों की बैठक में भी इसे नुकसानदायक करार दिया गया है। यही कारण है कि भारत में ई-सिगरेट पर कड़े नियम बनाने की मांग बढ़ गई है। 
भारत में सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने पर प्रतिबंध है, लेकिन ई-सिगरेट पीने पर कोई नियम-कानून नहीं है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन ई-सिगरेट मंगाने का ट्रेंड बहुत ज्यादा बढ़ा है। मुंबई की हील्स फाउंडेशन के डॉ. प्रकाश गुप्ता का कहना है कि ई-सिगरेट में निकोटीन के ऐसे उत्पाद हैं, जिन्हें बिना किसी रोक-टोक के आसानी से इंटरनेट से मंगाया जा रहा है।
भारत में तंबाकू पर बने कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू प्रॉडक्ट नहीं दिए जाते, जबकि इंटरनेट के माध्यम से ई-सिगरेट किसी भी उम्र के लोग मंगा रहे हैं। 
गौरतलब है कि ई-सिगरेट बनाने वाली कंपनियां इसे सामान्य सिगरेट से कम हानिकारक के तौर पर प्रचारित कर रही हैं, लेकिन डॉक्टरों की राय इससे जुदा है। टाटा अस्पताल के हेड ऐंड नेक सर्जन, डॉ. पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि किसी भी रिसर्च के माध्यम से यह साबित नहीं हुआ है कि ई-सिगरेट, सिगरेट के 'डी-अडिक्शन' के लिए किसी भी तरह से कारगर साबित हुई है बल्कि, यह उतनी ही नुकसानदायक है जितनी सामान्य सिगरेट। कई ब्रैंड के ई-सिगरेट में 36 मिलीग्राम तक निकोटीन की मात्रा होती है, जो उसे सामान्य सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक बनाती है।
 ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाले ऐसा उपकरण है, जो निकोटीन को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाता है। ई-सिगरेट, देखने में बिलकुल सामान्य सिगरेट या सिगार जैसी प्लास्टिक या मेटल से बनी होती है। बाजार में ई-सिगरेट के 7764 से भी ज्यादा फ्लेवर उपलब्ध हैं। 

Thursday, December 18, 2014

2011 से 2014 के बीच 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला

डायरेक्टॉरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने खुलासा किया है कि कुछ कंपनियां अपने पावर प्लांट के लिए इंडोनेशिया से आयातित कोयले के मूल्य में हेरफेर कर रही हैं। डीआरआई ने खुलासा किया है कि कोयले के आयात मूल्य को ज्यादा दिखाकर 2011 से 2014 के बीच 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया।
डीआरआई ने महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केरल में 80 से अधिक शिपिंग कंपनियों, एजेंट और लैबों पर छापा मारा। यहां से जब्त किए गए दस्तावेजों से आयातित कोयले के वास्तविक मूल्य का पता चला है। डीआरआई ने कोयले की जांच करने वाली लगभग सभी लैब में छापा मारा ताकि आयातित कोयले की कैलरी क्षमता की रिपोर्ट की पुष्टि की जा सकते।

आयात किए गए कोयले का मूल्य अधिक होने से टैरिफ पर भी प्रभाव पड़ता है, जो कंज्यूमर को देना पड़ता है। दूसरे शब्दों में कहे, अगर कोयले के आयातित मूल्य को अधिक नहीं दिखाया गया तो पावर टैरिफ शायद एक रुपये प्रति यूनिट से कम होगा। डीआरआई इस घोटाले में पब्लिक सेक्टर कंपनियों के शामिल होने भी जांच कर रही है।
डीआरआई के एक अधिकारी का कहना है कि प्रतिष्ठित कंपनियों समेत लगभग सभी इंपोर्टर आयातित कोयले के दाम बढ़ाकर दिखाने में शामिल हैं। डीआरआई द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि पब्लिक सेक्टर समेत भारतीय कंपनियों ने 2012-13 में इंडोनेशिया से 77 मिलियन टन कोयला आयात किया था। डीआरआई के अधिकारियों के मुताबिक, आयात किए गए कोयले के मूल्य उसकी असल कीमत से दोगुना तक ज्यादा दिखाए गए।
सूत्रों का कहना है कि कंपनियां विदेशों में पैसा जमा करने के लिए इस तरीके को अपना रही हैं। इंडियन कंपनियां किसी मध्यस्त के माध्यम से कोयले के बढ़ाए गए मूल्य के आधार पर भुगतान करती हैं, लेकिन जिन कंपनियों से कोयला खरीदा जाता है उन्हें कम भुगतान किया जाता है। इस तरह कंपनियां बाकी बचा हुआ पैसा विदेशों में जमा कराने में कामयाब हो जाती है। मध्यस्त कमीशन के आधार पर यह काम करते हैं। कुछ मध्यस्त सीधे कंपनी से भी जुड़े होते हैं।

Monday, December 15, 2014

विज्ञापन से जुड़ा कागज महासचिव की मेज पर जमा

सरकार ने उन रिपोर्टों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि क्रिसमस के दिन 'सुशासन दिवस' मनाने के लिए सीबीएसई के स्कूलों को खोले रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं। राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष ने भारी विरोध जताया, जिस पर सरकार की ओर से सफाई दी गई कि ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है। सरकार ने कहा कि इस विषय पर केवल एक ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई है। 
विपक्ष द्वारा सोमवार को शून्यकाल में यह मुद्दा उठाए जाने पर सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'खबर तथ्यात्मक रूप से गलत है।' उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री ने उन्हें सूचित किया है कि ऐसे कोई निर्देश नहीं जारी किए गए हैं। केवल एक ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता होगी। बात बस इतनी ही है। 

इससे पहले सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि स्कूलों से कहा गया है कि वे सुशासन दिवस मनाने के लिए 25 दिसंबर को अपना विद्यालय खोले रखें। उन्होंने कहा, 'इस बारे में सरकार की ओर से आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले महात्मा गांधी के जन्मदिवस के दिन पर स्वच्छता दिवस मनाया गया था। 
दोपहर 12 बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने अपना आरोप दोहराया कि धर्मांतरण का मुद्दा एक बड़े पैकेज का हिस्सा है, जिसके जरिये देश के संवैधानिक स्वरूप पर प्रहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन 'सुशासन का अभियान' चलाने के लिए सरकारी विज्ञापन जारी किए गए हैं और उस दिन छुट्टी नहीं होगी। 
सभापति हामिद अंसारी द्वारा इस बात को प्रमाणित करने की अनुमति दिए जाने पर येचुरी ने विज्ञापन से जुड़ा कागज महासचिव की मेज पर जमा कर दिया। इसके बाद कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने नियम 267 के तहत अपने नोटिस की बात दोहराई, जिस पर अंसारी ने कहा कि आपको सूचित किया जा चुका है कि आपका नोटिस स्वीकार नहीं किया गया है। 
विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रश्नकाल नहीं चलने देने पर सभापति ने बैठक शुरू होने के दो मिनट बाद ही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बैठक फिर शुरू होने पर जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा, 'देश जिस स्थिति से गुजर रहा है, उसमें प्रश्नकाल ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। देश के मौजूदा हालात अराजकता पैदा कर सकते हैं। अगर इस विषय पर सदन में चर्चा नहीं हुई तो दुष्परिणाम सामने आएंगे।' 
यादव ने कहा, 'इस मुद्दे (धर्मांतरण) पर सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति बनना जरूरी है।' इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री नकवी ने कहा, 'हम देश में शांति और सौहार्द के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा संकल्प है कि कोई ताकत देश में शांति और सौहार्द को नहीं बिगाड़ पाएगी। अगर आसन चाहे तो हम किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार हैं।' हालांकि कांग्रेस, जेडी(यू), सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के सदस्य मंत्री के बयान पर असंतोष जताते हुए अपनी मांग पर अड़े रहे। हंगामा जारी रहने पर सभापति ने सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

Friday, December 12, 2014

संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में स्वीकर कर लिया

संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार रात 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में स्वीकर कर लिया। भारत के लिए यह एक गौरव का क्षण रहा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद संयुक्त राष्ट्र के अपने संबोधन में इसकी पहल कर चुके थे। 
21
जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का औपचारिक प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में 170 सदस्यों के भारी बहुमत से पारित हुआ। जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने यह प्रस्ताव पारित होने पर कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर स्वीकार किए जाने से आधुनिक दुनिया में स्वास्थ्य और मानव कल्याण के क्षेत्र में योग के लाभों पर ध्यान खिंचेगा।

मून ने कहा कि योग एक ऐसी परंपरा है, जिससे शांति व विकास में योगदान मिलेगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें अधिवेशन के प्रेजिडेंट सैम कुटेसा ने अपने संदेश में कहा कि 170 से अधिक देशों द्वारा इस प्रस्ताव को समर्थन देने से पता चलता है कि दुनिया भर में योग लोगों को कितना मोहित करता है।
कुटेसा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पहल के लिए वह उन्हें बधाई देते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितंबर को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने इस आशय का प्रस्ताव रखा था।
इस फैसले पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कुछ ऐसे प्रतिक्रिया दी, 'प्रफुल्लित! संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति दी गई है। मेरे पास अपनी खुशी को बयां करने के लिए शब्द नहीं है। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं।' पीएम मोदी ने इसके साथ ही दुनिया भर के उन 177 देशों को भी शुक्रिया कहा है जिन्होंने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाये जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई।