Saturday, May 30, 2015

राहत कार्यों की निगरानी में जुटे राज्य सरकार के अधिकारियों ने रोजाना हजारों रुपये का तर माल उड़ाया

जब 2013 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे लाखों लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं था, वहीं बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी में जुटे राज्य सरकार के अधिकारियों ने रोजाना हजारों रुपये का तर माल उड़ाया। बाढ़-पीड़ित दाने-दाने को मोहताज थे और ये अफसर होटल में बैठकर मटन चाप, चिकन , दूध, पनीर और गुलाब जामुन खाते हुए राहत और बचाव कार्यों की निगरानी में व्यस्त थे। राज्य के सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने मामले में CBI जांच की सिफारिश की है।
उन्होंने इस मामले को राज्य के मुख्यमंत्री के सामने पेश करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। इस पत्र के साथ RTI से मिली 200 पन्नों की जानकारी और 12 पेज का अपना आदेश भी सूचना आयुक्त ने मुख्य सचिव को भेजा है।
RTI
आवेदन के जरिए हुए खुलासे के अनुसार अधिकारियों के होटल में ठहरने की अवधि 16 जून, 2013 को बाढ़ आने से पहले की दिखाई गई है। आधा लीटर दूध की कीमत 194 रुपये दिखाई गई है, जबकि बकरे का गोश्त, मुर्गी का मांस, अंडे, गुलाब जामुन जैसी चीजें भी बाजार दाम से बहुत ऊंची दरों पर खरीदी दिखाई गई।
भूपेंद्र कुमार ने एसआईसी में सुनवाई के दौरान RTI याचिकाओं पर जवाब में मिले 200 से अधिक पेज के रिकॉर्ड का हवाला दिया। उन्होंने दावा किया कि रुद्रप्रयाग जिले में अधिकारियों ने नाश्ते के लिए 250 रुपये, लंच के लिए 300 रुपये और डिनर के लिए 350 रुपये के क्लेम पेश किए।

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