अगर भारतीय बेइमानों को स्विस बैंक में जमा खातों की रकम देश के विकास पर लगे तो आम भारतीय की गरीबी तुरंत दूर हो जाएगी । इस तरह के बेइमानों को जनता को सबक सिखाना चाहिये
भारत में स्विस बैंक के खातों की चर्चा होते ही करप्शन और साजिश की बू आने लगती है। पिछले दो साल से स्विस बैंक असोसिएशन का एक डेटा चर्चा में है। इसके मुताबिक, स्विट्जरलैंड में स्थित बैंकों में भारतीयों का लगभग 14.56 खरब डॉलर जमा है। इसके मुकाबले रूसियों का 4.70 खरब डॉलर पैसा स्विस बैंक में जमा है। बाकी देश रईसी की इस होड़ में काफी पीछे हैं। यह डेटा एक ईमेल के रूप में भारत के तमाम आला अर्थशास्त्रियों के पास पहुंच रहा है और कई कॉलम राइटर इसका उदाहरण भी दे रहे हैं। लेकिन जब दिल्ली स्थित एक अर्थशास्त्री ने इस डेटा की असलियत जानने के लिए पड़ताल की, तो इसके सोर्स का पता ही नहीं चल पाया। उन्होंने स्विस एंबेसी से इस बारे में जानना चाहा, तो उन्हें बैंक की असोसिएशन की वेबसाइट का अड्रेस देकर उस पर चेक करने को कहा गया। आंकड़े जिस साल (2006) के हवाले से बताए जा रहे हैं, उस दौरान जारी बैंक की रिपोर्ट में इनका कहीं जिक्र नहीं है। ब्लैक इकॉनमी के भारी-भरकम तंत्र को समझाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इन आंकड़ों के सोर्स का कोई अता-पता नहीं है। ब्लैक इकॉनमी के एक्सपर्ट माने जानेवाले जेएनयू के प्रफेसर अरुण कुमार के मुताबिक 14.56 खरब डॉलर की रकम वास्तविक हो सकती है, लेकिन बाकी देशों की जमा रकम के आंकड़े कतई वास्तविक नहीं लगते। विकसित देशों द्वारा 2001 में कराई गई एक स्टडी के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत दुनिया के टॉप 20 देशों में भी नहीं आता। इसलिए आंकड़ों के बारे में सवाल उठना लाजमी है। आईआईएमसी में असोसिएट प्रफेसर और आर्थिक मामलों के जानकार आनंद प्रधान ने कहा : मैंने भी इस मेल के सोर्स को पता करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी आधिकारिक डॉक्युमेंट में यह नजर नहीं आया। इसके बावजूद लोग इसे सही मान रहे हैं क्योंकि सरकारी सिस्टम और करप्शन के बारे में आम धारणा यही है। साढे़ चार लाख करोड़ का सालाना डिवेलपमेंट बजट है। पीएम कहते रहे हैं कि रुपये में 15 पैसे ही सही जगह पहुंचते हैं। जाहिर-सी बात है कि 85 फीसदी पैसा करप्शन के हवाले हो जाता है, जिससे सीधे-सीधे ब्लैक मनी ही जेनरेट होती है।
Sunday, February 1, 2009
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