बच्चों को सीखना चाहिये आत्मसम्मान में रहना, और देश केलिए कुछ करना
जब डिस्ट्रिक्ट अडमिनिस्टेशन ने उन्हें सूचित किया कि सूरज और अभिषेक को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है, तो पिता मोहन सूरी की आंखें भर आईं। उनके बेटों की दिलेरी को गांव ही नहीं आसपास के लोग भी याद करते हैं। उन्होंने एक डूबते हुए बच्चे को तो बचा लिया लेकिन खुद अपनी जान गंवा बैठे। यह पुरस्कार हरियाणा के राज्यपाल डॉ. ए. आर. किदवई 26 जनवरी को रेवाड़ी में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में मोहन सूरी व उनकी पत्नी किरण को प्रदान करेंगे। गुड़गांव के सिविल हॉस्पिटल में रेडक्रॉस के मेडिकल स्टोर पर कार्यरत फॉर्मासिस्ट मोहन सूरी ने बताया कि उनके दो ही बेटे थे। मास्टर अभिषेक 9 और मास्टर सूरज 7 साल का। यह दोनों साल 2007 में स्कूल की छुट्टियों के दौरान हिसार में हांसी के निकट अपने गांव हाजमपुर गए थे। 23 मार्च के दिन जब ये बच्चे सुबह शौच के लिए निकले, तो उन्होंने एक बच्चे को टैंक में डूबते देखा। बच्चा बचाने की गुहार लगा रहा था। अभिषेक व सूरज उसे बचाने के लिए पानी में कूद गए। बच्चे को तो उन्होंने बचा लिया लेकिन खुद उनकी जान चली गई। यह बताते हुए मोहन सूरी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सूरज व अभिषेक को 2008 में राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर बहादुरी पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार मोहन सूरी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से प्राप्त किया था। अब सूरज और अभिषेक के लिए राज्य सरकार भी बहादुरी पुरस्कार देगी। बहादुरी पुरस्कार राज्यपाल रेवाड़ी में देंगे। इसके लिए डीसी दीप्ति उमाशंकर ने डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर सगान सिंह को उनके आने-जाने की व्यवस्था करने की हिदायत दी है।
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