Saturday, February 7, 2009

क्योंकि मोदी का जबाब किसी के पास नहीं ।हमारा साधुवाद


गुजरात ई-कोर्ट प्रोजेक्ट लागू करने में भी सबसे आगे, नेताओं को सबक लेना चाहिये, केवल आलोचना उचित नहीं , क्योंकि मोदी का जबाब किसी के पास नहीं ।हमारा साधुवाद
गुजरात हाई कोर्ट मॉडल ई-कोर्ट प्रोजेक्ट लागू करने वाली देश की पहली अदालत होने का गौरव उठाने जा रही है। रविवार से यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है। सबसे पहले इस प्रोजेक्ट को यहां के सिविल और सेशंस कोर्ट में लागू किया जाएगा, जिसका उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन करेंगे। इससे जहां जुडिशरी में आने वाली अड़चनें काफी हद तक दूर होंगी, वहीं सरकारी कर्मचारियों का समय भी बचेगा। आइए देखते हैं इससे जुडिशरी के वर्क कल्चर में किस तरह का आमूल-चूल परिवर्तन आएगा - पारदर्शिता बढ़ेगी : इस प्रोजेक्ट के तहत कोर्ट रूम में होने वाली सुनवाई की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग होगी। खास बात यह कि इससे मुकदमे की पारदर्शिता बढ़ेगी, क्योंकि ऐसे में बहस के दौरान रखे गए तर्कों और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। जजों को अगर किसी चीज पर संदेह है तो वे सुनवाई की पिछली रिकॉर्डिंग को देखकर संशय दूर कर सकते हैं। ऐसे मामले जिनमें, सुनवाई के दौरान जब कोई गवाह पलट जाता है या फिर बचाव और सरकारी पक्ष के वकीलों बयानों की समीक्षा की जरूरत होती है, यह सिस्टम बहुत काम का हो सकता है। धन और श्रम की बचत: चूंकि कोर्ट रूम को सेंट्रल जेल, पुलिस कमिश्नर ऑफिस और फॉरेन्सिक साइंस लैब से भी जोड़ा जाएगा। इससे सुनवाई के दौरान अभियुक्त को जेल से कोर्ट लाने तक की जहमत नहीं उठानी होगी। आंकड़े बताते हैं कि 2004 से अब तक 23000 कैदियों को कोर्ट में पेश किया गया है, जिसमें 89 लाख का खर्च आया। उन्हें लाने में मैनपावर जो लगा, सो अलग। इससे न्याय जल्द पाने में भी आसानी होगी। इस पायलट प्रोजेक्ट की समीक्षा और इससे निकली सिफारिशों को बाद में राज्य के अन्य कोर्टों में भी लागू किया जाएगा।

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