सितंबर 2014 में छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव क्या भाजपा
और कांग्रेस में फिक्स था? क्या भाजपा के लिए आदिवासियों का
समर्थन हासिल करना चुनौती बन गया था? क्योंकि इस उपचुनाव में
जिस तरह से कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने नामांकन के एक दिन पहले अचानक अपना
नाम वापस लेकर भाजपा को वॉकओवर दे दिया था उससे यही प्रतीत हुआ था।
कांग्रेस ने उस समय तुरंत यह आरोप भी लगाया था कि भाजपा ने उनके उम्मीदवार
को खरीद लिया है और इसके लिए कांग्रेस ने चुनाव आयोग से चुनाव को रद्द करने की भी
मांग की थी। एक साल बाद अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि उसे
इस बातचीत का टेप मिला है जिसमें उस समय के कुछ मुख्य पात्रों की आवाजें हैं।
जिनमें चुनाव को मैनेज करने की बातें की जा रही हैं और इस दौरान कुछ वित्तीय लेन
देन भी हुआ।
अधिकांश बातचीत अगस्त 2014 के अंतिम सप्ताह में मतदान के दिन
के हुई हैं। बातचीत में इस बात पर जोर दिया जा रहा है 13, सितबंर
2014 को होनो वाले अंतागढ़ सीट से वो अपना नाम वापस ले। यह
उपचुनाव विक्रम उसेंडी (भाजपा) के लोकसभा सांसद बनने के बाद हुई खाली सीट पर हुआ
था।
इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने विधायक अमित जोगी को नोटिस जारी
किया है। उधर पूर्व सीएम अजीत जोगी ने कहा कि यह पूरा मामला झूठा है और वे संबंधित
लोगों पर मुकदमा दर्ज करेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के अनुसार
विधायक अमित को नोटिस देने के साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य अजीत जोगी से भी
पूछा गया है कि इस मामले में उनका क्या पक्ष है।
मंतूराम पवार ने नईदुनिया के कांकेर संवाददाता से कहा कि 'मेरे
बढ़ते हुए जनाधार के चलते यह कांग्रेस के लोगों की साजिश है। कांग्रेस की अंर्तकलह
की वजह से मैं तीन बार चुनाव हारा हूं। अब तो कांग्रेस में अंर्तकलह पूरे छत्तीसगढ़
में फैल गई है। पवार ने कहा- मैंने पहले ही उपचुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इसके
बाद भी मुझे टिकट दिया गया। लेकिन मैंने इसका सम्मान किया और इसके बाद छत्तीसगढ़
पीसीसी प्रमुख से मेरा नाम हटाकार दूसरे को टिकट देने की बात कही। क्योंकि
कांग्रेस की कुछ लोग ही मुझे हरवाना चाहते थे। जब वे नहीं माने तो मुझे ही पीछे
हटना पड़ा था।
अंतागढ़ टेप मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह गंभीर
बात है। टेप के सत्यता की जांच होनी चाहिए एवं पार्टी को संबंधितों से पूछना
चाहिए। यह प्रजातंत्र के मूल के नष्ट होने का मामला है। इससे लोगों में
प्रजातांत्रिक व्यवस्था को लेकर नकारात्मक असर होगा। यदि चुनाव ऐसे जीते जाते हैं
तो विकास, सुरक्षा व अन्य मुद्दे दरकिनार हो जाएंगे। पूरे मसले के
सत्यता की तत्काल जांच हो।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अमित जोगी और रमन सिंह के दामाद के बीच
बातचीत पवार के नाम वापस लेने से पहले अगस्त माह की है। टेप में पहले अजित जोगी के
बेटे अमित जोगी और रमन सिंह के बीच बातचीत हो रही है जिसमें पहले दोनों एक दूसरे
का हाल-चाल पूछ रहे हैं और फिर कुछ डील को फाइनल करने बात हो रही है एवं उसके बात
अमित जोगी पुनीत गुप्ता से अपने पिता अजीत जोगी की बातचीत करवा रहें हैं।
पुनीत गुप्ता के साथ बातचीत में अजीत कह रहें कि -'कोई
बातचीत हुई ना, उसे फाइनल करो जल्दी।' इसके
बात अमित जोगी पुनीत गुप्ता को किसी चीज को बढ़ाने की बात कह रहें हैं, जिसमें पुनीत भी हामी भर रहे हैं। और अमित कह रहे हैं कि 'वह 10 की उम्मीद कर रहा है लेकिन कम से कम 7 तो होनी ही चाहिए, इतना कम मत करो कि वो भाग ही जाए'
और दोनों अगले दिन मिलने की बात कर रहे हैं।
अमित जोगी और फिरोज जोगी जो अजित जोगी के खासमखास है, के
बीच भी बातचीत होती है जिसमें फिरोज अमित से कहते हैं कि 'सीएम
हाउस से फोन आ गया है और उसे बता दिया गया है कि वह राजेश मनोत (रमन सिंह के
नजदीकी मंत्री) के बंगले के पास रहे और अमित कहते हैं- 'वो
राजेश मनोत के बंगले के अंदर चले जाए।'
उसके ठीक बात अमित जोगी यह कहते हैं कि वो 'कलक्ट्रेट में पहुंच गया
है तो माल देना पडेगा।' और फिरोज यह कहते हैं कि 'मेरी बात हो गयी है और बिग बॉस से बात भी करा दी है। औऱ पेंमेंट मगा दिया
है तो अमित जोगी कहते हैं कि कुछ देना चालू करो।' फिरोज किसी
शराब ठेकेदार से पेंमेंट पहुंचाने की बात कर रहे हैं।
वहीं बातचीत के दौरान फिरोज और अमीन मेमन में लेन देन की बात हो रही है और
अमीन मेमन फिरोज से कहते हैं कि वह अब 5-10 भी देता है तो कोई
नहीं,… अब हम चुनाव लडगें...मंटू अब चुनाव लडेगा।
मंतूराम पवार औऱ जोगी के खासमखास फिरोज में बातचीत होती है जिसमें फिरोज
मंतू से कहतें हैं कि आपको भूपेश (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) को निपटाना था लेकिन
उसको निपटाने के लिए आपको मोहरा बना दिया, उनकी इस बात में मंतूराम
भी हामी भर रहे हैं
जिसमें मंतूराम कह रहे हैं कि 'वो नाम वापस नहीं लेते
यदि यह इसे पहले पता होता औऱ मैं चुनाव जीत के दिखाता, मैंने
तो जोगी परिवार की इज्जत बचाने के लिए यह किया।'
मंतूराम कह रहे हैं कि 'वो सबसे से बात कर चुके हैं यहा तक कि
सीएम साहब से भी दो बार इस मसले पर बात कर चुके हैं जबकि इससे पहले कभी इस मामले
पर सीएम से बात नहीं हुयी औऱ सारे मसले पर हमेशा तीसरे पक्ष के माध्यम से ही बात
हुई है।'
फिरोज कह रहें हैं - 'हां जोगी के माध्यम से ही बातचीत हुई
।लेकिन आपको मिला क्या नाम वापस लेने पर... पूरा पैसा नहीं मिला ना आपको।' जिसके जवाब में मंतूराम कहते हैं कि नहीं मिला। फिरोज सिद्दकी मंतूराम से
कहते हैं कि 'मैं उनको बता दिया हूं कि ज्यादा देर की तो
मंतूराम सारी चीजों को एक्सपोज कर देगा, मंतूराम कभी भी बिफर
सकता है' जिसके जवाब में मंतूराम भी कहते हैं कि उनका कोई
कुछ नहीं बिगाड सकता है मैं आदिवासी हूं मुझे बलि का बकरा बनाया गया है, मेरी राजनितिक कैरियर समाप्त हो गया है।'
2013 के विधानसभा चुनावों में बस्तर इलाके की 12 में कांग्रेस ने 8 सीटें जीतें थी। यह प्रदेश
कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का पहला चुनाव था और ऐसे में जोगी कैम्प बघेल को नीचा
दिखाने के लिए यह कोशिश कर रहा था कि वह सीट हार जाए। और पवार के नाम वापस लेने पर
जोगी ने प्रदेश कांग्रेस लीडरशीप पर पर निशाना साधा था।
जीती थी लेकिन 2003 में यह घटकर 4
हो गयी जिससे जनता में यह संदेश जा रहा था कि आदिवासियों का भाजपा
में विश्वास घट रहा है। उपचुनाव में पार्टी में चाहती थी बिना स्टार उम्मीदवार के
भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीत जाये और अगर भाजपा चुनाव हार जायेगी तो रमन सिंह की
प्रतिष्ठा बुरी तरह प्रभावित होगी।