सुरक्षा जांच के लिए मेटल डिटेक्टर लगे जरूर हैं, मगर
किसी काम के नहीं। क्योंकि ये महीनों से बंद हैं। परिसर में सामान बिना जांच के ही
ले जाया जा रहा है, क्योंकि बैग स्कैनर ठीक नहीं करा पा रहे।
प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाता कोई भी शख्स आपको यहां आसानी से नजर आ जाएगा। यह नजारा
सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील ज्यिोतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर का है।
मंदिर को लेकर देश की शीर्ष सुरक्षा एजेंसियां कई बार
हाई अलर्ट जारी कर चुकी हैं, मगर यहां इंतजाम कभी-भी वैसे नजर
नहीं आते। आए दिन सुरक्षा में चूक की घटनाएं सामने आती हैं। हर बार अफसरों का एक
ही जवाब होता है- जल्द ही सबकुछ ठीक कर दिया जाएगा। मामला हर बार कर्मचारियों को
नोटिस या चेतावनी तक ही सीमित रह जाता है। मंगलवार को ही एक किसान परिसर में एक
ऐसे द्वार से बाइक समेत प्रवेश कर गया, जहां से आम
दर्शनार्थी किसी भी स्थिति में अंदर नहीं जा सकते। ऐसे में नईदुनिया ने मंदिर
परिसर में सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया।
मंदिर में सुरक्षा के लिए तीन एजेंसियां तैनात हैं।
एसएएफ, स्थानीय पुलिस सहित निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारी
व्यवस्था संभालते हैं। हालांकि प्रतिबंधित द्वारों से प्रवेश की घटनाएं लगातार
सामने आती हैं।
मंदिर परिसर में मोबाइल और कैमरे प्रतिबंधित हैं। मगर
जांच के बेहतर इंतजाम नहीं। कई श्रद्धालु परिसर में मोबाइल और कैमरे का उपयोग करते
आसानी से नजर आ जाते हैं।
मंदिर में शहनाई गेट के पास वर्षों पहले बैग स्कैनर
लगाया गया था ताकि यहां पूजन सामग्री सहित अन्य सामान की जांच की जा सके। स्कैनर
महीनों से बंद पड़ा है। इस पर धूल जमी पड़ी है और अफसरों का इस ओर कोई ध्यान नहीं
है। कई बार स्कैनर बंद पड़े होने की बात उठ चुकी है, मगर इसे ठीक नहीं कराया
गया। अलबत्ता मंदिर में नारियल, बैग ले जाने पर प्रतिबंध्ा
जरूर लगाया गया। हालांकि अन्य सामान बिना जांच के ही परिसर में जा रहा है।
मंदिर में तीन डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (पुलिस चौकी, विश्रामधाम
व शहनाई गेट) लगे हैं। इनमें से विश्रामधाम का डिटेक्टर बंद है। चौकी पर डिटेक्टर
का अधिक महत्व नहीं, क्योंकि यहां से सिर्फ विशिष्टजन ही
प्रवेश करते हैं।
मंदिर की व्यवस्थाओं की कमान जब से नए अधिकारियों के हाथ में आई है। पहले
की बजाय व्यवस्थाओं में थोड़ा सुधार हुआ है। यह व्यवस्था और भी बेहतर हो सकती है
लेकिन अधिकारियों में मैदानी काम के अनुभव की कमी इसमें रोड़ा बन रही है। अधिकारी
कर्मचारियों से काम नहीं ले पा रहे हैं, जहां व्यवस्था बिगड़ती
दिखती है, अधिकारी कर्मचारियों से काम नहीं ले पाते। पिछले
एक सप्ताह में कई बार प्रशासक आरपी तिवारी व सहायक प्रशासक प्रीति चौहान नंदी हॉल
में लाइन चलाते नजर आए। सिंहस्थ में अभी करीब साढ़े तीन माह का समय शेष है।
अधिकारियों को कार्यशैली दुरुस्त करना चाहिए, अन्यता महाकुंभ
के समय हालात बिगड़ सकते हैं।
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