पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए
काम करने के आरोप में गिरफ्तार बीएसएफ का हैड कॉन्स्टेबल अब्दुल राशिद पूछताछ के
दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे कर रहा है। राशिद ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि
वो अपनी बुआ के बेटे कैफेतुल्ला के जरिए आईएसआई के संपर्क में आया। आईएसआई ने उसे
भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी देने के एवज में मोटी रकम देने का वादा किया।
जांच एजेंसियों को ये भी पता चला है कि कैफेतुल्ला और
राशिद कोडवर्ड के जरिये खुफिया जानकारियां एक दूसरे से साझा करते थे। जांच
एजेंसियों ने फोन रिकार्डिंग के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि दोनों फोन पर
बातचीत के दौरान कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे।
सुरक्षा एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक
जम्मू-कश्मीर का रहने वाला कैफेतुल्ला 2013 में अपने रिश्तेदार
से मिलने पाकिस्तान गया था जहां उसकी मुलाकात आईएसआई एजेंट से हुई और उसी के जरिए
वो आईएसआई में शामिल हो गया। कैफेतुल्ला को भारतीय सेना की खूफिया जानकारी देने के
बदले बहुत सारे पैसे देने की पेशकश की गई।
धीरे धीरे कैफेतुल्ला आईएसआई का स्थाई सदस्य बन गया
और उसे हर महीने 20 हजार रुपये तनख्वाह के रूप में दी जाने लगी साथ ही आईएसआई
ने समय समय पर उसकी तनख्वाह बढ़ाने का भी वादा किया। कैफेतुल्ला को भारत में
आईएसआई के और एजेंट बनाने के लिए भी कहा गया। आईएसआई हर महीने यूएई के बैंक के और
सऊदी अरब के जरिए 20 हजार रुपये प्रति महीना तनख्वाह के रूप
में कैफेतुल्ला को भेजती थी।
इसके बदले आईएसआई हर महीने कैफेतुल्ला को भारतीय सेना
की गतिविधियों और भारतीय वायूसेना से जुड़ी जानकारियां देने का काम सौंपती थी।
जांच एजेंसियों को ये भी पता चला है कि कैफेतुल्ला ने भारतीय सेना से जुड़ी खुफिया
जानकारी पाकिस्तान पहुंचाने के लिए मजबूत नेटवर्क भी तैयार कर लिया था।
आपको ये भी बता दें कि साल 2014 में कैफेतुल्ला को
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पूंछ में भारत विरोधी प्रदर्शन करने के दौरान दो बार
गिरफ्तार भी किया था।
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