बड़नगर के एक भाई ने अपनी बहन को भाईदूज से एक पखवाड़े पहले ऐसा तोहफा दिया
जो अनोखा तो है ही साथ ही भाई बहन के रिश्तों को और मजबूत करने वाला है। 40 वर्षीय
मनोज संगतानी ने अपनी बहन को किडनी के रूप में नायाब तोहफा देकर मिसाल कायम की है।
नयापुरा निवासी साजनदास संगतानी की बांसवाडा में रहने वाली बेटी मनाली
लखानी की दोनों किडनी दो वर्ष पहले खराब हो गई। अहमदाबाद में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने किडनी
ट्रांसप्लांट करने को कहा। खर्च करीब आठ लाख रुपए बताया। साथ ही यह भी बताया कि
किसी ब्लड रिलेशन वाले की किडनी मिलती है तो बेहतर होगा।
तीन माह पूर्व मनाली के पति हरीश लखानी ने सारी बात बड़नगर आकर ससुर व साले
मनोज संगतानी को बताई। जब मनाली के भाइयों को यह पता चला कि भाई अपनी बहन को किडनी
देकर जीवन में खुशहाली ला सकते हैं तो मनोज ने मन बनाया कि वह अपनी एक किडनी अपनी
बहन को देगा। अपना ब्लड ग्रुप जांच करवाया तो दोनों भाई बहन का एक ही ब्लड ग्रुप 'ओ
-निगेटिव' निकला।
बहन को किडनी देने के पहले मनोज ने अपने पिता को राजी किया। किडनी देने के
लिए रजामंदी का सबसे बड़ा और दुरूह कार्य पत्नी की सहमति लेना थी। मनोज ने पत्नी
रिया से बात की और दोनों बेटों विश्वास (15) और युग (10) को भी रजामंद किया। इसके बाद 27 अक्टूबर का दिन बहन
को किडनी ट्रांसप्लांट करने का मुकर्रर हुआ।
दोनों भाई बहन नडियाद (गुजरात) के मूलजीभाई पटेल अस्पताल में भर्ती हो गए।
मनोज की बांई किडनी डॉ. देसाई ने आपरेशन कर मनाली को लगा दी। मनोज को चार दिन
अस्पताल में रखने के बाद छुट्टी कर दी गई और वह बड़नगर लौट आया है। जबकि मनाली को
अभी तीन माह तक अस्पताल में बतौर निगरानी के रहना होगा। मनोज बहन को एक किडनी
ट्रांस प्लांट करने के बाद स्वस्थ हैं। मनाली को 15 वर्ष का लड़का तथा 10
वर्ष की लड़की हैं।
गहन जांच के बाद डोनेट होती हैं किडनी
एक बड़े स्कूल को संचालित करने वाले मनोज संगतानी ने बताया कि किडनी
ट्रांसप्लांट को लेकर चल रहे अवैध कारोबार के कारण सरकार काफी कागजी खाना पूर्ति
और जांच के बाद ट्रांसप्लांट की अनुमति मिलती है। किडनी देने के पहले सारे कागजात
तैयार करने में एक माह से ज्यादा का समय लग गया। बावजूद सारी परेशानियों के मनोज
का परिवार अपनी बहन को एक किडनी प्रदान कर काफी खुश हैं और वह इसे भाई दूज का सबसे
बड़ा तोहफा मानता है।
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