बांबे हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में विदेशी दंपतियों के लिए सरोगेसी पर
लगे प्रतिबंध पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रतिबंध पर रोक उन दंपतियों के लिए लगाई
है, जिनकी
सरोगेसी की प्रक्रिया पूरी होने वाली है या जो इलाज के नाजुक दौर में हैं।
अंतरिम आदेश तीन तारीख को जस्टिस रवि देशपांडे की पीठ ने डॉ. कौशल कदम और
कुछ प्रजनन केंद्रों की याचिका पर दिया गया था। याचिका में 27 अक्टूबर
को इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा जारी एक सूचना पत्र को चुनौती दी गई
थी।
पत्र में बताया गया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
के आदेश पर सरोगेसी केवल भारतीय विवाहित दंपतियों के लिए संभव होगी जबकि विदेशी
दंपतियों के लिए इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसमें डॉक्टरों से अनुरोध किया
गया था कि वे विदेशी दंपतियों के लिए सरोगेसी की प्रक्रिया में सहयोग न करें।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में केवल उन विदेशी दंपतियों को राहत दी है जिनकी
सरोगेसी की प्रक्रिया 15 से 20 दिन में पूरी होने वाली है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे ऐसे दंपतियों के नाम संबंधित अधिकारियों को
बंद लिफाफे में रखकर दें। उसने यह भी कहा कि इन लिफाफों को कोर्ट की अनुमति के
बगैर नहीं खोला जाए।
कोर्ट के मुताबिक, भविष्यमें ऐसे विदेशी दंपतियों को सरोगेसी का लाभ नहीं दी
जानी चाहिए, जिनकी प्रकिया अभी शुरू नहीं हुई है। कोर्ट ने
यह भी कहा कि प्रतिबंध के बारे में फैसला लिए जाने से पहले इससे प्रभावित होने
वाले लोगों को नोटिस दी जाती है, जो इस मामले में नहीं किया
गया।
सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए वे दंपति बच्चा प्राप्त कर सकते हैं, जिनमें
महिला किन्हीं कारणों से गर्भ धारण नहीं कर सकती। इस स्थिति में समझौते के तहत
किसी जरूरतमंद महिला के गर्भ में पुरुष के शुक्राणु स्थापित कर दिए जाते हैं।
महिला के गर्भ धारण करने के बाद भ्रूण उसके गर्भाशय में विकसित होता रहता है। बाद
में निर्धारित समय पर महिला बच्चे को जन्म देती है, जिसे
समझौता करने वाले दंपती को सौंप दिया जाता है।
No comments:
Post a Comment