Friday, November 27, 2015

भाजपा और कांग्रेस के बाद अब शिवसेना भी

गुरुवार को संसद में सविंधान पर चर्चा के दौरान सेकुलर शब्‍द को लेकर हुए हंगामे के बाद बयानों का दौर जारी है। इस बहस में भाजपा और कांग्रेस के बाद अब शिवसेना भी कूद गई है। सामना के संपादकिय में संविधान दिवस को लेकर लिखे गए लेख में संविधान दिवस मनाए जाने को लेकर खुशी जाहि‍र की है वहीं कांग्रेस को निशाना भी बनाया है।
इसमें लिखा है जिस तरह भारत के लिए 26 जनवरी महत्‍वपूर्ण है वैसे ही 26 नवंबर भी महत्‍वपूर्ण दिन है। लेख में उम्‍मीद की गई है कि किसी संविधान दिवस के माध्‍यम से लोगों के बीच अनभिज्ञता दूर होगी। साथ ही बाबा साहेब के आलौकिक कार्य और योगदान पर चर्चा होगी।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए लेख में कहा गया है कि संसद में पहला दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया गया और बाबा साहेब के कार्यों का अभिवादन किया। इस जगह पर भी कांग्रेसवालों ने यह दिखाया कि बाबा साहेब के संविधान निर्माण और उसके पालन का सारा ठेका उनके पास है।
कांग्रेसवाले केवल बाबा साहेब को चुनाव में उपयोग करते हुए वोट बैंक की राजनीति करते हैं। लेकिन यह बात अब दलित जनता से छिपी नहीं है। संविधान की मूल प्रस्‍तावना में ना होने वाला सेकुलर शब्‍द कांग्रेस ने ही अपनी गंदी राजनीति के लिए बाद में घुसेड़ा और देश में जाति-भेद, धर्म-पंथ की दीवार हमेशा किस तरह बनी रहे इसकी व्‍यवस्‍था कर दी।
लेख में गृह मंत्री की बाद का समर्थन करते हुए लिखा है कि गृह मंत्री ने सदन में कहा कि सेकुलर शब्‍द का धर्मनिरपेक्ष जैसा सुविधाजनक अर्थ निकालकर उसका अपने ही देश में कई सालों से दुरुपयोग जारी है। धर्मनिरपेक्ष शब्‍द का ही उपयोग बंद होना चाहिए। उन्‍होंने जो कहा वो काफी महत्‍वपूर्ण है। समाजवादी की तरह सेकुलर भी एक शब्‍द है जो स‍ंविधान में घुसेड़ा गया।

इन दोनों शब्‍दों ने देश की राजनीतिक, सामाजिक और राष्‍ट्रीय शान ही छीन ली है। संविधान दिवस के बहाने यदि बाबा साहेब के प्रति जनता में जागृति आई और संविधान में घुसाए गए शब्‍दों धर्मनिरपेक्ष और समजावादी का उपयोग ना करने की सद्बुद्धी नेताओं में आई तो यह कहा जा सकता है कि संविधान दिवस सफल रहा।

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