Saturday, August 29, 2009

बीजेपी में भी बदलाव के फॉर्म्युले को लेकर माथापच्ची शुरू

बीजेपी में रोज़-रोज़ की जूतम पैजार के बाद पार्टी में बदलाव की कमान परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खुद संभाल ली है। संघ से मिले संदेश के बाद बीजेपी में भी बदलाव के फॉर्म्युले को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। शुक्रवार देर शाम सरसंघचालक मोहन राव भागवत द्वारा अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को चर्चा के लिए एक साथ बुलाने को राजनीतिक हलके में गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि दोनों के बाद वेंकैया नायडू और अनंत कुमार भी पहुंचे थे। संघ प्रमुख से चारों नेताओं ने करीब 2 घंटे तक चर्चा की और इसके बाद संदेश लेकर आडवाणी के घर रवाना हो गए। सुषमा लोकसभा में विपक्ष की नेता और जेटली पार्टी अध्यक्ष के दावेदार के रूप में उभरे हैं। ऐसी स्थिति में वेंकैया को राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि अभी कुछ भी तय नहीं है और विरोधी गुट इतनी जल्दी हार नहीं मानेगा। इसका प्रमाण पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी का शनिवार सुबह मोहन राव भागवत से मिलना है। बताया जा रहा है कि जोशी चाहते हैं कि आडवाणी के वारिस के रूप में उनके नाम पर भी विचार हो। संघ भी चाहता है कि इस बार कोई कसर ना रह जाए। इसके लिए वह आडवाणी विरोधी नेताओं को भी तरजीह देने के पक्ष में हैं। जबकि जेटली, सुषमा और वेंकैया आडवाणी के ही करीबी माने जाते हैं।
आडवाणी आज भागवत से मिलने वाले हैं और पूरी संभावना है कि इस बैठक में वह उनके सामने कोई फॉर्म्युला पेश करेंगे। अगर, संघ प्रमुख इस पर मुहर लगा देते हैं, तो इसे दिसंबर में अध्यक्ष बदलने के समय अमल में लाया जाएगा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पहले ही संघ प्रमुख से मिलकर अपनी सफाई दे चुके हैं। शुक्रावर को संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने बीजेपी में बदलाव के लिए सार्वजनिक रूप से तीन संदेश दिए थे। पहला, लालकृष्ण आडवाणी को विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देना होगा। दूसरा, पार्टी अध्यक्ष पद से दिसंबर में राजनाथ सिंह की विदाई हो जाएगी। तीसरा, पार्टी के सभी फैसलों में आडवाणी और राजनाथ सिंह की संयुक्त भूमिका रहेगी। संघ ने बीजेपी में बदलाव के लिए इस बार दबाव बढ़ाकर इन दोनों नेताओं के सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। साथ ही यह संकेत भी दे दिया है कि बीजेपी पर संघ की पकड़ ढीली नहीं हुई है।

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