पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने पहले से ही परेशानियों से जूझ रहे बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मिश्र ने आज कहा कि इंडियन एयरलाइंस के अपहृत विमान के यात्रियों को छुड़ाने के लिए तीन आतंकवादियों को मुक्त करने और उनके साथ जसवंत सिंह को कंधार भेजने के तत्कालीन एनडीए सरकार के फैसले में तत्कालीन गृह मंत्री आडवाणी की रजामंदी भी शामिल थी। मिश्र ने कहा, 'फैसला कैबिनेट की सुरक्षा समिति ने किया था। आप जानते हैं कि इस समिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री सदस्य होते हैं।
उन्होंने सीएनएन-आईबीएन चैनल पर पत्रकार करण थापर से कहा कि जब मांगें तीन आतंकवादियों को छोड़ने तक ही आ गईं तो सुरक्षा समिति ने विमान के 160 से ज्यादा बंधक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान बचाने के लिए सर्वसम्मति से फैसला किया था। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों ने माना था कि बंधकों को छुड़ाने के लिए उन तीन आतंकवादियों को मुक्त करना ठीक है। उनसे साफ-साफ पूछा गया कि क्या उस फैसले से सभी सहमत थे, तो मिश्र ने कहा, 'बिल्कुल, वह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था।'
उन्होंने सीएनएन-आईबीएन चैनल पर पत्रकार करण थापर से कहा कि जब मांगें तीन आतंकवादियों को छोड़ने तक ही आ गईं तो सुरक्षा समिति ने विमान के 160 से ज्यादा बंधक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान बचाने के लिए सर्वसम्मति से फैसला किया था। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों ने माना था कि बंधकों को छुड़ाने के लिए उन तीन आतंकवादियों को मुक्त करना ठीक है। उनसे साफ-साफ पूछा गया कि क्या उस फैसले से सभी सहमत थे, तो मिश्र ने कहा, 'बिल्कुल, वह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था।'
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