मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह शैक्षणिक संस्थाओं में
'सूर्य नमस्कार' एवं 'प्राणायाम' को अनिवार्य न बनाए। चीफ जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस अजित सिंह की डिविजन बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह आदेश मध्य प्रदेश कैथलिक चर्च द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है। चर्च ने याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के पहले के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने हाल में सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अल्पसंख्यक संस्थाओं में प्रत्येक हफ्ते करना अनिवार्य बना दिया, जो संविधान की धाराओं का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता आनंद मुत्तूंगल ने राज्य के शिक्षा विभाग के खिलाफ यह कहते हुए कार्रवाई करने की मांग की है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अनिवार्य करने पर पाबंदी लगाए जाने के 24 जनवरी, 2007 के हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद विभाग ने अपने स्कूलों को इसे जुलाई, 2009 से अनिवार्य बनाने को कहा। 2007 में हाई कोर्ट ने जमीयत-ए-उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इन दोनों पद्धतियों को अनिवार्य न बनाने का निर्देश दिया था। कैथलिक चर्च के प्रवक्ता फादर मुत्तूंगल ने दिसंबर, 2006 में कहा था कि इन दोनों अभ्यासों को स्कूलों में साल में एक बार अनिवार्य बना दिया गया। लेकिन अब राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के जरिये 29 जुलाई, 2009 को सर्कुलर जारी कर स्कूलों से इसे प्रत्येक हफ्ते अनिवार्य रूप से आयोजित करवाने को कहा है।
'सूर्य नमस्कार' एवं 'प्राणायाम' को अनिवार्य न बनाए। चीफ जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस अजित सिंह की डिविजन बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह आदेश मध्य प्रदेश कैथलिक चर्च द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है। चर्च ने याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के पहले के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने हाल में सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अल्पसंख्यक संस्थाओं में प्रत्येक हफ्ते करना अनिवार्य बना दिया, जो संविधान की धाराओं का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता आनंद मुत्तूंगल ने राज्य के शिक्षा विभाग के खिलाफ यह कहते हुए कार्रवाई करने की मांग की है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को अनिवार्य करने पर पाबंदी लगाए जाने के 24 जनवरी, 2007 के हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद विभाग ने अपने स्कूलों को इसे जुलाई, 2009 से अनिवार्य बनाने को कहा। 2007 में हाई कोर्ट ने जमीयत-ए-उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इन दोनों पद्धतियों को अनिवार्य न बनाने का निर्देश दिया था। कैथलिक चर्च के प्रवक्ता फादर मुत्तूंगल ने दिसंबर, 2006 में कहा था कि इन दोनों अभ्यासों को स्कूलों में साल में एक बार अनिवार्य बना दिया गया। लेकिन अब राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के जरिये 29 जुलाई, 2009 को सर्कुलर जारी कर स्कूलों से इसे प्रत्येक हफ्ते अनिवार्य रूप से आयोजित करवाने को कहा है।
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