Tuesday, August 18, 2009

भारत में रह रहे मुसलमानों की आंखों में देखिए।

बीजेपी के सीनियर नेता जसवंत सिंह ने कहा है कि भारतीय मुसलमानों के साथ दूसरे ग्रह के प्राणी जैसा बर्ताव किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश का बंटवारा जिन्ना नहीं , बल्कि नेहरू की केंद्रीयकृत राजनीति की वजह से हुआ था। एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जसवंत ने जिन्ना से लेकर भारत - पाक विभाजन समेत कई मुद्दों पर बेबाक राय जाहिर की। उनकी नई किताब ' जिन्ना - इंडिया , पार्टिशन , इंडिपेंडंस ' आज रिलीस होने वाली है।

कवि की चुटकीः
देश विभाजन के लिए नेहरू जिम्मेदार भारतीय मुसलमानों का जिक्र करते हुए जसवंत ने कहा कि यहां के मुस्लिमों ने विभाजन की कीमत चुकाई है। उन्होंने बेबाकी से कहा , ' भारत मुसलमानों के साथ ' दूसरे ग्रह के प्राणी ' की तरह बर्ताव करता है।
भारत में रह रहे मुसलमानों की आंखों में देखिए।
आपको उनमें वतन की पहचान की अनिश्चितता का दर्द नजर आएगा। भारत में मुसलमान ज्यादा मजबूत हो सकते थे। मैं जो कुछ कह रहा हूं , वह बेशक पाकिस्तान और बांग्लादेश को अच्छा नहीं लगेगा। ' जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जिन्ना को एक महान व्यक्ति मानते हैं तो जसवंत ने कहा , ' हां बिल्कुल मानता हूं क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं में से एक चीज बनाई थी और वह खुद को नापसंद करने वाली कांग्रेस पार्टी व अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपने दम पर खड़े हुए। गांधी जी ने खुद भी जिन्ना को महान भारतीय कहा था , तो हम उन्हें यह दर्जा क्यों नहीं देते ? हम यह क्यों नहीं समझते कि महात्मा गांधी ने ऐसा क्यों कहा था। ' पूर्व विदेश मंत्री सिंह ने कहा , ' मैं जिन्ना की प्रचलित छवि को सही नहीं मानता। भारत ने जिन्ना को गलत समझा और उन्हें एक हिंदू विरोधी व्यक्ति माना। प्रचलित धारणा के उलट जसवंत का मानना है कि जिन्ना नहीं बल्कि नेहरू की केंद्रीयकृत राजनीति की वजह से ही देश का बंटवारा हुआ था। ' सिंह के मुताबिक , ' क्या होता अगर अलग होने के इस रास्ते और निरंतर विवाद के बजाय हमने 1947 के विभाजन के बाद मिलकर काम करने का रास्ता चुना होता। ' इंटरव्यू में जब जसवंत सिंह के किताब में छपे अंश का उदाहरण देते हुए पूछा गया कि क्या भारत को फिर विभाजन के दौर से गुजरना पड़ सकता है ? इस पर जसवंत ने कहा , ' रिजर्वेशन की समस्या 1906 में शुरू हुई थी। अब देखिए सच्चर कमिटी क्या कहती है ? मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था करो। अब हम क्या कर रहे हैं ? फिर वही रिजर्वेशन। मेरा मानना है कि मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन एक त्रासदी भरा कदम होगा। मुझे निजी तौर पर लगता है कि इससे हमें तीसरे विभाजन के दौर से गुजरना पड़ेगा। '

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