सरकार पुराने डायरेक्ट टैक्स के ढांचे में बदलाव लाने की पहल कर दी है , जो 1961 से चला आ रहा है। इसकी शुरुआत करते हुए बुधवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने डायरेक्ट टैक्स कोड का नया मसौदा जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा , सरकार टैक्स प्रक्रिया को समान और सरल बनाने के साथ टैक्स दरों को इतना उदार बनाना चाहती है कि आम आदमी की बचत की आदत और बढ़े। नए कोड पर आम आदमी से लेकर कॉरपोरेट दिग्गजों और बाजार विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। जरूरत पड़ी तो सुधार भी किया जाएगा। संभवत : नया कोड कानून के रूप में 2011 से लागू होगा।
इनकम टैक्स स्लैब में भारी बदलाव
फिलहाल 1.60 लाख से 3 लाख रुपये की इनकम पर 10 पर्सेंट , 3 से 5 लाख रुपये पर 20 पर्सेंट और 5 लाख से ज्यादा पर 30 पर्सेंट का इनकम टैक्स देना पड़ता है। नए कोड में 10 लाख रुपये तक की इनकम पर 10 पर्सेंट , 10 लाख से 25 लाख रुपये पर 20 पर्सेंट और 25 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 पर्सेंट टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
3 लाख रुपये तक सेविंग छूट
आम आयकर दाता को फिलहाल 80 सी के तहत एक लाख रुपये तक की सेविंग या इन्वेस्टमेंट में टैक्स छूट हासिल है। नए कोड में इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया है।
ब्याज पर टैक्स नहीं कटेगा
बैंक से मिलने वाले ब्याज या किसी स्कीम पर मिलने वाले बोनस और ब्याज पर कोई कटौती नहीं की जाएगी। पूरी राशि मिलेगी। टैक्स पेयर को उसे अपनी आय में जोड़कर दिखाना होगा।
लॉन्ग टर्म स्कीम को ईईटी के दायरे में
सभी लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम को ईईटी के दायरे में लाया जाएगा। यानी टैक्स कटौती सिर्फ विड्रॉअल के समय ही होगी। पीएफ और पेंशन फंड में छूट होगी , लेकिन 31 मार्च 2011 तक जमा राशि पर ही।
कॉरपोरेट को राहत
कॉरपोरेट टैक्स को 30 पर्सेंट से घटाकर 25 पर्सेंट करने का प्रस्ताव है। कंपनियां काफी लंबे समय से कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की मांग कर रही हैं।
50 करोड़ पर वेल्थ टैक्स
अगर कुल संपदा 50 करोड़ रुपये से ज्यादा है , तो वेल्थ टैक्स देना होगा। इसकी दर 0.25 फीसदी होगी। घाटे की भरपाई का भरपूर समय अगर किसी कंपनी को एक साल घाटा हुआ और अगले साल फायदा , तो फायदे में से घाटे की भरपाई के बाद ही उसे इनकम टैक्स देना पड़ता है। यह छूट कंपनी को आठ साल तक के लिए मिली हुई है। इसमें अब समय सीमा खत्म की जा सकती है।
एसटीटी खत्म
शेयरों की खरीद - फरोख्त पर लगने वाले सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स ( एसटीटी ) को खत्म करने की सिफारिश नए कोड में की गई है। फिलहाल शेयरों की खरीद - फरोख्त करने कारोबारियों को हर सौदे पर 0.125 पर्सेंट का एसटीटी देना पड़ता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा
फिलहाल शेयरों को खरीदकर एक साल बाद बेचने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। है। मगर सरकार की मंशा अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने की है। शेयर खरीदने के बाद बेशक कोई उसे दो या पांच साल बाद बेचे , उसे कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा। कैपिटल गेन आय का हिस्सा माना जाएगा। लॉन्ग और शॉर्ट टर्म गेन का फर्क खत्म होगा।
Friday, August 14, 2009
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