प्रैक्टिकल और आरामदेह कार है। यह हमने जाना पूरे एक दिन तक इसकी टेस्ट ड्राइव के जरिए। जिग वील्स के ऑटो एक्सपर्ट ने मुम्बई की भीड़ भरी सड़कों , खुले हाइवे और वेस्टर्न घाट की चढ़ाई पर नैनो में लंबा सफर तय किया। यहां पेश है उस अनुभव की रिपोर्ट - नैनो के आलोचक और कॉम्पिटीटर के लिए यह निराश होने का वक्त है। टाटा की छोटी कार आ चुकी है और वह उससे ज्यादा है , जिसकी उम्मीद उसके चाहने वाले कर रहे थे। सबसे पहले डिजाइन की बात करें। नैनो बेमिसाल है। इसका डिजाइन फ्रेश और स्लीक है। ऑटो इंडस्ट्री की कल्पना के उलट इसकी ओवरऑल पैकिजिंग ऐसी है कि मशीनरी ने कम से कम जगह घेरी है। करीब 80 पर्सेन्ट स्पेस बैठने के लिए छोड़ दिया गया है। भीतर से भी कार खुली - खुली है। ड्राइविंग सीट से अच्छा व्यू दिखता है। अच्छी कद - काठी के चार लोग आराम से बैठ सकते हैं। अगर ड्राइवर सीट पीछे करे तो भी छह फुट के पैसिंजर को परेशानी नहीं होगी। कार में घुसने के लिए आपको बदन सिकोड़ने की जरूरत नहीं है। अलबत्ता सामान के स्पेस की दिक्कत हो सकती है। सिर्फ आगे बूट में एक सूटकेस आ सकता है। अगर सामान ज्यादा है , तो पिछली सीट फोल्ड करनी होगी। परफॉर्मन्स एंजिन स्टार्ट करते ही आपको नई आवाज सुनाई देगी। इसमें इटैलियन स्कूटर की फट - फट भी मिली है , लेकिन इतनी नहीं कि खटकने लगे। 624 सीसी का एंजिन एक सिटी वीइकल के हिसाब से पर्याप्त है। फोर स्पीड गीयर बॉक्स आसान और सुविधाजनक है। टाटा मोटर्स का कहना है कि नैनो 25 किलोमीटर तक की माइलेज़ दे सकती है , लेकिन अगर यह 20-21 भी दे , तो काफी होगा। पेट्रॉल टैंक 15 लीटर का है , जो छोटा लग सकता है , लेकिन इससे 300 किलोमीटर की दूरी तो तय की ही जा सकती है , जो सिटी वीइकल के लिहाज से बुरी नहीं है। नैनो सुस्त कार नहीं है , लेकिन इसे रॉकिट समझने की गलती भी मत कीजिए। भारत की सड़कों पर औसत रफ्तार वैसे भी कम ही रहती है। टाटा मोटर का दावा है कि यह आठ सेकंड में जीरो से 60 की स्पीड पकड़ सकती है। हमने इसे 9.97 सेकंड पाया। 80 की स्पीड तक नैनो का रेस्पॉन्स मारुति 800 से बेहतर लगा। मैक्सिमम स्पीड 105 की है। उतराई में आप बहक जाएं और कार खतरनाक तरीके से भाग रही हो तो स्पार्क और पेट्रॉल को रोककर मामला शांत करने का इलेक्ट्रॉनिक इंतजाम भी है। हमने इसे आजमाकर देखा। तीखे कर्व पर स्पीड से घूमने पर नैनो रोल करती है। लेकिन यह अनुभव उतना दिल दहला देने वाला नहीं है , जितना कुछ दूसरी कारों में होता है। नैनो का महंगा वर्जन बेहर के एसी से लैस है। 38 डिग्री के तापमान पर यह अच्छा काम कर रहा था। हमें यह बात पसंद नहीं आई कि लेफ्ट हैंड पर रीयर व्यू मिरर नहीं है। उसके लिए गुंजाइश भी नहीं छोड़ी गई है। अलबत्ता सीटें आरामदेह हैं। 12 इंच के व्हील एक पैसिंजर कार के लिए काफी हैं। ग्राउंड क्लियरेंस 180 एमएम का है , यानी नैनो उन जगहों तक भी जा सकती है , जहां इसकी कई बड़ी बहनें हार मान जाएंगी। टर्निन्ग सर्कल का डायामीटर आठ मीटर का है , यानी बेहतरीन। छोटी साइज की वजह से पार्किन्ग करना आसान है। मैकडॉनल्ड का नारा उधार लें , तो भारत के लोग नैनो के लिए कहना चाहेंगे - आई एम लविंग इट।
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