बहन प्रिया दत्त बुलाएगी और भाई संजय दत्त दौड़ा चला आएगा, कम से कम छोटी बहन तो राखी के कच्चे धागों से जुड़ने वाले बंधन से यही उम्मीद लगाए बैठी है। मुन्नाभाई की शादी और उसके बाद एसपी से लड़ने की उनकी मंशा पर हुई राजनीति ने दत्त परिवार में भले ही जहर घोल दिया हो, मगर प्यार की डोर इतनी भी कमजोर नहीं। कांग्रेस के टिकिट पर अपने पिता सुनील दत्त की विरासत को आगे बढ़ाते हुए तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ने निकलीं उनकी पुत्री प्रिया के सामने पत्रकारों ने भाई से रिश्तों की दुखती नब्ज को छेड़ा। बिना किसी संकोच के प्रिया ने जवाब दिया, 'चुनाव प्रचार के लिए बुलाऊंगी तो भाई जरूर आएंगे'। उन्होंने विश्वास के साथ कहा, 'रिश्ते राजनीति से अधिक मजबूत होते हैं। मैं उसी को ज्यादा महत्व देती हूं।' उत्तर-मध्य मुम्बई लोकसभा चुनाव क्षेत्र से प्रिया दत्त कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि उनके सगे भाई संजय दत्त लखनऊ से समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिए पूरा दम लगा रहे हैं। बुधवार को प्रिया ने दावे के साथ कहा कि दोनों एक-दूसरे के चुनाव प्रचार के लिए जा सकते हैं। संजय ने प्रचार के लिए लखनऊ बुलाया तो वह जरूर जाएंगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह जब भी चाहेंगी तब संजय को अपने चुनाव प्रचार के लिए बुला लेंगी। शिवसेना के विरोध पर खड़ीं प्रिया अपने भाई की जेल यात्रा के दौरान बाल ठाकरे के समर्थन का उपकार भूलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दत्त और ठाकरे परिवार के बीच हमेशा से ही अच्छे रिश्ते रहे हैं और आज भी उनका आशीर्वाद दत्त परिवार के साथ है। प्रिया ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि लोग उन्हें वोट उनके काम के कारण देंगे। पिछली बार जब उपचुनाव हुआ था तब प्रिया ज्यादा समय चुनाव प्रचार के लिए नहीं दे पाई थीं, लेकिन पिता सुनील दत्त की मृत्यु के कारण लोगों की सहानुभूति उनके साथ थी। परंतु इस बार मामला एकदम ही उलटा है और उन्हें हर पहलू पर खुद ध्यान देना पड़ रहा है।
Wednesday, March 25, 2009
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