Friday, December 12, 2008

प्रधान मत्री जिम्मेवारः

प्रधान मत्री जिम्मेवारः
मुंबई में हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है। करीब 200 लोगों को जब आतंकियों ने मौत के
घाट उतार दिया , तो पूरा देश आतंक के खिलाफ एक साथ खड़ा दिखा। इस हमले को लेकर देशवासियों के भीतर भारी गुस्सा था। सरकार ने लोगों की नाराजगी कम करने के मकसद से गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को हटा दिया। पर क्या इतनी कार्रवाई सही है ? क्या इससे फिर आतंकी हमले नहीं होंगे ? आगे से इस तरह की घटनाएं नहीं हों इसके लिए क्या किए जाने चाहिए ? इन्हीं तरह के तमाम सवालों पर लोगों की राय जनाने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने सर्वे करवाया। यह सर्वे मुंबई , दिल्ली , कोलकाता , चेन्नै , बेंगलुरु , हैदराबाद , अहमदाबाद , पुणे , लखनऊ और जयपुर में किया गया। सर्वे में शामिल सभी लोग 16 से 45 साल के बीच की उम्र के थे। जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि इसके लिए कौन दोषी है , तो 43 फीसदी लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को दोषी माना। लोगों का मानना था कि पीएम को इसकी कीमत चुकानी चाहिए। मुंबई में हुए इस जिहादी हमले में पाक सरकार के हाथ होने के सवाल पर 88 फीसदी लोगों ने कहा , हां इसमें पाक सरकार का हाथ है , जबकि अन्य का मानना था कि पाक सरकार इन हमलों से अनभिज्ञ है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में चल रहे टेरर ट्रेनिंग कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया जाना चाहिए। इस पर 69 फीसदी लोगों ने हामी भरी , जबकि 26 फीसदी ने इससे इनकार किया। सर्वे में शामिल 73 फीसदी का मानना है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हमें सारे सामाजिक और व्यावसायिक संबंध खत्म कर लेने चाहिए , जबकि 25 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। होम मिनिस्टर के सवाल पर 60 फीसदी लोगों का कहना है कि चिदंबरम पाटिल से बेहतर हैं , जबकि 26 फीसदी लोग इससे समहत नहीं हैं। 14 फीसदी लोग इस सवाल पर मौन थे। सर्वे में खुलासा हुआ कि 60 फीसदी शहरी मानते हैं कि भारत विकसित देशों , खासकर अमेरिका की मुसलमान देशों के प्रति नीतियों का खमियाजा भुगत रहा है। हालांकि , हर शहर में लोग इस बात से पूरी तरह इत्तिफाक नहीं रखते। लेकिन जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि क्या कोई दूसरी सरकार इसे और बेहतर तरीके से निपटती , तो इस पर 64 फीसदी लोग अहसमत दिखे , जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना था कि दूसरी सरकार इसको कारगर तरीके निपटती। क्या डिफेंस बजट में कटौती कर आतंरिक सुरक्षा के लिए और अधिक धन मुहैया कराया जाना चाहिए ? इस पर 56 फीसदी ने कहा हां , जबकि 42 फीसदी इसके खिलाफ थे और 2 फीसदी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे। सर्वे में 77 फीसदी ने माना कि आतंरिक सुरक्षा को पूरी तरह से सेना या किसी फेडरल एजंसी को सौंप देना चाहिए। जबकि , 18 फीसदी इसके खिलाफ थे। सर्वे का सबसे अहम सवाल कि क्या कश्मीर के लिए हमें पूरे देश की शांति को दांव पर लगाना पड़ रहा है ? इस पर 76 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं , जबकि 24 फीसदी लोगों ने हामी भरी। इस सवाल पर 1 फीसदी लोग मौन थे

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