Wednesday, December 31, 2008
हमारे प्रिय पाठकों को नव वर्ष २००९ की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रतिवर्ष हम नए साल का स्वागत दूसरों को खुशी और संपन्नता की शुभकामना देकर करते हैं।
संपन्नता का चिह्न क्या है? संपन्नता का चिह्न है मुक्ति, मुस्कान और जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय होकर आसपास के लोगों के साथ बांटने की मन:स्थिति। संपन्नता का चिह्न है दृढ़ विश्वास कि जो भी मुझे चाहिए वह मुझे मिल जाएगा। 2009 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें। कैलंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं। प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है। आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएं। बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें। आप लोभ, घृणा, द्वेष तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो। यदि मन इन सभी नकारात्मक भावनाओं में लिप्त है, तो वह खुश व शांत नहीं रह सकता। आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते। आप देखें कि नकारात्मक भावनाएं भूतकाल की वजह से हैं और आप अपने उस भूतकाल को अपने वर्तमान जीवन के नए अनुभवों को नष्ट न करने दें। भूतकाल को क्षमा कर दें। यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएंगे, तो आपका भविष्य दुख से भर जाएगा। पिछले साल, जिनके साथ आपकी अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह कर लें। भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरू करने का संकल्प करें। इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस धरती पर सभी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ लोगों को शुभकामनाएं दें। आर्थिक मंदी, आतंकवाद की छाया, बाढ़ तथा अकाल के इस समय में और अधिक नि:स्वार्थ सेवा करें। हम जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है। इस विश्व को सभी प्रकार की सामाजिक तथा पारिवारिक हिंसा से मुक्त करना है। समाज के लिए और अधिक अच्छा करने का संकल्प लें। जो पीड़ित हैं उन्हें धीरज दें और समाज तथा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी बनें। जीवन का आध्यात्मिक पहलू हमारे भीतर संपूर्ण विश्व, संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनेपन, उत्तरदायित्व, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है। अपने सच्चे स्वरूप में आध्यात्मिक भावनाएँ जाति, धर्म तथा राष्ट्रीयता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देती हैं और हमें इस सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त जीवन के सौंदर्य से अवगत कराती हैं। इस वर्ष अपनी भक्ति को खिलने दें। उसे व्यक्त होने का अवसर दें। हमें अपने चारों ओर व्याप्त ईश्वर का, उसके प्रकाश का अनुभव करना चाहिए। आप के मन में इसे अनुभव करने की इच्छा होनी चाहिए। क्या आप में कभी यह इच्छा उत्पन्न हुई है -कि आप को श्रेष्ठतम शांति प्राप्त हो? संपूर्ण विश्व ईश्वरीय प्रकाश से व्याप्त है। जब आप गाते हैं या प्रार्थना करते हैं, तो उसमें पूर्ण तल्लीनता हो। यदि मन कहीं और उलझा हुआ है, तो सच्ची प्रार्थना नहीं हो सकती। तुम एक मुक्त पंछी के समान हो। तुम पूर्णत: मुक्त हो। अनुभव करो कि तुम एक पंछी के समान उड़ना सीख रहे हो। उड़ना सीखो। यह तुम्हें स्वयं ही अनुभव करना होगा। जब मन तनाव मुक्त होता है, तभी बुद्धि तीक्ष्ण होती है। जब मन आकांक्षाओं और इच्छाओं जैसी छोटी-छोटी चीजों से भरा होता है, तब बुद्धि तीक्ष्ण नहीं हो पाती है। और जब बुद्धि तथा ग्रहण की क्षमता तीक्ष्ण नहीं होते, तब जीवन पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं होता, नए विचार नहीं बहते। तब हमारी क्षमताएं भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। बाहर निकला वह पहला कदम ही आपके जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान कर देगा। इसलिए सहज रहो, प्रेम से भरे रहो। अपने आपको सेवा में लगाओ। अपने जीवन का उत्सव मनाओ।
Tuesday, December 30, 2008
यू पी की पुलिस क्या नहीं कर सकती, मरे को जिन्दा और जिन्दे को मरा साबित करना बायें हाथ का खेल
यूपी पुलिस की कार्यशैली पर फिर सवालिया निशान लग गया है। इस बार मुजफ्फरनगर जिले की
पुलिस ने एक स्टूडंट के अपहरण और हत्या के मामले में तीन बेकसूर किशोरों को जेल भेज दिया। पुलिस के कारनामे की पोल उस समय खुली जब पुलिस फाइल में मर चुका स्टूडंट 6 महीने के बाद खुद ही घर लौट आया। मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंचने पर दो तत्कालीन थाना प्रभारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। गांव माजरा का स्टूडंट राजन एक अप्रैल 2008 को स्कूल से घर लौटते समय लापता हो गया था। पुलिस ने इस मामले में सोनू, सुनील और रवि नाम के तीन किशोरों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके खिलाफ अपहरण और हत्या का मामला दर्ज किया। पुलिस ने बाद में उन्हें जेल भेज दिया। पुलिस की काली करतूत यहीं नहीं रुकी। उसने राजन की हत्या को साबित करने के लिए राजन की चप्पल और स्कूल बैग के साथ हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर डाला। इसके अलावा उसने अदालत को बताया कि सभी आरोपियों ने राजन के अपहरण और हत्या में अपना हाथ होने का बयान दिया है। पुलिस की इस पुख्ता कहानी को किसी और ने नहीं, खुद राजन ने झूठी साबित कर दिया। छह महीने से गायब राजन खुद ही अपने घर लौट आया। राजन के सामने आने और मामला मानवाधिकार आयोग पहुंचने से घबराए पुलिस प्रशासन ने तत्कालीन दो थाना प्रभारियों देवेंद बिष्ट और विनोद कुमार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है।
अपने आप को जिन्दा भी साबित करना पडता है । यह है भारत ।
KHARAR, PUNJAB: Sital Singh Bagi's life sounds like a script of a Bollywood masala flick।
The 67-year-old ex-IAF man has been fighting a nine-year legal battle to prove that he is the "real" Sital Singh Bagi and not "dead" as his family had got him declared after he fled home allegedly to escape terrorists and did not surface for a decade. A retired warrant officer of Indian Air Force (IAF), Bagi claimed he was settled with his family and owned a milk dairy in Delhi when three terrorists confronted him in December 1987 and asked him to join their group. The terrorists threatened to kill him and a terrorized Bagi left his wife and four children at his ancestral house in Gurdittpura village in Patiala and fled, he claimed. Bagi said he went to Orissa, where he spent 3-4 years, and then moved to Kolkata, before going to Dhaka in Bangladesh, where he became a priest at Gurdwara Nanak Shahi. Bagi said he returned to his native place in December 1998 as he was "no longer afraid", but his wife refused to recognize him and so did his children. They also threatened him with "dire consequences", if he again approached them, Bagi alleged. He then went to the IAF authorities for release of his pension, but was shocked when he was told that his name was struck off the pension rolls and his wife was getting the pension after she produced a court decree declaring him dead. Bagi moved a civil court in Rajpura in 1999 to get the decree declared null and void and for restoration of pension. Though the court prevented Bagi's wife from further withdrawing the family pension it reserved its order on the previous court decree pronounced in November 1996. IAF officer incharge (Pensions) Wg Cdr P.R. Sudhakar said that Bagi had "reappeared" but his pension could not be restored till a decision on the civil suit comes. In a statement filed before the court, the IAF officials had not disputed the identity of Bagi while Naseeb Kaur said that she cannot say that plaintiff is same Sital Singh with whom she got married. Though Bagi's claim was corroborated by Gurdittpura village sarpanch Mohan Singh and two other villagers in court, Bagi's wife and children have yet to conclude their evidence. Bagi's counsel Rajinder Singh Raju said the case is in advanced stage and February 15 has been fixed as next date of hearing. "We have produced documentary and physical evidence beyond any doubt to prove that Bagi is alive," Raju said. Bagi also filed a complaint before Patiala police in July 2008 against his wife and sons seeking criminal action but the police asked him to pursue his case in the court. Left with no source of income or shelter, Bagi is now being taken care of by one of his old service mates in Chamkaur Sahib, near Ropar. "I procured evidence of several of my service colleagues and native village head, but I'm still waiting for the court order," he rued. However, Naseeb says, "I got married to Sital Singh and two sons were born from our wedlock but I cannot say this man is my husband or not." "My husband disappeared in 1987. I lodged his missing report with the police and after he failed to appear, I got a police investigation report certifying that he could not be traced despite their best efforts."
Monday, December 29, 2008
लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने तक सरकारी कार और दूसरी सुविधाएं लेने से इनकार किया है।
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में शामिल नए मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने सरकारी मशीनरी के एक लिए उदाहरण पेश किया है। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने तक सरकारी कार और दूसरी सुविधाएं लेने से इनकार किया है। शपथ लेने के बाद बिसेन को सहकारिता और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई। सरकारी सूत्रों कहा कि बिसेन ने इसलिए नैतिकता के आधार पर सरकारी सुविधाएं लेने से इनकार कर दिया कि वह अभी लोकसभा सदस्य हैं। बिसेन नक्सल प्रभावित बालाघाट सीट से सांसद हैं। वहीं से उन्होंने विधानसभा चुनाव भी जीता है।
Sunday, December 28, 2008
गिरिजा व्यास ने इसके बाद ही खुद चिट्ठी लिखकर पूरे मामले में वस्तुस्थिति जाननी चाही है।
Friday, December 26, 2008
शाहरुख में ऐसा क्या जादू है जो फिल्म को हिट कर देता है
Tuesday, December 23, 2008
विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयानों के द्वारा सरकार पाकिस्तान को चुनौती दे रही है, Aur केंद्रीय मंत्री ए.आर. अंतुले अपने बयानों स
तालिबान ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग होती है, तो वह सैकड़ों आत्मघाती हमलावर तैनात कर पाकिस्तानी सेना का साथ देगा। प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रमुख बैतुल्ला महसूद ने ' दैनिक न्यूज़ ' को एक गुमनाम जगह से फोन पर यह बात कही। उसने दावा किया कि पाकिस्तान पर अगर युद्ध थोपा गया, तो पाक सेना के साथ लड़ने के लिए उसके सैकड़ों हथियारबंद जिहादी तैयार हैं। उसने कहा कि भारतीय सेना के हमले की सूरत में सीमा की रक्षा के लिये उन्हें आत्मघाती हमले में इस्तेमाल होने वाली जैकिट तथा विस्फोटक पदार्थ से भरे वाहन दिए गए हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान और अमेरिकी सेना को बैतुल्ला की तलाश है। बैतुल्ला ने कहा, ' वास्तविक जिहाद का समय आ गया है। तालिबान इसी का इंतजार कर रहा है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि दुश्मन इस एकमात्र इस्लामी परमाणु संपन्न देश को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मुजाहिदीन अपने दुश्मनों के नापाक इरादों को विफल कर देंगे। ' यह पहला मौका है जब महसूद ने कबूला है कि तालिबान ने अफगान-पाक सीमा के पास सैकड़ों लडाकुओं को तैनात किया है।पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक परवेज कयानी ने देश के नेतृत्व को यह भरोसा दिया है कि अगर भारत उस पर किसी भी तरह का हमला करता है तो वह भी जवाबी कार्रवाई करने को तैयार है। रिपोर्ट के अनुसार कयानी ने सोमवार को यहां राष्ट्रपति आवास में हुई बैठक में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ मुलाकात के दौरान सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। सत्ता समर्थक दैनिक द न्यूज ने कयानी के हवाले से जानकारी दी है कि सशस्त्र बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तैयार हैं और देश के लिए लोग कुर्बानी को तैयार हैं। रिपोर्ट में कयानी के हवाले से यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान भारत के हमले की सूरत में में जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। रिपोर्ट के अनुसार कयानी और जरदारी की मुलाकात का सार यह था कि भारत के बढ़ते दबाव के सामने यदि कोई भी प्रयास किया गया तो वह देश के हित में नहीं होगा क्योंकि उससे भारत को पाकिस्तान पर और दबाव बढ़ाने का मौका मिलेगा। इस मुलाकात से चंद घंटे पहले पाकिस्तानी वायुसेना ने अपनी सतर्कता बढ़ाई और लड़ाकू विमानों ने इस्लामाबाद रावलपिंडी और लाहौर जैसे शहरों के ऊपर उड़ान भरी। कराची में प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने भी कहा कि सीमा पर किसी तरह के हमले की सूरत में देश एकजुट रहेगा।बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि एक ओर विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयानों के द्वारा सरकार पाकिस्तान को चुनौती दे रही है, लेकिन दूसरी ओर एक अन्य केंद्रीय मंत्री ए.आर. अंतुले अपने बयानों से पाकिस्तान को निर्दोष साबित करने में उसकी मदद कर रहे हैं। आडवाणी ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक में यह बात कही। संसदीय दल की प्रवक्ता सुषमा स्वराज के मुताबिक, आडवाणी ने कहा कि अंतुले के बयान पर सत्ताधारी यूपीए के सहयोगियों के बीच ही मतभेद है और इससे केवल राष्ट्र विरोधी ताकतों को मदद मिल रही है। बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों का भी जायजा लिया गया और उसके लिए आधुनिक टेक्नॉलजी के इस्तेमाल पर बल दिया गया।
Saturday, December 20, 2008
मुसलमान कुछ भी करें, यह कहें, सब चलता है
मुसलमान कुछ भी करें, यह कहें, सब चलता है, कानून केवल हिन्दुओं केलिए है
A day after digging in his heels by reiterating the insinuation about the hand of Hindu radicals in the killing of Hemant Karkare, Mumbai Anti-Terrorism Squad chief, AR Antulay dismissed party leadership's threat of marching order as Union minister as insignificant in an eventful career, deepening the party dilemma on the possible way out of the controversy. After a brainstorming on Saturday, the Congress core group, which includes the leadership and the troubleshooters, was clueless on how the party could stamp its authority in the Antulay controversy. Antulay, who had conveyed his refusal to retract his remarks on Karkare's killing to Prime Minister Manmohan Singh in private, went public with his defiance on Saturday. Addressing a gathering of Waqf administrators, Antulay asserted that he was only afraid of God and none else. While he said this in a different context, it was seen in the party leadership as amplifying his refusal to take back the remarks which many in Pakistan have gleefully seized upon to counter India's foolproof case against the involvement of ISI-supported Lashkar-e-Taiba in the Mumbai attacks. Considering that the government has promised Parliament that it would spell out its stand before the current session ends on Tuesday, the next 48 hours are going to be agonizing for a Congress leadership having to balance fear of an adverse fallout among Muslims of a punitive action against Antulay, with the risk of loss of India's credibility internationally and erosion of its own authority. The public belligerence put paid to any hope of Congress leadership that the Maharashtra veteran would yield, helping the party come out of the bind it has been pushed into by the minority affairs minister. Any backtracking by Antulay would have undermined his credibility, leaving the leadership to take action against him without having to worry about the political consequences. But with Antulay not concerned about the sack order, the party is hamstrung by the political costs of a punitive action in the face of a chord the minority affairs minister has struck with the Muslim community. The leadership is also coming under pressure from different sections within, who feel that Congress can reinforce its "secular" credentials by going soft on Antulay, given Karkare's role in exposing the alleged role of Hindutva radicals in the Malegaon blasts of September. The view came out when AICC general secretary Digvijay Singh told reporters in Varanasi that Antulay had done no wrong in "asking for a probe which is already underway". Digvijay Singh's statement, dubbed by leadership as "personal", comes only a day after Antulay presided over an across-the-partyline "secular" mobilisation in his favour in Parliament. Even junior home minister Shakeel Ahmed questioned the argument that Antulay had given a propaganda point to Pakistan. He retorted, "It should be probed if his statement was harmful for the country or the distortion by the media." The polarisation and statements have not gone down well with the Congress leadership, especially the defence and foreign ministers, as they feel it has created a problem just when India is mounting a global pressure on Pakistan to crackdown on the jehadi tanzeems that ISI and clerics have raised to target India. Sources said supremo Sonia Gandhi, PM Manmohan Singh, Pranab Mukherjee, AK Antony among others could not pick a possible solution after discussing the issue on Saturday. A cornered party brass seems to be resiling from the threatening posture of "retract or resign" it held out while distancing itself from Antulay, when the drama erupted three days ago. Now, the party managers are looking for a face-saver in a flimsiest possible concession from the former Maharashtra chief minister. Anxious insiders feel if Antulay could modify his stand even slightly, the party could hold it up as a course correction and put a lid on the controversy. The government does not have much time as it has to "clarify" to Parliament by Tuesday, when the two Houses wind up business in this session. Given the Muslim dimension and Lok Sabha polls, Congress may be left to work in isolation from Antulay, who was rehabilitated three years ago after a long exile following corruption charges to head the freshly-carved out Union minority affairs ministry. If no retraction or modification comes, the government may simply assert in Parliament that the Mumbai attacks were authored-executed by Pakistani fidayeens, who also killed Karkare, and there was no need for an inquiry. While it would rebuff Antulay's demand, it would also save the consequences of sacking him
कांग्रेस असमंजस में , कुछ भी सूझ नही रहा है, पढे
The fate of Minority affairs Minister A R Antulay continued to hang in balance as Congress president Sonia Gandhi and Prime Minister Manmohan Singh on Saturday grappled with the mess arising out of his controversial remarks on the killing of Maharashtra ATS chief Hemant Karkare. The meeting to resolve the situation caused by his remarks raising questions over the circumstances surrounding the killing of Karkare by Pakistani terrorists in Mumbai ended without a decision and the government's position is expected to be made clear in Parliament before it winds up business for the session on December 23. The hour-long meeting of the Congress Core Group at the residence of the Prime Minister is believed to have gone into the pros and cons of the matter but there was no official word on whether his resignation was being accepted. Opposition BJP and Shiv Sena having been gunning for Antulay's removal from the Cabinet accusing him of compromising the country's position vis a vis terrorism emanating from Pakistani soil. "No decision has been taken. The position will be made clear in the session of Parliament concluding on December 23," said a senior leader who declined to be identified. Meanwhile, Antulay, who has resigned in the wake of a political storm over his remarks and the opposition demand for his removal from the Union Cabinet, received rare support from his party when AICC General Secretary Digvijay Singh saw nothing "objectionable" in the minister's statement. "Antulay has been misreported. What he has asked for is a probe which is already on. What is objectionable in his statement," Singh told reporters in Varanasi. The Congress, however, had in the last two days distanced itself from Antulay's remarks saying they were his personal views. Singh said the BJP, VHP and RSS had raised doubts about the integrity of Karkare because he was investigating the Malegaon blasts in which Hindus were arrested. Against this backdrop, Karkare was killed in the terrorist attack in Mumbai and it was "natural" to think that whether he was murdered. "But this possibility appears to be low because the course of events minimises it. Antulay has said the matter should be investigated that who ordered him (Karkare) to go there. What is objectionable in that," Singh said. Two Muslim MPs from Uttar Pradesh — Ilyas Azmi of BSP and Rasheed Masood of Samajwadi Party —backed Antulay's demand for a probe into Karkare's and wondered why a hue and cry has been raised over that demand.
ताज महल पैलेस एवं ओबेरॉय में किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को ठहरने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
आतंकी हमले में भारी क्षति के कारण 24 दिन तक बंद रखे जाने के बाद रविवार से कड़ी
सुरक्षा के बीच फिर खोले जा रहे 2 फाइव स्टार होटलों ताज महल पैलेस एवं ओबेरॉय में किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को ठहरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ओबेरॉय होटल के अध्यक्ष रतन केशवानी ने होटल में बुलाई प्रेस कॉन्फ्रंस में कहा कि गृह मंत्रालय के निर्देशों के तहत किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को इसमें ठहरने की अनुमति नहीं दी गई है, पर अन्य किसी भी देश के नागरिकों के ठहरने पर मनाही नहीं है। समझा जाता है कि रविवार शाम से खुल रहे ताज महल पैलेस ऐंड टावर होटल में भी पाकिस्तानी नागरिकों के ठहरने की मनाही लागू कर दी गई है। टाटा समूह के इस होटल के फिर से खुलने के मौके पर रविवार शाम वहां एक पार्टी आयोजित की जा रही है, जिसके बाद समूह के अध्यक्ष रतन टाटा होटल के ठीक बाहर प्रेस को संबोधित करेंगे।
गोवा सरकार ने शनिवार को 23 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच समुद्र तट पर पार्टी आयोजित करने पर रोक लगा दी
गोवा सरकार ने शनिवार को 23 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच समुद्र तट पर पार्टी आयोजित करने पर रोक लगा दी है।
राज्य के मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमने फैसला किया है कि 23 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच समुद्र तट पर पार्टी के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। कामत ने कहा कि अधिकारी प्रतिदिन गोवा की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की समीक्षा को लेकर हुई एक हाई लेवल मीटिंग के बाद घर से बाहर पार्टी के आयोजन पर रोक लगाई गई है। शनिवार सुबह हुई बैठक में कामत के अलावा चीफ सेक्रटरी जे. पी. सिंह और गृह मंत्री रवि नाइक भी मौजूद थे। हालांकि, नाइक ने कहा कि होटलों में पार्टी के आयोजन पर रोक नहीं लगाई गई है। पारंपरिक उत्सव बिना किसी रोक-टोक के चलते रहेंगे।
लोकसभा चुनाव में वसुंधरा को सबक सिखा दूंगी।
तार करते हुए इसमें 13 मंत्रियों को शामिल किया गया। इनमें 52 साल की गोलमा देवी भी थीं, जो बमुश्किल पढ़-लिख सकती हैं। गोलमा देवी बीजेपी से बगावत कर बाहर आए किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी हैं। परंपरागत ओढ़ना और घाघरा में सजकर आईं गोलमा पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के लिए जरूरी पंक्तियां भी नहीं पढ़ सकीं। निर्दलीय विधायक आर.के. सैनी ने आगे आकर गोलमा को शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने में मदद की। सैनी ने भी राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राजभवन में जैसे ही राज्यपाल एस. के. सिंह ने गोलमा को शपथ दिलानी शुरू की, अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई। राज्यपाल ने जैसे ही कहा, मैं...। गोलमा देवी ने कहा, 'मैं गोलमा देवी बोल रही हूं।' इस पर वहां हंसी के फव्वारे फूट पड़े। राज्यपाल ने फिर उन्हें शपथ दिलाने की कोशिश की, लेकिन गोलमा ने वही शब्द दोहरा दिए। इस पर शपथ को पढ़ा हुआ मान लिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी अशिक्षित विधायक का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें भी योग्यता साबित करने का मौका मिलना चाहिए। गोलमा अपनी सामान्य बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करेंगी और राज्य की भलाई के लिए काम करेंगी। हमने मेसेज दिया है कि कम शिक्षित लोग भी विधायक बनकर जनता की भलाई के लिए काम कर सकते हैं। उन्होंने लगे हाथ गोलमा देवी की तुलना बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और रेल मंत्री लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से कर दी। गहलोत ने कहा, 'बिहार की मुख्यमंत्री ऐसे ही लोगों को चुने जाने की मिसाल हैं। वह दो दफा मुख्यमंत्री बनीं। मैं गोलमा देवी को राजस्थान की राबड़ी देवी बनाऊंगा।' करीब 6 महीने पहले गोलमा देवी ने पति के संदेशवाहक का काम करते हुए किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे का पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंपा था। पूर्व मंत्री मीणा ने गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने के विरोध में इस्तीफा दिया था। प्रदेश के करौली जिले के तोड़ी-खोड़ा गांव में जन्मीं गोलमा देवी कभी स्कूल नहीं गईं। अपना निर्वाचन पत्र भरने के लिए उन्होंने अंगूठे के निशान का सहारा लिया। दौसा जिले की महुआ सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार विजय शंकर बोहरा को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। हालांकि पिछले कुछ दिन में गोलमा ने दस्तखत करना सीखा है। गोलमा ने शपथ लेने के बाद पत्रकारों से कहा कि मैं बिजली-पानी के मुद्दों पर ध्यान लगाऊंगी और लोकसभा चुनाव में वसुंधरा को सबक सिखा दूंगी।
Friday, December 19, 2008
अंग्रेजी माध्यम से दी जा रही शिक्षा के कारण देश के बच्चों में गुलाम मानसिकता पनप रही है
कांग्रेस को मेरे रिमार्क्स पर गर्व होना चाहिये :अंतुले
केंद्रीय मंत्री अब्दुर रहमान अंतुले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
महाराष्ट्र में ऐंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे के मारे जाने के मामले में विवादास्पद बयान देने वाले केंद्रीय मंत्री अब्दुर रहमान अंतुले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि अंतुले ने अपना त्यागपत्र बुधवार की रात को प्रधानमंत्री के पास भेज दिया। हालांकि इस बारे में अंतुले की ओर से पुष्टि नहीं की गई है और न ही खबर का खंडन किया गया है। गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री 79 वर्षीय अंतुले की टिप्पणी की संसद के अंदर और बाहर काफी आलोचना की गई थी। विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। अंतुले ने गुरुवार को कहा था कि उन्होंने अपने बयान पर किसी को कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। न तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है और न ही उन्हें लिखित में कुछ दिया है। केंद्रीय मंत्री अंतुले ने 26 नवम्बर की रात मुम्बई के शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन पर एटीएस के प्रमुख करकरे के मारे जाने के मामले में शक जाहिर किया था। उन्होंने करकरे की मौत को मालेगांव बमकांड मामले की जांच से जोड़कर देखा था। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित अभियुक्त हैं। उन्होंने करकरे को निशाना बनाए जाने का संकेत दिया था। बाद में उन्होंने यह कहकर मामले को सुलझाने की कोशिश की थी कि वह करकरे की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के तथ्य पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के साथ-साथ शिवसेना ने अंतुले के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था कि इस बयान से मुम्बई में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा हमला किए जाने का भारत का दावा कमजोर होगा।
पांच साल पहले घर से गायब हुआ उनका बेटा आज भी जिंदा है और मुंबई में है।
मुंबई में पिछले महीने मचे आतंकी तांडव में घायल लोगों के बारे में जहां आए दिन खबरें मिल रही हैं
कि अब वह नहीं रहे, वहीं अलवर के एक पुजारी परिवार को उन्हीं घायलों की तस्वीर देखकर यह पता लगा कि पांच साल पहले घर से गायब हुआ उनका बेटा आज भी जिंदा है और मुंबई में है। अलवर के एक मंदिर में पुजारी भुवनेश्वर शर्मा के मुताबिक उनकी छठी औलाद तरुण पढ़ने में काफी कमजोर था। एसएससी की परीक्षा में फेल भी हो गया था। वह उनका पुश्तैनी पेशा भी नहीं अपनाना चाहता था। वह तो रुपहले पर्दे पर छा जाने के सपने देखता था। संभवत: इन्हीं सपनों को पूरा करने के लिए वह 2003 घर से यकायक गायब हो गया। उसे खोजने के सभी प्रयास किए गए, पर उसका कहीं कोई अता-पता नहीं लगा। उसने भी कभी अपनी कोई खैर-खबर नहीं दी। इधर हाल में मुंबई कांड में घायल लोगों की कुछ तस्वीरें एक स्थानीय अखबार में छपीं। इसमें एक युवक घायलों की मदद करते हुए नजर आ रहा था। उन तस्वीरों को देखने के दौरान भुवनेश्वर को ऐसा लगा जैसे सीएसटी के पास घायल की मदद कर रहे जिस युवक की तस्वीर छपी है वह उनका अपना बेटा तरुण ही है। परिवार के अन्य लोगों को भी यही लगा। उम्मीद की डोर से बंधे पिता मुंबई पहुंचे। फोटोग्राफर की मदद से सीएसटी, फोर्ट और चर्चगेट इलाकों की खाक छानी। हाथ में अखबार की प्रति लिए हर किसी को वह तस्वीर दिखाकर यह पूछते रहे कि उन्होंने इस लड़के को कहीं देखा है? बेटे के बिछोह और उसके लिए फिक्रमंद पिता की उम्मीदें अब इकलौती उस सूचना पर टिकी हैं जो उन्हें जेजे अस्पताल पहुंचने पर किसी ने दी थी। किसी ने बताया कि तस्वीर में जो एक और घायल दिखाई दे रहा है वह भायंदर का संजय यादव है जो सीएसटी में हुई फायरिंग में घायल हुआ था। हो सकता है तरुण उसी के साथ रहता हो और संजय यादव उसके बारे में कुछ बता सके।
Thursday, December 18, 2008
एटीएस चीफ को निर्देश सरकार का कोई बड़ा आदमी ही दे सकता है। अंतुले ने कहा
Tuesday, December 16, 2008
नोट के बदले वोटः
NEW DELHI: Lok Sabha Speaker Somnath Chatterjee on Tuesday recommended a probe by the home ministry into the role of three persons who were named in the alleged 'cash-for-votes' scam that rocked Parliament during the Confidence Motion in July. The Speaker referred to the Home Ministry the matter related to Sanjeev Saxena, alleged aide of Samajwadi Party leader Amar Singh, Sudheendra Kulkarni, a close aide of senior BJP leader L K Advani, and Suhail Hindustani, a day after the Parliamentary Inquiry Committee said that there was need for further investigation into the roles played by them. In its report submitted in Lok Sabha on Monday, the Inquiry Committee, headed by V Kishore Chandra Deo, had given a clean chit to Amar Singh and Ahmed Patel, political adviser to Congress President Sonia Gandhi, saying the "material on record does not conclusively prove" that they had sent money to three BJP MPs for the "purpose of winning" them over for the Confidence Motion. "The Committee has, however, found the evidence given before the Committee by three persons involved in this episode as unconvincing and the Committee have suggested that their role in the matter needs to be investigated by investigating agencies," Chatterjee noted in the House today. "I am, accordingly, referring the matter pertaining to the said three persons to the Honourable Minister of Home Affairs for appropriate action in the light of the recommendations of the Committee," the Speaker said.
Monday, December 15, 2008
मुसलमान अब विकास केलिए ही वोट करें ।
Indian Muslims will get development the day they vote for development. For sixty years they have voted out of fear, so that is what they have got from those they elected: the politics of fear. Fear is the menu, recipe and diet: and the Muslim voter laps it up with the appetite of the traumatized. Fact and fiction are employed seamlessly in the advertising of fear. A history of riot, and the threat from organizations like the Bajrang Dal are sewn into wild conspiracy theories by ‘leaders’ of the community to shape minds on the eve of an election. I could not believe some of what I heard after the terrorist attacks in Mumbai. One was utterly aghast to hear, during a public gathering of some very worthy persons, the suggestion that we could not be sure that the terrorists had come from Pakistan. It was an appalling exercise in denial by mindsets that had either been unhinged or had turned utterly manipulative. For secular politicians, the Muslim vote comes at an easy exchange rate. Other communities demand rice and roads. The Muslim needs nothing more than the old ploy used to help children go to sleep: stories of ghosts and monsters at the door. When the community wakes up after sleepwalking to the polling booth, and demands legitimate needs like jobs for the young and health clinics for women, the politicians offer a large shoulder on which they can weep. No other segment of the Indian electorate can be appeased by a sob story. Politicians will always maximize the spread of assets at their disposal in the search for an extra vote; why should they waste economic benefits on a voter who will sway to the whine of emotions rather than take a cold count of schools and sanitation? There is now a disconnect between Muslims and the benefits of democracy, a break engineered by community opinion-makers who get rewarded for such services with little dollops that wind up into their personal assets. Fear used to be a factor with some other communities as well, particularly Dalits and tribals. Humiliation and exploitation were a constant of their experience. But they have moved on, either by asserting themselves through their own political formations or by maximizing the price of their support where parties like the BSP or Jharkhand Mukti Morcha do not exist. The sharpest player of this intelligent game is Mayawati. The results are evident. There is a good study waiting to be done comparing the employment levels, educational services and municipal services in Dalit residential areas and Muslim areas between 1947 and 2007. Even without empirical data I can assert that there is a sharp improvement in the former and stagnation if not decline in the latter. The Dalit has punished neglect. The tribal has learnt to vote on the sensible planks of development and security: he knows that he cannot eat rice, at whatever price it is offered, unless he is alive. The Muslim has crawled repeatedly back into the sterile womb of fear. That womb will deliver nothing. The midwives of this vote fatten on fees collected by periodic declarations of false pregnancy. Only one state is an exception: Kerala. Untroubled by the guilt of Partition, the Malayali Muslim can rally around the banner of an All-India Muslim League, which is a bit of a misnomer. It is not an all-Indian organization; it is a local Muslim party. The Kerala Muslim, with sufficient self-assurance to meet political and economic challenges, has always behaved like an equal, which is why he is treated like one. He has prised out the benefits of progress through the pressure points of a democratic polity. There could have been a similar story in Bengal, because the Marxists are committed to both secularism and progress for the underprivileged. They were the first to empower Bengali Muslims, through land reforms inspired by three authentic Marxist heroes, Promode Dasgupta, Harekrishna Konar and Jyoti Basu. That won them the loyalty of the rural vote. But two fallow decades are forcing a shift in Muslim sentiment; it is not ready to be taken for granted any longer. The Bengal CPM is in a bit of a bind, perhaps because it is not cynical enough to exploit the politics of fear with the dexterity displayed by other parties anxious for the Muslim vote. One senses the first stir of change in Bihar, where Nitish Kumar has begun to include Muslims within his development-based governance. The pace may not overly perturb a snail, but at least a process has started. But if the voter does not honour this start with support, then it will be back to fulmination and hot air. Fear locks and freezes the mind. A closed mind can never liberate a community from poverty.
Friday, December 12, 2008
कसब का नया बयान
मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकवादी हमलों के दौरान गिरफ्तार किए गए आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर ईमान उर्फ कसब के साथी इस्माइल खान ने कामा अस्पताल में तीन पुलिस अधिकारियों को मारा था। यह बात पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अजमल के बयान में सामने आई है। अजमल ने कहा कि अस्पताल में उसके हाथ में गोली लग जाने के बाद इस्माइल खान ने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक काम्टे और एनकाउंटर विजय सालस्कर को गोली मारी थी। अजमल के मुताबिक सीएसटी में लोगों को बंधक बनाने की साजिश में नाकाम रहने के बाद वे आगे बढ़ गए और कामा अस्पताल में घुस गए। दोनों ने जब अस्पताल से बाहर निकलने का फैसला किया तो उन्होंने एक पुलिस की गाड़ी को देखा। अजमल ने कहा कि कुछ समय बाद एक और गाड़ी हमारे पास से गुजरी और कुछ ही दूरी पर रुक गई। अजमल ने कहा कि इन दोनों वाहनों में से किसी एक में करकरे, काम्टे और सालस्कर अस्पताल पहुंचे थे। उसने कहा कि पुलिस अधिकारी गाड़ी से उतरा और हम पर गोलीबारी शुरू कर दी। एक गोली मेरे हाथ में लगी और मेरी एके-47 मेरे हाथ से गिर गई। जब मैं इसे उठाने के लिए झुका तो एक और गोली मेरे इसी हाथ पर आकर लगी। कसब ने बताया कि इस्माइल ने गाड़ी में बैठे अधिकारियों पर गोलियां बरसा दीं। वे घायल हो गए और उनकी तरफ से गोलीबारी रुक गई। हम कुछ देर इंतजार करने के बाद गाड़ी की ओर गए। अजमल का कहना था कि गाड़ी में तीन शव थे। इस्माइल ने शवों को निकाला और गाड़ी लेकर चल पड़ा।
अब तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान ही यह सब कर रहा है
पाकिस्तानी अखबार ' द डॉन ' में छपी खबर के मुताबिक मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसब के पिता ने उसे पहचान लिया है। उनका कहना है कि उनके ' दुश्मनों ' ने अजमल को परिवार से अलग कर दिया। फरीदकोट के ओकारा गांव में रहने वाले अधेड़ उम्र के आमिर कसब ने कहा, ' यह सच है, मैंने उसकी तस्वीर अखबार में देखी है। यह मेरा बेटा अजमल है। ' द डॉन की रिपोर्ट के मुताबित, यह बताते वक्त आमिर कसब रोने लगा। आमिर कसब ने कहा, ' शुरुआत में कुछ दिनों तक तो मैं इस बात को मानने से इनकार करता रहा कि मुंबई में पकड़ा गया शख्स मेरा बेटा है। लेकिन अब मैंने इस बात को स्वीकार कर लिया है। भाग्य ने मुझे और मेरे परिवार के साथ गंदा मजाक किया है। ' हालांकि आमिर कसब ने यह नहीं बताया कि वह किसे ' दुश्मन ' कह रहा है लेकिन जाहिर तौर पर उसका इशारा लश्कर-ए-तैयबा की ओर था जो इस इलाके से बड़ी संख्या में नए लड़कों की भर्ती करता है। सड़क पर पकौड़े बेचने वाले आमिर कसब के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। आमिर ने बताया कि अजमल चार साल पहले घर से चला गया था। बकौल आमिर, ' उसने ईद पर नए कपड़ों की मांग की थी लेकिन मैं इसे पूरा नहीं कर पाया। वह नाराज होकर चला गया। ' जब आमिर कसब से पूछा गया कि कि उसने इतने दिनों तक अपने खोए हुए बेटे को खोजने की कोशिश क्यों नहीं की तो अपने ठेले की ओर इशारा करते हुए उसका जवाब था कि , ' इन साधनों में मुझसे जो हो सका, मैंने किया। मैं लाहौर में यही काम करता था और बाद में वापस गांव लौट आया।' आमिर कसब का सबसे बड़ा बेटा अफजल खेतों में मजदूरी करता है। जब आमिर से यह बताया गया कि अजमल को आतंक की दुनिया में ले जाने वालों ने कथित तौर पर उसके परिवार को डेढ़ लाख रुपये देने की बात कही है तो वह भड़क गया और बोला, 'मैं अपने बेटों का सौदा नहीं करता।'
प्रधान मत्री जिम्मेवारः
मुंबई में हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है। करीब 200 लोगों को जब आतंकियों ने मौत के
घाट उतार दिया , तो पूरा देश आतंक के खिलाफ एक साथ खड़ा दिखा। इस हमले को लेकर देशवासियों के भीतर भारी गुस्सा था। सरकार ने लोगों की नाराजगी कम करने के मकसद से गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को हटा दिया। पर क्या इतनी कार्रवाई सही है ? क्या इससे फिर आतंकी हमले नहीं होंगे ? आगे से इस तरह की घटनाएं नहीं हों इसके लिए क्या किए जाने चाहिए ? इन्हीं तरह के तमाम सवालों पर लोगों की राय जनाने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने सर्वे करवाया। यह सर्वे मुंबई , दिल्ली , कोलकाता , चेन्नै , बेंगलुरु , हैदराबाद , अहमदाबाद , पुणे , लखनऊ और जयपुर में किया गया। सर्वे में शामिल सभी लोग 16 से 45 साल के बीच की उम्र के थे। जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि इसके लिए कौन दोषी है , तो 43 फीसदी लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को दोषी माना। लोगों का मानना था कि पीएम को इसकी कीमत चुकानी चाहिए। मुंबई में हुए इस जिहादी हमले में पाक सरकार के हाथ होने के सवाल पर 88 फीसदी लोगों ने कहा , हां इसमें पाक सरकार का हाथ है , जबकि अन्य का मानना था कि पाक सरकार इन हमलों से अनभिज्ञ है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में चल रहे टेरर ट्रेनिंग कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया जाना चाहिए। इस पर 69 फीसदी लोगों ने हामी भरी , जबकि 26 फीसदी ने इससे इनकार किया। सर्वे में शामिल 73 फीसदी का मानना है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हमें सारे सामाजिक और व्यावसायिक संबंध खत्म कर लेने चाहिए , जबकि 25 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। होम मिनिस्टर के सवाल पर 60 फीसदी लोगों का कहना है कि चिदंबरम पाटिल से बेहतर हैं , जबकि 26 फीसदी लोग इससे समहत नहीं हैं। 14 फीसदी लोग इस सवाल पर मौन थे। सर्वे में खुलासा हुआ कि 60 फीसदी शहरी मानते हैं कि भारत विकसित देशों , खासकर अमेरिका की मुसलमान देशों के प्रति नीतियों का खमियाजा भुगत रहा है। हालांकि , हर शहर में लोग इस बात से पूरी तरह इत्तिफाक नहीं रखते। लेकिन जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि क्या कोई दूसरी सरकार इसे और बेहतर तरीके से निपटती , तो इस पर 64 फीसदी लोग अहसमत दिखे , जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना था कि दूसरी सरकार इसको कारगर तरीके निपटती। क्या डिफेंस बजट में कटौती कर आतंरिक सुरक्षा के लिए और अधिक धन मुहैया कराया जाना चाहिए ? इस पर 56 फीसदी ने कहा हां , जबकि 42 फीसदी इसके खिलाफ थे और 2 फीसदी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे। सर्वे में 77 फीसदी ने माना कि आतंरिक सुरक्षा को पूरी तरह से सेना या किसी फेडरल एजंसी को सौंप देना चाहिए। जबकि , 18 फीसदी इसके खिलाफ थे। सर्वे का सबसे अहम सवाल कि क्या कश्मीर के लिए हमें पूरे देश की शांति को दांव पर लगाना पड़ रहा है ? इस पर 76 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं , जबकि 24 फीसदी लोगों ने हामी भरी। इस सवाल पर 1 फीसदी लोग मौन थे
Saturday, December 6, 2008
भुजबल उपमुख्य मंत्री
जाने माने ओबीसी नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता छगन भुजबल महाराष्ट्र के नए उप
मुख्यमंत्री होंगे। वे आर। आर. पाटिल की जगह लेंगे। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने पाटिल के उत्तराधिकारी के नाम पर भुजबल को नामित कर इस बारे में पिछले कई दिनों से जारी रहस्य को खत्म कर दिया। शरद पवार ने कहा कि भुजबल के पास गृह मंत्रालय का प्रभार भी रहेगा या नहीं, इस बारे में फैसला मंत्रिमंडल के गठन के बाद किया जाएगा। ध्यान हो कि देशमुख मंत्रिमंडल में गृह विभाग पाटिल के पास था। हाल में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से आर. आर. पाटिल ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
भुजबल उपमुख्य मंत्री, इससे पहले भी रहे है एक कामयाब उपमुख्यमंत्री
राणे बरख्वास्त तथा किया आउट, चव्हाण को मिती मुख्य मंत्री की कुर्सी,
राणे बरख्वास्त तथा किया आउट, चव्हाण को मिती मुख्य मंत्री की कुर्सी,
NEW DELHI: The Congress on Saturday suspended Maharashtra leader Narayan Rane, a day after his outburst against the party president Sonia Gandhi and a number of others when he lost the chief ministerial race. "It has been observed that after the announcement of the new leader of the CLP in Maharashtra, Narayan Rane is making public statements deliberately with a view to lowering the prestige of the Indian National Congress," said AICC general secretary Janardan Dwivedi. "The party has taken a serious view of his utterances and considering this as a case of gross indiscipline, Narayan Rane has been suspended from the party with immediate effect," he said in a statement hours before Rane was scheduled to hold a press conference in Mumbai on Saturday. Rane, who was overlooked by the party high command in favour Ashok Chavan for chief ministership, had attacked the Congress leadership on Friday accusing it of reneging on a promise to make him the chief minister. "I don't trust even Sonia Gandhi anymore", he said which party sources said was the trigger for his suspension. Rane, a leader from the Konkan area who had left Shiv Sena three years ago, had attacked not only Deshmukh but also Ashok Chavan and some central leaders and accused them of conspiring and ignoring his claim for the top job in the state
लश्कर-ए-तैबा का एक बड़ा आतंकवादी तीन महीने से कराची में था।
मुंबई पर आतंकवादी हमले के पीछे आईएसआई का हाथ है
गृह मंत्री चिदंबरम ने छत्रपति शिवाजी टरमिनस का जायजा लिया ।
केंद्रीय गृहमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पी.चिदंबरम ने देश के सुरक्षा हालात
पर गंभीरता से विचार करना और ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। चिदंबरम ने शुक्रवार को छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का मुआयना करने के दौरान यह माना कि हाल ही में मुंबई पर हुए आतंकी हमले की वजह सिक्युरिटी और इंटेलिजंस का 'फेल' होना था। चिदंबरमन ने कहा कि मैं मानता हूं कि यह सिक्युरिटी और इंटेलिजंस की नाकामी है। चिदंबरम सीएसटी रेलवे स्टेशन का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। सीएसटी रेलवे स्टेशन उन जगहों में से एक था, जिसे आतंकी हमला करने वालों ने निशाना बनाया था। उन्होंने कहा कि इस बात पर्याप्त सबूत हैं कि इस हमले के तार उन संगठनों से सीधे तौर पर जुड़ रहे हैं, जो पहले भी हुए धमाके और हमले के लिए जिम्मेदार रहे हैं। चिदंबरम ने यह साफ किया कि सिक्युरिटी सिस्टम में खामियां हैं, जिन्हें दूर करने और सुधारने की जरूरत है।
Thursday, December 4, 2008
अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के नए मुख्य मंत्री हो सकते है ।
कांग्रेस पार्टी की कवायत पूरी, सोनिया नामित करेंगी मुख्यमंत्री
दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के लिए वोटिंग हो चुकी है।
अब इंतजार है 8 तारीख का जब सामने आएगा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला। एक प्राइवट न्यूज़ चैनल वाइस ऑफ इंडिया द्वारा कराए गए एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो मामला बेहद नजदीकी है। मध्य प्रदेश में जरूर बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। आइए देखते हैं इन चारों राज्यों के बारे में क्या कहते हैं एग्जिट पोल के नतीजे- दिल्ली दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए कराए गए एग्जिट पोल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों को 32 से 38 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में 20 सीटों पर ही सिमटी बीजेपी को हालांकि इस बार 6 फीसदी वोटों का फायदा हुआ है, लेकिन वह बहुमत से फिर भी दूर है। 2003 में कांग्रेस को 47 सीटें मिली थीं। अन्य के खाते में 1 से 5 सीटें आ सकती हैं। राजस्थान एग्जिट पोल के मुताबिक 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में कांग्रेस के खाते में 102 से 114 सीटें आ सकती हैं। वहीं बीजेपी को 86 से 98 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। अन्य को 8 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है। सर्वे में बीजेपी और अन्य को 2 फीसदी वोटों का नुकसान बताया गया है। जबकि, कांग्रेस को 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश से बीजेपी के लिए कुछ राहत की खबर है। 228 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। बीजेपी को 119 से 131 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में उसे 171 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस के खाते में 78 से 90 सीटें आ सकती हैं। 2003 में 39 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को 7 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है, लेकिन सीएम की कुर्सी उसकी पहुंच से फिर भी काफी दूर है। 2003 में 18 सीटों पर कब्जा करने वाले अन्य दलों को इस बार 15 से 27 सीटें मिल सकती हैं। छत्तीसगढ़ 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन बढ़त बीजेपी को दिखाई दे रही है। सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 45 से 51 सीटें मिल सकती हैं। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। 2003 में उसके खाते में 50 सीटें आई थीं। कांग्रेस को 39 से 45 सीटें मिलने का अनुमान है। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा होगा। 2003 में उसके खाते में 37 सीटें आई थीं। अन्य को 2 से 6 सीटें मिल सकती हैं।
Wednesday, December 3, 2008
खबर आपकेलिए
इसके अलावा
महाराष्ट्र से विलासराव की छुट्टी, नए मुख्य मंत्री की तलाश अभी जारी
और रक्षा मंत्री ए के. एंटनी ने बुधवार को तीनों सैन्य प्रमुखों के साथ असाधारण बैठक में हवाई हमले की आशंकाओं पर विस्तार से विचार किया। उन्होंने सैन्य बलों के आपस में तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत बताते हुए तीनो सैन्य प्रमुखों को हवाई मार्ग से आतंकी हमलों की आशंका के प्रति सचेत किया। एंटनी ने कहा कि सभी एजंसियों के बीच बेहतर तालमेल बहुत जरूरी है ताकि खुफिया सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके़। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि रक्षा मंत्नालय के शीर्ष अधिकारियों और सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक में श्री एंटनी ने तटीय सुरक्षा को मजबूत करने और इसके लिए राडार तथा इंटरसेप्टर समेत तमाम उपकरण खरीदने के बारे में बात की। श्री एंटनी ने सैन्य प्रमुखों के साथ नियंत्रण रेखा से होने वाली घुसपैठ रोकने के उपायों पर भी बातचीत की। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रास्ते होने वाली घुसपैठ पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया जो आतंकवादियों को तैयार करने का प्रमुख अड्डा है।
अस्सी के दशक में पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने वाले पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल ने कहा है कि यह शर्म की बात है कि चंद आतंकवादियों से निपटने में सुरक्षाबलों को 60 घंटे से ज्यादा लग गए। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षाबलों की रणनीति कमजोर थी और इस पर ठीक ढंग से अमल भी नहीं किया गया। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि ताज होटल में लोगों की मौजूदगी की वजह से सुरक्षाबलों को अपने काम को अंजाम देने में समय लगा होगा। गिल ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब खुफिया एजंसियों को हमले की भनक थी तो जल्द पुख्ता कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा, 'खुफिया एजंसियों ने जब गृह मंत्रालय को चेताया था तो सूचना मिलते ही पुख्ता इंतजामात किए जाने चाहिए थे। पिछले कुछ अर्से से देश पर लगातार आतंकवादी हमले हो रहे हैं लिहाजा ऐसी लापरवाही नाकाबिले बर्दाश्त है।' गिल ने कहा, मुंबई पर पहले भी हमले हो चुके हैं लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होनी चाहिए थी। ताज के बाहर 10 सिपाही भी तैनात होते तो आतंकवादी इतनी आसानी से उसके भीतर दाखिल नहीं हो सकते थे।' इस हमले के बाद राजनेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी से क्षुब्ध इस पूर्व डीजीपी ने कहा, 'राजनीतिक दल सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। हर बार आतंकवादी हमले के बाद सख्ती से निपटने के लंबे चौड़े भाषण दिए जाते हैं, लेकिन नतीजा सिफर। ठोस कदम उठाने का बूता दिखाना जरूरी है।' उन्होंने मीडिया और आम जनता को भी आतंकवाद के सफाए के लिए आगे आने को कहा। गिल ने यह भी कहा कि अभी भी उनकी बाजुओं में आतंकवादियों का सामना करने का दम है और अगर उन्हें इस संबंध में कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वह तुरंत स्वीकार कर लेंगे।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और अन्य भगौड़ों को सौंपने की भारत की मांग खारिज दी है। उन्होंने गिरफ्तार किए गए आतंकवादी के पाकिस्तानी नागरिक होने पर भी संदेह जताया है। मुंबई हमलों पर कड़ा विरोध जताते हुए नई दिल्ली ने दो दिन पहले ही 20 भगौड़े आतंकवादियों को भारत के सुपुर्द किए जाने की मांग की थी। उन्होंने मंगलवार रात सीएनएन पर कि कहा हमारे पास सबूत होंगे तो हम उन पर अपनी अदालतों में मुकदमा चलाएंगे। हम ही उन्हें सजा देंगे। पाकिस्तान को सौंपी गई भारत के मोस्ट वॉन्टेड 20 अपराधियों की सूची में अपराध जगत के सरगना दाऊद इब्राहिम और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के नाम शामिल हैं। भारत ने कहा था कि हम पाकिस्तान के जवाब का इंतजार करेंगे। विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि देश को अपनी एकता की रक्षा करने का अधिकार है और वह कार्रवाई करेगा। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भारत के इस दावे पर भी संदेह है कि मुंबई हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने जिस बंदूकधारी को पकड़ा, वह पाकिस्तानी है। जरदारी ने कहा ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है जिससे साबित हो कि वह पाकिस्तानी ही है। जरदारी ने मुंबई हमलों में पाकिस्तान की भूमिका होने से इंकार करते हुए कहा कि आतंकवादियों का किसी देश से कोई सरोकार नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक राजधानी पर हमले उन लोगों ने किए जो दुनिया को बंधक बनाना चाहते हैं। उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध की किसी संभावना को खारिज करते हुए कहा कि लोकतंत्र युद्ध नहीं करते।
मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार 3 आरोपियों की शनिवार को कलीना फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में फिर पॉलिग्राफ जांच हुई। पॉलिग्राफ का दूसरा मतलब लाई डिटेक्टर टेस्ट से जुड़ा होता है। इन आरोपियों का शुक्रवार को भी ब्रेन मैपिंग के अलावा लाई डिटेक्टर टेस्ट हुआ था। पुलिस सूत्रों ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सैन्य अधिकारी रमेश उपाध्याय और समीर कुलकर्णी को लैब में लाया गया और जांच की गई। सूत्रों ने कहा, 'कुछ आरोपियों की शुक्रवार को भी जांच हुई थी।' सूत्रों ने कहा कि आरोपियों का नार्को विश्लेषण करना अब भी बाकी है। साध्वी व अन्य लोगों से कितने सवाल पूछे गए, एटीएस सूत्रों ने इसका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया है, हालांकि टीवी चैनलों पर पूछे गए सवालों की संख्या अलग-अलग बताई गई। किसी ने संख्या 300 बताई, किसी ने 100 तो किसी ने 40 बताई। साध्वी सहित पांच व्यक्तियों को मालेगांव में एक मोटरसाइकल पर बम रखने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। मालेगांव विस्फोट में 6 लोग मारे गये थे।
इसके अलावा
अमरीका भारत के साथ
अमेरिका के नवनिर्वाचित प्रेजिडंट बराक ओबामा ने कहा है कि भारत को अपनी संप्रभुता की
रक्षा के लिए आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। 20 जनवरी को राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने से पहले ओबामा ने शिकागो में एक प्रेस कॉन्फ्रंस में कहा कि संप्रभु राष्ट्रों को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है। क्या अमेरिका की तरह भारत भी किसी देश की सहमति के बिना वहां स्थित आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर कर सकता है, इस सवाल पर ओबामा ने कहा कि मैं दक्षिण एशिया की मौजूदा परिस्थितियों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मुझे लगता है कि इस मामले में हमें जांचकर्ताओं को उनका काम करने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई में आतंकवादी हमलों के दोषियों को पकड़ने में हम भारत को पूरा सहयोग देंगे। विदेश मंत्री के रूप में हिलेरी क्लिंटन के नॉमिनेशन पर ओबामा ने कहा कि मुझे कोई संदेह नहीं है कि इस काम के लिए हिलेरी उपयुक्त हैं और वह मेरे साथ विदेश नीति के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम पर काम करेंगी। रॉबर्ट गेट्स को रक्षा मंत्री बनाए रखने पर उन्होंने कहा कि अमेरिका के 2 युद्धों में शामिल होने के कारण निरंतरता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। ओबामा ने एरिजोना के गवर्नर जेनेट नेपोलिटानो को आंतरिक सुरक्षा सचिव, एरिक होल्डर को अटॉर्नी जनरल, नौसेना के रिटायर्ड जनरल जेम्स जोंस को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सूसन राइस को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत नियुक्त किमुंबईः लगता है कि मुंबई में हुए हमलों से पुलिस ने कुछ सीख ली है। पुलिस की चौकसी की वजह से बुधवार को सीएसटी पर एक बड़ी घटना होने से बच गई। पुलिस ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी स्टेशन से बम से भरे दो थैले बरामद किए हैं। इन थैलों में 8 किलो विस्फोटक मिले। खबर मिली कि है सीएसटी स्टेशन पर पुलिस ने विस्फोटक से भरे दो थैले बरामद किए हैं। हर एक थैले में 4-4 किलो विस्फोटक रखे गए थे। मुंबई पुलिस से सक्रियता दिखाते हुए सारे विस्फोटक निष्क्रिय कर दिए।
Monday, December 1, 2008
मुंबई हमले में जितने भी लोगों ने शहर को बचाते हुए अपनी जान गंवाई है, वे सब मराठी थे।शर्मिला ठाकरे
अमिताभ बच्चन आमतौर पर अपनी भावनाएं अपने ब्लॉग के जरिए ही जाहिर करते हैं। लेकिन रविवार को वह इतने दुखी और उत्तेजित थे कि उन्होंने मुझे एक एसएमएस भेजा। यह एसएमएस उन्हें राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भेजा था।
इस एसएमएस में लिखा था - मुंबई हमले में जितने भी लोगों ने शहर को बचाते हुए अपनी जान गंवाई है, वे सब मराठी थे। एमएनएस वर्कर इस वक्त रक्त दान, पुलिस की मदद और शव उठाने में बिजी हैं। इस बात पर अमिताभ बच्चन बेहद खफा हैं। वह कहते हैं कि क्या ये लोग इससे भी नीचे गिर सकते हैं ? जब एनएसजी, आर्मी और नेवी पूरे देश और दुनियाभर के लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं, ये लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं।
बिग बी इन नेताओं पर गुस्सा जाहिर करने वाले अकेले नहीं हैं। बुधवार शाम से ही इस तरह के एसएमएस आ रहे थे कि मुंबई पर हक जताने वाले राज ठाकरे कहां हैं।
नई दिल्लीः मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद नेताओं के नाम पर इतनी थू-थू हुई है कि लगता है राजनेता बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में अजीब-ओ-गरीब बयान सामने आ रहे हैं। नया कारनामा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का है। नकवी ने मुंबई में राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं कुछ महिलाओं के बारे में कहा कि ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी। नकवी ने इन महिलाओं की तुलना कश्मीर के अलगाववादियों से कर दी। उन्होंने कहा कि नेताओं के विरोध में नारे लगाने वाले ग्रुपों की जांच होनी चाहिए। नकवी के इस बयान पर बीजेपी भी मुश्किल में आ गई है। आनन-फानन में बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने बयान जारी किया कि यह नकवी के अपने विचार हैं और बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन नकवी की यह टिप्पणी कई महिला संगठनों को नागवार गुजरी है और उनका विरोध शुरू हो गया है। विमिंस पावर कनेक्ट की अध्यक्ष रंजना कुमारी ने कहा है कि यह एक मूर्खतापूर्ण बयान है और इस तरह के लोग नेता होने के लायक ही नहीं हैं। रंजना से साफ किया कि इस वक्त जो विरोध हो रहा है वह लोकतंत्र का नहीं बल्कि नेताओं के गैरजिम्मेदाराना रवैये का विरोध है। लिपस्टिक और पाउडर पर कॉमेंट करके ये नेता यही गैरजिम्मेदारी और मूर्खता ही साबित कर रहे हैं।
मुसलमान शक के घेरे में ।
For a majority of Indian Muslims, the terror outfits like Lashkar-e-Taiba, Indian Mujahideen, Harkat-ul-Jehad, Al-Badr, Deccan Mujahideen may be alien but because of these elusive organisations, the community is being seen with suspicion. The series of terror attacks in recent past has definitely left an adverse impact on the psyche of Muslims, particularly the youth who have developed a sense of insecurity. "The frustration among them is leading them to nowhere," said Prof Shamim Ahmad Munami. Mohammad Afzal said he is upset. "My friends have started looking at me with suspicion," said the 22-year-old science student living in one of the private lodges in dingy lanes in Sabzibagh. "Like me several others are being ignored and sidelined for no fault of us. Our friends look at us as if we are responsible for the Mumbai terror," lamented a visibly shaken youth. "Muslims are indeed suffering from fear psychosis due to the misdeeds of a few," said Syed Akbar Ali, a retired professor of psychology. "Terrorists may be Muslim by birth but they are actually radical Muslims who have fully deviated from Islamic ethos. Islam preaches peace and compassion and those indulging in violence are only defaming the religion," he asserted. However, prominent surgeon Dr A A Hai disagreed. "I don't think Muslims are feeling guilty. Some may be feeling shaky while some ashamed but majority of Muslims feel whatever is happening is wrong and they condemn it," he said. "If a person, identified as Muslim, is killing innocents then he cannot be a Muslim," he added. "The entire community cannot be blamed for the misdeeds of a few people nor can terrorism be seen through any religious angle," said Advantage Media managing director Khurshid Ahmad. Tagging violence to religion will be counter-productive, he added. Maulana Anisur Rahman Quasmi of Imarat Shariah was critical of the tendency to link religion with terror. "This is very harmful for the country and it is badly affecting the psyche of youths of all religions," he said. All India Muslim Personal Law Board general secretary Maulana Syed Nizamuddin refused to share the perception that only Muslims are involved in terrorism. "The Mumbai attack was a well planned conspiracy and it cannot be a handiwork of a handful of Muslims. Everything should be seen in totality whether it is the Batla House encounter or Malegaon blasts," the cleric said.