साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणी के मुद्दे पर राज्यसभा में पिछले
एक सप्ताह से चला आ रहा गतिरोध सोमवार को सभापति के एक प्रस्ताव पढ़ने के बाद
समाप्त हो गया। प्रस्ताव में संसद के सभी सदस्यों, मंत्रियों और सभी राजनीतिक
दलों के नेताओं से सार्वजनिक बयानों में हर कीमत पर शिष्टता बरतने की बात कही गई
है। इस तरह के बयान को लेकर विपक्ष की मांग पर आज आखिरकार सहमति बन गई और उच्च सदन
में तीन बार के स्थगन के बाद प्रश्नकाल के दौरान सभापति के यह बयान पढ़े जाने के
बाद सदन में सामान्य ढंग से कामकाज चलने लगा।
सभापति हामिद अंसारी ने प्रस्ताव में कहा,'सदन इस सभा में 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री के दिए गए बयान पर सहमति जताते हुए संसद के सभी सदस्यों, मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करता है कि संसदीय लोकतंत्र को सफलतापूर्वक चलाने की खातिर और संवैधानिक मूल्यों के लिए हमारी प्रतिबद्धता को बरकरार रखने के मकसद से सार्वजनिक बयानों में हर कीमत पर शिष्टता कायम रखी जाए।'
सभापति हामिद अंसारी ने प्रस्ताव में कहा,'सदन इस सभा में 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री के दिए गए बयान पर सहमति जताते हुए संसद के सभी सदस्यों, मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करता है कि संसदीय लोकतंत्र को सफलतापूर्वक चलाने की खातिर और संवैधानिक मूल्यों के लिए हमारी प्रतिबद्धता को बरकरार रखने के मकसद से सार्वजनिक बयानों में हर कीमत पर शिष्टता कायम रखी जाए।'
इससे पहले सोमवार को सदन की बैठक शुरू होने पर विपक्ष ने इस
तरह का निंदा प्रस्ताव लाने की अपनी मांग को फिर दोहराया। कांग्रेस के उपनेता आनंद
शर्मा ने दो पंक्ति का निंदा प्रस्ताव पारित करने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि इस
प्रस्ताव पर सदन में मतदान कराया जाना चाहिए। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और
ससंदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उनकी इस पेशकश का कड़ा विरोध
किया।
उपसभापति पी जे कुरियन ने भी इसे नामंजूर करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव उनकी मंजूरी से नहीं लाया गया है। उपसभापति द्वारा प्रस्ताव को पेश करने की मंजूरी नहीं दिए जाने के विरोध में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के पास आ गए। इसी बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने सदन की कार्यवाही चलने देने की मांग शुरू कर दी। सदन में हो रहे हंगामे के कारण उप सभापति ने दोपहर करीब सवा ग्यारह बजे बैठक को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बाद में कारण बताए बिना बैठक को 15 मिनट और 10 मिनट के लिए फिर स्थगित किया गया।
राज्यसभा सूत्रों के अनुसार, इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच यह सहमति बनी कि प्रधानमंत्री के सदन में दिए गए बयान के आधार पर सभापति एक प्रस्ताव पढ़ेंगे, जिसमें सार्वजनिक बयानों में शिष्टता बरतने की बात होगी। इसी सहमति के आधार पर बाद में सभापति ने सदन में प्रस्ताव पढ़ा और गतिरोध समाप्त हो गया।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह मंगलवार से ही साध्वी निरंजन ज्योति की विवादस्पद टिप्पणियों को लेकर सदन में गतिरोध बना हुआ था। साध्वी निरंजन ज्योति ने मंगलवार को दोनों सदनों में दिए गए बयान में अपने शब्दों पर खेद व्यक्त किया था। उन्होंने राज्यसभा में यह भी कहा था कि अगर सदन को लगता है तो वह अपनी टिप्पणियों पर माफी मांगने के लिए भी तैयार हैं।
बाद में विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोनों सदनों में दिए गए बयान में मंत्री के एक सार्वजनिक सभा में दिए गए विवादास्पद बयान को पूरी तरह से नामंजूर कर दिया था। लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री की मांग से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने पहले मंत्री को बर्खास्त करने और बाद में अपने रुख को नरम करते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग की थी। सरकार पिछले हफ्ते निंदा प्रस्ताव की विपक्ष की मांग पर यह कह कर सहमत नहीं हुई थी कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद यह मामला समाप्त हो जाना चाहिए।
उपसभापति पी जे कुरियन ने भी इसे नामंजूर करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव उनकी मंजूरी से नहीं लाया गया है। उपसभापति द्वारा प्रस्ताव को पेश करने की मंजूरी नहीं दिए जाने के विरोध में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के पास आ गए। इसी बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने सदन की कार्यवाही चलने देने की मांग शुरू कर दी। सदन में हो रहे हंगामे के कारण उप सभापति ने दोपहर करीब सवा ग्यारह बजे बैठक को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बाद में कारण बताए बिना बैठक को 15 मिनट और 10 मिनट के लिए फिर स्थगित किया गया।
राज्यसभा सूत्रों के अनुसार, इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच यह सहमति बनी कि प्रधानमंत्री के सदन में दिए गए बयान के आधार पर सभापति एक प्रस्ताव पढ़ेंगे, जिसमें सार्वजनिक बयानों में शिष्टता बरतने की बात होगी। इसी सहमति के आधार पर बाद में सभापति ने सदन में प्रस्ताव पढ़ा और गतिरोध समाप्त हो गया।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह मंगलवार से ही साध्वी निरंजन ज्योति की विवादस्पद टिप्पणियों को लेकर सदन में गतिरोध बना हुआ था। साध्वी निरंजन ज्योति ने मंगलवार को दोनों सदनों में दिए गए बयान में अपने शब्दों पर खेद व्यक्त किया था। उन्होंने राज्यसभा में यह भी कहा था कि अगर सदन को लगता है तो वह अपनी टिप्पणियों पर माफी मांगने के लिए भी तैयार हैं।
बाद में विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोनों सदनों में दिए गए बयान में मंत्री के एक सार्वजनिक सभा में दिए गए विवादास्पद बयान को पूरी तरह से नामंजूर कर दिया था। लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री की मांग से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने पहले मंत्री को बर्खास्त करने और बाद में अपने रुख को नरम करते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग की थी। सरकार पिछले हफ्ते निंदा प्रस्ताव की विपक्ष की मांग पर यह कह कर सहमत नहीं हुई थी कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद यह मामला समाप्त हो जाना चाहिए।
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