Tuesday, December 30, 2014

सरकार ने अब डेडलाइन पहली जून 2014 कर दी

केंद्र सरकार ने अब दिल्ली की कॉलोनियों की मंजूरी की घोषणा की है लेकिन हर विधानसभा चुनाव से पहले इसी तरह कॉलोनियां मंजूर करने का ऐलान होता रहा है। जनता को विश्वास दिलाने के लिए बीजेपी को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं।
केंद्र सरकार ने फिलहाल यह घोषणा की है कि 1 जून 2014 तक बनी सभी कॉलोनियों को पास किया जा रहा है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों से पहले 895 कॉलोनियों को मंजूर किया था लेकिन उन कॉलोनियों की मंजूरी अब तक लटकी पड़ी। इसी तरह 2008 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने सोनिया गांधी के हाथों कॉलोनियों की मंजूरी के सर्टिफिकेट तक बंटवा दिए थे लेकिन बाद में पता चला क कॉलोनियां मंजूर नहीं हुई। 2003 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इन कॉलोनियों की डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च 2002 की गई थी जबकि इससे पहले 1998 तक की कॉलोनियों की मंजूरी ही होने वाली थी।
अभी केंद्र सरकार के फैसले का पूरा ब्यौरा आना बाकी है लेकिन बीजेपी में अवैध कॉलोनियों की मंजूरी के लिए संघर्ष कर रहे सांसद रमेश बिधूड़ी का कहना है कि पहली जून 2014 तक जितनी भी कॉलोनियां हैं, उनकी मंजूरी हो गई है। मास्टर प्लान के अनुसार अगर कहीं रोड बनना है या अन्य सुविधाएं दी जानी हैं, उन्हें पास नहीं किया जाएगा। यहां तक कि डीडीए की जमीन पर बनी कॉलोनियों को भी मंजूर किया जा रहा है। डीडीए कॉलोनी वासियों से जमीन की कीमत वसूल कर लेगा।
2012 में जब इन कॉलोनियों का सर्वे कराया गया था तो कुल मिलाकर 1639 कॉलोनियों को मंजूर करने के दस्तावेज तैयार हुए थे। जब इनकी कनफर्मेशन की गई तो पता चला कि बहुत सारी कॉलोनियां रिज लैंड पर या फॉरेस्ट लैंड पर बनी हुई हैं। इसके अलावा एएसआई के स्मारकों के पास भी कई कॉलोनियां थीं। कुछ कॉलोनियों की बाउंड्री विवादास्पद थी और कुछ में आरडब्ल्यूए के झगड़े थे। पता चला है कि केंद्र सरकार जो गाइडलाइन बना रही है, उनके अनुसार रिज वाली कॉलोनियों को छोड़कर शेष सभी को मंजूर किया जाएगा और सभी संबंधित विभागों के नियमों में तब्दीली की जाएगी। 1639 में से 1548 कॉलोनियों को मंजूर करने का रास्ता साफ हो गया है। केवल 91 कॉलोनियां ही पास नहीं हो पाएगी।

बीजेपी का कहना है कि चूंकि केंद्र सरकार ने अब डेडलाइन पहली जून 2014 कर दी है, इससे अब तक बने सभी मकान मंजूर हो जाएंगे। केंद्र सरकार स्पेशल प्रोविजन एक्ट को पहले ही पास कर चुकी है जिसके तहत जून 2017 तक इन मकानों को नहीं गिराया जा सकेगा। यह भी माना जा रहा है कि इन कॉलोनियों को 'जैसे है जहां है' के आधार पर मंजूर किया जा रहा है।
कॉलोनियों की मंजूरी का फैसला हर बार राजनीतिक स्तर पर होता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दिल्ली के बीजेपी नेता पिछले कुछ समय से केंद्र पर दबाव डाल रहे थे कि ऐसे फैसले किए जाएं जिनसे चुनाव में फायदा हो सके। स्पेशल एक्ट पहले ही पास हो चुका है और अब कॉलोनियों की मंजूरी के साथ कुछ और फैसले भी दिल्ली को लुभाने के लिए किए जा सकते हैं।

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