Saturday, December 20, 2014

एक और तरह की घर वापसी

विश्व हिंदू परिषद के 'घर वापसी' के नाम पर धर्मांतरण के कार्यक्रम ने जहां पूरे मुल्क में बवाल मचाया हुआ है, वहीं कुछ दलित विचारक मिलकर एक और तरह की घर वापसी करा रहे हैं। वीएचपी के कार्यक्रम के उलट इस घर वापसी से भारत के बेहद नाजुक सामाजिक तानेबाने को कोई नुकसान पहुंचता नहीं दिख रहा है लेकिन हिंदुओं के बीच के तानेबाने को यह बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। 
ये दलित लोग वाल्मीकि, खटिक, चर्मकार जैसे उपनामों को मिश्रा, पांडेय, तोमर और राठौड़ आदि में वापस ला रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बिजय सोनकर शास्त्री के नेतृत्व में यह घर वापसी हो रही है। शास्त्री कहते हैं कि वह उन हिंदुओं का खोया हुआ सम्मान वापस दिला रहे हैं जिन्होंने इस्लामिक आक्रमणों के वक्त अपना धर्म छोड़ने के बजाय अपनी ऊंची जाति छोड़ दी थी। 

शास्त्री कहते हैं, 'हम उन लोगों की घर वापसी की बात करते हैं जिनके पुरखों ने जबरन या मजबूरी के तहत कोई और धर्म अपना लिया लेकिन उनका क्या जिन्होंने धर्म नहीं छोड़ा बल्कि उसकी रक्षा के लिए नीचे काम अपना लिए? क्या यह सही वक्त नहीं है कि उन्हें समाज में उनका खोया हुआ स्थान वापस दिलाया जाए?' 
डॉ. बीआर आंबेडकर के पोते और जानेमाने इतिहासकर प्रकाश आंबेडकर इस सिद्धांत को खारिज करते हैं। वह कहते हैं, 'बीजेपी सत्ता में आ चुकी है और इस्लाम का विरोध करके ही वे हिंदुओं को जोड़ सकते हैं।' 
शास्त्री बताते हैं कि वह इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए 500 से ज्यादा सेमीनारों में भाषण दे चुके हैं। उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदू संगठनों में भी इस विषय पर बात की है।

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