दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) वर्ष 2014-15 तक दिल्ली में 66 हजार से अधिक मकानों का निर्माण
करने जा रहा है। शहरी विकास राज्य मंत्री सौगत राय ने लोकसभा में जयाप्रदा, मधु गौड़, यास्खी भास्करराव, बापूराव पाटिल खतगांवकर और एकनाथ महादेव गायकवाड़ के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीडीए ने सूचित किया है कि वर्ष 2009-10 से लेकर वर्ष 2014-15 के बीच शहर के विभिन्न भागों में एचआईजी, एमआईजी, एलआईजी और ईडब्ल्यूएस जैसी श्रेणियों के 66 हजार से अधिक मकानों के निर्माण की आवासीय परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है। राय ने बताया कि एचआईजी श्रेणी में 8373, एमआईजी श्रेणी में 2929, एलआईजी श्रेणी में 26666 तथा ईडब्ल्यूएस में 28508 मकान बनाए जाएंगे। इन मकानों का निर्माण मोलड़ बंद, जसोला, कोंडली, मुखर्जी नगर, मोतिया खान अशोक नगर, कल्याण विहार, नरेला, पीतमपुरा, वसंत कुंज, सुल्तानगढ़ी, त्रिलोकपुरी, रोहिणी और द्वारका आदि इलाकों में किया जाएगा। एनबीटी नजरिया: सिर्फ नए मकान बनाने से क्या फायदा यदि इनके ड्रॉ में पारदर्शिता न बरती जाए। डीडीए की 2008 की फ्लैटों की स्कीम को लेकर काफी हंगामा हुआ। इसमें गड़बड़ी के आरोप लगे और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। हालांकि, सरकार ने अब साफ किया है कि इसमें कोई धांधली नहीं हुई। लेकिन जबतक डीडीए के कामकाज में पारदर्शिता नहीं होगी, ऐसे सवाल उठते रहेंगे। इसलिए, बड़ी संख्या में फ्लैट बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित हो कि यह सही लोगों को मिलें।
करने जा रहा है। शहरी विकास राज्य मंत्री सौगत राय ने लोकसभा में जयाप्रदा, मधु गौड़, यास्खी भास्करराव, बापूराव पाटिल खतगांवकर और एकनाथ महादेव गायकवाड़ के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीडीए ने सूचित किया है कि वर्ष 2009-10 से लेकर वर्ष 2014-15 के बीच शहर के विभिन्न भागों में एचआईजी, एमआईजी, एलआईजी और ईडब्ल्यूएस जैसी श्रेणियों के 66 हजार से अधिक मकानों के निर्माण की आवासीय परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है। राय ने बताया कि एचआईजी श्रेणी में 8373, एमआईजी श्रेणी में 2929, एलआईजी श्रेणी में 26666 तथा ईडब्ल्यूएस में 28508 मकान बनाए जाएंगे। इन मकानों का निर्माण मोलड़ बंद, जसोला, कोंडली, मुखर्जी नगर, मोतिया खान अशोक नगर, कल्याण विहार, नरेला, पीतमपुरा, वसंत कुंज, सुल्तानगढ़ी, त्रिलोकपुरी, रोहिणी और द्वारका आदि इलाकों में किया जाएगा। एनबीटी नजरिया: सिर्फ नए मकान बनाने से क्या फायदा यदि इनके ड्रॉ में पारदर्शिता न बरती जाए। डीडीए की 2008 की फ्लैटों की स्कीम को लेकर काफी हंगामा हुआ। इसमें गड़बड़ी के आरोप लगे और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। हालांकि, सरकार ने अब साफ किया है कि इसमें कोई धांधली नहीं हुई। लेकिन जबतक डीडीए के कामकाज में पारदर्शिता नहीं होगी, ऐसे सवाल उठते रहेंगे। इसलिए, बड़ी संख्या में फ्लैट बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित हो कि यह सही लोगों को मिलें।
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