Saturday, July 11, 2009

राजनीति में वह अभी भी केंद्रबिंदु बने हुए हैं।

मुनाफे को लेकर पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव पर आंकड़ों की बाजीगरी के आरोप लगाए गए हैं। पर
उन्हीं आंकड़ों को आधार बनाकर वह खुद को पाक-साफ साबित करने की जुगत में लगे हैं। कहते हैं आंकड़ों को घुमा-फिराकर भ्रम पैदा किया जा रहा है।
उनका कहना है कि राजनीति में वह अभी भी केंद्रबिंदु बने हुए हैं। इन सब और तमाम दूसरे मुद्दों पर उन्होंने नरेश तनेजा से बातचीत की। पेश है पूरी बातचीत: क्या सही है कि आपके रेल मंत्री रहते एक लाख सत्तर हजार से अधिक खाली पद इसलिए नहीं भरे गए, ताकि खर्च बचाकर सरप्लस दिखा सकें? बिल्कुल झूठ है। बल्कि रेलमंत्री रहते हुए तो मैंने पहले से बंद की गई भर्ती प्रक्रिया को खोलकर खाली पदों को भरने का काम शुरू किया था। मैंने तो अपने कार्यकाल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के बैकलॉग में रिक्त पदों को भरवाया था। एनडीए सरकार के रेलमंत्री नीतीश कुमार ने तो अपने कार्यकाल में सभी विभागों के 20 प्रतिशत पद स्क्रैप कर दिए थे। अभी भी कई परीक्षाओं के रिजल्ट आने बाकी हैं। मैं तो चाहता हूं कि अभी भी खाली सीटों पर भर्ती की जाए ताकि गरीबों को नौकरी मिल सके। वर्तमान रेलमंत्री श्वेतपत्र लाने की बात कह रही हैं, आपका क्या कहना है? जब बात दिमाग में आ ही गई है तो श्वेतपत्र लाया जाए। इसमें मेरे खिलाफ क्या है? कोई चार्जशीट थोड़े ही है। मैंने तो खुद मांग की है कि एक हफ्ते में ही लाया जाए। सदन की कमिटी बनाकर सारे फाइनैंस, बजट वगैरह की जांच कर ली जाए। ममता जी ने अपने भाषण में कहा था कि वे विजन 2020 के मद्देनजर रेलवे पर श्वेतपत्र लाएंगी। पहले भी नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस के रेलवे मंत्री रहते हुए श्वेतपत्र लाया जा चुका है। ममता जी द्वारा श्वेतपत्र लाए जाने की बात की गलत ढंग से व्याख्या की जा रही है। आंकड़ों की बाजीगरी है। कहा जा रहा है कि भारतीय रेलवे के नब्बे हजार करोड़ रुपये सरप्लस अर्न करने की बात लालू यादव ने झूठ कही है। आपने 90 हजार करोड़ रुपये सरप्लस होने की बात कही जबकि सरकार 8,361 करोड़ यानी तकरीबन दस गुना कम सरप्लस की बात कर रही है, इतना फर्क कैसे? दुर्भाग्य है कि लोग पूरी बात पढ़ते ही नहीं। यह 8,361 करोड़ का जो आंकड़ा है वह तो सिर्फ वर्ष 2008-09 यानी एक ही वर्ष का है। यह आंकड़ा इस वर्ष के लाभांश पूर्व कैश सरप्लस 17,400 करोड़ रुपये में से 3,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड व 7,000 करोड़ रुपये का डीआरएफ घटाने और बची हुई राशि में रेलवे के सरप्लस फंड पर मिले एक हजार करोड़ रुपये के ब्याज को जोड़ने पर आता है। अब अगर वर्ष 2008-09 के सरप्लस 17, 400 करोड़ रुपये में पिछले चार साल का सरप्लस 71,576 रुपये जोड़ दें तो 88,966 करोड़ रुपये की राशि आ जाएगी। मैंने वर्ष 2009 का अंतरिम बजट पेश करते हुए 2008-09 के लाभांश पूर्व कैश सरप्लस का अनुमान 17, 400 करोड़ रुपये की जगह 19,320 करोड़ रुपये लगाया था। पिछले चार साल की लाभांश पूर्व कैश सरप्लस राशि में अगर 17, 400 करोड़ रुपये की जगह यह 19,320 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि जोड़ दें तो कुल राशि 88,966 करोड़ रुपये नहीं, बल्कि 90,896 करोड़ रुपये ही आएगी, जिसका मैं दावा कर रहा था। अब बताइए मैं गलत कहां हूं। ममता जी ने जो आंकड़ा दिया वह शुद्ध मुनाफा है न कि कैश सरप्लस। जबकि मैंने लाभांश पूर्व कैश सरप्लस की बात की थी। दोनों में अंतर होता है। इसी को आधार बनाकर भ्रम फैलाया जा रहा है। यह कहना कितना सही है कि आप पलिटिकली फिनिश हो रहे हैं? बोलने वालों को मैं भला रोक सकता हूं क्या? मैं आज भी सभी का केंद्रबिंदु और शक्तिशाली हूं, इसीलिए आज भी सब लोग मेरे पीछे लगे रहते हैं। खैर, अब राज्य की राजनीति करेंगे या सेंटर में ही बने रहेंगे? बिहार में तो हमारी जड़ें हैं, उसको मैं कैसे छोड़ सकता हूं। बिहार से ही तो मैं देश की राजनीति तक पहुंचा हूं। वहां पर तो हमेशा मेरा ज्यादा ध्यान बना ही रहेगा, पर मैं केंद्र में भी सक्रिय रहूंगा। बिहार में अपनी जड़ों को फिर से मजबूत करने के लिए क्या योजना है? पूरी पार्टी को फिर से मजबूत करने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं से मिलने-जुलने का दौर शुरू हो चुका है। रैलियों, जुलूसों और आंदोलन चलाए जाने के कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं। आंदोलन क्यों और किस मुद्दे पर? बिहार की सरकार हर मोर्चे पर फेल हो गई है। हम जनता के मुद्दों को लेकर आंदोलन और रैलियां करेंगे। बिहार में गिली-गिली छू करने वाले गोगिया पाशा के तमाशों जैसी सरकार काम कर रही है। झूठ और अफवाह फैलाने वाले ढोंगी लोग मिलकर सरकार चला रहे हैं। लालू जी आप अगर इस समय रेलमंत्री होते तो कैसा बजट पेश करते? मैं तो दोबारा रेलमंत्री बनता ही नहीं। रेल मंत्रालय मैं लेता ही नहीं। क्यों क्या एक ही बार से घबरा गए आप? नहीं घबराने की बात नहीं है, मैंने वहां अपना काम पूरा कर दिया है तो दोबारा लेकर क्या करता। आपके साले साधु यादव ने आपका साथ छोड़ दिया, इसका कितना नुकसान हुआ आपको? मेरा क्या नुकसान होगा। साधु यादव ने मुझे नेता थोड़े ही बनाया है। मैंने उसे बनाया है। साथ छोड़ने से उसे ही नुकसान हुआ, वह चुनाव हार गया। तो अब उनसे रिश्तेदारी और बातचीत है? नहीं हमारी उनसे कोई बातचीत नहीं है। पिछली केंद्र सरकार में आपकी हैसियत काफी मजबूत थी, पर अब आपको कोई पद नहीं दिया गया? मुझे इससे किसी तरह का तनाव या शिकायत नहीं। आई एम रिलेक्स्ड नाउ। जब हमारे पास इतनी ताकत ही नहीं, सिर्फ चार सांसद ही हैं तो वे भला हमें मंत्री पद क्यों देंगे। अब दिन ज्यादा अच्छे बीत रहे हैं या मंत्री पद पर रहने के दौरान बीतते थे? मैं तो बल्कि अब ज्यादा खुश और रिलेक्स्ड हूं। मंत्री बनकर कोई ज्यादा लाभ नहीं था। क्या अभी भी आपको मैनिजमंट स्कूलों से लेक्चर देने के लिए बुलावे आते हैं? नहीं, अभी तो मैं मंत्री नहीं हूं तो मुझे बुलावा क्यों आएगा। हां, अगर कहीं से आया तो जरूर जाऊंगा। आपने जो चौथा मोर्चा तो चौथे नंबर पर ही रह गया? मैं क्या कह सकता हूं। जनता ने हमें वोट ही नहीं दिए। हम फिर आगे आने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस अगर बिहार में आगे भी अकेली ही चली तो आपकी रणनीति क्या रहेगी? इस पर अभी से अडवांस में कुछ नहीं कहा जा सकता। मौका और हालात देखकर ही तय किया जाएगा कि क्या करें। घर के काम में हाथ बंटाते हैं कि नहीं? खाना-वाना बनाना जानते हैं? नहीं-नहीं। बस मेरा काम तो डायरेक्शन देने तक ही सीमित है।

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