वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि इंडियन इकॉनमी में पॉजिटिव बदलाव
यानी रिकवरी शुरू हो चुकी है। कई सेक्टरों में इसके साफ संकेत मिल रहे हैं। इसके बावजूद कई बड़ी चुनौतियां बरकरार हैं। वित्तीय घाटा 6 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गया है। कर्ज का मर्ज भी बढ़ रहा है। ग्रोथ रेट बढ़ाकर ही इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इन चुनौतियां से निपटने के पुख्ता उपाय हमने 2009-10 के बजट में कर दिए हैं। मंगलवार को लोकसभा में बजट पर बहस का जवाब देते हुए प्रणव ने विपक्षी पार्टियों के उन नेताओं को आड़े हाथ लिया, जिन्होंने बजट को दिशाहीन और गरीबों का विरोधी बताया था। वित्त मंत्री ने कहा, 'मैंने बजट को लेकर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया संसद और टीवी में सुनी। मौजूदा समय में विश्व और भारत की अर्थव्यवस्था का जो हाल है, वह किसी से छिपा नहीं है। ऐसी परिस्थिति में इससे बेहतर बजट बनाया नहीं जा सकता। बजट में सभी को कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई है। विपक्षी नेताओं को यह जानना और समझना होगा कि बजट बनाते समय वैश्विक और अपने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखना जरूरी होता है।' प्रणव ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों में सुधार यानी रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। सीमेंट और स्टील सेक्टर में उत्पादन काफी बढ़ा है। एफएमजीसी सेक्टर की ग्रोथ रेट मई और जून दोनों महीनों में 12 फीसदी से ज्यादा रही है। यही हाल ऑटो सेक्टर का है। खरीदारी यहां भी बढ़ रही है। यह सुधार की शुरुआत है, अब हमें इसको आगे बढ़ाना है। इसके लिए जरूरी है कि ग्रोथ रेट बढ़े, लोगों की आमदनी बढ़े, ताकि खरीदारी करने की शक्ति में इजाफा हो। ऐसा होने पर ही बाजार में डिमांड बढ़ेगी और बाजार में रौनक वापस आएगी। दादा ने कहा कि बेशक मॉनसून आने में थोड़ी देरी हो गई है। मगर देर से सही अगर यह दुरुस्त आया, तो हमें हाई ग्रोथ रेट हासिल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। बेशक मैं ज्यादा आशावादी नहीं हूं, मगर मुझे उम्मीद है कि बरसात सामान्य आएगी और अर्थव्यवस्था में तेजी की हरियाली देखने को मिलेगी। बढ़ते वित्तीय घाटे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बेशक यह अनुमान से ज्यादा हो गया है। इसके बावजूद हमने 3 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने की बात बजट में की है। इसका एक ही मकसद है कि रोजगार बढ़ाने, गरीबों को पर्याप्त अनाज देने और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की गति में और तेजी लाई जा सके। क्या किसी वित्त मंत्री ने पहले ऐसा किया था। मैंने रिस्क लिया है, मगर सारे समीकरणों का सही तरीके से गणित करके। मुझे उम्मीद है कि हमारा गणित सही बैठेगा। दादा ने कहा कि 27 साल पहले जब हमने अपना पहला आम बजट पेश किया था तो बजट लक्ष्यों और वादों को लेकर विपक्षी नेताओं ने ताने कसे थे। मगर बाद में जब वे लक्ष्य हासिल हो गए और वादे पूरा हो गए तो विपक्षी नेताओं को मुंह पर ताला लगाना पड़ा। इस बार भी बजट को लेकर कई तरह की बातें की गई हैं। समय बताएगा कि हमारा बजट कितना सही है।
यानी रिकवरी शुरू हो चुकी है। कई सेक्टरों में इसके साफ संकेत मिल रहे हैं। इसके बावजूद कई बड़ी चुनौतियां बरकरार हैं। वित्तीय घाटा 6 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गया है। कर्ज का मर्ज भी बढ़ रहा है। ग्रोथ रेट बढ़ाकर ही इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इन चुनौतियां से निपटने के पुख्ता उपाय हमने 2009-10 के बजट में कर दिए हैं। मंगलवार को लोकसभा में बजट पर बहस का जवाब देते हुए प्रणव ने विपक्षी पार्टियों के उन नेताओं को आड़े हाथ लिया, जिन्होंने बजट को दिशाहीन और गरीबों का विरोधी बताया था। वित्त मंत्री ने कहा, 'मैंने बजट को लेकर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया संसद और टीवी में सुनी। मौजूदा समय में विश्व और भारत की अर्थव्यवस्था का जो हाल है, वह किसी से छिपा नहीं है। ऐसी परिस्थिति में इससे बेहतर बजट बनाया नहीं जा सकता। बजट में सभी को कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई है। विपक्षी नेताओं को यह जानना और समझना होगा कि बजट बनाते समय वैश्विक और अपने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखना जरूरी होता है।' प्रणव ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों में सुधार यानी रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। सीमेंट और स्टील सेक्टर में उत्पादन काफी बढ़ा है। एफएमजीसी सेक्टर की ग्रोथ रेट मई और जून दोनों महीनों में 12 फीसदी से ज्यादा रही है। यही हाल ऑटो सेक्टर का है। खरीदारी यहां भी बढ़ रही है। यह सुधार की शुरुआत है, अब हमें इसको आगे बढ़ाना है। इसके लिए जरूरी है कि ग्रोथ रेट बढ़े, लोगों की आमदनी बढ़े, ताकि खरीदारी करने की शक्ति में इजाफा हो। ऐसा होने पर ही बाजार में डिमांड बढ़ेगी और बाजार में रौनक वापस आएगी। दादा ने कहा कि बेशक मॉनसून आने में थोड़ी देरी हो गई है। मगर देर से सही अगर यह दुरुस्त आया, तो हमें हाई ग्रोथ रेट हासिल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। बेशक मैं ज्यादा आशावादी नहीं हूं, मगर मुझे उम्मीद है कि बरसात सामान्य आएगी और अर्थव्यवस्था में तेजी की हरियाली देखने को मिलेगी। बढ़ते वित्तीय घाटे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बेशक यह अनुमान से ज्यादा हो गया है। इसके बावजूद हमने 3 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने की बात बजट में की है। इसका एक ही मकसद है कि रोजगार बढ़ाने, गरीबों को पर्याप्त अनाज देने और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की गति में और तेजी लाई जा सके। क्या किसी वित्त मंत्री ने पहले ऐसा किया था। मैंने रिस्क लिया है, मगर सारे समीकरणों का सही तरीके से गणित करके। मुझे उम्मीद है कि हमारा गणित सही बैठेगा। दादा ने कहा कि 27 साल पहले जब हमने अपना पहला आम बजट पेश किया था तो बजट लक्ष्यों और वादों को लेकर विपक्षी नेताओं ने ताने कसे थे। मगर बाद में जब वे लक्ष्य हासिल हो गए और वादे पूरा हो गए तो विपक्षी नेताओं को मुंह पर ताला लगाना पड़ा। इस बार भी बजट को लेकर कई तरह की बातें की गई हैं। समय बताएगा कि हमारा बजट कितना सही है।
No comments:
Post a Comment