Thursday, July 31, 2014

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी जिक्र हटा दिए

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने 2007 के बाद से पहली बार अपनी सालाना इंटरनैशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी जिक्र हटा दिए हैं। अमेरिकी विदेशी मंत्री जॉन केरी और वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर के दोनों देशों के बीच रणनीतिक बातचीत के लिए भारत आने से पहले यह एक संयोग माना जाना मुश्किल है।
केरी ने भारत यात्रा से दो दिन पहले सोमवार को वॉशिंगटन में 2013 के लिए यह रिपोर्ट जारी की। अमेरिका गुजरात दंगों की वजह से एक दशक से भी ज्यादा समय तक मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा और अब इस बदलाव को उनके साथ जुड़ने की एक कोशिश के तौर पर माना जा सकता है। वीजा न दिए जाने की वजह से मोदी और अमेरिका के बीच संबंध ठीक नहीं थे, लेकिन हाल ही में मोदी की अगुवाई में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद अमेरिका को अपना रवैया बदलने पर मजबूर होना पड़ा है।
हालांकि, नई रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे कोच को जलाने और उसके बाद हिंसा से जुड़े कई मामले अभी लंबित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 'ट्रेन में आग लगाने का आरोप मुस्लिमों पर है। इस घटना में 58 लोग मारे गए थे और इसके बाद मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी, जिसमें 790 मुस्लिमों और 254 हिंदुओं की हत्या हुई।' रिपोर्ट में 2002 के दंगों में कथित भूमिका के लिए गुजरात सरकार के 60 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की जकिया जाफरी की 2006 से की जा रही कोशिश का जिक्र है।
जाफरी के पति एहसान जाफरी और बहुत से अन्य लोगों की अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स पर भीड़ के हमले में हत्या कर दी गई थी। 2010 और 2011 में प्रकाशित रिपोर्ट्स में भी जकिया जाफरी का जिक्र था।
इस साल की रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने वर्षों की जांच के बाद 2012 में कोई आरोप न लगाने का फैसला किया। दिसंबर 2013 में एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने जाफरी की ओर से दायर विरोध याचिका को खारिज कर दिया था और एसआईटी का फैसला बरकरार रखा। जाफरी ने कहा था कि वह हाई कोर्ट में अपील करना चाहती हैं।' अमेरिकी गृह मंत्रालय ने मार्च 2005 में मोदी को जारी किया गया वीजा वापस ले लिया था। इसकी वजह गुजरात दंगों में उनकी कथित भूमिका बताई गई थी।
पिछले एक दशक में भारत में अमेरिकी डिप्लोमेट्स ने बमुश्किल मोदी से बात की है। हालांकि, 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उनकी जीत के बाद बहुत से अमेरिकी सहयोगियों ने उनसे मुलाकात की थी। हालांकि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के लोकसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें अमेरिका आने का निमंत्रण दिया था। मोदी सितंबर में अमेरिका जाएंगे। वहां वह ओबामा से मिलने के अलावा संयुक्त राष्ट्र की आमसभा को संबोधित करेंगे।

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