शिवसेना के 11 सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र सदन में परोसे
जाने वाले खाने से नाराज होकर रोजा रखे एक मुस्लिम कर्मचारी को रोटी खाने के लिए
मजबूर किया। इस घटना के कुछ ही घंटे बाद सांसदों के दुर्व्यवहार के विरोध में
कैटरिंग का जिम्मा संभाल रही आईआरसीटीसी ने सदन में अपनी सेवाएं बंद कर दीं।
आईआरसीटीसी ने महाराष्ट्र के रेजिडेंट कमिश्नर से लिखित में शिकायत की है कि
धार्मिक भावनाएं आहत होने से हमारे कर्मचारी अरशद जुबैर को काफी दुख पहुंचा है।
रेजिडेंट कमिश्नर ने सांसदों के व्यवहार पर आईआरसीटीसी से माफी मांगते हुए जवाब
दिया है कि वह अरशद से निजी तौर पर मिलकर सरकार की ओर से संवेदना जताना चाहते हैं।
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, यह घटना 17 जुलाई की है। महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच करने की बात कहते हुए वादा किया है कि उचित कार्रवाई की जाएगी। शिवसेना सांसदों का कहना है कि उनका अपमान किया गया था और दुर्व्यवहार के आरोप गलत हैं। आईआरसीटीसी की ओर से जिन 11 सांसदों पर बदसलूकी का आरोप लगाया गया है, उनमें संजय राउत (राज्यसभा), आनंदराव अडसुल (अमरावती), रंजन विचारे (ठाणे), अरविंद सावंत (दक्षिण मुंबई), हेमंत गोडसे (नासिक), कृपाल तुमाने, रविन्द्र गायकवाड़ (उस्मानाबाद), विनायक राउत (रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग), शिवाजी पाटिल (शिरूर), राहुल शेवाले (दक्षिण-मध्य मुंबई) और श्रीकांत शिंदे (कल्याण) के नाम शामिल हैं।
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, यह घटना 17 जुलाई की है। महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच करने की बात कहते हुए वादा किया है कि उचित कार्रवाई की जाएगी। शिवसेना सांसदों का कहना है कि उनका अपमान किया गया था और दुर्व्यवहार के आरोप गलत हैं। आईआरसीटीसी की ओर से जिन 11 सांसदों पर बदसलूकी का आरोप लगाया गया है, उनमें संजय राउत (राज्यसभा), आनंदराव अडसुल (अमरावती), रंजन विचारे (ठाणे), अरविंद सावंत (दक्षिण मुंबई), हेमंत गोडसे (नासिक), कृपाल तुमाने, रविन्द्र गायकवाड़ (उस्मानाबाद), विनायक राउत (रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग), शिवाजी पाटिल (शिरूर), राहुल शेवाले (दक्षिण-मध्य मुंबई) और श्रीकांत शिंदे (कल्याण) के नाम शामिल हैं।
17 जुलाई को आईआरसीटीसी के डेप्युटी जनरल मैनेजर शंकर मल्होत्रा ने रेजिडेंट
कमिश्नर बिपिन मलिक को ईमेल करके बताया था, 'आज महाराष्ट्र
सदन के प्रेस कॉन्फ्रेंस हाल में शिवसेना के 12-15 सांसदों
की मीटिंग थी। इस मीटिंग में वे इलेक्ट्रिकल, सिविल, हाउसकीपिंग, कैटरिंग आदि से जुड़ीं समस्याएं उठा रहे
थे। इसके बाद पूरा प्रतिनिधिमंडल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और मैनेजर के साथ पब्लिक
डाइनिंग हॉल में पहुंच गया। वे आपत्तिजनक भाषा में किचन और सर्विस स्टाफ को धमकाने
लगे।'
इस मेल में कहा गया है, 'गुस्साए सांसदों ने आईआरसीटीसी के रेजिडेंट मैनेजर अरशद को एक रोटी खाने के लिए मजबूर किया। उस दौरान रोजे पर होने की वजह से अरशद की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।' अरशद ने अपनी शिकायत में कहा है, 'सारे गेस्ट मीडिया के लोग और महाराष्ट्र सदन के कर्मचारियों के साथ किचन में घुस गए। उस समय मैं ऑर्डर तैयार करवा रहा था। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और एक रोटी में मेरे मुंह में ठूंस दी। मैंने उस समय आईआरसीटीसी की वर्दी पहन रखी थी और नेम प्लेट भी लगा रखी थी। पैनल में मौजूद सारे लोग जानते थे कि मेरा नाम अरशद है। इन लोगों के मुंह में रोटी ठूंसने की वजह से मेरा रोजा टूट गया। उनकी हरकतों से मेरी धार्मिक भावना को गहरा आघात लगा है।'
शंकर मल्होत्रा का कहना है कि सांसद नए महाराष्ट्र सदन में महराष्ट्रियन कैटरर चाहते हैं। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं, लेकिन महाराष्ट्र सदन का प्रबंधन इस संबंध में हमारा पक्ष नहीं लेता है। 17 जुलाई की घटना के बाद आईआरसीटीसी ने वहां अपनी सर्विस बंद कर दी है और इसकी वजह से वहां कैंटीन फिलहाल बंद है।
सांसद और शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कहना है कि गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई शरारत कर रहा है। राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सदम में कई समस्याएं हैं इसलिए मैं वहां ठहरता ही नहीं हूं। दक्षिण मुंबई के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, 'मैं वहां पिछले दो महीनों से रह रहा हूं और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला है। यहां विधायकों, मंत्रियों और सचिवों के लिए कई कमरे हैं, लेकिन सांसदों को छोटे-छोटे कमरे में ठहराया गया है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के चार सांसदों को भी बड़े कमरे दिए गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है?'
सावंत ने कहा, 'सदन का खाना एकदम घटिया है। यहां रेलवे के लोग कैटरिंग चलाते हैं और महराष्ट्रियन खानों के बारे में कुछ भी पता नहीं है। अगर आप आंध्र भवन जाते हैं, तो वहां राज्य का खाना मिलता है। लेकिन महाराष्ट्र सदन में रेलवे के लोग खाना बनाते हैं। हम मिल-बैठकर समस्या को सुलझाना चाहते थे, लेकिन उस दिन भी रेजिडेंट कमिश्नर ने मिलने से इनकार कर दिया। काफी देर के बाद बताया गया कि वह राज्य के मुख्य सचिव को लेने एयरपोर्ट गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है? किसी के साथ भी जबरदस्ती या धक्कामुक्की नहीं की गई थी।'
इस मेल में कहा गया है, 'गुस्साए सांसदों ने आईआरसीटीसी के रेजिडेंट मैनेजर अरशद को एक रोटी खाने के लिए मजबूर किया। उस दौरान रोजे पर होने की वजह से अरशद की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।' अरशद ने अपनी शिकायत में कहा है, 'सारे गेस्ट मीडिया के लोग और महाराष्ट्र सदन के कर्मचारियों के साथ किचन में घुस गए। उस समय मैं ऑर्डर तैयार करवा रहा था। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और एक रोटी में मेरे मुंह में ठूंस दी। मैंने उस समय आईआरसीटीसी की वर्दी पहन रखी थी और नेम प्लेट भी लगा रखी थी। पैनल में मौजूद सारे लोग जानते थे कि मेरा नाम अरशद है। इन लोगों के मुंह में रोटी ठूंसने की वजह से मेरा रोजा टूट गया। उनकी हरकतों से मेरी धार्मिक भावना को गहरा आघात लगा है।'
शंकर मल्होत्रा का कहना है कि सांसद नए महाराष्ट्र सदन में महराष्ट्रियन कैटरर चाहते हैं। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं, लेकिन महाराष्ट्र सदन का प्रबंधन इस संबंध में हमारा पक्ष नहीं लेता है। 17 जुलाई की घटना के बाद आईआरसीटीसी ने वहां अपनी सर्विस बंद कर दी है और इसकी वजह से वहां कैंटीन फिलहाल बंद है।
सांसद और शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कहना है कि गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई शरारत कर रहा है। राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सदम में कई समस्याएं हैं इसलिए मैं वहां ठहरता ही नहीं हूं। दक्षिण मुंबई के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, 'मैं वहां पिछले दो महीनों से रह रहा हूं और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला है। यहां विधायकों, मंत्रियों और सचिवों के लिए कई कमरे हैं, लेकिन सांसदों को छोटे-छोटे कमरे में ठहराया गया है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के चार सांसदों को भी बड़े कमरे दिए गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है?'
सावंत ने कहा, 'सदन का खाना एकदम घटिया है। यहां रेलवे के लोग कैटरिंग चलाते हैं और महराष्ट्रियन खानों के बारे में कुछ भी पता नहीं है। अगर आप आंध्र भवन जाते हैं, तो वहां राज्य का खाना मिलता है। लेकिन महाराष्ट्र सदन में रेलवे के लोग खाना बनाते हैं। हम मिल-बैठकर समस्या को सुलझाना चाहते थे, लेकिन उस दिन भी रेजिडेंट कमिश्नर ने मिलने से इनकार कर दिया। काफी देर के बाद बताया गया कि वह राज्य के मुख्य सचिव को लेने एयरपोर्ट गए हैं। क्या यह अपमान नहीं है? किसी के साथ भी जबरदस्ती या धक्कामुक्की नहीं की गई थी।'
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