हायर एजुकेशन पर बनी यशपाल कमिटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। फरवरी 2008 में बनी कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 40 सालों से हायर एजुकेशन में बड़े सुधार नहीं किए गए हैं। यह ठीक है कि हायर एजुकेशन में प्राइवेट संस्थाओं का अहम योगदान है, लेकिन फीस को लेकर कड़े नियम हों ताकि आम स्टूडेंट भी यहां पर पढ़ सकें। रिपोर्ट में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और डीम्ड यूनिवर्सिटीज को लेकर काफी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि इनमें गैर-कानूनी रूप वसूली जाने वाली कैपिटेशन फीस की रेंज काफी ज्यादा है। ताज्जुब की बात यह है कि रेग्युलेटरी एजेंसी भी गैरकानूनी कैपिटेशन और सालाना फीस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं। यूजीसी के चेयरमैन रह चुके प्रफेसर यशपाल ने एनबीटी को बताया कि पिछले कुछ सालों से जिस तरह से प्राइवेट संस्थाओं को डीम्ड यूनिवर्सिटीज का दर्जा दिया जा रहा है, उस पर रोक लगनी चाहिए। जो यूनिवर्सिटीज नियम-कायदों पर खरी न उतरें, तीन साल बाद उनसे डीम्ड का स्टेटस वापस ले लिया जाए। क्या है बीमारी - कुछ प्राइवेट प्रफेशनल कॉलिजों को जैसे ही यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला, उन्होंने पांच से छह गुना तक ज्यादा स्टूडंट्स लेने शुरू कर दिए, जबकि सुविधाओं में इजाफा नहीं हुआ। - कैपिटेशन फीस के रूप में लाखों रुपये की अवैध वसूली होती है। रेग्युलेटरी संस्थाएं इस फीस पर लगाम कसने में असफल हैं। -1956-1990 के बीच केवल 29 इंस्टिट्यूट ही डीम्ड यूनिवर्सिटी बने। पिछले 15 साल में 63, जबकि सिर्फ पांच साल में 36 इंस्टिट्यूशंस को डीम्ड का दर्जा। फिलहाल 108 प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटीज। क्या है इलाज -यूजीसी, एआईसीटीई जैसी रेग्युलेटरी बॉडीज को हटाकर कमिशन फॉर हायर एजुकेशन बनाया जाए। यह कमिशन देश में हायर एजुकेशन के लिए ठोस नीति बनाए। - स्टेट यूनिवर्सिटीज की ओर भी पूरा ध्यान रखा जाए और सेंट्रल व स्टेट यूनिवर्सिटी में भेदभाव न हो। स्टेट यूनिवर्सिटीज को उचित फंड मिले। - डीम्ड यूनिवर्सिटीज का दर्जा दिए जाने और वहां पर एजुकेशन के स्टैंडर्ड को बढ़ाने के लिए कड़े नियम हों। हायर एजुकेशन में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और संस्थाएं स्टूडंट्स के लिए गहरी चिंता का सबब हैं। इनमें मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरे कोर्स के लिए वसूली जा रही फीस का कोई बुनियादी आधार नहीं है। फीस तय करते समय नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ये बातें प्रफेसर यशपाल की अध्यक्षता में गठित कमिटी ने कही हैं, जिसका गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने किया था।
Thursday, April 16, 2009
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