Saturday, April 11, 2009

जिसका खतना नहीं हुआ होता, तो उसे भारतीय एजेंट बता दिया जाता।

पाकिस्तान अक्सर अपने यहां होने वाले हमलों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराता रहा है। इसके पीछे उसके तर्क रहे हैं आतंकियों के वे शव, जिनका खतना नहीं हुआ होता था। इसलिए जब भी किसी ऐसे आतंकी का शव मिलता जिसका खतना नहीं हुआ होता, तो उसे भारतीय एजेंट बता दिया जाता। लेकिन पाक के इस दावे की पोल वहां के डॉक्टरों ने ही खोल दी है। दरअसल पाक के बेहद अशांत इलाके स्वात में अक्सर ऐसे आतंकियों के शव मिलते रहे हैं। खास बात यह थी कि ये ऐसे इलाके हैं जहां किसी भारतीय के हाथ होने की बात सोची भी नहीं जा सकती है। ऐसे कई शव मिलने के बाद जब वहां के डॉक्टरों ने इसकी जांच की, तो पता चला कि वजीरिस्तान में पस्तून जनजाति में खतना की प्रथा जरूरी नहीं है। गौरतलब है कि आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के अधिकतर आतंकी यहीं से आते हैं।
इस दौरान बिना खतना वाले कई ऐसे शव भी मिले, जिनकी शिनाख्त बाद में सरकारी सैनिकों के तौर पर भी हुई। जांच के बाद सामने आया कि ये सैनिक वजीरिस्तान की पिछड़े इलाकों के ही थे। वजीरिस्तान से आने वाले पाकिस्तानी के एक विधायक कामरान खान ने बताया कि वजीरिस्तान के कुछ इलाके बेहद पिछड़े हुए हैं। कुछ जनजातियों में खतना की प्रथा जरूरी नहीं है। इन इलाकों में अस्पताल तो क्या नाई तक नहीं हैं। इससे यहां के लोग खतना करवाते से कतराते हैं।

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